धर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग -नेत्रहीन संत*

*आज का पञ्चांग*

*दिनाँक:-18/11/2023, शनिवार*
*पंचमी, शुक्ल पक्ष,*
*कार्तिक*
(समाप्ति काल)

तिथि———– पंचमी 09:17:46 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र—— उत्तराषाढा 24:05:42
योग————– गण्ड 26:16:20
करण———– बालव 09:17:46
करण———– कौलव 20:21:13
वार———————- शनिवार
माह———————- कार्तिक
चन्द्र राशि—— धनु 06:59:35
चन्द्र राशि—————– मकर
सूर्य राशि—————— वृश्चिक
रितु————————- हेमंत
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर—————— शोभकृत
संवत्सर (उत्तर) ——————पिंगल
विक्रम संवत—————- 2080
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत—————– 1945
कलि संवत—————– 5124
सूर्योदय————— 06:43:12
सूर्यास्त—————- 17:25:06
दिन काल————- 10:41:53
रात्री काल————- 13:18:53
चंद्रोदय————— 11:29:40
चंद्रास्त—————- 22:00:28
लग्न—-वृश्चिक 1°14′ , 211°14′
सूर्य नक्षत्र—————– विशाखा
चन्द्र नक्षत्र————– उत्तराषाढा
नक्षत्र पाया——————– ताम्र

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

भे—- उत्तराषाढा 06:59:35

भो—- उत्तराषाढा 12:42:11

जा—- उत्तराषाढा 18:24:12

जी—- उत्तराषाढा 24:05:42

खी—- श्रवण 29:46:45

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= वृश्चिक 01:30,विशाखा 4 तो
चन्द्र=धनु 29:30 , उ o षाo 1 भें
बुध =वृश्चिक 17°:53′ ज्येष्ठा 4 ने
शु क्र=कन्या 16°05, हस्त’ 2 ष
मंगल=तुला 01°30 ‘ विशाखा’ 4 तो
गुरु=मेष 14°30 ‘ भरणी , 1 ली
शनि=कुम्भ 06°50 ‘ धनिष्ठा ,4 गे
राहू=(व) मीन 29°05 रेवती , 4 ची
केतु=(व) कन्या 29°05 चित्रा , 2 पो

*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 🚩💮🚩*

राहू काल 09:24 – 10:44 अशुभ
यम घंटा 13:24 – 14:45 अशुभ
गुली काल 06:43 – 08: 03अशुभ
अभिजित 11:43 – 12:26 शुभ
दूर मुहूर्त 08:09 – 08:52 अशुभ
वर्ज्यम 08:54 – 10:25 अशुभ

💮चोघडिया, दिन
काल 06:43 – 08:03 अशुभ
शुभ 08:03 – 09:24 शुभ
रोग 09:24 – 10:44 अशुभ
उद्वेग 10:44 – 12:04 अशुभ
चर 12:04 – 13:24 शुभ
लाभ 13:24 – 14:45 शुभ
अमृत 14:45 – 16:05 शुभ
काल 16:05 – 17:25 अशुभ

🚩चोघडिया, रात
लाभ 17:25 – 19:05 शुभ
उद्वेग 19:05 – 20:45 अशुभ
शुभ 20:45 – 22:25 शुभ
अमृत 22:25 – 24:05* शुभ
चर 24:05* – 25:44* शुभ
रोग 25:44* – 27:24* अशुभ
काल 27:24* – 29:04* अशुभ
लाभ 29:04* – 30:44* शुभ

*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*

वृश्चिक > 05:36 से 08:10 तक
धनु > 08:10 से 08:36 तक
मकर > 08:36 से 11:44 तक
कुम्भ > 11:44 से 13:16 तक
मीन > 13:16 से 14:38 तक
मेष > 14:38 से 16:26 तक
वृषभ > 16:26 से 18:24 तक
मिथुन > 18:24 से 20:32 तक
कर्क > 20:32 से 22:48 तक
सिंह > 22:48 से 00:50 तक
कन्या > 00: 50 से 04:26 तक
तुला > 03:20 से 05:36 तक

*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

5 + 7 + 1 = 13 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

बुध ग्रह मुखहुति

*💮 शिव वास एवं फल -:*

5 + 5 + 5 = 15 ÷ 7 = 1 शेष

कैलाश वास = शुभ कारक

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*

*छठ पर्व द्वितीय दिवस*

*सर्वार्थ सिद्धि योग 26:06 से*

*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*

नास्ति कामसमो व्याधिर्नास्ति मोहसमो रिपुः ।
नास्ति कोपसमो वहि नर्नास्ति ज्ञानात्परं सुखम् ।।
।। चा o नी o।।

जिसने अपने स्वरुप को जान लिया उसके लिए स्वर्ग तो तिनके के समान है. एक पराक्रमी योद्धा अपने जीवन को तुच्छ मानता है. जिसने अपनी कामना को जीत लिया उसके लिए स्त्री भोग का विषय नहीं. उसके लिए सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड तुच्छ है जिसके मन में कोई आसक्ति नहीं.

