*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग- मोक्ष की प्राप्ति*
*आज का पञ्चांग*
*दिनाँक:-28/01/2024, रविवार*
*तृतीया, कृष्ण पक्ष,*
*माघ*
(समाप्ति काल)
तिथि———– तृतीया 30:10:09 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र———— मघा 15:51:37
योग———- सौभाग्य 08:48:51
करण———– वणिज 16:51:27
करण——- विष्टि भद्र 30:10:09
वार———————– रविवार
माह————————- माघ
चन्द्र राशि——————- सिंह
सूर्य राशि—————– मकर
रितु———————— शिशिर
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर——————- शोभकृत
संवत्सर (उत्तर)—————- पिंगल
विक्रम संवत—————- 2080
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत—————– 1945
कलि संवत—————– 5124
सूर्योदय————— 07:09:13
सूर्यास्त————— 17:55:08
दिन काल————- 10:45:55
रात्री काल————- 13:13:39
चंद्रास्त—————- 08:48:54
चंद्रोदय—————- 20:16:36
लग्न—- मकर 13°25′ , 283°25′
सूर्य नक्षत्र—————— श्रवण
चन्द्र नक्षत्र——————- मघा
नक्षत्र पाया—————– रजत
*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
मू—- मघा 09:07:17
मे—- मघा 15:51:37
मो—- पूर्वा फाल्गुनी 22:36:48
टा—- पूर्वा फाल्गुनी 29:22:42
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= मकर 13:10, श्रवण 2 खू
चन्द्र=सिंह 09:30 , मघा 3 मू
बुध =धनु 23:53′ पू o षाo 4 ढा
शु क्र=धनु 11°05, मूल ‘ 4 भी
मंगल=धनु 23 °30 ‘ पू oषाo’ 4 ढा
गुरु=मेष 12°30 अश्विनी , 4 ला
शनि=कुम्भ 11°40 ‘ शतभिषा ,2 सा
राहू=(व) मीन 25°20 रेवती , 3 च
केतु=(व) कन्या 25°20 चित्रा , 1 पे
*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*
राहू काल 16:34 – 17:55 अशुभ
यम घंटा 12:32 – 13:53 अशुभ
गुली काल 15:14 – 16: 34अशुभ
अभिजित 12:11 – 12:54 शुभ
दूर मुहूर्त 16:29 – 17:12 अशुभ
वर्ज्यम 24:52* – 26:40* अशुभ
🚩गंड मूल 07:09 – 15:52 अशुभ
💮चोघडिया, दिन
उद्वेग 07:09 – 08:30 अशुभ
चर 08:30 – 09:51 शुभ
लाभ 09:51 – 11:11 शुभ
अमृत 11:11 – 12:32 शुभ
काल 12:32 – 13:53 अशुभ
शुभ 13:53 – 15:14 शुभ
रोग 15:14 – 16:34 अशुभ
उद्वेग 16:34 – 17:55 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
शुभ 17:55 – 19:34 शुभ
अमृत 19:34 – 21:14 शुभ
चर 21:14 – 22:53 शुभ
रोग 22:53 – 24:32* अशुभ
काल 24:32* – 26:11* अशुभ
लाभ 26:11* – 27:50* शुभ
उद्वेग 27:50* – 29:30* अशुभ
शुभ 29:30* – 31:09* शुभ
💮होरा, दिन
सूर्य 07:09 – 08:03
शुक्र 08:03 – 08:57
बुध 08:57 – 09:51
चन्द्र 09:51 – 10:45
शनि 10:45 – 11:38
बृहस्पति 11:38 – 12:32
मंगल 12:32 – 13:26
सूर्य 13:26 – 14:20
शुक्र 14:20 – 15:14
बुध 15:14 – 16:07
चन्द्र 16:07 – 17:01
शनि 17:01 – 17:55
🚩होरा, रात
बृहस्पति 17:55 – 19:01
मंगल 19:01 – 20:07
सूर्य 20:07 – 21:14
शुक्र 21:14 – 22:20
बुध 22:20 – 23:26
चन्द्र 23:26 – 24:32
शनि 24:32* – 25:38
बृहस्पति 25:38* – 26:44
मंगल 26:44* – 27:50
सूर्य 27:50* – 28:57
शुक्र 28:57* – 30:03
बुध 30:03* – 31:09
*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
मकर > 05:24 से 07:22 तक
कुम्भ > 07:22 से 08:40 तक
मीन > 08:40 से 10:10 तक
मेष > 10:10 से 11:52 तक
वृषभ > 11:52 से 13:50 तक
मिथुन > 13:50 से 16:02 तक
कर्क > 16:02 से 18:22 तक
सिंह > 18:22 से 20:34 तक
कन्या > 20:34 से 22:50 तक
तुला > 22:50 से 00:54 तक
वृश्चिक > 00:54 से 03:06 तक
धनु > 03:06 से 05:22 तक
*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
15 + 3 + 1 + 1 = 20 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
मंगल ग्रह मुखहुति
*💮 शिव वास एवं फल -:*
18 +18 + 5 = 41 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक , दुःख कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*
*संकट चतुर्थी व्रत चन्द्रोदय रात्रि 20:16*
*गौरी चतुर्थी, (तिलकुट चतुर्थी)*
*लाला लाजपत रॉय जयंती*
*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*
बुध्दिर्यस्य बलं तस्य निर्बुध्दैश्च कुतो बलम् ।
वने हस्ती मदोन्मत्तः शशकेन निपातितः ।।
।। चा o नी o।।
जिसके पास में विद्या है वह शक्तिशाली है. निर्बुद्ध पुरुष के पास क्या शक्ति हो सकती है? एक छोटा खरगोश भी चतुराई से मदमस्त हाथी को तालाब में गिरा देता है.
