उत्तराखंडधर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग -श्रेष्ठता तो देने में प्राप्त होती है!*


📜««« *आज का पञ्चांग* »»»📜
कलियुगाब्द…………………….5126
विक्रम संवत्……………………2081
शक संवत्………………………1946
मास………………………………….चैत्र
पक्ष………………………………..कृष्ण
तिथी…………………………..प्रतिपदा
दोप 02.35 पर्यंत पश्चात द्वितीया
रवि…………………………..उत्तरायण
सूर्योदय (इंदौर)…प्रातः 06.35.57 पर
सूर्यास्त………..संध्या 06.36.03 पर
सूर्य राशि………………………….मीन
चन्द्र राशि……………………….कन्या
गुरु राशी…………………………वृषभ
नक्षत्र………………….उत्तराफाल्गुनी
प्रातः 08.49 पर्यंत पश्चात हस्त
योग…………………………………..गंड
दोप 01.57 पर्यंत पश्चात वृद्धि
करण……………………………कौलव
दोप 02.35 पर्यंत पश्चात तैतिल
ऋतु………………..(तपस्य) शिशिर
*दिन……………………..शनिवार*

*🇮🇳 राष्ट्रीय सौर फाल्गुन, दिनांक २४*
*शके १९४६ ( तपस्यमास ) !*

*🇬🇧 आंग्ल मतानुसार दिनांक*
*१५ मार्च सन् २०२५ ईस्वी !*

☸ शुभ अंक……………………..6
🔯 शुभ रंग…………………….नीला

⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*
दोप 12.11 से 12.59 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
प्रात: 09.37 से 11.06 तक ।

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त -*
*कुम्भ*
05:03:15 06:37:05
*मीन*
06:37:05 08:07:58
*मेष*
08:07:58 09:48:45
*वृषभ*
09:48:45 11:47:24
*मिथुन*
11:47:24 14:01:07
*कर्क*
14:01:07 16:17:17
*सिंह*
16:17:17 18:29:05
*कन्या*
18:29:05 20:39:45
*तुला*
20:39:45 22:54:23
*वृश्चिक*
22:54:23 25:10:33
*धनु*
25:10:33 27:16:09
*मकर*
27:16:09 29:03:15

🚦 *दिशाशूल :-*
पूर्व दिशा – यदि आवश्यक हो तो अदरक या उड़द का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 08.07 से 09.36 तक शुभ
दोप. 12.34 से 02.04 तक चर
दोप. 02.04 से 03.33 तक लाभ
दोप. 03.33 से 05.02 तक अमृत
संध्या 06.31 से 08.02 तक लाभ
रात्रि 09.32 से 11.03 तक शुभ ।

💮 *आज का मंत्र :-*
।। ॐ महावीराय नम: ।।

📢 *संस्कृत सुभाषितानि -*
*श्रीमद्भगवतगीता (एकादशोऽध्यायः – विश्वरूपदर्शनयोग:) -*
वायुर्यमोऽग्निर्वरुणः शशाङ्कः प्रजापतिस्त्वं प्रपितामहश्च ।
नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्वः पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते ॥११- ३९॥
अर्थात :
आप वायु, यमराज, अग्नि, वरुण, चन्द्रमा, प्रजा के स्वामी ब्रह्मा और ब्रह्मा के भी पिता हैं। आपके लिए हजारों बार नमस्कार! नमस्कार हो!! आपके लिए फिर भी बार-बार नमस्कार! नमस्कार!!॥39॥

🍃 *आरोग्यं सलाह :-*
*लिवर का रामबाण इलाज -*

*3. पालक और गाजर का रस -*
पालक खाने से आपके स्वास्थ्य को बहुत् फायदे मिलते हैं। लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि अधिक मात्रा में पालक खाने से आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर भी पड़ सकता है। पालक और गाजर के रस का एक मिश्रण लिवर सिरोसिस के लिए एक उत्कृष्ट उपाय है। पालक और गाजर के रस को बराबर भाग में मिलाएं। लीवर के उपचार के लिए प्रतिदिन कम से कम एक बार इसका रस जरूर पीजिए।