*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*

गीता -: सांख्ययोग अo-02

मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः । आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत ॥,

हे कुंतीपुत्र! सर्दी-गर्मी और सुख-दुःख को देने वाले इन्द्रिय और विषयों के संयोग तो उत्पत्ति-विनाशशील और अनित्य हैं, इसलिए हे भारत! उनको तू सहन कर॥,14॥,

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
सुख के साधन जुटेंगे। भूमि व भवन की योजना बनेगी। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। संतान की प्रगति होगी। व्यापार-व्यवसाय में प्रगतिकारक वातावरण का सृजन होगा। पारिवारिक स्थिति आनंददायक रहेगी। मन प्रफुल्लित रहेगा।

🐂वृष
विवाद व जल्दबाजी से बचें। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। बौद्धिक कार्य सफल रहेंगे। प्रसन्नता रहेगी। स्वास्थ्य की ओर ध्यान दें। अधूरे काम समय से पूरे होने के योग हैं। नए कार्यों से लाभ के मार्ग प्रशस्त होंगे। धन का संग्रह होगा।

👫मिथुन
तीर्थयात्रा हो सकती है। सत्संग का लाभ मिलेगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। वरिष्‍ठजनों का सहयोग मिलेगा। नवीन योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए दिन अच्छा होने की संभावना है। प्रेम-प्रसंग में सफलता मिलेगी। परिवार में मेल-मिलाप बढ़ेगा। अधिकारी वर्ग में महत्व बढ़ेगा।

🦀कर्क
संतान पक्ष की चिंता रहेगी। चोट व दुर्घटना से बचें। लेन-देन में सावधानी रखें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। खर्च का बोझ बढ़ेगा। किसी पर अत्यधिक भरोसा न करें। व्यापार, नौकरी में अड़चनें आने से मनोबल में कमी आ सकती है।

🐅सिंह
प्रेम में सफलता मिलेगी। प्रयास सफल रहेंगे। रुके कार्यों में गति आएगी। मान-सम्मान मिलेगा। धनार्जन होगा। प्रसन्नता रहेगी। पारिवारिक सुख एवं पत्नी के सहयोग से मन प्रसन्न रहेगा। आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी। किसी से बहस न करें। काम-धंधे में सफलता के शुभ संकेत हैं।

🙎‍♀️कन्या
लेनदारी वसूल होगी। यात्रा मनोरंजक रहेगी। लाभ के अवसर मिलेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। राज्य एवं व्यवसाय के क्षेत्र में विशेष लाभ का योग है। आर्थिक उन्नति होगी। सामाजिक उत्तरदायित्व की पूर्ति करेंगे। ईश्वर के प्रति श्रद्धा बढ़ेगी।

⚖️तुला
प्रेम-प्रसंग में सफलता मिलेगी। बाहर सहायता से काम होंगे। प्रसन्नता रहेगी। संतान के संबंध में संतोष रहेगा। व्यावसायिक अथवा आजीविका संबंधी समस्या का समाधान हो सकेगा। पुरुषार्थ का पूर्ण फल मिलेगा। थकान रहेगी। शत्रु भय रहेगा।

🦂वृश्चिक
यात्रा में सावधानी रखें। विवाद को बढ़ावा न दें। दु:खद समाचार मिल सकता है। दौड़धूप अधिक होगी। वाणी पर संयम रखें। विरोधियों से सावधान रहें। परिवार की परेशानी का हल संभव है। भागीदारी के कामों में सफलता मिलेगी।

🏹धनु
अतिथियों का आवागमन होगा। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। वाणी पर नियंत्रण रखें। आत्मसम्मान बना रहेगा। सामाजिक कार्यों में सक्रिय भागीदारी निभा सकेंगे। पारिवारिक सुख-शांति बरकरार रहेगी। जोखिम के कार्यों से दूर रहें। यात्रा होगी।

🐊मकर
कुसंगति से बचें। फालतू खर्च होंगे। लेन-देन में सावधानी रखें। जोखिम व जमानत के कार्य बिलकुल न करें। संतान की गतिविधियों पर नजर रखना होगी। कामकाज का बोझ बढ़ने से व्यापार पर विपरीत असर हो सकता है। वाद-विवाद से दूर रहें।

