*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग -रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि*
*आज का पञ्चांग*
*दिनांक:- 12/04/2025, शनिवार*
*पूर्णिमा, शुक्ल पक्ष,*
*चैत्र*
(समाप्ति काल)
तिथि———- पूर्णिमा 29:51:14 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र————- हस्त 18:06:49
योग———- व्याघात 20:39:10
करण——- विष्टि भद्र 16:35:22
करण————– बव 29:51:14
वार———————- शनिवार
माह————————- चैत्र
चन्द्र राशि—————– कन्या
सूर्य राशि—————— मीन
रितु———————— वसंत
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर—————– विश्वावसु
संवत्सर (उत्तर) ————–सिद्धार्थी
विक्रम संवत————– 2082
गुजराती संवत———— 2081
शक संवत—————- 1947
कलि संवत—————- 5126
सूर्योदय————– 05:59:01
सूर्यास्त————— 18:41:11
दिन काल———— 12:42:09
रात्री काल———— 11:16:47
चंद्रोदय————– 18:15:34
चंद्रास्त—————- 29:52:35
लग्न—- मीन 28°9′ , 358°9′
सूर्य नक्षत्र—————– रेवती
चन्द्र नक्षत्र——————- हस्त
नक्षत्र पाया—————— रजत
* पद, चरण
*
ण—- हस्त 11:21:41
ठ—- हस्त 18:06:49
पे—- चित्रा 24:52:17
* ग्रह गोचर
*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य= मीन 28°40, रेवती 4 ची
चन्द्र= कन्या 17°30 , हस्त 3 ण
बुध =मीन 03°52 ‘ उ o भा o 1 दू
शु क्र= मीन 00°05, पू o फाo’ 4 दी
मंगल=कर्क 03°30 ‘ पुष्य ‘ 1 हु
गुरु=वृषभ 23°30 मृगशिरा, 1 वे
शनि=मीन 01°28 ‘ पू o भा o , 4 दी
राहू=(व) मीन 02°00 पू o भा o, 4 दी
केतु= (व)कन्या 02°00 उ oफा o 2 टो
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* शुभा$शुभ मुहूर्त
*
राहू काल 09:10 – 10:45 अशुभ
यम घंटा 13:55 – 15:31 अशुभ
गुली काल 05:59 – 07:34 अशुभ
अभिजित 11:55 – 12:46 शुभ
दूर मुहूर्त 07:41 – 08:31 अशुभ
वर्ज्यम 27:08* – 28:56* अशुभ
प्रदोष 18:41 – 20:58 शुभ
चोघडिया, दिन
काल 05:59 – 07:34 अशुभ
शुभ 07:34 – 09:10 शुभ
रोग 09:10 – 10:45 अशुभ
उद्वेग 10:45 – 12:20 अशुभ
चर 12:20 – 13:55 शुभ
लाभ 13:55 – 15:31 शुभ
अमृत 15:31 – 17:06 शुभ
काल 17:06 – 18:41 अशुभ
चोघडिया, रात
लाभ 18:41 – 20:06 शुभ
उद्वेग 20:06 – 21:30 अशुभ
शुभ 21:30 – 22:55 शुभ
अमृत 22:55 – 24:20* शुभ
चर 24:20* – 25:44* शुभ
रोग 25:44* – 27:09* अशुभ
काल 27:09* – 28:33* अशुभ
लाभ 28:33* – 29:58* शुभ
होरा, दिन
शनि 05:59 – 07:03
बृहस्पति 07:03 – 08:06
मंगल 08:06 – 09:10
सूर्य 09:10 – 10:13
शुक्र 10:13 – 11:17
बुध 11:17 – 12:20
चन्द्र 12:20 – 13:24
शनि 13:24 – 14:27
बृहस्पति 14:27 – 15:31
मंगल 15:31 – 16:34
सूर्य 16:34 – 17:38
शुक्र 17:38 – 18:41
होरा, रात
बुध 18:41 – 19:38
चन्द्र 19:38 – 20:34
शनि 20:34 – 21:30
बृहस्पति 21:30 – 22:27
मंगल 22:27 – 23:23
सूर्य 23:23 – 24:20
शुक्र 24:20* – 25:16
बुध 25:16* – 26:12
चन्द्र 26:12* – 27:09
शनि 27:09* – 28:05
बृहस्पति 28:05* – 29:02
मंगल 29:02* – 29:58
*उदयलग्न प्रवेशकाल
*
मीन > 04:40 से 06:00 तक