*4. आंवला -*
आंवला को सुपर फूड का दर्जा मिला है। इस छोटे से फल में कई ऐसे चमत्कादरिक गुण है, जो शरीर के लिए बेहद फायदेमंद हैं। यह न सिर्फ हमारे शरीर की इम्यू निटी बढ़ाता है बल्किय कई रोगों को जड़ से भी खत्म करता है। इसमें विटामिन सी, विटामिन एबी कॉम्ले्म क्सू, कैलशियम, पोटैशियम, मैग्नीशशियम, कार्बोहाइड्रेट, आयरन और फाइबर पाए जाते हैं। अगर अपने लिवर को सेहतमंद रखना चाहते हैं, तो आप आंवले का सेवन करना शुरू कर दीजिए। आमला लिवर को सुरक्षा प्रदान करता हैं और विटामिन सी का एक समृद्ध स्रोत है, जो लिवर के फंक्शन को बेहतर करता है।

. ⚜ *आज का राशिफल* ⚜

🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
मेहनत का फल मिलेगा। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। थकान रहेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। प्रसन्नता रहेगी। भूमि, आवास की समस्या रह सकती है। आजीविका में नवीन प्रस्ताव मिलेगा। दांपत्य जीवन सुखद रहेगा। संतान से कष्ट रहेगा।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। उत्साहवर्धक सूचना मिलेगी। मान बढ़ेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। अपनी बुद्धिमत्ता से आप सही निर्णय लेने में सक्षम होंगे। विकास की योजनाएं बनेंगी। निजीजनों में असंतोष हो सकता है। व्यापार में इच्छित लाभ होगा।

👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। यात्रा, निवेश व नौकरी मनोनुकूल रहेंगे। जोखिम न लें। व्यावसायिक चिंता दूर हो सकेगी। स्वयं के सामर्थ्य से ही भाग्योन्नति के अवसर आएंगे। योजनाएं फलीभूत होंगी।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। वस्तुएं संभालकर रखें। स्वास्थ्य पर व्यय होगा। विवाद न करें। यात्रा में अपनी वस्तुओं को संभालकर रखें। कर्म के प्रति पूर्ण समर्पण व उत्साह रखें। अधीनस्थों की ओर ध्यान दें। आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। आय बढ़ेगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। अपने व्यसनों पर नियंत्रण रखते हुए कार्य करना चाहिए। व्यापार में कर्मचारियों पर अधिक विश्वास न करें। आर्थिक स्थिति मध्यम रहेगी।

👩‍🦰 *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
नए अनुबंध होंगे। यात्रा, निवेश व नौकरी मनोनुकूल रहेंगे। झंझटों में न पड़ें। शत्रु सक्रिय रहेंगे। कार्य की प्रवृत्ति में यथार्थता व व्यावहारिकता का समावेश आवश्यक है। व्यापार में नई योजनाओं पर कार्य नहीं होंगे। जीवनसाथी का ध्यान रखें।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
धर्म-कर्म में रुचि बढ़ेगी। राजकीय बाधा दूर होगी। वरिष्ठजन सहयोग करेंगे। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। बुद्धि एवं तर्क से कार्य में सफलता के योग बनेंगे। यात्रा कष्टप्रद हो सकती है। अतः उसका परित्याग करें। व्यापार लाभप्रद रहेगा।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
समय ठीक नहीं है। वाहन, मशीनरी व अग्नि के प्रयोग में सावधानी रखें। लेन-देन में सावधानी रखें। विवाद न करें। दांपत्य जीवन सुखद रहेगा। सकारात्मक विचारों के कारण प्रगति के योग आएंगे। कार्यपद्धति में विश्वसनीयता बनाए रखें।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। राजकीय काम बनेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। चिंता रहेगी। जोखिम न उठाएं। संतान से मदद मिलेगी। आर्थिक स्थिति में प्रगति की संभावना है। अचानक धन की प्राप्ति के योग हैं। क्रोध एवं उत्तेजना पर संयम रखें।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
संपत्ति के कार्य लाभ देंगे। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता मिलेगी। प्रसन्नता रहेगी। धनार्जन होगा। समाज में प्रसिद्धि के कारण सम्मान में बढ़ौत्री होगी। आजीविका में नवीन प्रस्ताव मिलेंगे। परिवार की समस्याओं को अनदेखा न करें।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर मिलेगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। कामकाज में धैर्य रखने से सफलता मिल सकेगी। योजनाएं फलीभूत होंगी। मित्रों में आपका वर्चस्व बढ़ेगा। स्वास्थ्य की ओर ध्यान दें।

