*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग- निरभिमानी परोपकारी साधु*
*आज का पञ्चांग*
*दिनांक:- 10/01/2025, शुक्रवार*
*एकादशी, शुक्ल पक्ष,*
*पौष*
(समाप्ति काल)
तिथि——– एकादशी 10:19:05 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र——— कृत्तिका 13:44:30
योग————– शुभ 14:35:25
करण——- विष्टि भद्र 10:19:05
करण————– बव 21:19:08
वार———————- शुक्रवार
माह————————– पौष
चन्द्र राशि—————– वृषभ
सूर्य राशि—————— धनु
रितु———————– शिशिर
आयन——————-उत्तरायण
संवत्सर (उत्तर)———— कालयुक्त
विक्रम संवत————– 2081
गुजराती संवत———— 2081
शक संवत—————- 1946
कलि संवत—————- 5125
सूर्योदय————– 07:12:29
सूर्यास्त————— 17:41:17
दिन काल———— 10:28:48
रात्री काल————- 13:31:13
चंद्रोदय————– 14:07:09
चंद्रास्त—————- 28:41:55
लग्न—- धनु 25°51′ , 265°51′
सूर्य नक्षत्र————- पूर्वाषाढा
चन्द्र नक्षत्र—————- कृत्तिका
नक्षत्र पाया—————— लोहा
*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
उ—- कृत्तिका 08:04:34
ए—-कृत्तिका 13:44:30
ओ—- रोहिणी 19:24:45
वा—- रोहिणी 25:05:26
वी—- रोहिणी 30:46:36
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= धनु 25°40, पू o षा o 4 ढा
चन्द्र=वृषभ 06°30 , कृतिका 3 ले
बुध =धनु 08°52 ‘ मूल 3 भा
शु क्र= कुम्भ 13°05, शतभिषा ‘ 2 सा
मंगल=कर्क 04°30 ‘ पुष्य ‘ 1 हु
गुरु=वृषभ 18°30 रोहिणी, 3 वी
शनि=कुम्भ 21°28 ‘ पू o भा o , 1 से
राहू=(व) मीन 06°50 उo भा o, 2 थ
केतु= (व)कन्या 06°50 उ oफा o 4 पी
*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*
राहू काल 11:08 – 12:27 अशुभ
यम घंटा 15:04 – 16:23 अशुभ
गुली काल 08:31 – 09: 50अशुभ
अभिजित 12:06 – 12:48 शुभ
दूर मुहूर्त 09:18 – 10:00 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:48 – 13:30 अशुभ
वर्ज्यम 28:53* – 30:24* अशुभ
प्रदोष 17:41 – 20:26 शुभ
💮चोघडिया, दिन
चर 07:12 – 08:31 शुभ
लाभ 08:31 – 09:50 शुभ
अमृत 09:50 – 11:08 शुभ
काल 11:08 – 12:27 अशुभ
शुभ 12:27 – 13:45 शुभ
रोग 13:45 – 15:04 अशुभ
उद्वेग 15:04 – 16:23 अशुभ
चर 16:23 – 17:41 शुभ
🚩चोघडिया, रात
रोग 17:41 – 19:23 अशुभ
काल 19:23 – 21:04 अशुभ
लाभ 21:04 – 22:46 शुभ
उद्वेग 22:46 – 24:27* अशुभ
शुभ 24:27* – 26:08* शुभ
अमृत 26:08* – 27:50* शुभ
चर 27:50* – 29:31* शुभ
रोग 29:31* – 31:13* अशुभ
💮होरा, दिन
शुक्र 07:12 – 08:05
बुध 08:05 – 08:57
चन्द्र 08:57 – 09:50
शनि 09:50 – 10:42
बृहस्पति 10:42 – 11:34
मंगल 11:34 – 12:27
सूर्य 12:27 – 13:19
शुक्र 13:19 – 14:12
बुध 14:12 – 15:04
चन्द्र 15:04 – 15:56
शनि 15:56 – 16:49
बृहस्पति 16:49 – 17:41
🚩होरा, रात
मंगल 17:41 – 18:49
सूर्य 18:49 – 19:57
शुक्र 19:57 – 21:04
बुध 21:04 – 22:12
चन्द्र 22:12 – 23:19
शनि 23:19 – 24:27
बृहस्पति 24:27* – 25:35
मंगल 25:35* – 26:42
सूर्य 26:42* – 27:50
शुक्र 27:50* – 28:57
बुध 28:57* – 30:05
चन्द्र 30:05* – 31:13
*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
धनु > 04:28 से 06:26 तक
मकर > 06:26 से 08:16 तक
कुम्भ > 08:16 से 09:48 तक