मेष > 06:00 से 07:40 तक
वृषभ > 07:40 से 09:40 तक
मिथुन > 09:40 से 11:58 तक
कर्क > 11:58 से 14:14 तक
सिंह > 14:14 से 16:28 तक
कन्या > 16:28 से 18:44 तक
तुला > 18:44 से 20:56 तक
वृश्चिक > 20:56 से 23:24 तक
धनु > 23:24 से 01:36 तक
मकर > 01:36 से 03:10 तक
कुम्भ > 03:10 से 04:34 तक
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*विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
* अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
15 + 7 + 1 = 23 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
* ग्रह मुख आहुति ज्ञान
*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
चन्द्र ग्रह मुखहुति
* शिव वास एवं फल -:*
15 + 15 + 5 = 35 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
*भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
सांय 16:36 तक समाप्त
पाताल लोक = धन लाभ कारक
* विशेष जानकारी
*
*सत्य पूर्णिमा व्रत*
*हनुमत जन्मोत्सव*
* शुभ विचार
*
वाचा शौचं च मनसः शौचमिन्द्रियनिग्रहः ।
सर्वभूते दया शौचमेतच्छौचं परार्थिनाम् ।।
।। चा o नी o।।
यदि आप दिव्यता चाहते है तो आपके वाचा, मन और इन्द्रियों में शुद्धता होनी चाहिए. उसी प्रकार आपके ह्रदय में करुणा होनी चाहिए.
* सुभाषितानि
*
गीता -:दैवासुरसम्पद्विभागयोग :- अo-16
आसुरीं योनिमापन्ना मूढा जन्मनि जन्मनि।,
मामप्राप्यैव कौन्तेय ततो यान्त्यधमां गतिम्॥,
हे अर्जुन! वे मूढ़ मुझको न प्राप्त होकर ही जन्म-जन्म में आसुरी योनि को प्राप्त होते हैं, फिर उससे भी अति नीच गति को ही प्राप्त होते हैं अर्थात् घोर नरकों में पड़ते हैं॥,20॥,
* दैनिक राशिफल
*
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
मेष
रुका धन मिलेगा। पूजा-पाठ व सत्संग में मन लगेगा। आत्मशांति रहेगी। कोर्ट व कचहरी के कार्य अनुकूल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। मातहतों का सहयोग मिलेगा। किसी सामाजिक कार्यक्रम में भाग लेने का अवसर प्राप्त हो सकता है। दूसरे के काम में दखल न दें।
वृष
यात्रा सफल रहेगी। नेत्र पीड़ा हो सकती है। लेन-देन में सावधानी रखें। बगैर मांगे किसी को सलाह न दें। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल रहेगी। धनार्जन होगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। अज्ञात भय व चिंता रहेंगे।
मिथुन
क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। विवाद को बढ़ावा न दें। पुराना रोग बाधा का कारण रहेगा। स्वास्थ्य पर खर्च होगा। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में लापरवाही न करें। छोटी सी गलती से समस्या बढ़ सकती है। व्यवसाय ठीक चलेगा। मित्र व संबंधी सहायता करेंगे। आय बनी रहेगी। जोखिम न लें।
कर्क
आय में निश्चितता रहेगी। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। व्यवस्था नहीं होने से परेशानी रहेगी। व्यवसाय में कमी होगी। नौकरी में नोकझोंक हो सकती है। पार्टनरों से मतभेद हो सकते हैं। थकान महसूस होगी। अपेक्षित कार्यों में विघ्न आएंगे। चिंता तथा तनाव रहेंगे।
