धर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग भक्त प्रह्लाद*


*आज का पञ्चांग*

*दिनाँक:-25/03/2024, सोमवार*
*पूर्णिमा, शुक्ल पक्ष,*
*फाल्गुन*
(समाप्ति काल)

तिथि———-पूर्णिमा 12:29:16 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र——— उoफाo 10:36:39
योग————- वृद्वि 21:28:39
करण————– बव 12:29:16
करण———– बालव 25:43:40
वार———————- सोमवार
माह———————- फाल्गुन
चन्द्र राशि—————- कन्या
सूर्य राशि—————— मीन
रितु———————— वसंत
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर—————— शोभकृत
संवत्सर (उत्तर)—————– पिंगल
विक्रम संवत————— 2080
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत—————– 1945
कलि संवत—————– 5124
सूर्योदय—————-06:18:27
सूर्यास्त————— 18:31:55
दिन काल————- 12:13:28
रात्री काल————–11:45:24
चंद्रास्त—————- 06:37:40
चंद्रोदय—————- 18:41:53
लग्न—- मीन 10°40′ , 340°40′
सूर्य नक्षत्र———- उत्तरा भाद्रपदा
चन्द्र नक्षत्र——— उत्तरा फाल्गुनी
नक्षत्र पाया——————- रजत

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

पी—- उत्तरा फाल्गुनी 10:36:39

पू—-हस्त 17:21:36

ष—- हस्त 24:05:58

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= मीन 10:10, उ oभाo 2 थ
चन्द्र=कन्या 07:30 , उ o फाo 4 टू
बुध =मीन 29:53′ रेवती 4 ची
शु क्र= कुम्भ 22°05, पू o भाo ‘ 1 से
मंगल=कुम्भ 07°30 ‘ शतभिषा’ 1 गो
गुरु=मेष 21°30 भरणी , 3 ले
शनि=कुम्भ 18°50 ‘ शतभिषा ,4 सू
राहू=(व) मीन 22°15 रेवती , 2 दो
केतु=(व) कन्या 22°15 हस्त , 4 ठ

*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*

राहू काल 07:50 – 09:22 अशुभ
यम घंटा 10:54 – 12:25 अशुभ
गुली काल 13:57 – 15: 29अशुभ
अभिजित 12:01 – 12:50 शुभ
दूर मुहूर्त 12:50 – 13:39 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:16 – 16:05 अशुभ
वर्ज्यम 20:03 – 21:51 अशुभ

💮चोघडिया, दिन
अमृत 06:18 – 07:50 शुभ
काल 07:50 – 09:22 अशुभ
शुभ 09:22 – 10:54 शुभ
रोग 10:54 – 12:25 अशुभ
उद्वेग 12:25 – 13:57 अशुभ
चर 13:57 – 15:29 शुभ
लाभ 15:29 – 17:00 शुभ
अमृत 17:00 – 18:32 शुभ

🚩चोघडिया, रात
चर 18:32 – 20:00 शुभ
रोग 20:00 – 21:28 अशुभ
काल 21:28 – 22:56 अशुभ
लाभ 22:56 – 24:25* शुभ
उद्वेग 24:25* – 25:53* अशुभ
शुभ 25:53* – 27:21* शुभ
अमृत 27:21* – 28:49* शुभ
चर 28:49* – 30:17* शुभ

💮होरा, दिन
चन्द्र 06:18 – 07:20
शनि 07:20 – 08:21
बृहस्पति 08:21 – 09:22
मंगल 09:22 – 10:23
सूर्य 10:23 – 11:24
शुक्र 11:24 – 12:25
बुध 12:25 – 13:26
चन्द्र 13:26 – 14:27
शनि 14:27 – 15:29
बृहस्पति 15:29 – 16:30
मंगल 16:30 – 17:31
सूर्य 17:31 – 18:32

🚩होरा, रात
शुक्र 18:32 – 19:31
बुध 19:31 – 20:30
चन्द्र 20:30 – 21:28
शनि 21:28 – 22:27
बृहस्पति 22:27 – 23:26
मंगल 23:26 – 24:25
सूर्य 24:25* – 25:23
शुक्र 25:23* – 26:22
बुध 26:22* – 27:21
चन्द्र 27:21* – 28:20
शनि 28:20* – 29:19
बृहस्पति 29:19* – 30:17

