उत्तराखंड

*श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा मुक्ति अभियान पर गहन चिंतन-मंथन*

देव भूमि जे के न्यूज ऋषिकेश,23/06/2024-

योगगुरू स्वामी रामदेव जी, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत श्री रवीन्द्र पुरी जी, श्री देवकीनन्दन ठाकुर जी, म म स्वामी हरिचेतनानन्द जी, म म स्वामी यतीन्द्रानन्द गिरि जी, स्वामी प्रबोधानन्द जी, महामंडलेश्वर स्वामी ईश्वरदास जी, स्वामी दयारामदास जी, स्वामी राजचेतन जी आदि पूज्य संतों का पावन सान्निध्य।
*परमार्थ निकेतन माँ गंगा के पावन तट पर कथा व्यास श्री देवकीनन्दन ठाकुर जी के श्रीमुख से अष्टोत्तरशत 108 – श्रीमद् भागवत कथा की ज्ञान गंगा हो रही प्रवाहित*
*स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने संविधान ही समाधान, संस्कारों का संवर्द्धन, तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या, प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन और एक देश, एक विधान, एक निशान और एक प्रधान विषय पर दिया उद्बोधन।
*रूद्राक्ष का दिव्य पौधा व अंगवस्त्र भेंट कर पूज्य संतों का अभिनन्दन।

ऋषिकेश, 23 जून। परमार्थ निकेतन में सनातन धर्म संसद का आयोजन किया गया। सनातन न्यास फाउंडेशन द्वारा प्रथम सनातन धर्म संसद का आयोजन फरवरी माह में दिल्ली में किया गया था तथा द्वितीय धर्मसंसद का आयोजन आज परमार्थ निकेतन में किया गया।
श्री देवकीनन्दन ठाकुर जी ने कहा कि 25 फरवरी, 2024 को दिल्ली में धर्म संसद आयोजित की गयी थी जिसमें पांच विषय रखे गये थे। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा में श्रीकृष्ण मन्दिर का निर्माण कराना। ईश व संत समाज का अपमान किया जाता है उस पर कानून बनाना चाहिये। सनातन के मन्दिर जो सरकार के अधीन है उन मन्दिरों के पैसों से गुरूकुलम् बनाना चाहिये। जनसंख्या नियंत्रण कानून, वेब सीरिज पर विराम लगाना। इन पांच विषयों को सनातन न्यास फाउंडेशन द्वारा पूज्य संतों के समक्ष रखा गया। उन्होंने जोर देकर कहा कि श्रीकृष्ण भगवान का भव्य व दिव्य मन्दिर बनना चाहिये तथा जामा मस्ज़िद आगरा की सीढ़ियों से केशव जी मुक्त होने चाहिये यही निवेदन उन्होंने सभी से किया।
श्री देवकीनन्दन जी ने कहा कि सनातन व समाज को जो भी चोट पहुंचायेगा उसे संत समाज कभी माफ नहीं करेगा। जहां पर संतों की कृपा होती है वहां पर प्रभु की भी कृपा होती है। संतांे का सान्निध्य अत्यंत दुलर्भ है। मानवता तब तक ही सुरक्षित है जब तक सनातन सुरक्षित है।
योगगुरू स्वामी रामदेव जी ने कहा कि हमारी आस्था के मूल स्थानों का संरक्षण हमारा कर्तव्य है। हम शान्ति के उपासक है, सनातन के उपासक है। विग्रह व भगवानों के चित्रों की शार्ट फिल्म व सीरियलों का विरोध किया। हमें चितंन करना होगा कि क्यों हमारे ही भगवानों के ऊपर वीडियो बनाकर डाले जाते हैं इस के प्रति हमें खड़े होना होगा। देवताओं का अनादर व अपमान नहीं होना चाहिये इसके प्रति प्रस्ताव लाकर सरकार को राजधर्म का पालन करना होगा। सरकार का कर्तव्य है विरासत व विकास दोनों पर ध्यान दें। जनसंख्या नियत्रंण कानून देश की भी जरूरत है। दो से अधिक बच्चे पैदा करने वालों को सरकार द्वारा कोइ सुविधायें नहीं देनी चाहिये। जनसंख्या नियंत्रण धार्मिक विषय तो नहीं है यह तो पर्यावरण का, प्रकृति का, देश का व धरती का, भोजन की सुरक्षा का विषय है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि सनातन सुरक्षित है तो हम सुरक्षित हैं और हम सुरक्षित हैं तो सनातन सुरक्षित है। सनातन है तो कथा है, कुम्भ है, संस्कृति है, प्रकृति है, मानवता है, एकता है। सनातन ने हमें एकात्मकता के सूत्र प्रदान किये हैं। हमें आपसी दीवारों को गिराना होगा, दरारों को भरना होगा व दिलों को जोड़ना होगा। हमें व्यक्तिगत स्वार्थ से उपर उठना होगा। जिस दिन हम खड़े हो जायेगे उस दिन पूरा विश्व खड़ा हो जायेगा। अलग-थलग होने की नहीं बल्कि अलग करने की जरूरत है। भारत अपनी संस्कृति व संस्कारों के बल पर खड़ा है। भारत संविधान को मानने वाला देश है, हम संविधान के पालन करने वाले हैं। कायदे में ही फायदा है।
स्वामी जी ने जनसंख्या नियंत्रण कानून पर बात करते हुये कहा कि हम दो हमारे दो, सब के दो और जिसके दो उसी को दो। यही कानून काफी है। सुन्दर कार्यों को करने के लिये हमें तीन चीजें करनी होगी वह चिŸा शुद्धि, विŸा शुद्धि और हित शुद्धि। स्वामी जी ने बच्चों में संस्कारों के रोपण का संदेश करते हुये कहा कि वोटर बनें, सनातन के वोटर बनें, सत्य के वोेटर बनें।
मानवता के उपासक, एक राष्ट्र, एक निशान, एक विधान की मसाल को प्रज्वलित कर राष्ट्र को एक दिशा प्रदान करने वाले डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की पुण्यतिथि पर भावपूर्ण श्रद्धाजंलि करते हुये कहा कि उन्होंने कश्मीर से कन्याकुमारी तक पूरे राष्ट्र को संगठित करने हेतु अद्वितीय प्रयास किये, उनकी साधना को वंदन!
म म स्वामी श्री हरिचेतनानन्द जी ने कहा कि एक अच्छा शासक वही है, जो सनातन और समाज को सुरक्षित रखे। 2014 के बाद सनातन का पूरे विश्व में विस्तार हो रहा है। उन्होंने अबूधाबी में बने हिन्दू मन्दिर का जिक्र करते हुये कहा कि हम आगरा से केशव देव को मथुरा लेकर आयेंगे। हिन्दुओं को संगठित होने का संदेेश दिया। धर्मान्तरण को रोकने के लिये सभी संतों को अपने-अपने स्तर पर कार्य करना होगा। सनातन धर्म संसद के आज के इन पांच बिन्दुओं का पूरा संत समाज समर्थन करता है।
मंहत श्री रवीन्द्र पुरी जी ने कहा कि चार लाख चौसठ हजार मन्दिर भारत सरकार के पास है। कुलीन सन्यासियों की संख्या कम हो रही है इसलिये घर में तीन पुत्र होने चाहिये ताकि दो घर में हो एक सन्यासी जीवन के लिये समर्पित हो। प्रभु व धर्मगुरूओं की निंदा करने वाले कानून पर विचार करना जरूरी है। उन्होंने रिश्ते व परम्पराओं के निर्वहन का संदेश दिया। संतानों को देश, धर्म व संस्कृति की शिक्षा से शिक्षित करना जरूरी है। कथाकारों को पुरूषार्थ भाव से आगे बढ़ने की जरूरत है। सनातन, सूर्य से पैदा हुआ है इसलिये वह सदैव रहेगा। उन्होंने कहा कि समय आने पर संत एक हाथ में माला व दूसरे हाथ में भाला लेते हैं।
हिन्दू रक्षा सेना के अध्यक्ष स्वामी प्रबोधानन्द जी ने कहा कि गंगा जी के पावन तट पर लिया गया संकल्प निश्चित रूप से पूरा होगा। जनसंख्या नियंत्रण कानून पर बात करते हुये कहा कि वर्तमान समय बहुत अनियत्रित है इसलिये इस पर कानून आना ही चाहिये। उन्होंने कठोर जनसंख्या नियंत्रण कानून पर बात करते हुुये कहा कि हम दो हमारे दो और केवल दो, नहीं तो उनकी नागरिकता समाप्त की जानी चाहिये। सनातन धर्म व संतों का उपहास करने वालों पर सरकार को नियंत्रण करना होगा। धर्म के मानबिन्दुओं का अपमान करने वालों को माफ़ नहीं किया जा सकता। मठों व मन्दिरों को सरकार के कब्जे से बाहर करना होगा।


