ऋषिकेश

*ऋषिकेश -परमार्थ निकेतन पधारे श्री त्रिदंडी चिन्ना श्री मन्नारायण रामानुज जीयर स्वामी जी*

देव भूमि जे के न्यूज,ऋषिकेश, 30 अक्टूबर। परमार्थ निकेतन पधारे श्री त्रिदंडी चिन्ना श्री मन्नारायण रामानुज जीयर स्वामी जी। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में उन्होंने परमार्थ निकेेतन की विश्व विख्यात गंगा आरती में सहभाग किया।
भारत के प्रबुद्ध आध्यात्मिक और मानवतावादी संत श्री त्रिदंडी चिन्ना जी ने दक्षिण की धरती से आकर विशेष रूप से सभी को आशीर्वाद प्रदान कर मानवता को समर्पित कार्यों के लिये प्रेरित किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि श्री रामानुजाचार्य जी की विशाल प्रतिमा “स्टेच्यू ऑफ इक्वालिटी” समता का उत्कृष्ट उदाहरण है। जो कि वसुधैव कुटुम्बकम् (विश्व एक परिवार) और समानता के पर्व का दर्शन कराती है।
श्रीपेरंबदूर में जन्मे श्री रामानुजाचार्य जी एक वैदिक दार्शनिक और समाज सुधारक थे। उन्होंने समानता और सामाजिक न्याय का समर्थन करते हुए पूरे भारत की यात्रा की और भक्ति आंदोलन को पुनर्जीवित किया और उनके उपदेशों ने अनेक भक्ति विचारधाराओं को प्रेरित किया। वे सभी वर्गों के बीच सामाजिक समानता के पैरोकार थे और उन्होंने समाज में जाति या स्थिति से परे सभी के लिये मंदिरों के दरवाजे खोलने हेतु प्रोत्साहित किया, वह भी एक ऐसे समय में जब कई जातियों के लोगों को मंदिरों में प्रवेश की अनुमति नहीं थी। उन्होंने शिक्षा को उन लोगों तक पहुँचाया जो इससे वंचित थे।
अपने उपदेशों के माध्यम से उन्होंने सामाजिक समानता और सार्वभौमिक भाईचारे के अपने विचारों का प्रचार करते हुए कई दशकों तक पूरे भारत की यात्रा की और सामाजिक रूप से हाशिये पर स्थित लोगों को गले लगाया आज भी हमें इसी की जरूरत है।
स्वामी जी ने कहा कि ईश्वर की भक्ति, करुणा, विनम्रता, समानता और आपसी सम्मान के माध्यम से सार्वभौमिक मोक्ष को प्राप्त करना श्री वैष्णव संप्रदाय का प्रमुख उद्देश्य है जो वास्तव में अनुकरणीय है।
श्री त्रिदंडी चिन्ना स्वामी जी ने कहा कि अहोभाग्य का बात है कि मुझे पूज्य स्वामी जी के पावन सान्निध्य में गंगा जी आरती में सहभाग करने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि हम ईश्वर के विनम्र सेवक हैं। क्या हमने प्रभु को देखा! हाँ हम खुश है कि हमने हम आज गंगा आरती के माध्यम से प्रभु को देखा। क्या हमने अपने आप को देखा, क्या हम स्वयं को भोजन कराते हैं, हाँ हम शरीर को भोजन कराते हैं परन्तु आत्मा भी है। आप जो श्वास लेते है वहीं आत्मा व परमात्मा है, सूर्य व चन्द्रमा के रूप में प्रभु को देखा, इस दिव्य जल और चारों ओर जो हरियाली, बादल व पर्वत है वही प्रभु का स्वरूप है इसलिये यह न सोचे की हमने प्रभु को नहीं देखा, जो हमारे चारों ओर प्रकृति वहीं प्रभु का दिव्य स्वरूप है।
उन्होंने कहा कि संतों की कृपा के प्रवाह के अंदर डूबना ही डिवाइन आचरण है। मैं बहुत काल के से प्रतीक्षा कर रहा था कि मुझे पूज्य स्वामी जी के साथ बैठने और गंगा आरती में सहभाग करने का अवसर प्राप्त हो। इसी तरह हमारे बीच मित्रता और सौहार्द बढ़ता रहे। मैं पूज्य स्वामी जी और सभी को हैदराबाद में ‘समता मूर्ति’ के दर्शन हेतु आमंत्रित करता हूँ।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि गंगा जी की आरती हमें आंतरिक शान्ति प्रदान करती है और आत्मदर्शन कराती है जिससे जीवन में आनन्द का संचार होता है।
श्री त्रिदंडी चिन्ना ने समानता के प्रतीक के रूप में दिव्य स्मारक ’’समता मूर्ति’’ “स्टेच्यू ऑफ इक्वलिटी” का निर्माण करवाया जो कि दुनिया में सबसे ऊँची प्रतिमाओं में से एक है, जिसका लोकार्पण भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया, जिससे पूरे विश्व के समानता का संदेश जा रहा है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने माँ गंगा के पावन तट पर श्री चिन्ना जी जीयर स्वामी जी का अभिनन्दन करते हुए रूद्राक्ष का दिव्य पौधा अर्पित किया।

Devbhumi jknews

जीवन में हमेशा सच बोलिए, ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *