*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग -चरित्र बड़ा या ज्ञान*
*आज का पञ्चांग*
*दिनाँक:-17/01/2024, बुधवार*
*सप्तमी, शुक्ल पक्ष,*
*पौष*
(समाप्ति काल)
तिथि——— सप्तमी 22:06:10 तक
पक्ष————————–शुक्ल
नक्षत्र———- रेवती 27:32:39
योग————– शिव 17:11:34
करण————– गर 10:58:06
करण———– वणिज 22:06:10
वार———————— बुधवार
माह————————– पौष
चन्द्र राशि——- मीन 27:32:39
चन्द्र राशि——————– मेष
सूर्य राशि——————- मकर
रितु———————— शिशिर
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर——————- शोभकृत
संवत्सर (उत्तर)—————– पिंगल
विक्रम संवत—————- 2080
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत——————-1945
कलि संवत—————– 5124
सूर्योदय————— 07:12:12
सूर्यास्त————— 17:46:14
दिन काल————- 10:34:02
रात्री काल————- 13:25:48
चंद्रोदय—————- 11:18:14
चंद्रास्त—————- 24:13:13
लग्न—- मकर 2°14′ , 272°14′
सूर्य नक्षत्र————- उत्तराषाढा
चन्द्र नक्षत्र——————- रेवती
नक्षत्र पाया——————- स्वर्ण
*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
दे—- रेवती 10:18:15
दो—- रेवती 16:01:16
च—- रेवती 21:46:03
ची—- रेवती 27:32:39
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= मकर 02:10, उ o षाo 2 भो
चन्द्र=मीन 18:30 , रेवती 1 दे
बुध =धनु 09:53′ मूल 3 भा
शु क्र=वृश्चिक 28°05, ज्येष्ठा ‘ 4 यू
मंगल=धनु 15 °30 ‘ पू oषाo’ 1 भू
गुरु=मेष 11°30 अश्विनी , 4 ला
शनि=कुम्भ 10°40 ‘ शतभिषा ,2 सा
राहू=(व) मीन 25°55 रेवती , 3 च
केतु=(व) कन्या 25°55 चित्रा , 1 पे
*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*
राहू काल 12:29 – 13:48 अशुभ
यम घंटा 08:31 – 09:51 अशुभ
गुली काल 11:10 – 12: 29अशुभ
अभिजित 12:08 – 12:50 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:08 – 12:50 अशुभ
वर्ज्यम 16:01 – 17:33 अशुभ
💮गंड मूल अहोरात्र अशुभ
🚩पंचक 07:12 – 27:33* अशुभ
💮चोघडिया, दिन
लाभ 07:12 – 08:31 शुभ
अमृत 08:31 – 09:51 शुभ
काल 09:51 – 11:10 अशुभ
शुभ 11:10 – 12:29 शुभ
रोग 12:29 – 13:48 अशुभ
उद्वेग 13:48 – 15:08 अशुभ
चर 15:08 – 16:27 शुभ
लाभ 16:27 – 17:46 शुभ
🚩चोघडिया, रात
उद्वेग 17:46 – 19:27 अशुभ
शुभ 19:27 – 21:08 शुभ
अमृत 21:08 – 22:48 शुभ
चर 22:48 – 24:29* शुभ
रोग 24:29* – 26:10* अशुभ
काल 26:10* – 27:51* अशुभ
लाभ 27:51* – 29:31* शुभ
उद्वेग 29:31* – 31:12* अशुभ
💮होरा, दिन
बुध 07:12 – 08:05
चन्द्र 08:05 – 08:58
शनि 08:58 – 09:51
बृहस्पति 09:51 – 10:44
मंगल 10:44 – 11:36
सूर्य 11:36 – 12:29
शुक्र 12:29 – 13:22
बुध 13:22 – 14:15
चन्द्र 14:15 – 15:08
शनि 15:08 – 16:01
बृहस्पति 16:01 – 16:53
मंगल 16:53 – 17:46
🚩होरा, रात
सूर्य 17:46 – 18:53
शुक्र 18:53 – 20:01
बुध 20:01 – 21:08
चन्द्र 21:08 – 22:15
शनि 22:15 – 23:22
बृहस्पति 23:22 – 24:29
मंगल 24:29* – 25:36
सूर्य 25:36* – 26:43
शुक्र 26:43* – 27:51
बुध 27:51* – 28:58
चन्द्र 28:58* – 30:05
शनि 30:05* – 31:12
*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
मकर > 06:10 से 08:06 तक
कुम्भ > 08:06 से 09:24 तक
मीन > 09:24 से 10:54 तक
मेष > 10:54 से 12:36 तक
वृषभ > 12:36 से 14:34 तक
मिथुन > 14:34 से 16:46 तक
कर्क > 16:46 से 19:06 तक
सिंह > 19:06 से 21:18 तक
कन्या > 21:18 से 23:32 तक
तुला > 23:32 से 01:38 तक
