उत्तराखंड

*कवि किशन खंडेलवाल की एक कविता -तेरा तूं है केवल तेरा।*

तेरा तूं है केवल तेरा।

चलते हैं तेरे पांव अगर तो उन्हें चलाना जारी रख।
भला सोच औरों का जग में कुछ लोगों से यारी रख।।
तेरा तूं है केवल तेरा औरों से मत आशा रख।
नैया तेरी पार करेगा मन में यह अभिलाषा रख।।
स्वांस चलेगी कदम चलेगें मंजिल तो मिल जाएगी।
ले हवा उड़ेगी दुःख के बादल खुशी लौट कर आएगी।।
तेरा क्या है जग में भैया क्या लेकर तूं आया था।
जन्म हुआ और दुनिया देखी देख-देख भरमाया था।।
माया के चक्कर में पड़ के मायावी को भूल गया।
जोरू,जमीन, जर: की खातिर बिना फुलाए फूल गया।।
जब तक जीवन है जी ले फिर समय नहीं मिल पाएगा।
पल में प्रलय होगी तो सब छोड़ यहीं चला जाएगा।।
सबसे पहले अपने बंधू तुझे जलाकर आएंगे।
जो भी बनाए महल अटारी सभी धरे रह जाएंगे।।
कुछ सालों तक फोटो तेरी कमरे में रह पाएगी।
तेरे नाती पोते आते ही वह भी बदली जाएगी।।
अपनों से नाते तोड़ रहा बैर भाव तूं करता है।
जीवन अपनी मर्जी का क्यों जीने से डरता है।।
लाखों और करोड़ों में तुझको एक बनाया है।
क्या चांद सितारे तोड़ेगा आखिर क्यों भरमाया है?
अमर बेल के अमर फल यहां नहीं लग पाएंगे।
फिर पके हुए आमों की भांति सारे तोड़े जाएंगे।।
जिस दिन तेरी बारी होगी माली तोड़ ले जाएगा।
तब मीठा हो या खट्टा हो तूं भी चूसा जाएगा।।
मायावी के कालचक्र से कोई नहीं बच पाएगा।
दस्तूर यही है दुनिया का आया है सो जाएगा।।

किशन खंडेलवाल।
1049,गोदावरी कुंज,
भुवनेश्वर – 751006
9437572413

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