*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*
गीता -: कर्मयोग अo-03
अन्नाद्भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः ।,
यज्ञाद्भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्मसमुद्भवः ॥,
कर्म ब्रह्मोद्भवं विद्धि ब्रह्माक्षरसमुद्भवम् ।,
तस्मात्सर्वगतं ब्रह्म नित्यं यज्ञे प्रतिष्ठितम् ॥,
सम्पूर्ण प्राणी अन्न से उत्पन्न होते हैं, अन्न की उत्पत्ति वृष्टि से होती है, वृष्टि यज्ञ से होती है और यज्ञ विहित कर्मों से उत्पन्न होने वाला है।, कर्मसमुदाय को तू वेद से उत्पन्न और वेद को अविनाशी परमात्मा से उत्पन्न हुआ जान।, इससे सिद्ध होता है कि सर्वव्यापी परम अक्षर परमात्मा सदा ही यज्ञ में प्रतिष्ठित है॥,14-15॥,
*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐏मेष
प्रसन्नता रहेगी। व्यवसाय व कारोबार में लाभ की स्थिति रहेगी। भाइयों, जीवनसाथी से मनोनुकूल सहयोग प्राप्त होगा। कानूनी अड़चन दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। घर-परिवार में कोई मांगलिक कार्य का आयोजन हो सकता है। शत्रुभय रहेगा। विरोध हो सकता है। विवाद न करें।
🐂वृष
नौकरी में अधिकार वृद्धि हो सकती है। पूजा-पाठ में मन लगेगा। ज्ञान में वृद्धि होगी। कोर्ट व कचहरी के कार्यों में अनुकूल वातावरण बनेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। भाइयों तथा मातहतों का सहयोग मिलेगा। व्यस्तता रहेगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। प्रमाद न करें। पुराने रुके कार्यों में गति आएगी।
👫मिथुन
कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। जरूरी निर्णयों में सावधानी आवश्यक है। आय में कमी हो सकती है। नौकरी में सहकर्मियों से विवाद हो सकता है। क्रोध न करें। व्यवसाय ठीक चलेगा। पुराने मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में लापरवाही न करें। स्त्रियां घर में सावधानी रखें।
🦀कर्क
जोखिम व जमानत के कार्य बिलकुल न करें।अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेना पड़ सकता है। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। अपरिचित व्यक्ति की बातों में न आएं। कुसंगति से बचें। बेवजह विवाद हो सकता है। लोगों की अपेक्षा पर आप खरे नहीं उतर पाएंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा।
🐅सिंह
पार्टी व पिकनिक का आनंद प्राप्त हो सकता है। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। अध्ययन में मन लगेगा। मार्गदर्शन प्राप्त होगा। उत्साह में वृद्धि होगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। पारिवारिक सुख-शांति बनी रहेगी। नए-नए विचार मन में आएंगे। जल्दबाजी न करें। व्यस्तता रहेगी। धनार्जन होगा।
🙍♀️कन्या
बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। नया कार्य प्रारंभ करने की योजना बनेगी। प्रभावशाली व्यक्तियों से सहयोग व मार्गदर्शन प्राप्त होगा। सट्टे व लॉटरी से दूर रहें। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। जल्दबाजी न करें।
⚖️तुला
रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। शत्रुता में वृद्धि हो सकती है। क्रोध पर नियंत्रण रखें। भूमि व भवन संबंधी खरीद-फरोख्त की योजना बनेगी। लाभ व उन्नति के अवसर हाथ आएंगे। पार्टनरों से मतभेद दूर होंगे। जीवन सुखमय रहेगा। भाग्य का साथ मिलेगा। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे।
🦂वृश्चिक
