धर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग- दादी माँ*


📜««« *आज का पंचांग*»»»📜
कलियुगाब्द……………………5125
विक्रम संवत्…………………..2080
शक संवत्……………………..1945
मास…………………………मार्गशीर्ष
पक्ष……………………………..कृष्ण
तिथी…………………………..दशमी
दुसरे दिन प्रातः 05.04पर्यंत पश्चात एकादशी
रवि……………………….दक्षिणायन
सूर्योदय…………प्रातः 06.54.25पर
सूर्यास्त………..संध्या 05.42.05 पर
सूर्य राशि……………………..वृश्चिक
चन्द्र राशि……………………..कन्या
गुरु राशि…………………………मेष
नक्षत्र……………………………हस्त
दुसरे दिन प्रातः 07.49 पर्यंत पश्चात चित्रा
योग……………………….आयुष्मान
रात्रि 11.55 पर्यंत पश्चात सौभाग्य
करण………………………….वणिज
दोप 04.06 पर्यंत पश्चात विष्टि
ऋतु……………………..(सह:) हेमंत
दिन……………………………..गुरुवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार :–*
07 दिसंबर सन 2023 ईस्वी ।

⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*
प्रातः 11.56 से 12.39 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
दोपहर 01.37 से 02.57 तक ।

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*वृश्चिक*
05:23:40 07:41:43
*धनु*
07:41:43 09:45:28
*मकर*
09:45:28 11:32:34
*कुम्भ*
11:32:34 13:06:06
*मीन*
13:06:06 14:37:18
*मेष*
14:37:18 16:18:03
*वृषभ*
16:18:03 18:16:41
*मिथुन*
18:16:41 20:30:24
*कर्क*
20:30:24 22:46:34
*सिंह*
22:46:34 24:58:22
*कन्या*
24:58:22 27:09:02
*तुला*
27:09:02 29:23:40

🚦 *दिशाशूल :-*
दक्षिणदिशा – यदि आवश्यक हो तो दही या जीरा का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

☸ शुभ अंक…………………..7
🔯 शुभ रंग………………….पीला

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 10.57 से 12.17 तक चंचल
दोप. 12.17 से 01.37 तक लाभ
दोप. 01.37 से 02.57 तक अमृत
सायं 04.17 से 05.37 तक शुभ
सायं 05.37 से 07.17 तक अमृत
रात्रि 07.17 से 08.57 तक चंचल

📿 *आज का मंत्र :-*
|। ॐ बृं बृहस्पतये नम: ।|

📢 *सुभाषितानि :-*
*श्रीमद्भगवतगीता (चतुर्थोऽध्यायः – ज्ञानकर्मसंन्यासयोगः) -*
वीतरागभयक्रोधा मन्मया मामुपाश्रिताः।
बहवो ज्ञानतपसा पूता मद्भावमागताः॥४-१०॥
अर्थात :
नष्ट आसक्ति, भय और क्रोध वाले, मुझसे अनन्य प्रेम करने वाले और मेरे आश्रित रहने वाले बहुत से भक्त ज्ञान रूपी तप से पवित्र होकर (पहले भी) मेरे स्वरूप को प्राप्त हो चुके हैं॥10॥

🍃 *आरोग्यं :-*
*गर्दन में दर्द के उपचार -*

*1. सेब का सिरका -*
सेब का सिरका गर्दन के दर्द और जकड़न के लिए एक उत्कृष्ट घरेलू उपचार है। सेब का सिरके में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गर्दन की मांसपेशियों में तनाव से राहत देगा। इसके लिए आप सिरके में नेपकिन भिगोकर अपनी गर्दन पर रखें और इसे एक-एक घंटे के लिए छोड़ दें। गर्दन दर्द से राहत पाने के लिए आप इसे दिन में दो बार दोहराएं।

⚜ *आज का राशिफल :-*

🐐 *राशि फलादेश मेष :-*
(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)
व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी। निवेश शुभ रहेगा। कोई बड़ी समस्या का अंत हो सकता है। नौकरी में अधिकार बढ़ने के योग हैं। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। जोखिम न लें। लेन-देन में जल्दबाजी न करें।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। लाभ देगा। कोई बड़ा काम करने का मन बनेगा। प्रयास सफल रहेंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि में जल्दबाजी न करें। लाभ होगा। प्रतिद्वंद्विता में वृद्धि होगी।

👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*
(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)
नए काम करने का मन बनेगा। दूर यात्रा की योजना बनेगी। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। व्यापार से लाभ होगा। नौकरी में चैन रहेगा। जोखिम न लें। फिजूलखर्ची ज्यादा होगी। शत्रु भय रहेगा। शारीरिक कष्ट से बाधा उत्पन्न होगी।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
काम में मन नहीं लगेगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा। आय में निश्चितता रहेगी। एकाएक स्वास्थ्‍य खराब हो सकता है, लापरवाही न करें। दूर से दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है। व्यर्थ दौड़धूप होगी। विवाद से स्वाभिमान को चोट पहूंच सकती है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। लेन-देन में सावधानी रखें।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
स्वयं के काम पर ध्यान दें। कोई बड़ा खर्च एकाएक सामने आएगा। व्यापार ठीक चलेगा। कार्यकुशलता कम होगी। कर्ज लेना पड़ सकता है। कुसंगति से बचें। किसी व्यक्ति के काम की जवाबदारी न लें। बनते काम बिगड़ सकते हैं। विवाद को बढ़ावा न दें। चिंता तथा तनाव रहेंगे।

👧 *राशि फलादेश कन्या :-*
(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। कोई बड़ा काम करने का मन बनेगा। भाग्य का साथ मिलेगा। सुख के साधन जुटेंगे। भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। उत्साह बना रहेगा। बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। नौकरी में अधिकार मिल सकते हैं।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
सुख के साधन जुटेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यवसाय लाभदायक रहेगा। नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। निवेश शुभ रहेगा। धनहानि हो सकती है। सावधानी आवश्यक है। थकान महसूस होगी। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
तंत्र-मंत्र में रुचि जागृत होगी। कोर्ट व कचहरी के कार्य मनोनुकूल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। किसी जानकार व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त हो सकता है। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। शारीरिक कष्ट संभव है। अज्ञात भय सताएगा। चिंता तथा तनाव रहेंगे।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)
व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी। लाभ के लिए प्रयास करें। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। पार्टनरों से कहासुनी हो सकती है। भागदौड़ होगी। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। वाहन, मशीनरी व अग्नि आदि के प्रयोग में सावधानी रखें। विवाद से क्लेश हो सकता है।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)
प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। निवेश सोच-समझकर करें। नौकरी में चैन रहेगा। मित्रों का सहयोग मिलेगा। कोई ऐसा कार्य न करें जिससे कि अपमान हो। व्यापार-व्यवसाय अनुकूल रहेगा। कानूनी अड़चन दूर होकर स्थिति अनुकूल बनेगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
व्यापार मनोनुकूल रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। जल्दबाजी न करें। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। घर के छोटे सदस्यों संबंधी चिंता रहेगी। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। आशंका व कुशंका रहेगी। कार्य में बाधा संभव है। स्वास्थ्‍य संबंधी चिंता बनी रहेगी।

🐟 *राशि फलादेश मीन :-*
(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
स्वादिष्ट भोजन का आनंद प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता प्राप्त करेगा। विवेक का प्रयोग करें। समस्याएं कम होंगी। शारीरिक कष्ट संभव है। यात्रा मनोरंजक रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। अज्ञात भय रहेगा। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होगा।

*🌳🦚आज की कहानी🦚🌳*

*💐💐दादी माँ💐💐*

कॉलेज से घर लौटते हुए प्रिया का दिमाग़ सिर्फ़ और सिर्फ़ वंदना आंटी के बारे में सोच रहा था। घर पहुंचने पर उसने टीवी पर अपना पसंदीदा धारावाहिक देखने की कोशिश की, लेकिन मन भटकते हुए पहुंच गया उसी ओर…

बात दोपहर की थी। प्रिया व उसकी कुछ सहेलियां अपनी प्राध्यापिका की प्रेरणा से कुछ उपहार लेकर शहर के दूरदराज़ कोने में बने वृद्धाश्रम गई थीं. वहां एकाकी जीवन बिता रहे बुज़ुर्ग पुरुष व महिलाओं को देख उसे काफ़ी हैरत हो रही थी. उन्होंने उन बुज़ुर्गों के साथ काफ़ी समय बिताया, लेकिन उनके संग नाचते-गाते अचानक प्रिया के पैर में मोच आ गई.