मीन > 09:48 से 11:18 तक
मेष > 11:18 से 12:58 तक
वृषभ > 12:58 से 14:56 तक
मिथुन > 14:56 से 17:08 तक
कर्क > 17:08 से 19:30 तक
सिंह > 19:30 से 21:40 तक
कन्या > 21:40 से 00:06 तक
तुला > 00:06 से 02:06 तक
वृश्चिक > 02:06 से 04:20 तक
*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
11 + 6 + 1 = 18 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शनि ग्रह मुखहुति
*💮 शिव वास एवं फल -:*
11 + 11 + 5 = 27 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक , दुःख कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
प्रातः 10:19 तक समाप्त
स्वर्ग लोक = शुभ कारक
*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*
*पुत्रदा एकादशी व्रत (सर्वेषां)*
*रोहिणी व्रत*
*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*
रूपयौवनसम्पन्ना विशालकुलसम्भवाः ।
विद्याहीना न शोभन्ते निर्गन्धा इवकिशुकाः ।।
।। चा o नी o।।
रूप और यौवन से सम्पन्न तथा कुलीन परिवार में जन्मा लेने पर भी विद्या हीन पुरुष पलाश के फूल के समान है जो सुन्दर तो है लेकिन खुशबु रहित है.
*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*
गीता -: क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभागयोग अo-13
इन्द्रियार्थेषु वैराग्यमनहङ्कार एव च ।,
जन्ममृत्युजराव्याधिदुःखदोषानुदर्शनम् ॥,
इस लोक और परलोक के सम्पूर्ण भोगों में आसक्ति का अभाव और अहंकार का भी अभाव, जन्म, मृत्यु, जरा और रोग आदि में दुःख और दोषों का बार-बार विचार करना॥,8॥,
*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐏मेष
घर बाहर पूछ-परख रहेगी। आय में मनोनुकूल वृद्धि होगी। नौकरी में प्रमोशन मिलने के योग हैं। निवेश शुभ रहेगा। सभी कार्य समय पर पूरे होंगे। नया काम करने का मन बनेगा। यात्रा की योजना बनेगी। भाइयों का सहयोग मिलेगा। भाग्य का साथ मिलेगा। थोड़े प्रयास से काम बनेंगे। मित्रों का सहयोग कर पाएंगे।
🐂वृष
जोखिम व जमानत के कार्य टालें। मित्रों से विवाद हो सकता है। नौकरी में तनान रहेगा। कार्यभार रहेगा। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। दूसरों से अपेक्षा न करें। व्यवसाय में सुधार आएगा। आय में निश्चितता रहेगी। बुरी खबर मिल सकती है। दौड़धूप अधिक होगी। अपनों का व्यवहार विपरीत होगा।
👫मिथुन
अध्ययन में मन लगेगा। वरिष्ठजन सहयोग करेंगे। यात्रा मनोरंजक रहेगी। व्यवसाय से मनोनुकूल लाभ होगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। किसी अनहोनी होने की आशंका रहेगी। नौकरी में अनुकूलता रहेगी। निवेश शुभ रहेगा। झंझटों से दूर रहें। शारीरिक पीड़ा से परेशानी हो सकती है। बौद्धिक कार्य सफल रहेंगे।
🦀कर्क
वाहन, मशीनरी व अग्नि आदि के प्रयोग में लापरवाही भारी पड़ेगी। विशेषकर गृहिणियां सावधानी रखें। बेवजह क्रोध न करें। बात बिगड़ेगी। किसी बड़ी समस्या से सामना हो सकता है। कीमती वस्तुएं गुम हो सकती हैं। लेन-देन में सावधानी रखें। अपेक्षानुरूप कार्य न होने से चिंता तथा तनाव बने रहेंगे।
🐅सिंह