*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*

मीन > 04:58 से 06:24 तक
मेष > 06: 24 से 08:16 तक
वृषभ > 08:16 से 10:10 तक
मिथुन > 10:10 से 12:22 तक
कर्क > 12:22 से 14:46 तक
सिंह > 14:46 से 16:54 तक
कन्या > 16:54 से 19:10 तक
तुला > 19:10 से 21:00 तक
वृश्चिक > 21:00 से 23:24 तक
धनु > 23:20 से 01:24 तक
मकर > 01:24 से 03:26 तक
कुम्भ > 03:26 से 04:44 तक

*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

15 + 2 + 1 = 18 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

चंद्र ग्रह मुखहुति

*💮 शिव वास एवं फल -:*

15 + 15 + 5 = 30 ÷ 7 = 2 शेष

गौरी सन्निधौ = शुभ कारक

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*

*रंगोत्सव (धुलण्डी)*

*चंद्रग्रहण भारत में अमान्य*

*श्री चैतन्य महाप्रभु जयंती*

*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*

पत्रं नैव यदा करीरविटपे दोषो वसन्तस्य किं
नोलूकोऽप्यवलोकते यदि दिवा सूर्यस्य किं दूषणं ।
वर्षा नैव पतन्ति चातकमुखे मेघस्य किं दूषणं ।
यत्पूर्व विधिना ललाटलिखितं तन्मार्जितुं कः क्षमः ।।
।। चा o नी o।।

बसंत ऋतू क्या करेगी यदि बास पर पत्ते नहीं आते. सूर्य का क्या दोष यदि उल्लू दिन में देख नहीं सकता. बादलो का क्या दोष यदि बारिश की बूंदे चातक पक्षी की चोच में नहीं गिरती. उसे कोई कैसे बदल सकता है जो किसी के मूल में है.

*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*

गीता -: ज्ञानकर्मसन्यास योग अo-04

अपाने जुह्वति प्राणं प्राणेऽपानं तथापरे ।,
प्राणापानगती रुद्ध्वा प्राणायामपरायणाः ॥,
अपरे नियताहाराः प्राणान्प्राणेषु जुह्वति ।,
सर्वेऽप्येते यज्ञविदो यज्ञक्षपितकल्मषाः ॥,

दूसरे कितने ही योगीजन अपान वायु में प्राणवायु को हवन करते हैं, वैसे ही अन्य योगीजन प्राणवायु में अपान वायु को हवन करते हैं तथा अन्य कितने ही नियमित आहार (गीता अध्याय 6 श्लोक 17 में देखना चाहिए।,) करने वाले प्राणायाम परायण पुरुष प्राण और अपान की गति को रोककर प्राणों को प्राणों में ही हवन किया करते हैं।, ये सभी साधक यज्ञों द्वारा पापों का नाश कर देने वाले और यज्ञों को जानने वाले हैं॥,29-30॥,

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
नई योजना बनेगी। मान-सम्मान मिलेगा। कार्यसिद्धि होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। घर-परिवार की चिंता रहेगी। मकान, वाहन क्रय करने के योग बनेंगे। संतान की आजीविका संबंधी चिंता का समाधान होगा। ईश्वर के प्रति आस्था बढ़ेगी।

🐂वृष
यात्रा में सावधानी रखें। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। वाणी पर नियंत्रण रखें। लाभ होगा। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। बातचीत, व्यवहार, निर्णय गुप्त रखें। प्रापर्टी के विवाद हल होंगे। आजीविका में आने वाली रुकावटें दूर होने के योग हैं।

👫मिथुन
पूजा-पाठ में मन लगेगा। कोर्ट व कचहरी के कार्य बनेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। घर-बाहर तनाव रहेगा। व्यापार में लाभप्रद कार्य, योजनाओं में प्रगति होगी। अच्छे समय का उपयोग करेंगे। कार्य में तरक्की की संभावना बढ़ेगी। रुका पैसा मिलेगा।

🦀कर्क
लेनदारी वसूल होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। चोट व रोग से बचें। क्रोध, उत्तेजना पर संयम रखें। जवाबदारी बढ़ेगी। सोचे कार्यों में सफलता मिलेगी। अवसरों को न जाने दें। परिवार के सदस्यों से मतभेद हो सकते हैं।