🍯कुंभ
घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। रुके कार्यों में गति आएगी। माता के स्वास्थ्य की ओर ध्यान देना आवश्यक। पुराने रुके कामों, लेनदेन में सफलता की संभावना है। रोमांस में सफलता मिलेगी। विद्यार्थियों को शिक्षा में उपलब्धि हासिल होने के योग हैं।

🐟मीन
अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। जोखिम उठाएं। यात्रा मनोरंजक रहेगी। प्रसन्नता रहेगी। धनार्जन होगा। सोच-समझकर कार्य करना लाभप्रद रहेगा। पुरुषार्थ सफल होगा। वाहन चलाते समय सावधानी रखना चाहिए। व्यापार में नवीन प्रस्ताव मिलेंगे।

*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*

*🍁 प्रेरक प्रसंग -नेत्रहीन संत 🍁*

एक बार एक राजा अपने सहचरों के साथ शिकार खेलने जंगल में गया था। वहाँ शिकार के चक्कर में एक दूसरे से बिछड़ गये और एक दूसरे को खोजत हुये राजा एक नेत्रहीन संत की कुटिया में पहुँच कर अपने बिछड़े हुये साथियों के बारे में पूछा।

नेत्र हीन संत ने कहा महाराज सबसे पहले आपके सिपाही गये हैं, बाद में आपके मंत्री गये, अब आप स्वयं पधारे हैं। इसी रास्ते से आप आगे जायें तो मुलाकात हो जायगी। संत के बताये हुये रास्ते में राजा ने घोड़ा दौड़ाया और जल्दी ही अपने सहयोगियों से जा मिला और नेत्रहीन संत के कथनानुसा ही एक दूसरे से आगे पीछे पहुंचे थे।

यह बात राजा के दिमाग में घर कर गयी कि नेत्रहीन संत को कैसे पता चला कि कौन किस ओहदे वाला जा रहा है। लौटते समय राजा अपने अनुचरों को साथ लेकर संत की कुटिया में पहुंच कर संत से प्रश्न किया कि आप नेत्रविहीन होते हुये कैसे जान गये कि कौन जा रहा है, कौन आ रहा है ?

राजा की बात सुन कर नेत्रहीन संत ने कहा महाराज आदमी की हैसियत का ज्ञान नेत्रों से नहीं उसकी बातचीत से होती है। सबसे पहले जब आपके सिपाही मेरे पास से गुजरे तब उन्होंने मुझसे पूछा कि ऐ अंधे इधर से किसी के जाते हुये की आहट सुनाई दी क्या ? तो मैं समझ गया कि यह संस्कार विहीन व्यक्ति छोटी पदवी वाले सिपाही ही होंगे।

जब आपके मंत्री जी आये तब उन्होंने पूछा बाबा जी इधर से किसी को जाते हुये….. तो मैं समझ गया कि यह किसी उच्च ओहदे वाला है, क्योंकि बिना संस्कारित व्यक्ति किसी बड़े पद पर आसीन नहीं होता। इसलिये मैंने आपसे कहा कि सिपाहियों के पीछे मंत्री जी गये हैं।

जब आप स्वयं आये तो आपने कहा सूरदास जी महाराज आपको इधर से निकल कर जाने वालों की आहट तो नहीं मिली तो मैं समझ गया कि आप राजा ही हो सकते हैं। क्योंकि आपकी वाणी में आदर सूचक शब्दों का समावेश था और दूसरे का आदर वही कर सकता है जिसे दूसरों से आदर प्राप्त होता है। क्योंकि जिसे कभी कोई चीज नहीं मिलती तो वह उस वस्तु के गुणों को कैसे जान सकता है!

दूसरी बात यह संसार एक वृक्ष स्वरूप है- जैसे वृक्ष में डालियाँ तो बहुत होती हैं पर जिस डाली में ज्यादा फल लगते हैं वही झुकती है। इसी अनुभव के आधार में मैं नेत्रहीन होते हुये भी सिपाहियों, मंत्री और आपके पद का पता बताया अगर गलती हुई हो महाराज तो क्षमा करें।

*राजा संत के अनुभव से प्रसन्न हो कर संत की जीवन व्रत्ति का प्रबंन्ध राजकोष से करने का मंत्री जी को आदेशित कर वापस राजमहल आया।*

*शिक्षा:-* आजकल हमारे परिवार संस्कार विहीन होता जा रहे है।थोड़ा सा पद,पैसा व प्रतिष्ठा पाते ही दूसरे की उपेक्षा करते हैं,जो उचित नहीं है।मधुर भाषा बोलने में किसी प्रकार का आर्थिक नुकसान नहीं होता है।अतः मीठा बोलने में कंजूसी नहीं करनी चाहिए..!!

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जीवन में हमेशा सच बोलिए, ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है!

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