🐟 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
दूसरों से अपेक्षा न करें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। थकान रहेगी। जोखिम न लें। विवाद से बचें। राजकीय सहयोग मिलेगा एवं इस क्षेत्र के व्यक्तियों से संबंध बढ़ेंगे। विद्यार्थियों को प्रतियोगिता में सफलता मिलेगी। व्यापार अच्छा चलेगा। वाणी पर संयम रखें।

*🚩 🎪 ‼️ 🕉️ शं शनैश्चराय नमः ‼️ 🎪 🚩*

*☯ आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ☯*

*‼️ शुभम भवतु ‼️*
*‼️ जयतु भारती ‼️*

🚩🇮🇳‼️ *भारत माता की जय* ‼️🇮🇳🚩
*

*🛕जय श्री राम🙏*

*🌳श्रेष्ठता तो देने में प्राप्त होती है!🌳*

समुद्र मंथन के दौरान लक्ष्मीजी से पहले उनकी बड़ी बहन ज्येष्ठा जिनका नाम दरिद्रा भी है, वह प्रकट हुई थीं.
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ज्येष्ठा विष्णु भगवान से विवाह करना चाहती थीं किंतु भगवान ने लक्ष्मीजी का वरण किया. इससे ज्येष्ठा और लक्ष्मीजी में मनमुटाव था जो समय-समय पर बाहर आता रहता था.
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तय हुआ कि दोनों बहनों में कौन श्रेष्ठ है, इसका फैसला करने के लिए दोनों अपने-अपने प्रभाव का प्रदर्शन करेंगी.
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दोनों बहनों ने अपने प्रभाव का जोर आजमाने के लिए मंदिर के एक पुजारी हरिनाथ को चुना जो बड़ा विष्णु भक्त था.
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दूसरे दिन दोनों वेश बदलकर विष्णु मंदिर पहुँचीं मंदिर के द्वार पर बैठ गईं. हरिनाथ पूजा करके लौटने लगा तो ज्येष्ठा ने लक्ष्मी से अपना प्रभाव दिखाने को कहा.
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लक्ष्मीजी ने एक खोखला बांस हरिनाथ के रास्ते में रख दिया. बांस के अंदर सोने के सिक्के भरे थे.
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ज्येष्ठा ने बांस को छूकर कहा, अब तुम मेरा प्रभाव देखो. हरिनाथ ने रास्ते में सुंदर बांस पड़ा देखा तो उठा लिया. सोचा घर में इसका कुछ न कुछ काम निकल ही आएगा.
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अभी वह पंडित थोड़ा ही आगे बढ़ा था कि उसे एक लड़का मिला. लड़के ने हरिनाथ से कहा, ‘पंडित जी ! मुझे अपनी चारपाई के लिए बिल्कुल ऐसा ही बांस चाहिए.
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यह बांस कहां मिलता है मैं खरीद लाता हूं ?’ पंडित ने कहा, ‘मैंने खरीदा नहीं है. रास्ते में पड़ा था उठा लिया. तुम्हें ज़रूरत है तो तुम ही रख लो. बाज़ार में यह एक रुपये से कम का नहीं होगा.’
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लड़के ने चवन्नी देते हुए कहा, ‘मगर मेरे पास तो यह चवन्नी ही है, पंडितजी. अभी तो आप इसे ही रखिए बाकी के बारह आने शाम को घर दे जाऊँगा.’
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पंडितजी खुश थे कि उन्होंने सड़क पर पड़े बांस से रुपया कमा लिया. चवन्नी पूजा की डोलची में रखी और घर की ओर चला.
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मंदिर के पास खड़ी दोनों देवियां सारी लीला देख रही थीं. ज्येष्ठा ने कहा, ‘लक्ष्मी ! तुम्हारी इतनी सारी मोहरें मात्र एक चवन्नी में बिक गईं. अभी तो यह चवन्नी भी तुम्हारे भक्त के पास नहीं रूकेगी.’
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एक तालाब के पास दीनू ने डोलची रख दी और कमल के फूल तोड़ने लगा. उसी बीच एक चरवाहा आया और डोलची में रखी चवन्नी लेकर भाग गया. पंडित को पता भी नहीं चला.
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फूल तोड़कर वह घर चलने लगा. इतने में वही लड़का आता हुआ दिखाई दिया जिसने चवन्नी देकर उससे बांस ले लिया था.
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लड़का बोला, ‘पंडितजी ! यह बांस बहुत भारी है. चारपाई के लिए हल्का बांस चाहिए. आप इसे वापस ले लीजिए.’ उसने बांस पंडितजी के हवाले कर दिया.