वृश्चिक > 01:38 से 03:50 तक
धनु > 03:50 से 06:06 तक
*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*💮दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
7 + 4 + 1 = 12 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
बुध ग्रह मुखहुति
*💮 शिव वास एवं फल -:*
7 + 7 + 5 = 19 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
रात्रि 22:06 से प्रारम्भ
मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशिनी
*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*
*गुरु गोविंद सिंह जयंती*
*पंचक समाप्त 27:34*
*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*
दृष्टिपुतं न्यसेत्पादं वस्त्रपूतं पिबेज्जलम् ।
शास्त्रपूतं वदेद्वाक्यं मनःपूतं समाचरेत् ।।
।। चा o नी o।।
हम अपना हर कदम फूक फूक कर रखे. हम छाना हुआ जल पिए. हम वही बात बोले जो शास्त्र सम्मत है. हम वही काम करे जिसके बारे हम सावधानीपुर्वक सोच चुके है.
*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*
गीता -: कर्मयोग अo-03
लोकेऽस्मिन्द्विविधा निष्ठा पुरा प्रोक्ता मयानघ ।,
ज्ञानयोगेन साङ्ख्यानां कर्मयोगेन योगिनाम् ॥,
श्रीभगवान बोले- हे निष्पाप! इस लोक में दो प्रकार की निष्ठा (साधन की परिपक्व अवस्था अर्थात पराकाष्ठा का नाम ‘निष्ठा’ है।,) मेरे द्वारा पहले कही गई है।, उनमें से सांख्य योगियों की निष्ठा तो ज्ञान योग से (माया से उत्पन्न हुए सम्पूर्ण गुण ही गुणों में बरतते हैं, ऐसे समझकर तथा मन, इन्द्रिय और शरीर द्वारा होने वाली सम्पूर्ण क्रियाओं में कर्तापन के अभिमान से रहित होकर सर्वव्यापी सच्चिदानंदघन परमात्मा में एकीभाव से स्थित रहने का नाम ‘ज्ञान योग’ है, इसी को ‘संन्यास’, ‘सांख्ययोग’ आदि नामों से कहा गया है।,) और योगियों की निष्ठा कर्मयोग से (फल और आसक्ति को त्यागकर भगवदाज्ञानुसार केवल भगवदर्थ समत्व बुद्धि से कर्म करने का नाम ‘निष्काम कर्मयोग’ है, इसी को ‘समत्वयोग’, ‘बुद्धियोग’, ‘कर्मयोग’, ‘तदर्थकर्म’, ‘मदर्थकर्म’, ‘मत्कर्म’ आदि नामों से कहा गया है।,) होती है॥,3।।
*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐏मेष
किसी लंबे मनोरंजक प्रवास का कार्यक्रम बन सकता है। आंखों का विशेष ध्यान रखें। चोट व रोग से बचें। सुख के साधन जुटेंगे। दांपत्य जीवन सुखद रहेगा। सरकारी कामकाज में अनुकूलता रहेगी। स्थिति नियंत्रण में रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। जोखिम न उठाएं।
🐂वृष
कोई पुराना रोग परेशानी का कारण बन सकता है। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में लापरवाही न करें। शारीरिक हानि की आशंका बनती है। किसी व्यक्ति के व्यवहार से दिल को ठेस पहुंच सकती है। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। आय में निश्चितता रहेगी, धैर्य रखें।
👫मिथुन
गृहस्थ जीवन में आनंद का वातावरण रहेगा। जीवनसाथी को भेंट व उपहार देना पड़ सकता है। किसी अनहोनी की आशंका रह सकती है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। लापरवाही न करें। कोर्ट व कचहरी तथा सरकारी कामों में अनुकूलता रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। प्रमाद न करें।
🦀कर्क
आर्थिक वृद्धि के लिए नई योजना बनेगी। तत्काल लाभ नहीं होगा। किसी सामाजिक कार्यक्रम में भाग लेने का अवसर प्राप्त हो सकता है। मान-सम्मान मिलेगा। कार्यकारी नए अनुबंध हो सकते हैं। उत्साह व प्रसन्नता से कार्य कर पाएंगे। शारीरिक शिथिलता रहेगी।
