ऋषिकेश

*ऋषिकेश-अमित ग्राम गुमानीवाला में 73वें संविधान संशोधन की आगे की राह और ग्राम स्वराज्य विषय पर गोष्ठी हुई आयोजित*

देव भूमि जे के न्यूज ऋषिकेश 14/01/2024-

मार्गदर्शक सामाजिक शोध संस्थान के तत्वाधान में अमित ग्राम गुमानीवाला में 73वें संविधान संशोधन की आगे की राह और ग्राम स्वराज्य विषय पर 14 जनवरी 2024 शाम 3:00 बजे से चर्चा का आयोजन किया गया।

संविधान विशेषज्ञ, विचारक बजरंग मुनि जी की अध्यक्षता मैं मार्गदर्शक सामाजिक शोध संस्थान द्वारा ऋषिकेश में ग्राम स्वराज पर चर्चा का आयोजन किया गया।

चर्चा में मुख्य अतिथि की भूमिका में भोपाल चौधरी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किसान मंच, जगदीश चौधरी (सदस्य विश्व जल परिषद फ्रांस, पर्यावरण विद्, गांव और गंगा बचाओ अभियान अध्यक्ष, भारतीय जल शिक्षक शोध संस्थान), विपिन पंत अमित ग्राम निर्वतमान पार्षद, दीवान सिंह दिल्ली से पर्यावरण विद और गंगा, गांव अभियान के सदस्य, नागेंद्र मिश्रा समाज सेवी ने भाग लेकर इस विषय पर अपने महत्वपूर्ण विचार रखें।

मंच संचालक के रूप में श्रीकांत और बृजेश राय उपस्थित रहे।

चर्चा में विजय शर्मा , हरे कृष्णा पांडे , सुरेश पांडे , नागेंद्र दत्त रतुडी , अतुल राय और शैलेश पांडेय उपस्थित रहे।

जूम मीटिंग के माध्यम से ग्राम स्वराज विषय के विशेषज्ञ तीसरी सरकार के संस्थापक अध्यक्ष डॉक्टर चंद्रशेखर प्राण जी, बिहार सरकार कॉलेज सेवा आयोग के एक्स चेयरमैन, प्रोफेसर जेपी सिंह और जल पुरुष के नाम से प्रख्यात मेग्सेस पुरस्कार से सम्मानित डॉ राजेंद्र सिंह उपस्थित रहे।

चर्चा के अंतर्गत ग्राम स्वराज और ग्राम सभा का अंतर लोक नियुक्त तंत्र और लोक नियंत्रित तंत्र का अंतर और ग्राम स्वराज जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई। किस तरह से ग्राम सभाओं को संवैधानिक अधिकार मिले और लोकतंत्र में तंत्र द्वारा लोक के अधिकारों में हस्तक्षेप को काम किया जा सके इस विषय पर चर्चा हुई। यह विषय दिल्ली में बैठी हुई केंद्र सरकार से यह प्रश्न पूछता है। लोकतंत्र में शक्ति का जो पिरामिड उल्टा हो गया है अर्थात जो शक्ति ऊपर से नीचे की तरफ जा रही है उसे शक्ति को पुनः किस प्रकार से परिवार से केंद्र की तरफ मोडा जाए और गांव को अपनी आंतरिक, संवैधानिक, राजनीतिक, आर्थिक व्यवस्था बनाने का अधिकार मिले इस विषय पर चर्चा की गई। किस तरह से न्याय व्यवस्था का विकेंद्रीकरण किया जाए और 73वें संविधान संशोधन में गांव को जो अधिकार मिलने थे वह अधिकार उन्हें वापस दिए जाएं ना की उन अधिकारों पर भी तंत्र का ही नियंत्रण रहे इस विषय पर भी चर्चा हुई।

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