*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग- न तीन में न तेरह में*
*आज का पञ्चांग*
*दिनांक:- 14/04/2025, सोमवार*
*प्रतिपदा, कृष्ण पक्ष,*
*वैशाख*
(समाप्ति काल)
तिथि——– प्रतिपदा 08:24:31 तक
पक्ष———————— कृष्ण
नक्षत्र———- स्वाति 24:12:40
योग————- वज्र 22:37:03
करण———– कौलव 08:24:31
करण———– तैतुल 21:40:27
वार———————– सोमवार
माह———————– वैशाख
चन्द्र राशि—————— तुला
सूर्य राशि—————— मेष
रितु————————-वसंत
आयन——————-उत्तरायण
संवत्सर—————– विश्वावसु
संवत्सर (उत्तर) —————सिद्धार्थी
विक्रम संवत————— 2082
गुजराती संवत————- 2081
शक संवत—————- 1947
कलि संवत————— 5126
सूर्योदय————- 05:56:58
सूर्यास्त————- 18:42:15
दिन काल———— 12:45:17
रात्री काल————- 11:13:41
चंद्रास्त————– 06:22:03
चंद्रोदय—————- 20:02:37
लग्न—- मेष 0°6′ , 0°6′
सूर्य नक्षत्र————— अश्विनी
चन्द्र नक्षत्र—————– स्वाति
नक्षत्र पाया—————— रजत
* पद, चरण
*
रे—- स्वाति 10:41:40
रो—- स्वाति 17:27:18
ता—- स्वाति 24:12:40
* ग्रह गोचर
*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य= मेष 00°40, अश्विनी 1 चु
चन्द्र= तुला 10°30 , स्वाति 2 रे
बुध =मीन 04°52 ‘ उ o भा o 1 दू
शु क्र= मीन 00°05, पू o फाo’ 4 दी
मंगल=कर्क 04°30 ‘ पुष्य ‘ 1 हु
गुरु=वृषभ 23°30 मृगशिरा, 1 वे
शनि=मीन 01°28 ‘ पू o भा o , 4 दी
राहू=(व) मीन 01°55 पू o भा o, 4 दी
केतु= (व)कन्या 01°55 उ oफा o 2 टो
============================
* शुभा$शुभ मुहूर्त
*
राहू काल 07:33 – 09:08 अशुभ
यम घंटा 10:44 – 12:20 अशुभ
गुली काल 13:55 – 15: 31अशुभ
अभिजित 11:54 – 12:45 शुभ
दूर मुहूर्त 12:45 – 13:36 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:18 – 16:09 अशुभ
प्रदोष 18:42 – 20:59 शुभ
चोघडिया, दिन
अमृत 05:57 – 07:33 शुभ
काल 07:33 – 09:08 अशुभ
शुभ 09:08 – 10:44 शुभ
रोग 10:44 – 12:20 अशुभ
उद्वेग 12:20 – 13:55 अशुभ
चर 13:55 – 15:31 शुभ
लाभ 15:31 – 17:07 शुभ
अमृत 17:07 – 18:42 शुभ
चोघडिया, रात
चर 18:42 – 20:06 शुभ
रोग 20:06 – 21:31 अशुभ
काल 21:31 – 22:55 अशुभ
लाभ 22:55 – 24:19* शुभ
उद्वेग 24:19* – 25:43* अशुभ
शुभ 25:43* – 27:08* शुभ
अमृत 27:08* – 28:32* शुभ
चर 28:32* – 29:56* शुभ
होरा, दिन
चन्द्र 05:57 – 07:01
शनि 07:01 – 08:05
बृहस्पति 08:05 – 09:08
मंगल 09:08 – 10:12
सूर्य 10:12 – 11:16
शुक्र 11:16 – 12:20
बुध 12:20 – 13:23
चन्द्र 13:23 – 14:27
शनि 14:27 – 15:31
बृहस्पति 15:31 – 16:35
मंगल 16:35 – 17:38
सूर्य 17:38 – 18:42
होरा, रात
शुक्र 18:42 – 19:38
बुध 19:38 – 20:35
चन्द्र 20:35 – 21:31
शनि 21:31 – 22:27
बृहस्पति 22:27 – 23:23
मंगल 23:23 – 24:11
सूर्य 24:19* – 25:15
शुक्र 25:15* – 26:11
बुध 26:11* – 27:08
चन्द्र 27:08* – 28:04
शनि 28:04* – 28:59
बृहस्पति 28:59* – 29:56
*उदयलग्न प्रवेशकाल
*
मीन > 04:32 से 05:52 तक
मेष > 05:52 से 07:32 तक
वृषभ > 07:32 से 09:32 तक
मिथुन > 09:32 से 11:50 तक