🐅सिंह
पहले किसी व्यक्ति को दिए गए कर्ज की वसूली हो सकती है। व्यावसायिक प्रवास सफल रहेगा। धन प्राप्ति सु्गम होगी। घर-परिवार की चिंता बनी रहेगी। कोई नई समस्या आ सकती है। शारीरिक कष्ट भी आशंका है, लापरवाही न करें। नौकरी में चैन रहेगा। उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे।
🙍♀️कन्या
जीवनसाथी के स्वास्थ्य संबंधी चिंता बनी रहेगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। किसी बड़ी समस्या से छुटकारा मिल सकता है। व्यावसायिक प्रवास हो सकता है। काम में अनुकूलता रहेगी। भेंट व उपहार की प्राप्ति हो सकती है। पार्टनरों से सहयोग मिलेगा। लाभ होगा।
⚖️तुला
रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। कार्य के प्रति उत्साह रहेगा। जल्दबाजी न करें। भूमि व भवन इत्यादि की खरीद-फरोख्त की योजना सफल रहेगी। बड़ा लाभ हो सकता है। प्रमाद न करें। कुबुद्धि हावी रह सकती है इसलिए कोई भी निर्णय सोम-समझकर करें।
🦂वृश्चिक
कोई बड़ा खर्च अचानक सामने आ सकता है। व्यवस्था में मुश्किल होगी। चिंता तथा तनाव रहेंगे। गुस्से पर काबू रखें। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। धनहानि की आशंका बन सकती है। व्यापार ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी।
🏹धनु
पहले किए गए प्रयास का लाभ अब मिलेगा। समय पर कर्ज चुका पाएंगे। प्रतिस्पर्धियों पर विजय प्राप्त होगी। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देंगे। निवेश शुभ फल देगा। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। भाग्य का साथ मिलेगा। खोई हुई वस्तु मिल सकती है। प्रमाद न करें।
🐊मकर
कामकाज में अधिक ध्यान देगा पड़ेगा। दूर से दु:खद समाचार मिल सकता है। भागदौड़ रहेगी। समय पर काम नहीं होने से तनाव रहेगा। गुस्से पर काबू रखें। व्यापार-व्यवसाय में उतार-चढ़ाव रहेगा। नौकरी में अधिकारी अधिक की अपेक्षा करेंगे। किसी व्यक्ति के उकसाने में न आएं।
🍯कुंभ
आय में सुगमता रहेगी। घर में मेहमानों का आगमन होगा। व्यय होगा। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। प्रसन्नता बढ़ेगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। आनंद और उल्लास के साथ जीवन व्यतीत होगा। पारिवारिक सहयोग प्राप्त होगा। चोट व रोग से हानि संभव है।
🐟मीन
किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी। व्यस्तता के चलते स्वास्थ्य को नजरअंदाज न करें। बेवजह विवाद हो सकता है। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। उत्साह व प्रसन्नता से काम कर पाएंगे।
*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*
*🌳 चरित्र बड़ा या ज्ञान 🌳*
एक राजपुरोहित थे। वे अनेक विधाओं के ज्ञाता होने के कारण राज्य में अत्यधिक प्रतिष्ठित थे। बड़े-बड़े विद्वान उनके प्रति आदरभाव रखते थे पर उन्हें अपने ज्ञान का लेशमात्र भी अहंकार नहीं था। उनका विश्वास था कि ज्ञान और चरित्र का योग ही लौकिक एवं परमार्थिक उन्नति का सच्चा पथ है। प्रजा की तो बात ही क्या स्वयं राजा भी उनका सम्मान करते थे और उनके आने पर उठकर आसन प्रदान करते थे।