🐅सिंह
कुसंगति से बचें। फालतू खर्च होगा। कर्ज लेना पड़ सकता है। वस्तुएं संभालकर रखें। व्यर्थ मामलों में उलझना पड़ सकता है। व्यापार में हानि होने से आर्थिक कष्ट हो सकता है। धर्म-कर्म में मन लगेगा। स्वास्थ्य की चिंता समाप्त होगी। निवास संबंधी समस्या रह सकती है।

🙍‍♀️कन्या
ऐश्वर्य पर खर्च होगा। भूमि व भवन संबंधी बाधा दूर होगी। रोजगार मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी। प्रमाद न करें। व्यापार में नई योजनाओं का शुभारंभ होगा। आर्थिक स्थिति संतोषप्रद रह सकेगी। आशा-निराशा की स्थिति रहेगी। अपने खर्च, लेन-देन पर नियंत्रण रखें।

⚖️तुला
वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। कोर्ट व कचहरी के कार्य बनेंगे। शारीरिक कष्ट संभव है। व्यवसाय ठीक चलेगा। आर्थिक जवाबदारी सीमित रखें। विश्वासप्रद वातावरण नहीं रहेगा। संतान के कार्यों से असंतोष रहेगा। मित्रों से अनबन होगी। सामाजिक सम्मान में कमी आएगी।

🦂वृश्चिक
पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। विद्यार्थी वर्ग सफल रहेगा। लेन-देन में सावधानी रखें। व्यवसाय ठीक चलेगा। परिवार में शुभ आयोजन होंगे। विरोधियों पर विजय और रुके धन की प्राप्ति हो सकती है। शिक्षा के क्षेत्र में वांछनीय प्रगति होगी।

🏹धनु
भय, पीड़ा व तनाव का माहौल रहेगा। दु:खद समाचार मिल सकता है। विवाद न करें। मेहनत अधिक, लाभ कम होगा। काम-धंधे की चिंता से मन उदास होगा। परिवार में कलह, क्लेश का माहौल रहेगा। सतर्कता रखें। दुस्साहस आपके लिए हानिकारक होगा।

🐊मकर
कोई बड़ी समस्या सामने आ सकती है। प्रयास सफल रहेंगे। मान-सम्मान मिलेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। पैतृक संपत्ति के क्षेत्र में उन्नति होगी। विभिन्न स्रोतों से धन लाभ होने के योग हैं। जीवनसाथी से वैचारिक मतभेद हो सकते हैं। स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा।

🍯कुंभ
पुराने संगी-साथी मिलेंगे। शुभ समाचार मिलेंगे। मान बढ़ेगा। धनार्जन होगा। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। अध्यात्म और विज्ञान में रुचि बढ़ेगी। नौकरी, राजनीति के क्षेत्र में भाग्योदय की संभावना है। घर में मांगलिक आयोजन होंगे। बौद्धिक क्षेत्र में पदोन्नति होगी।

🐟मीन
भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। प्रमाद न करें। वाहन की गति पर नियंत्रण रखना जरूरी है। आर्थिक उन्नति संबंधी शुभ समाचार प्राप्त होंगे। साझेदारी व्यवसाय में इच्छित लाभ के योग बनेंगे। दांपत्य जीवन सुखद रहेगा। बेरोजगारी दूर होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी।