सिंह
जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ के योग हैं। भाग्य का साथ मिलेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। जुए, सट्टे व लॉटरी के चक्कर में न पड़ें। निवेश शुभ रहेगा। प्रमाद न करें। उत्तेजना पर नियंत्रण रखें।
कन्या
प्रयास सफल रहेंगे। किसी बड़े कार्य की समस्याएं दूर होंगी। मित्रों का सहयोग कर पाएंगे। कर्ज में कमी होगी। संतुष्टि रहेगी। सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। व्यापार मनोनुकूल चलेगा। अपना प्रभाव बढ़ा पाएंगे। नौकरी में अनुकूलता रहेगी। निवेश शुभ रहेगा। जोखिम व जमानत के कार्य न करें।
तुला
आय में कमी तथा नौकरी में कार्यभार रहेगा। बेवजह लोगों से कहासुनी हो सकती है। दु:खद समाचार मिलने से नकारात्मकता बढ़ेगी। व्यवसाय से संतुष्टि नहीं रहेगी। पार्टनरों से मतभेद हो सकते हैं। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। जल्दबाज न करें। घर-बाहर अशांति रहेगी। कार्य में रुकावट होगी।
वृश्चिक
पार्टी व पिकनिक की योजना बनेगी। मित्रों के साथ समय अच्छा व्यतीत होगा। स्वादिष्ट भोजन का आनंद मिलेगा। बौद्धिक कार्य सफल रहेंगे। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। नौकरी में अनुकूलता रहेगी। वाणी पर नियंत्रण रखें। शत्रु सक्रिय रहेंगे। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी।
धनु
स्थायी संपत्ति की खरीद-फरोख्त से बड़ा लाभ हो सकता है। प्रतिद्वंद्विता रहेगी। पार्टनरों का सहयोग समय पर मिलने से प्रसन्नता रहेगी। नौकरी में मातहतों का सहयोग मिलेगा। व्यवसाय ठीक-ठीक चलेगा। आय में वृद्धि होगी। चोट व रोग से बाधा संभव है। दूसरों के काम में दखलंदाजी न करें।
मकर
दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। नौकरी में सहकर्मी साथ देंगे। व्यवसाय में जल्दबाजी से काम न करें। चोट व दुर्घटना से बचें। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। घर-बाहर स्थिति मनोनुकूल रहेगी। प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। वस्तुएं संभालकर रखें।
कुंभ
नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। सामजिक कार्य करने की इच्छा जागृत होगी। प्रतिष्ठा वृद्धि होगी। सुख के साधन जुटेंगे। नौकरी में वर्चस्व स्थापित होगा। आय के स्रोत बढ़ सकते हैं। व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। घर-बाहर सहयोग व प्रसन्नता में वृद्धि होगी।
मीन
आज रुका धन मिलेगा। मन की चंचलता पर नियंत्रण रखें। कानूनी अड़चन दूर होकर स्थिति अनुकूल रहेगी। जीवनसाथी पर आपसी मेहरबानी रहेगी। जल्दबाजी में धनहानि हो सकती है। व्यवसाय में वृद्धि होगी। नौकरी में सुकून रहेगा। निवेश लाभप्रद रहेगा। कार्य बनेंगे। घर-बाहर सुख-शांति बने रहेंगे।
*आपका दिन मंगलमय हो
*
श्री हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं मंगल कामनाएं।
*रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि*
(आदित्य श्रीवास्तव )