एक बार राजपुरोहित के मन में जिज्ञासा हुई कि राजदरबार में उन्हें आदर और सम्मान उनके ज्ञान के कारण मिलता है अथवा चरित्र के कारण? इसी जिज्ञासा के समाधान हेतु उन्होंने एक योजना बनाई। योजना को क्रियान्वित करने के लिए राजपुरोहित राजा का खजाना देखने गए। खजाना देखकर लौटते समय उन्होंने खजाने में से पाँच बहुमूल्य मोती उठाए और उन्हें अपने पास रख लिया। खजांची देखता ही रह गया। राजपुरोहित के मन में धन का लोभ हो सकता है। खजांची ने स्वप्न में भी नहीं सोचा था। उसका वह दिन उसी उधेड़बुन में बीत गया।
दूसरे दिन राजदरबार से लौटते समय राजपुरोहित पुन: खजाने की ओर मुड़े तथा उन्होंने फिर पाँच मोती उठाकर अपने पास रख लिए। अब तो खजांची के मन में राजपुरोहित के प्रति पूर्व में जो श्रद्धा थी वह क्षीण होने लगी।
तीसरे दिन जब पुन: वही घटना घटी तो उसके धैर्य का बाँध टूट गया। उसका संदेह इस विश्वास में बदल गया कि राजपुरोहित की नीयत निश्चित ही खराब हो गई है। उसने राजा को इस घटना की विस्तृत जानकारी दी। इस सूचना से राजा बहुत आहत हुआ। उनके मन में राजपुरोहित के प्रति आदरभाव की जो प्रतिमा पहले से प्रतिष्ठित थी वह चूर-चूर होकर बिखर गई।
चौथे दिन जब राजपुरोहित सभा में आए तो राजा पहले की तरह न सिंहासन से उठे और न उन्होंने राजपुरोहित का अभिवादन किया, यहाँ तक कि राजा ने उनकी ओर देखा तक नहीं। राजपुरोहित तत्काल समझ गए कि अब योजना रंग ला रही है। उन्होंने जिस उद्देश्य से मोती उठाए थे, वह उद्देश्य अब पूरा होता नजर आने लगा था। यही सोचकर राजपुरोहित चुपचाप अपने आसन पर बैठ गए। राजसभा की कार्यवाही पूरी होने के बाद जब अन्य दरबारियों की भाँति राजपुरोहित भी उठकर अपने घर जाने लगे तो राजा ने उन्हें कुछ देर रुकने का आदेश दिया। सभी सभासदों के चले जाने के बाद राजा ने उनसे पूछा- “सुना है आपने खजाने में कुछ गड़बड़ी की है।”
इस प्रश्न पर जब राजपुरोहित चुप रहे तो राजा का आक्रोश और बढ़ा। इस बार वे कुछ ऊँची आवाज में बोले -“क्या आपने खजाने से कुछ मोती उठाए हैं?”
राजपुरोहित ने मोती उठाने की बात को स्वीकार किया।
राजा का अगला प्रश्न किया- “आपने कितेने मोती उठाए और कितनी बार? वे मोती कहाँ हैं?”
राजपुरोहित ने एक पुड़िया जेब से निकाली और राजा के सामने रख दी जिसमें कुल पंद्रह मोती थे। राजा के मन में आक्रोश, दुख और आश्चर्य के भाव एक साथ उभर आए। राजा बोले – “राजपुरोहित जी आपने ऐसा गलत काम क्यों किया? क्या आपको अपने पद की गरिमा का लेशमात्र भी ध्यान नहीं रहा। ऐसा करते समय क्या आपको लज्जा नहीं आई? आपने ऐसा करके अपने जीवनभर की प्रतिष्ठा खो दी। आप कुछ तो बोलिए, आपने ऐसा क्यों किया?”
राजा की अकुलाहट और उत्सुकता देखकर राजपुरोहित ने राजा को पूरी बात विस्तार से बताई तथा प्रसन्नता प्रकट करते हुए राजा से कहा -“राजन् केवल इस बात की परीक्षा लेने हेतु कि ज्ञान और चरित्र में कौन बड़ा है, मैंने आपके खजाने से मोती उठाए थे, अब मैं निर्विकल्प हो गया हूँ। यही नहीं आज चरित्र के प्रति मेरी आस्था पहले की अपेक्षा और अधिक बढ़ गई है।”
कुछ पल ठहर कर राजपुरोहित ने आगे कहा -“आपसे और आपकी प्रजा से अभी तक मुझे जो प्यार और सम्मान मिला है वह सब ज्ञान के कारण नहीं अपितु चरित्र के ही कारण था। आपके खजाने में सबसे अधिक बहुमू्ल्य वस्तु सोना-चाँदी या हीरा-मोती नहीं बल्कि चरित्र है। अत: मैं चाहता हूँ कि आप अपने राज्य में चरित्र संपन्न लोगों को अधिकाधिक प्रोत्साहन दें ताकि चरित्र का मूल्य उत्तरोत्तर बढ़ता रहे।” कहा जाता है धन गया कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य गया तो कुछ गया। चरित्र गया तो सब कुछ गया।