*रामे समाधान हउवें- मनोज भावुक के सुन्दर भक्तिमय कविता*
देव भूमि जे के न्यूज –
हम जब-जब हताश, निराश आ उदास होखेनीं,
राम मन परेलें।
एह से ना कि ऊ भगवान हवें, बलुक एह से कि ऊ हमरो से बड़का, नाकामयाब रहलें, फेलिओर रहलें।
हम आज ले ना ‘सेट’ भइनी, ना ‘सेटल’ । त उहो कब भइलें ?
राजा के बेटा होइयो के बनवासी। हमरा त बिहार में रोजगारे ना मिलल त भटकहीं के रहे बने-बने।
कष्ट हमरो भइल बाकिर राम जइसन कष्ट दुश्मनों के मत होखे।
पत्नी के हरण, पत्नी के वन-गमन, बेटा से युद्ध, लोकलाज आ मर्यादा से मर्माहत मर्यादा पुरुषोत्तम के नदी में समा के अवसान ! अइसन अंत केहू के मत होखे। अइसन मानसिक पीड़ा केहू के मत होखे। अइसन विफल, अइसन फेलिओर केहू मत होखे।
दुख में, पीड़ा में, अवसाद में, विषाद में आ असफलतो में राम सोझा आ के ठाड़ हो जालें दुखहरन बनके। जइसे कहत होखस-हमरा से अधिका कष्ट में बाड़ऽ का ??
जग जितला का बादो लोग हमरा के ना छोड़ल त तू कवना खेत के मुरई हउवड ? का हमार सब सपना पूरा भइल ? त तू काहे मुँह लटकवले बाड़ऽ ? त हमरा बुझाइल -चान-सूरुज बने के बा त गरहन के सहहीं के पड़ी
रामत्व के अनुभव करे के बा त आग में तपहीं के पड़ी डेगे-डेग लड़हीं के पड़ी बाकिर जितला का बादो सुख, शांति आ सकून भेंटा जाई, एकर कवनो गारंटी नइखे । सफलता-असफलता भरम ह आ सुख-दुख सोच।
राम सफलता-असफलता आ सुख-दुख से परे रहलन।
राम के अपना सोझा राखीं सब कुछ बुझात रही जिनगी के हर समस्या के समाधान भेंटात रही। राम समाधान हउवें। रामे समाधान हउवें। रामे निदान हउवें।
एही से जन्म से मृत्यु ले राम बाड़े रोआँ-रोआँ आ साँस-साँस में राम बाड़े राम बाड़ें त सांत्वना बा, संबल बा प्रोत्साहन बा, प्रेरणा बा हिम्मत बा, हौसला बा जोश बा, जूनून बा मुश्किलो घड़ी में ना घबड़ाये के लूर बा दुश्मन से संवाद के सहूर बा नेह-नाता निभावे के भाव बा शबरी के जूठ बइर बा, केवट के नाव बा साँच कहीं त जीवन के पाठशाला बाड़ें राम सभकर रखवाला बाड़ें राम हमनी के बाप-माई बाड़ें राम हर रोग के दवाई बाड़ें राम।