धैर्य रखें। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। बनते काम बिगड़ सकते हैं। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। नौकरी में उच्चाधिकारी नाराज रहेंगे। काम पर अधिक ध्यान देना पड़ेगा। भागदौड़ रहेगी। आय में निश्चितता रह सकती है। किसी के व्यवहार से अपमान महसूस होगा। दु:खद समाचार मिल सकता है।
🏹धनु
आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। थकान महसूस होगी। व्यस्तता रहेगी। भाइयों का सहयोग मिलेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। काम में अधिक ध्यान दे पाएंगे। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। परिवार में अतिथियों का आगमन होगा। व्यय होगा। शुभ समाचार प्राप्त होंगे।
🐊मकर
घर-बाहर सम्मान मिलेगा। प्रयास सफल रहेंगे। कार्य की प्रशंसा होगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। शत्रु शांत रहेंगे। भाग्य का साथ मिलेगा। प्रमाद न करें। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। मित्रों का साथ रहेगा। प्रसन्नता में वृद्धि होगी।
🍯कुंभ
नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। सामाजिक कार्य करने का अवसर मिल सकता है। भाग्य का साथ मिलेगा। जोखिम उठाने का मन बनेगा। परिवार का सहयोग मिलेगा। आर्थिक नीति में सुधार व परिवर्तन हो सकता है। व्यापार व व्यवसाय में वृद्धि होगी।
🐟मीन
नए कार्य प्रारंभ करने की योजना बनेगी। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। भाग्य का साथ मिलेगा। कानूनी अड़चन आ सकती है। व्यस्तता के चलते स्वास्थ्य खराब हो सकता है। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। रुका हुआ पैसा मिलने के योग हैं। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी।
*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*
*🌹🌹*मोक्ष की प्राप्ति*🌹🌹*
*एक साधु 30 वर्ष से किसी आश्रम में रहता था। अब वह काफी वृद्ध हो चला था और मृत्यु को वह निकट महसूस कर रहा था , लेकिन संतुष्ट था कि 30 साल से उसने प्रभु का सिमरन किया है और बहुत सारा पुण्य जमा है इसलिए उसे मोक्ष मिलना तो तय ही है।*
*एक रात उसके सपने में एक स्त्री आयी। स्त्री ने साधु से कहा”अपने एक दिन के पुण्य मुझे दे दो और मेरे एक दिन के पाप तुम वरण कर लो।”*
*इतना कह कर स्त्री लोप हो गयी।साधु बहुत बेचैन हुआ कि इतने बरस तो स्त्री ख्याल में ना आयी, अब जब अंत नजदीक है तो स्त्री ख्याल में आने लगी।फिर उसने ख्याल झटक दिया,और प्रभु सुमिरन में बैठ गया।*
*स्त्री फिर से ख्याल में आयी।* *फिर से उसने कहा कि”एक दिन का पुण्य मुझे दे दो और मेरा एक दिन का पाप तुम वरण कर लो।”*
*इस बार साधु ने स्त्री को पहचानने की कोशिश की लेकिन स्त्री का चेहरा बहुत धुंधला था, साधु से पहचाना नहीं गया! साधु अब चिंतित हो उठा कि एक दिन का पुण्य लेकर यह स्त्री क्या करेगी! हो ना हो ये स्त्री कष्ट में है! लेकिन गुरु जी ने कहा हुआ है कि आपके पुण्य ही आपकी असल पूंजी है, यह किसी को कभी मत दे बैठना। और इतनी मुश्किल से पुण्यो की कमाई होती है, यह भी दे बैठे तो मोक्ष तो गया। हो ना हो ये मुझे मोक्ष से हटाने की कोई साजिश है।*
*साधू ने अपने गुरु के आगे अपनी चिंता जाहिर की।गुरु ने साधु को डांटा।मेरी शिक्षा का कोई असर नहीं तुझ पर? पुण्य किसी को नहीं देने होते। यही आपकी असली कमाई है।”*
*साधु ने गुरु जी को सत्य वचन कहा और फिर से प्रभु सुमिरन में बैठ गया।*
