*अंतश में गहन अंधेरा है, वहां दीप जले दिवाली हो!*
देव भूमि जे के न्यूज –
अंतश में गहन अंधेरा है, वहां दीप जले दिवाली हो।
तिमिर का पर्दा हट जाए, और ज्ञान मिले दीवाली हो।।
भूखे पेट रहे ना कोई, तन पर सबके कपड़ा हो।
सु:ख शांति प्यार मिले, न जाति धर्म का लफड़ा हो।।
मात-पिता गुरु वंदन हो, अभिनंदन हो उजियारे का।
मिलन आत्मा मन का हो, स्वागत हो भाईचारे का।।
दु:ख के बदले छंट जाएं, सुबह की भोर सुहानी हो।
कलरव करते पंछी हों, चोंच में दाना पानी हो।।
धरा से मिलने बदली आए, जीव की प्यास बुझाने को।
मीठी – मीठी ठंडक हो, और मोर पपीहा गाने को।।
आंखों से प्यार की बारिश हो, मन की मुरादें पूरी हों।
मगन गगन भी हो जाए, चाहे धरा चांद की दूरी हो।।
सूरज का ताप घटे थोड़ा, ठंडक भरी दिवाली हो।
भोर की पहली किरणों पर, सिंदूर सी सुंदर लाली हो।।
राम अयोध्या आने पर, हर घर में रोज दिवाली हो।
भरत सा भाई मिल जाए, तो देश में रोज दिवाली हो।।
किशन खण्डेलवाल।
9437572413