कर्क > 11:50 से 14:06 तक
सिंह > 14:06 से 16:20 तक
कन्या > 16:20 से 18:36 तक
तुला > 18:36 से 20:48 तक
वृश्चिक > 20:48 से 23:16 तक
धनु > 23:16 से 01:28 तक
मकर > 01:28 से 03:02 तक
कुम्भ > 03:02 से 04:26 तक
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*विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
* अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
15 + 1 + 2 + 1 = 19 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
* ग्रह मुख आहुति ज्ञान
*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
मंगल ग्रह मुखहुति
* शिव वास एवं फल -:*
16 + 16 + 5 = 37 ÷ 7 = 2 शेष
गौरी सन्निधौ= शुभ कारक
*भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
* विशेष जानकारी
*
*प्रतिपदा वृद्धि*
*अग्निशामक दिवस*
* शुभ विचार
*
अधमा धनमिइच्छन्ति धनं मानं च मध्यमाः ।
उत्तमा मानमिच्छन्ति मानो हि महतां धनम् ।।
।। चा o नी o।।
नीच वर्ग के लोग दौलत चाहते है, मध्यम वर्ग के दौलत और इज्जत, लेकिन उच्च वर्ग के लोग सम्मान चाहते है क्यों की सम्मान ही उच्च लोगो की असली दौलत है.
* सुभाषितानि
*
गीता -:दैवासुरसम्पद्विभागयोग :- अo-16
एतैर्विमुक्तः कौन्तेय तमोद्वारैस्त्रिभिर्नरः।,
आचरत्यात्मनः श्रेयस्ततो याति परां गतिम्॥,
हे अर्जुन! इन तीनों नरक के द्वारों से मुक्त पुरुष अपने कल्याण का आचरण करता है (अपने उद्धार के लिए भगवदाज्ञानुसार बरतना ही ‘अपने कल्याण का आचरण करना’ है), इससे वह परमगति को जाता है अर्थात् मुझको प्राप्त हो जाता है॥,22॥,
* दैनिक राशिफल
*
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
मेष
लाभ के अवसर हाथ आएंगे। अध्यात्म में रुचि रहेगी। सत्संग का लाभ मिलेगा। कुसंगति से हानि होगी, बचें। व्यवसाय ठीक चलेगा। अच्छी बात का भी विरोध हो सकता है। धैर्य रखें। अज्ञात भय सताएगा। शारीरिक कष्ट संभव है। प्रतिद्वंद्विता में वृद्धि होगी। कानूनी अड़चन दूर होगी।
वृष
प्रेम-प्रसंग में जोखिम न लें। कोर्ट व कचहरी के काम निबटेंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। बेवजह खर्च होगा। तनाव रहेगा। पारिवारिक सहयोग प्राप्त होगा। प्रसन्नता तथा संतुष्टि रहेगी। जल्दबाजी न करें। शत्रु पस्त होंगे। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। शारीरिक कष्ट संभव है।
मिथुन
थोड़े प्रयास से ही काम बनेंगे। कार्यप्रणाली की प्रशंसा मिलेगी। आय में वृद्धि होगी। प्रेम-प्रसंग के अवसर सहज ही प्राप्त होंगे। व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। पराक्रम बढ़ेगा। नए काम मिलेंगे। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें।
राशि फलादेश
कर्क
आय में वृद्धि होगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। किसी बड़ी समस्या का हल सहज ही होगा। अच्छे कामों का भी विरोध हो सकता है। बुद्धि का प्रयोग आवश्यक है। भय रहेगा। चिंता बनी रहेगी। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी।
सिंह