“आह!” वह तेज़ दर्द से कराह उठी. तभी एक वृद्ध महिला ने सहारा देकर उसे उठाते हुए कहा, “बेटी, मेरे कमरे में बाम रखा है. आओ, तुम्हें लगा दूं. अभी पैर ठीक हो जाएगा.”
न जाने उनकी आवाज़ में क्या कशिश व अपनापन था कि प्रिया उनके साथ चल दी. बाम लगवाते हुए प्रिया ने ध्यान से वृद्धा का चेहरा देखा. चश्मे के पीछे से झांकती मोटी-मोटी आंखों में अथाह स्नेह झलक रहा था.

प्रिया ने बरबस पूछ लिया, “आंटी जी, आप यहां कब से हैं?”
वृद्धा ने नज़रें उठाए बिना प्यार से जवाब दिया, “बेटी, यही घर तो अपना है, जहां मुझे काफ़ी पहले आ जाना चाहिए था. ख़ैर! मेरी छोड़ो, अपनी सुनाओ, क्या नाम है तुम्हारा और किस कक्षा में पढ़ती हो?”
“मेरा नाम प्रिया है तथा मैं गर्ल्स कॉलेज में बीएससी फाइनल की छात्रा हूं. आंटी जी, आपका क्या नाम है?”
“वंदना” जवाब देने के साथ ही उन्होंने प्रिया को सहारा देकर खड़ा कर दिया.

न जाने उनके हाथोें में क्या जादू था कि प्रिया के पैर का दर्द छूमंतर हो गया और वह मुस्कुराते हुए उनके साथ बाहर आ गई, जहां उसकी सहेलियां बुज़ुर्गों के संग अपने अनुभव बांटते हुए उनकी भावनाएं जानने-समझने में जुटी थीं।

प्रिया भी वंदना आंटी के साथ एक मेज़ पर बैठ गई. बातचीत में उसे पता चला कि वंदना आंटी के पति का निधन होने के बाद जब वो अपने इकलौते बेटे-बहू की नज़रों में खटकने लगी थीं, तब उन्होंने ख़ुद ही घर छोड़कर वृद्धाश्रम में रहने का निर्णय लिया था. प्रिया को यह जानकर बहुत हैरानी हुई कि वंदना आंटी के दो वर्षों से यहां होने के बावजूद उनके बेटे-बहू ने एक बार भी यहां आकर उनका हालचाल जानना मुनासिब नहीं समझा था. प्रिया ने आंटी को अपने हाथ से बुने मोजे भेंट किए, तो इस उपहार को पाकर वो ख़ुशी से अभिभूत हो गईं, “बेटी, तुम दिल की जितनी अच्छी हो उतनी ही सुशील भी हो, वरना आजकल की लड़कियों को कढ़ाई-बुनाई में रुचि कहां है?”
उनके संग बातचीत में गुम प्रिया को समय का ध्यान तब आया जब उसकी सहेली ममता ने उसे झकझोर कर कहा, “मैडम जी, अब चलें या अपनी आंटी के साथ ही रहना है?” प्रिया ने भरे मन से वंदना आंटी से विदा ली, तो उन्होंने उसका माथा चूमते हुए कहा, “हो सके तो फिर आना बेटी.”
“मैं ज़रूर आऊंगी आंटी.” किसी अपने से बिछड़ने का एहसास लिए प्रिया वहां से चली आई थी.

अचानक किसी बर्तन के गिरने की आवाज़ सुन प्रिया जैसे नींद से जागी. मम्मी रसोई में थीं. एक पल के लिए उसनेे सोचा कि वंदना आंटी के बारे में मम्मी को बता दे, पर मम्मी के स्वभाव की याद आते ही उसने अपना इरादा बदल दिया. मम्मी भावुकता की जगह व्यावहारिकता को अहमियत देती हैं. साथ ही किसी अजनबी से रिश्ते की उनके लिए कोई क़ीमत नहीं.

प्रिया चाहकर भी मम्मी को वंदना आंटी के बारे में नहीं बता पाई, क्योंकि मम्मी ने ख़ुुद अपने सास-ससुर के स्वभाव से तंग आकर पापा के साथ अपना ससुराल छोड़ दिया था. ऐसे में भला उन्हें वंदना आंटी से हमदर्दी क्यों होती?
अगले दिन प्रिया कॉलेज से अकेली ही वृद्धाश्रम चली गई. वापसी में वंदना आंटी ने उसे जयपुरी चूड़ियों का लाजवाब सेट यह कहकर पहना दिया कि मेरी बेटी होकर मुझे मना करती हो. दोनों के बीच काफ़ी बातें हुईं. दोनों ने एक-दूसरे को जाना-समझा.
प्रिया के मन में फिर से टीस उठी कि कितने निर्दयी और स्वार्थी हैं वे बेटे-बहू, जिन्होंने इतनी नेक महिला को बुढ़ापे में घर से बाहर निकलने पर मजबूर कर दिया. इस मुलाक़ात ने दोनों के बीच एक अनजाना बंधन इस कदर मज़बूत कर दिया कि प्रिया कॉलेज से छुट्टी होने पर अक्सर उनसे मिलने चली जाती. वंदना आंटी ने भी उस पर ममता का सागर उड़ेल दिया था.