भारतीय संस्कृति ने अपनी हजारों वर्षों की विकास यात्रा में मानवीय मूल्यों को गरिमा प्रदान करने की जो कला सीखी है, वह अद्वितीय है। मानवीय गरिमा में देवत्व के संस्कार के मुख्य स्रोतों के रूप में पर्वों, त्यौहारों, जयंतियों की ज्ञानगंगा यहाँ अविरल बहती आयी है। वैसे तो पर्व और जयंतियाँ विश्व के प्राय: हर भाग में मनायी जाती हैं, लेकिन हमारे देश में इनको मनाने के तरीके, दर्शन और आध्यात्मिक प्रवाह की जो सरसता है वह न सिर्फ भौतिक जीवन को अलौकिक रसों से सरावोर कर देती है, वरन् जीवनधारा प्रवाह को देवत्व से तादात्म्य स्थापित करने का प्रेरक उछाल भी देती है।
आज पतित पावन हनुमान जयंती का पर्व है। यह पतितों को, भूलों को, भटके हुओं को पवित्रता से, ओजस् से, ब्रह्मवर्चस से भर देने का पर्व है। व्यक्ति के जीवन में बल हो, पवित्रता हो, ब्रह्मचर्य हो, ज्ञान हो और भक्ति हो, सेवा हो तो व्यक्तित्व पूर्ण विकसित माना जा सकता है। इन सभी आध्यात्मिक गुणों की आराधना के लिए हनुमान जी श्रेष्ठ आदर्श हैं।
देवताओं में व्यक्ति को मनचाहा वरदान देने की सामथ्र्य होती है, पर शर्त यही है कि वह देवत्व का दर्शन समझे और उस फिलासफी को जीवन में उतारें। देवताओं जैसे व्यक्तित्व को हम अपने भीतर उतारना चाहें और महानता की ओर बढऩे का कुछ साहस रखते हों तो आत्मिक शिक्षण का यह पर्व हमें निहाल कर सकता है।
हनुमान जयंती वस्तुत: भक्ति की महानता का पर्व है। हनुमानजी भक्तों के आदर्श हैं। एक ऐसे भक्त जिन्होंने असुरता को समाप्त करने के लिए स्वयं को भगवान के काम में पूरी तरह समर्पित कर दिया। हनुमान एक ऐसे भक्त हैं, जो समर्पण से देवता हो गये। भक्ति शब्द संस्कृत व्याकरण के अनुसार, भज् सेवायां धातु से बना है। भक्त वह है जिसमें सेवा भावना भरी पड़ी हो। सेवा का महत्व बतलाते हुए संत तुलसीदास ‘विनय पत्रिका’ में लिखते हैं-
*सेवक भयो पवनपूत साहिब अनुहरत।*
*ताको लिये नाम राम सबको सुढऱ ढरत।।*
अर्थात् हनुमान जी सेवा करते-करते राम के ही समान हो गये, राम उनके इतने अनन्य प्रेमी हैं कि अब तो मात्र हनुमान का नाम भर लेने से वे प्रसन्न हो जाते हैं।
लेकिन इस भक्ति की पराकाष्ठा को प्राप्त करने के लिए सद्गुणों का विकास करना होता है। संत तुलसीदास ने हनुमान जी की वंदना करते हुए लिखा है –
*अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं।*
*दनुजबनकृशानु ज्ञानिनामग्रगण्यम।*
*सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं।*
*रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।*
अर्थात् अतुलित बल, असुरता के दांत तोड़ने में समर्थ, ज्ञानवान, विद्यावान तथा समस्त सद्गुणों के भण्डार और लोकनायक की विशेषताओं से वे परिपूर्ण थे। भक्त के गुणों के परिमार्जन पर बल देते हुए राष्ट्र संत पंड़ित श्रीराम शर्मा आचार्य ने इस प्रकार लिखा है-