दूसरों की बातों में न आएं। विवेक व धैर्य से कार्य करें। लाभ में वृद्धि होगी। नकारात्मकता बढ़ सकती है। प्रमाद न करें। काम पर ध्यान दें। वाहन, मशीनरी व अग्नि के प्रयोग में विशेष सावधानी रखें। क्रोध व उत्तेजना से किसी उलझन में फंस सकते हैं।
कन्या
धनागम सहज ही होगा। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। नए मित्र बनेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। आत्मविश्वास बढ़ेगा। कानूनी समस्या खड़ी हो सकती है। विवाद को बढ़ावा न दें। जल्दबाजी न करें। बेचैनी रहेगी।
तुला
किसी अपने के व्यवहार से दिल को ठेस पहुंच सकती है। समय पर आवश्यक वस्तु न मिलने से तनाव रहेगा। दूसरों से अपेक्षा न करें। आय में निश्चितता रहेगी। थकान महसूस होगी। अनावश्यक विवाद को बढ़ावा न दें। परेशानी हो सकती है। दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है।
वृश्चिक
पुराना रुका हुआ पैसा मिल सकता है। प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बड़ा काम करने का मन बनेगा। आय में वृद्धि होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। पार्टनरों का सहयोग प्राप्त होगा। प्रतिद्वंद्विता में कमी होगी। प्रसन्नता रहेगी। सुख के साधन जुटेंगे। प्रमाद न करें।
धनु
अनावश्यक वस्तु समय पर नहीं मिलेगी। चिड़चिड़ापन रहेगा। बेवजह कहासुनी हो सकती है। आय में निश्चितता रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है। चिंता तथा तनाव बने रहेंगे। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें।
मकर
किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता प्राप्त करेगा। अध्ययन में मन लगेगा। धनार्जन सहज होगा। आलस्य न करें। चिंता, भय व कष्ट का वातावरण बन सकता है, सावधानी रखें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें।
कुंभ
नई योजना बनेगी। सामाजिक कार्य करने का अवसर प्राप्त होगा। प्रतिष्ठा वृद्धि होगी। रुके कार्य पूर्ण होंगे। नए अनुबंध हो सकते हैं। भाग्य का साथ मिलेगा। आय में वृद्धि होगी। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। जल्दबाजी न करें। कोई भी निर्णय सोच-समझकर करें।
मीन
स्थायी संपत्ति के कार्य मनोनुकूल लाभ देंगे। रोजगार में वृद्धि होगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। लेन-देन में हानि संभव है। जल्दबाजी न करें। व्यवसाय ठीक चलेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। बड़ा काम करने का मन बनेगा। प्रसन्नता रहेगी। विरोधियों का पराभव होगा।
*आपका दिन मंगलमय हो
*
*!! न तीन में न तेरह में !!*
एक नगर सेठ थे अपनी पदवी के अनुरुप वे अथाह दौलत के स्वामी थे घर, बंगला, नौकर-चाकर थे एक चतुर मुनीम भी थे जो सारा कारोबार संभाले रहते थे
किसी समारोह में नगर सेठ की मुलाक़ात नगर-वधु से हो गई नगर-वधु यानी शहर की सबसे ख़ूबसूरत वेश्या अपने पेशे की ज़रुरत के मुताबिक़ नगर-वधु ने मालदार व्यक्ति जानकर नगर सेठ के प्रति सम्मान प्रदर्शित किया। फिर उन्हें अपने घर पर भी आमंत्रित किया.