कार्य की बाधा दूर होकर स्थिति अनुकूल बनेगी। नौकरी में तनाव रहेगा। किसी व्यक्ति से कहासुनी हो सकती है। व्यवसाय लाभदायक रहेगा। निवेश में जल्दबाजी न करें। आय बढ़ेगी। प्रसन्नता बनी रहेगी। तीर्थयात्रा तथा सत्संग लाभ के योग हैं। तंत्र-मंत्र में रुचि रहेगी। राजकीय सहयोग मिलेगा।
🙍♀️कन्या
आय के स्रोतों में वृद्धि के योग हैं। योजना फलीभूत होगी। भाग्य अनुकूल है। प्रयास करते रहें। लाभार्जन में वृद्धि होगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। व्यापार मनोनुकूल रहेगा। नौकरी में तनाव रह सकता है। परिवार में स्वास्थ्य पर अधिक व्यय हो सकता है। आशंका-कुशंका रहेगी। जल्दबाजी में कोई भी निर्णय न लें।
⚖️तुला
आवश्यक बातों पर जल्दबाजी में निर्णय न लें। मेहनत का प्रभाव स्वास्थ्य पर पड़ेगा। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। मित्रों से मुलाकात होगी। लाभ होगा। राजकीय बाधा से तनाव रह सकता है। जल्दबाजी न करें। समय पर सहयोग नहीं मिलेगा।
🦂वृश्चिक
शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है। सावधानी रखें। डूबी हुई रकम प्राप्त होने के योग बनते हैं। यात्रा से लाभ होगा। शत्रुओं का पराभव होगा। विवाद से बचें। आय में वृद्धि होगी। घर-बाहर सहयोग व प्रसन्नता रहेगी। सभी ओर से सफलता प्राप्त होगी। किसी अपने वाले का व्यवहार समझ में न आएगा। शांति बनाए रखें।
🏹धनु
किसी बड़े के खर्च के होने के योग हैं। यात्रा में जल्दबाजी न करें। दूसरों से अपेक्षा न करें। सहयोग नहीं मिलेगा। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। शत्रु सक्रिय रहेंगे। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। आय में कमी रह सकती है। धैर्य रखें। समय जल्दी ही बदलेगा। लाभ होगा। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। अपरिचित व्यक्ति की बातों में न आएं।
🐊मकर
नवीन वस्त्राभूषण पर व्यय होगा। यात्रा मनोनुकूल रहेगी। नए कार्य मिल सकते हैं। रोजगार में वृद्धि होगी। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में उच्चाधिकारियों का सहयोग व प्रसन्नता प्राप्त होंगे। भाग्य अनुकूल है, लाभ लें। आशंका से बाधा संभव है। परिवार के साथ समय सुखमय गुजरेगा। व्यस्तता रहेगी। झंझटों में न पड़ें।
🍯कुंभ
घर-बाहर प्रसन्नता बनी रहेगी। संपत्ति के बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। रोजगार व आय में वृद्धि होगी। नए प्रभावशाली व्यक्तियों से परिचय होगा। घर-बाहर सभी ओर से सहयोग प्राप्त होगा। जल्दबाजी में निर्णय न लें। व्यवसाय ठीक चलेगा। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। किसी कार्य की चिंता अधिक हो सकती है।
🐟मीन
बुद्धि से कार्य करें। कार्यसिद्धि होगी। पारिवारिक रिश्तेदार मिलने घर आ सकते हैं। व्यय होगा। अच्छे समाचार मिलेंगे। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। धनार्जन सहज ही होगा। क्रोध न करें। प्रसन्नता में वृद्धि होगी। ईर्ष्यालु व्यक्तियों से सावधान रहें। पीठ पीछे षड्यंत्र रच सकते हैं। शत्रुता बढ़ेगी। चोट व रोग से हानि के योग हैं।
*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*
*🛕जय श्री राम🙏*
*🍁 निरभिमानी परोपकारी साधु🍁*