परीक्षा सिर पर आ पहुंची थी. प्रिया मन लगाकर पढ़ाई में जुटी थी कि बाथरूम में पैर फिसलने से मम्मी घायल हो गईं. रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर बताते हुए डॉक्टर ने उन्हें पूरी तरह आराम करने की सलाह दी. नज़दीकी रिश्तेदारों में कोई ऐसा नहीं था जो इस आड़े वक़्त में घर का कामकाज और मम्मी की देखरेख कर पाता. मम्मी की एक सहेली ने किसी नौकरानी को भेजा, लेकिन उसके नाज-नखरे इतने थे कि ख़ुद मम्मी का सब्र जवाब दे गया और वह नाक-भौं सिकोड़कर चलती बनी.

प्रिया के लिए अब मुश्किल खड़ी हो गई. एक तरफ़ परीक्षा तो दूसरी तरफ़ घर का काम और मम्मी की देखभाल. इस चक्कर में वह कुछ दिन तक वंदना आंटी से भी नहीं मिल पाई थी. प्रिया के वृद्धाश्रम न आने पर वंदना आंटी को उसकी चिंता सताने लगी. जब उनसे नहीं रहा गया, तो उन्होंने प्रिया को फोन किया. प्रिया ने वंदना आंटी को घर की सारी स्थिति के बारे में बता दिया. प्रिया के घर की हालात जानकर वंदना आंटी भी परेशान हो उठीं.

आज प्रिया का पहला पेपर था. पेपर देकर घर लौट रही प्रिया का मन मम्मी की तरफ़ ही लगा हुआ था. बदहवास-सी जब वो घर में घुसी, तो भौंचक्की रह गई. मम्मी और वंदना आंटी किसी बात पर ठहाके लगा रही थीं.

“अरे वंदना आंटी आप! यहां कैसे?”
“मेरी प्रिया बेटी किसी तकलीफ़ में हो तो मैं उससे दूर थोड़े ही रहूंगी.”
“मम्मी, ये वंदना आंटी हैं… माफ़ करना मैं आपको इनके बारे में नहीं बता पाई.”
“इसकी मुझे बहुत नाराज़गी है.” मम्मी के चेहरे के भाव बदल गए. फिर वो दो पल रुककर बोलीं, “तुम इनके इतने नज़दीक आ गई और हमसे ये बात छुपाए रखी…”
प्रिया ने मम्मी की बात को बीच में ही काटते हुए कहा, “मम्मी, मुझे लगता था कि आपको ये सब ठीक नहीं लगेगा, क्योंकि…”
“मैं जानती हूं कि तुम यही सोचती होगी कि मेरी मम्मी की किसी से नहीं बनती. बेटी, इंसान-इंसान में फ़र्क़ होता है. अगर मेरी सास मेरे लिए ठीक नहीं थीं तो ज़रूरी नहीं कि हर सास वैसी हो. मैं मानती हूंं कि जवानी में मुझसे कुछ रिश्ते परखने में भूल हुई होगी, लेकिन वह इंसान ही क्या जो अपने अनुभवों से कुछ सीख न सके. तुम्हारी मम्मी इतनी बुरी भी नहीं है बेटा कि अच्छे इंसान की कद्र न कर सके.”
प्रिया के चेहरे पर शर्मिंदगी के भाव देख वंदना आंटी ने उसे खींचकर अपने पास बिठाते हुए कहा, “प्रिया, मम्मी की बातों का बुरा मत मानना. तुम्हारा सोचना अपनी जगह सही था और एक मां के तौर पर सुमनजी की सोच भी सही है.