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बांस के बदले पंडित ने चवन्नी लौटानी चाही, लेकिन चवन्नी तो डोलची से उड़ चुकी थी.
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पंडित ने कहा, ‘बेटा, चवन्नी तो कहीं गिर गई. तुम मेरे साथ घर चलो, वहाँ दूसरी दे दूँगा. इस समय मेरे पास एक भी पैसा नहीं है.’ लड़के ने पंडित से कहा कि वह शाम को आकर घर से अपनी चवन्नी ले लेगा.
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बांस फिर से पंडित जी के ही पास आ गया. लक्ष्मी जी धीरे से मुस्कराईं. उनको मुस्कराता देख ज्येष्ठा जल भुन गई.
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वह बोलीं, ‘ इतराने की जरूरत नहीं. अभी तो खेल शुरू ही हुआ है. बस देखती चलो.’ हरिनाथ को पता ही नहीं था कि वह दो देवियों के दाव-पेंच में फंसा हुआ है.
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गांव के करीब उसे चरवाहा मिला. उसने चवन्नी वापस करते हुए कहा, ‘मेरा लड़का आपकी डोलची से चवन्नी ले भागा था. मैं चवन्नी लौटाने आया हूँ.’ पंडित खुश हो गया. वरना उसे बिना बात चवन्नी का दंड भरना पड़ता.
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जिसकी चवन्नी थी वह लड़का अभी दूर नहीं गया था. पंडित ने उसे पुकारा और उसकी चवन्नी लौटा दी.
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हरिनाथ निश्चिंत मन से घर की ओर बढ़ने लगा. उसके एक हाथ में पूजा की डोलची थी और दूसरे में वही बांस.
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*रास्ते में उसने सोचा कि बांस काफ़ी वज़नी और मजबूत है. इसे दरवाज़े के छप्पर में लगा दूँगा. कई साल के लिए बल्ली से छुटकारा मिल जाएगा.’*
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*लक्ष्मीजी के प्रभाव से हरिनाथ को लाभ होता देख ज्येष्ठा जल उठीं. जब उन्होंने देखा कि पंडित का घर क़रीब आ गया है तो कोई उपाय न पाकर उन्होंने हरिनाथ को मार डालने का विचार किया.*
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*ज्येष्ठा गुस्से में तमतमाती हुई बोलीं, ‘लक्ष्मी ! धन−सम्पत्ति तो मैं छीन ही लेती हूँ, अब इस भक्त के प्राण भी ले लूँगी.’*
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*ज्येष्ठा ने साँप का रूप धरा और हरिनाथ पर झपटीं. हरिनाथ सांप देखकर भागने लगा. सांप बनी ज्येष्ठा ने उसका पीछा नहीं छोड़ा. हरिनाथ घबरा गया.*
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*उसने हाथ जोड़कर कहा, ‘नाग देवता ! मैंने तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ा. क्यों मेरे पीछे पड़े हो ? व्यर्थ में किसी को सताना अच्छी बात नहीं है.’ लेकिन नाग ने जवाब में जोरदार फुंफकार की.*
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*जब हरिनाथ ने देख लिया कि कोई रास्ता नहीं तो उसने वह बांस साँप को दे मारा. धरती से टकराते ही बांस के दो टुकड़े हो गए. उसके भीतर भरी हुईं मोहरें बिखर गईं.*
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*पंडित तो आश्चर्य से देखता रह गया. एक पल के लिए वह साँप को भूल गया. फिर नजर घुमाई तो देखा कि बांस की चोट से साँप की कमर टूट गयी है और वह लहूलुहान अवस्था में झाड़ी की ओर भागा जा रहा है.*
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*हरिनाथ लक्ष्मी माता की जय-जयकार करने लगा !’*
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*लक्ष्मी ने अपनी बहन ज्येष्ठा से पूछा, ‘कहो बहन ! बड़प्पन की थाह अभी मिली या नहीं ?*

*श्रेष्ठता तो किसी को कुछ देने में प्राप्त होती है छीनने में नहीं.’ ज्येष्ठा ने कोई उत्तर नहीं दिया. वह चुपचाप उदास खड़ी रहीं !*

*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, वो पर्याप्त है।।*

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