बहुत पहले की बात है। हमारे देश में एक महान् परोपकारी साधु रहता था। वह साधु जगत् को भगवान् मान कर पूजता था। दुःखियों की सहायता करना, पथभ्रष्टों को मार्ग बतलाना, अपकारियों का भी उपकार करना, उसका दैनिक कार्य था। वह पुण्य के लोभ से नहीं बल्कि स्वभाव से ही अच्छे कार्य करता था। जिस प्रकार सूर्य स्वाभाविक गति से प्रकाश फैलाता है उसी प्रकार वह भी मानवता का प्रकाश फैला रहा था।
स्वर्ग में रहने वाले देवता भी उसे दूर से ही देखकर आश्चर्यचकित थे कि इस शरीरधारी ने मृत्युलोक में ही देवत्व कैसे प्राप्त कर लिया? वे इस महापुरुष को पुरस्कृत करना चाहते थे। देवता रूप बदलकर उसके पास आये और कहने लगे, ’’आप कहिए, क्या चाहते हैं? वरदान माँगिये, आपके स्पर्श से ही रोगी स्वस्थ हो जायेंगे।’’ साधु अपनी सेवा का पुरस्कार प्राप्त नहीं करना चाहता था। स्वयं में तृप्त होकर केवल अपना कत्र्तव्य पालन कर रहा था। उसने कहा, ’’देवताओं! मैं दैवी शक्ति नहीं चाहता हूँ। उसका अधिकारी तो केवल परमात्मा है। मैं अनधिकार चेष्टा नहीं करता हूँ।’’
देवता निराश हो गये, फिर उससे प्रार्थना करने लगे, ’’वर माँगो, जो कुछ आप चाहते हैं।’’ साधु ने कहा, ’’ईश्वर ने मुझे सब कुछ दिया है। इससे अधिक किसी प्रकार की आवश्यकता नहीं है।’’ देवताओं ने फिर कहा, ’’हम तो वरदान देने के लिए आपके पास आये हैं। अपनी इच्छा से वरदान देकर ही जायेंगे।’’
साधु थोङी देर चुप रहा और कहने लगा, ’’हे देवताओ! मैंने तो निष्कामभाव से सेवाव्रत ग्रहण किया है। कार्य करने पर मैं फल की इच्छा नहीं करता हूँ। मैं उपकार कर रहा हूँ, इस प्रकार की भावना मुझे छू भी नहीं सकती। आप मुझे शक्तिशाली बनाकर पतन की ओर मत ले जाइये।’’ देवताओं ने कहा, ’’जिससे तुम्हारी प्रयोजन-सिद्धि हो वह वस्तु माँगिये।’’ साधु ने कहा- ’’सबका कल्याण हो, आप केवल यह वरदान दीजिये। मैं परोपकार के फल का भागी नहीं होना चाहता हूँ।’’ देवताओं ने कहा, ’’ऐसा ही हो! जहाँ तुम्हारे शरीर की छाया भी पङेगी वहाँ जीवन का संचार होगा। तुम्हें उस छाया का प्रभाव भी मालूम न होगा।’’
वरदान के बाद देवता दुन्दुभि बजाते हुए वहाँ से चले गये। साधु को इस दिव्य शक्ति का कुछ भी अभिमान नहीं हुआ। वह लोकसेवा में लग गया। दैवी शक्ति ने अपना प्रभाव दिखाना प्रारम्भ किया। जहाँ-जहाँ साधु की छाया पङती थी वहाँ-वहाँ नवजीवन का संचार होने लगा। सूखे पेङों के पत्ते हरे हो गये। सूखे तालाब जल से भर गये। पीङित प्राणी प्रसन्न हो गये। साधु नहीं जान पाता है कि यह किसके प्रभाव से हो रहा है।
इसलिए उसके मन में अहंकार की भावना भी प्रकट न हो रही थी। उसने विनम्र भावना से सबकी सेवा की। लोगों ने उसे सिद्धपुरुष माना। ’अलौकिक शक्तिवाला यह साधु निरभिमानी है।’ यह सोच कर सभी चकित रह गये और सभी उसके भक्त हो गये। साधु फिर भी स्वयं को सेवक ही मान रहा था।
वास्तव में लोक सेवक वे ही हैं जो निष्कामभाव से दूसरों की सेवा करते हैं। सत्पुरुषों के शरीर से नहीं बल्कि उनके प्रभाव से दूसरों का हित होता है। ऐसे लोगसेवक, जो सबके लिए प्रिय होते हैं, धन्य हैं।
मित्रों” जो लोकसेवक होता है, वह स्वयं के कार्य की प्रशंसा नहीं करता।
*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, वो पर्याप्त है।।*