”सुदृढ़ और सुविकसित व्यक्तित्व से ही भगवान का कार्य अधिक मात्रा में और अधिक अच्छा किया जा सकता है, यह मानते हुए ईश्वर परायण लोग क्षमताएँ, योग्यताएँ बढ़ाकर सतत अपना सर्वतोमुखी बलवर्धन करते रहते हैं। इस शक्ति संपादन की तप-साधना से भगवान प्रसन्न होते हैं और उस समर्थ भक्त को अधिक उत्तरदायित्व सौंपते हैं। हनुमान के बल और बुद्धि कौशल को देखते हुए राम ने उन्हें अधिक काम सौंपे और अपना प्रिय पात्र माना।”
प्रभु कार्य में बाधा बनकर तृष्णा रूपी सुरसा मुँह फाड़ती है। उसकी पूर्ति के लिए हनुमान जी अपना आकार बढ़ाते हैं। साधन जुटाते हैं, पर इस क्रम से पार नहीं पड़ता। आग में घी डालने की तरह तृष्णा रूपी सुरसा का मुँह बढ़ता ही जाता है। अंत में हनुमान अपना छोटा रूप बनाकर संतोष और अपरिग्रह का आश्रय लेकर उससे अपना पिण्ड छुड़ाते हैं। ईश भक्तों को विवेक का सहारा लेकर इसी प्रकार सासांरिक प्रलोभनों से अपना बचाव करना चाहिए।
मैनाक पर्वत थके हुए हनुमान को कार्यरत देखकर कुछ समय अपने ऊपर विश्राम करने का अनुरोध करता है, लेकिन हनुमान जी विश्राम में तनिक भी समय नहीं गंवाना चाहते हैं, हर क्षण भगवान का कार्य ही उन्हें अभीष्ट है। वे असमर्थता व्यक्त करते हुए कहते हैं –
*’राम काज कीन्हें बिना, मोहि कहाँ विश्राम।*
सीता माता की खोज, रावण को भगवान का संदेश सुनाना और उसका दंभ नष्ट करना, लंका दहन, संजीवनी बूटी लाना, अनेकों दुर्दान्तदैत्यों को यमलोक पहुंचाना, मेघनाथ का यज्ञ ध्वंस तथा रावण को अपने पराक्रम से अचेत कर देने जैसे असंभव कार्यों को उन्होंने खेल की तरह कर दिखाया।
वास्तव में हनुमान वह भक्त होता है, जिसने अपने मान का हनन कर दिया हो। ऐसे निर्मल संतों के साथ हर कार्य में भगवान होते हैं, इसके लिए फिर कोई भी कार्य असंभव नहीं रहता।
हनुमान जी के चरित्र से प्रबल भक्ति की प्रेरणा प्राप्त होती है। हम भी हनुमान जी की तरह शक्ति को, देवत्व को प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन उसके लिए हमें भगवान के कार्यों से जुडऩा होगा।
आज यह विडम्बना ही कही जाएगी कि देश में लाखों मंदिरों में पूजा-अर्चना हो रही होगी, लेकिन हममें से कितने व्यक्ति भक्त हैं? आज असुरता का मुकाबला करने के लिए कितने व्यक्ति हनुमान बन पाये? असंख्य सीताओं का हरण हो रहा है, उनकी इज्जत खतरे में हैं, कितने हनुमान उनके रक्षक हैं? असामाजिक तत्व संगठित होकर आतंक फैला रहे हैं, उनका ध्वंस करने के लिए कितने व्यक्तियों में साहस पैदा हुआ है?
हमें हनुमान जी की फिर से आराधना करनी होगी। उनके बल की उपासना करनी होगी। बल पैदा हो तो भक्ति करें और ऐसी भक्ति करें कि समाज से रावणत्व का फिर से समूल नाश हो जाय। सुरसा को जीतना होगा, मैनाक को ठुकराना होगा, कालनेमि जैसे धूर्तों के बहकावे से बचना होगा, तब हम ‘श्रीराम’ के सच्चे सहायक बन सकेंगे और उनका भागवत कार्य कर सकेंगे। भगवान ने हमेशा मदद दी है और वह सदैव देते रहेंगे- उनका वचन है।
आइए हम हनुमान जी से भक्ति सीखें और सच्चे भक्त बनने का हनुमंत संकल्प लें। श्रीराम का कार्य करके उनके प्रिय बनें और उनके प्रियपात्रों में हम भी उसी प्रकार सम्मिलित हों जायें जिस प्रकार हनुमान जी हुए हैं। (विनायक फीचर्स)