*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*

*💐भक्त प्रह्लाद💐*

होली एक लोकप्रिय हिन्दू त्योहार है जिसे वसंत ऋतु में रंग खेलकर मनाया जाता है। अन्य त्योहारों की तरह ही इसे भी बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। जिस प्रकार से बाकी हिन्दू त्योहारों को मनाने के पीछे भारत का इतिहास, मान्यताएं और इससे संबंधित कहानियां छिपी हुई हैं बिलकुल वैसे ही होली मनाने के पीछे भी ईश्वर भक्ति से प्रेरित एक प्रसिद्ध कहानी है जो हम सभी को जाननी चाहिए। हमने इस कहानी को बच्चों के लिए विशेष इसलिए बताया है क्योंकि होलिका दहन की सुप्रसिद्ध कहानी प्रह्लाद नामक एक बच्चे की है जो भगवान विष्णु का सच्चा भक्त था और उसकी सच्ची निष्ठा के कारण ही भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया था। प्रह्लाद और होलिका दहन की क्या कहानी है, यह जानने के लिए आगे पढ़ें। 
बात उन दिनों की है जब धरती पर दैत्य हिरण्यकशिपु (जिसे हिरण्यकश्यप भी कहा जाता है) का अत्याचार बढ़ता जा रहा था, ऋषि-मुनि, देवी-देवता और सभी भक्त अपनी रक्षा के लिए ईश्वर से गुहार कर रहे थे। धरती पर पाप बढ़ रहा था और सकारात्मकता, ईश्वर भक्ति और सदाचार का नाश हो रहा था। वैसे तो हिरण्यकशिपु एक दैत्य था पर इस दैत्य की पत्नी कयाधु ने गर्भावस्था के दौरान एक ऋषि के आश्रम में निवास किया था जिसकी पवित्रता से कयाधु का पुत्र एक सदाचारी, सत्कर्म करने वाला और ईश्वर भक्त बालक के रूप में जन्मा और उस बालक का नाम रखा गया प्रह्लाद। अच्छी संगति और ज्ञान के कारण प्रह्लाद में भी ईश्वर भक्ति व सदाचार की भावनाएं उत्पन्न हुईं और उम्र के साथ भगवान विष्णु के प्रति उसकी भक्ति भी बढ़ने लगी। लेकिन ईश्वर के प्रति ऐसी निष्ठा व आस्था को देख कर प्रह्लाद का पिता दैत्यराज हिरण्यकशिपु क्रोधित हो जाता था। उसने प्रह्लाद को विष्णु भक्ति के मार्ग से हटाने के लिए अनेक प्रयास किए पर वह हर बार विफल ही हुआ। 
कई प्रयासों में विफल होने के बाद हिरण्यकशिपु ने अपने ही पुत्र को मृत्यु दंड देने का निर्णय लिया। इसी उद्देश्य से उसने अपनी बहन को बुलाया जिसका नाम ‘होलिका’ था और उसे आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को लेकर जलती हुई चिता पर बैठ जाए। ऐसा कहा जाता है कि होलिका को कभी भी आग से न जलने का वरदान मिला था और इसलिए उसने दैत्यराज का आदेश स्वीकार कर लिया। हिरण्यकशिपु की योजना यही थी कि जब होलिका प्रह्लाद को लेकर जलती हुई चिता पर बैठ जाएगी तो प्रह्लाद उस अग्नि में जलकर नष्ट हो जाएगा व साथ ही उसके साथ विष्णु भगवान की भक्ति भी खत्म हो जाएगी। पर सही कहा गया है कि जिस पर ईश्वर की कृपा है, जो भक्ति के मार्ग पर अग्रसर है व धर्मपरायण है उसका विनाश कोई भी नहीं कर सकता है। इसी विश्वास के साथ प्रह्लाद ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए होलिका के साथ जलती हुई चिता में बैठ गया।  

एक तरफ हिरण्यकशिपु इस बात से मन ही मन खुश हो रहा था कि अब भगवान विष्णु की भक्ति व उनके भक्त दोनों का विनाश हो जाएगा और वहीं दूसरी तरफ प्रह्लाद के मन में ईश्वर भक्ति व अगाध श्रद्धा थी जिसकी वजह से आग की तेज लपटों में जलकर खुद होलिका ही भस्म हो गई परंतु प्रह्लाद को कोई भी हानि नहीं हुई और वह उस आग से भी बचकर बाहर आ गया। ईश्वर की असीम कृपा व प्रह्लाद की सच्ची निष्ठा व भक्ति ने इस चमत्कार को साकार किया था। ऐसा माना जाता है कि तब से ही होलिका दहन की प्रथा शुरू हुई और बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मनाया जाने लगा। 
इस कहानी से हमें पता लगता है कि होली और होलिका दहन का महत्व क्या है और धुलेंडी यानी रंग खेलकर होली मनाने के एक दिन पहले होलिका दहन क्यों किया जाता है? 
*नैतिक शिक्षा*: प्रह्लाद की इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि धर्म, ईश्वर भक्ति व सदाचार के आगे कोई भी बुराई ज्यादा देर तक नहीं टिक पाती है। इसलिए हमें हमेशा सदाचार व सद्बुद्धि का अनुसरण करना चाहिए और ईश्वर पर विश्वास रखना चाहिए।

*देवभूमि जेके न्यूज की तरफ से होली की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं मंगल कामनाएं।

Devbhumi jknews

जीवन में हमेशा सच बोलिए, ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है!

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