सम्मान से अभिभूत सेठ, दूसरे-तीसरे दिन नगर-वधु के घर जा पहुँचे नगर-वधु ने आतिथ्य में कोई कमी नहीं छोड़ी खूब आवभगत की और यक़ीन दिला दिया कि वह सेठ से बेइंतहा प्रेम करती है.
अब नगर-सेठ जब तब नगर-वधु के ठौर पर नज़र आने लगे शामें अक्सर वहीं गुज़रने लगीं नगर भर में ख़बर फैल गई काम-धंधे पर असर होने लगा मुनीम की नज़रें इस पर टेढ़ी होने लगीं।
एक दिन सेठ को बुखार आ गया तबियत कुछ ज़्यादा बिगड़ गई कई दिनों तक बिस्तर से नहीं उठ सके इसी बीच नगर-वधु का जन्मदिन आया सेठ ने मुनीम को बुलाया और आदेश दिए कि एक हीरों जड़ा नौलखा हार ख़रीदा जाए और नगर-वधु को उनकी ओर से भिजवा दिया जाए निर्देश हुए कि मुनीम ख़ुद उपहार लेकर जाएँ.
मुनीम तो मुनीम था ख़ानदानी मुनीम उसकी निष्ठा सेठ के प्रति भर नहीं थी उसके पूरे परिवार और काम धंधे के प्रति भी थी उसने सेठ को समझाया कि वे भूल कर रहे हैं बताने की कोशिश की, वेश्या किसी व्यक्ति से प्रेम नहीं करती, पैसों से करती है। मुनीम ने उदाहरण देकर समझाया कि नगर-सेठ जैसे कई लोग प्रेम के भ्रम में वहाँ मंडराते रहते हैं. लेकिन सेठ को न समझ में आना था, न आया उनको सख़्ती से कहा कि मुनीम नगर-वधु के पास तोहफ़ा पहुँचा आएँ.
मुनीम क्या करते! एक हीरों जड़ा नौलखा हार ख़रीदा और नगर-वधु के घर की ओर चल पड़े लेकिन रास्ते भर वे इस समस्या को निपटाने का उपाय सोचते रहे.
नगर-वधु के घर पहुँचे तो नौलखा हार का डब्बा खोलते हुए कहा, “यह तोहफ़ा उसकी ओर से जिससे तुम सबसे अधिक प्रेम करती हो।”
नगर-वधु ने फटाफट तीन नाम गिना दिए। मुनीम को आश्चर्य नहीं हुआ कि उन तीन नामों में सेठ का नाम नहीं था निर्विकार भाव से उन्होंने कहा, “देवी, इन तीन में तो उन महानुभाव का नाम नहीं है जिन्होंने यह उपहार भिजवाया है.”
नगर-वधु की मुस्कान ग़ायब हो गई। सामने चमचमाता नौलखा हार था और उससे भारी भूल हो गई थी उसे उपहार हाथ से जाता हुआ दिखा। उसने फ़ौरन तेरह नाम गिनवा दिए.
तेरह नाम में भी सेठ का नाम नहीं था लेकिन इस बार मुनीम का चेहरा तमतमा गया ग़ुस्से से उन्होंने नौलखा हार का डब्बा उठाया और खट से उसे बंद करके उठ गए नगर-वधु गिड़गिड़ाने लगी उसने कहा कि उससे भूल हो गई है लेकिन मुनीम चल पड़े.
बीमार सेठ सिरहाने से टिके मुनीम के आने की प्रतीक्षा ही कर रहे थे नगर-वधु के उत्तर की प्रतीक्षा कर रहे थे.
मुनीम पहुचे और हार का डब्बा सेठ के सामने पटकते हुए कहा, “लो, अपना नौलखा हार, न तुम तीन में न तेरह में। यूँ ही प्रेम का भ्रम पाले बैठे हो।”
सेठ की आँखें खुल गई थीं इसके बाद वे कभी नगर-वधु के दर पर नहीं दिखाई पड़े..!!