स्वामी ईश्वरदास जी ने कहा कि अयोध्या में भव्य व दिव्य श्रीराम मन्दिर का निर्माण हुआ वैसे ही मथुरा में भी प्रभु श्री कृष्ण भगवान के मन्दिर का निर्माण भी होगा क्योंकि हम सब आप के साथ हैं। उन्होंने कहा कि जब भी देश में कभी विपदा आयी तो स्वामी विश्वामित्र जी की तरह संत ही आगे आते हैं। हमें निज स्वार्थ भाव को छोड़कर देश व समाज के लिये आगे आना होगा।
स्वामी यतीन्द्रानन्द गिरि जी ने कहा कि स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी जब बोलते हैं तो यूनाइटेड नेशन सुनता है वो हमारे सनातन संस्कृति राजदूत है। उन्होंने एकता की ताकत का महत्व बताते हुये कहा कि जो संगठित हैं शक्ति उन्हीं के पास है इसलिये संगठित रहना अत्यंत आवश्यक है। आज समाज में तेज व तपस्या की कमी है। उन्होंने कहा कि हिन्दुओं का ही धर्मान्तरण क्यों हो रहा है, हमें इस पर सोचने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि निर्बल की आवाज़ को कोई नहीं सुनता। हमारी समस्या का हम स्वयं कारण है और हम स्वयं ही समाधान है। उन्होंने सामूहिकता पर जोर देते हुये कहा कि सामूहिक शक्ति को पहचानों। कथाकार को निर्भिक होना चाहिये। कथा करने की सार्थकता तभी है जब कथा सनातन के गौरव को दूर तक ले जायंे।
स्वामी राजचेतन जी ने कहा कि सनातन की सभा है और सनातन अर्थात जो आनादि काल से और सदा रहेगा। हम अखंड भारत के निवासी है और राम राज्य की ही कल्पना सभी करते हैं। सनातन की विरासत को हमें संरक्षित करना है। हमारे शास्त्रों में ही हमारा सनातन समाहित है। उन्होंने कहा कि सनातन को जीवंत रखना है तो समाज को नशामुक्त करना होगा।
स्वामी दायरामदास जी ने कहा कि हम सनातन धर्म संसद के साथ सदैव है और आगे भी रहेंगे।

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