तुम मुझे यहां देखकर हैरान हो रही होगी ना? कल फोन पर बातचीत के दौरान मुझे तुम्हारी परेशानी का अंदाज़ा हो गया था. सारा दिन मैं यही सोचती रही कि तुम परीक्षा की तैयारी कैसे करोगी? पढ़ाई करोगी या घर व मम्मी को संभालेगी. फिर मुझसे नहीं रहा गया और मैंने फोन पर तुम्हारी मम्मी से बात की. उन्हें अपने बारे में बताया और तुम्हारे घर चली आई.”
फिर वंदना आंटी की बात को आगे बढ़ाते हुए मम्मी ने कहा, “जानती हो, घर आते ही इन्होंने सारा काम संभाल लिया. पापा छुट्टी लेने की सोच रहे थे, लेकिन इन्होंने तुम्हारे पापा को भी ऑफिस भेज दिया. सच कहूं तो इन्होंने मेरा इतना ख़्याल रखा, जितना मेरी सगी मां भी न रख पाती.”

“मुझे भी आप सबसे मिलकर बहुत अच्छा लगा. लगा ही नहीं कि मैं किसी अजनबी के घर में हूं.” कहते हुए वंदना आंटी का स्वर रुंध गया.

फिर वंदना आंटी ने प्रिया को खाना खिलाया और शाम को पापा के घर लौटने पर सबके मना करने के बावजूद रिक्शे में बैठकर वृद्धाश्रम लौट गईं. उनके आने से घर में जैसे ख़ुशियों की बरसात होने लगी. मम्मी के स्वास्थ्य में भी तेज़ी से सुधार आने लगा. आख़िर उन्हें भी अपने साथ के लिए कोई मिल गया था.

प्रिया की परीक्षा अब ख़त्म हो चुकी थी. फिर एक दिन अचानक वंदना आंटी ने कहा, “अब तो प्रिया घर पर रहेगी और आपकी तबीयत में भी सुधार है. अब मेरा रोज़-रोज़ यहां आना ठीक नहीं.”
मम्मी की बजाय पापा ने जवाब दिया, “मेरे माता-पिता इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन मैं उनकी कमी हमेशा महसूस करता था. मेरा मानना है कि बुज़ुर्गों की छत्रछाया बच्चों के लिए हमेशा सुखमयी होती है. आपके यहां आने पर मैंने अपनी मां को आपके भीतर पाया. हम नहीं जानते कि आपने हमारे परिवार के प्रति क्या धराणा बनाई होगी, लेकिन मेरी और सुमन की यही इच्छा है कि आपका साया हर पल हम पर बना रहे.”
पापा ने जिन संतुलित शब्दों में अपने दिल के उद्गार व्यक्त किए, उन्हें महसूस कर प्रिया के दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं. मम्मी शांत भाव से वंदना आंटी की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रही थीं. स्पष्ट था कि पापा ने जो कुछ भी कहा, उसमें उनकी भी सहमति थी.

वंदना आंटी से कुछ कहते न बना. फिर मम्मी ने कहा,“ प्रिया से हमें आपके बेटे-बहू के बारे में भी पता चला. हम भी आपके बेटे-बहू जैसे हैं. हमें भी अपनी सेवा का मौक़ा दीजिए. आपका साथ रहेगा तो हमारा परिवार संपूर्ण हो जाएगा.”
उनकी आत्मीयता व प्यार देखकर वंदना आंटी की आंखों में आंसू छलछला आए. नम आंखों से उन्होंने कहा, “अपने बेटे प्रतीक और उसकी पत्नी बीना की उपेक्षा से दुखी होकर वृद्धाश्रम आने पर मैंने तय कर लिया था कि अब मैं सांसारिक मोहमाया से हमेशा दूर ही रहूंगी, लेकिन आपका परिवार मुझे अपनी तरफ़ खींच रहा है. मैं आपके साथ रहने के बारे में ज़रूर सोचूंगी, फ़िलहाल मुझे इजाज़त दीजिए.”
वंदना आंटी मुड़ने लगीं कि प्रिया ने उनका रास्ता रोक लिया, “आपकी पोती की भी यही तमन्ना है कि आप हमारे साथ रहें.” वंदना आंटी ने उसका माथा चूमा और तेज़ी से आगे बढ़ गईं.

पीछे से प्रिया उन्हें पुकारे जा रही थी, “प्लीज़ वंदना आंटी… प्लीज़ मत जाओ…”
अब वो ख़ुद को रोक नहीं पा रही थीं. न चाहते हुए भी उनके क़दम प्रिया के घर की तरफ़ मुड़ गए. वो प्रिया के पास आईं और उसे सीने से लगाते हुए बोलीं, “वंदना आंटी नहीं, दादी मां कहो.”
प्रिया के साथ-साथ मम्मी-पापा की आंखोें में भी ख़ुशी के आंसू छलक रहे थे…!!

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