*स्त्री फिर ख्याल में आ गयी, बोली-तुम्हारा गुरु अपूर्ण है,इसे ज्ञान ही नहीं है, तुम तो आसक्ति छोड़ने का दम भरते हो, बीवी-बच्चे,दीन-दुनिया छोड़ कर तुम इस अभिमान में हो कि तुमने आसक्ति छोड़ दी है। तुमने और तुम्हारे गुरु ने तो आसक्ति को और जोर से पकड़ लिया है। किसी जरूरतमंद की मदद तक का चरित्र नहीं रहा तुम्हारा तो।”*
*साधु बहुत परेशान हो गया। अब कहाँ जाए!*
*संत मत कहता है कि पुण्य किसी को मत दो और धर्म कहता है कि जरूरतमंद की मदद करो। यहां तो फंस गया।गुरु भी राह नही दे रहा कोई, लेकिन स्त्री मदद मांग रही है।*
*साधु को एक युक्ति सूझी,जब कोई राह ना दिखे तो प्रभु से तार जोड़ो। प्रभु से राह जानो। प्रभु से ही पूछ लो कि उसकी रजा क्या है,उसने प्रभु से उपाय पुछा।*
*साधु ध्यान में बैठकर भगवान से बातें करने लगा।*
*साधु बोला,-“मैंने तीस साल प्रभू आपका सुमिरन किया है। तीस साल मैं भिक्षा पर रहा हूँ। कुछ संचय नही किया। त्याग को ही जीवन माना है। पत्नी बच्चे तक सब त्याग दिया।”*
*प्रभु ने कहा- “तुमने तीस बरस कोई उपयोगी काम नही किया। कोई रचनात्मक काम नही किया। दूसरों का कमाया और बनाया हुआ खाया। राम-राम, जपने से पुण्य कैसे इकठा होते है। तुम्हारे खाते में शून्य पुण्य है।”*
*साधु बहुत हैरान हुआ। लेकिन हिम्मत करके उसने प्रभु से पूछा कि “फिर वह स्त्री मुझसे पुण्य क्यो मांग रही है।”*
*प्रभु ने कहा”क्या तुम जानते हो वह स्त्री कौन है?”साधु ने कहा, “नही जानता लेकिन जानना चाहता हूं।”*
*प्रभु ने कहा- “वह तुम्हारी पत्नी है। तुम जिसे 30 वर्ष पहले पाप का संसार कह छोड़ आये थे। कुछ पता है वह क्या करती है?”*
*उसने कहा”नही प्रभु। उसके बारे में मैं कुछ नहीं जानता!”*
*प्रभु ने कहा, “तो सुनो, जब तुम घर से चुपचाप निकल आये थे तब वह कई दिन तुम्हारे इन्तजार में रोई। फिर एक दिन संचय खत्म हो गया और बच्चों की भूख ने उसे तुम्हारे गम पोंछ डालने के लिए विवश कर दिया। उसने आंसू पोंछ दिए और नौकरी के लिए जगह-जगह घूमती भटकती रही।वह इतनी पढ़ी लिखी नही थी। तुम बहुत बीच राह उसे छोड़ गए थे । उसे काम मिल नही रहा था इसलिए उसने एक कुष्ठ आश्रम में नौकरी कर ली। वह हर रोज खुद को बीमारी से बचाती उन लोगो की सेवा करती रही जिन्हे लोग वहां त्याग जाते हैँ।*
*प्रभु ने आगे कहा”अब वह बेचैन है तुम्हे लेकर। उसे बहुत दिनों से आभास होंने लगा है कि उसका पति मरने वाला है। वह यही चाहती है कि उसके पति को मोक्ष मिले जिसके लिए वह घर से गया है। उसने बारंबार प्रभु को अर्जी लगाई है की प्रभु मुझ पापिन की जिंदगी काम आ जाये तो ले लो। उन्हें मोक्ष जरूर देना।*
*मैंने कहा उसे कि अपना एक दिन उसे दे दो। कहती है मेरे खाते में पुण्य कहाँ, होते तो मैं एक पल ना लगाती। सारे पुण्य उन्हें दे देती।*
*तुम्हारी पत्नी के पास अथाह पुण्य जमा हैं। पुण्य सुमिरन से नहीं आता। पुण्य तो अपनी जिम्मेदारियों को अच्छे से निभाने से और समाज की सेवा करने से जमा होता है। ना कि एक स्थान पर बैठकर केवल सिमरन करने से।*
*”वह औरत अपने पुण्य तुम्हे दे रही थी और तुम ना जाने कौन से हिसाब किताब में पड़ गए। तुम तो साधु भी ठीक से नहीं बन पाए। तुमने कभी नहीं सोचा कि पत्नी और बच्चे कैसे होंगे।लेकिन पत्नी आज भी बेचैन है,कि तुम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सको।*
*साधू के बदन पर पसीने की बूंदे बहने लगी,सांस तेज होने लगी,उसने ऊँची आवाज में चीख लगाई”यशोदा।*
*साधु हड़बड़ा कर उठ बैठा,उसके माथे पर पसीना बह रहा था।उसने बाहर झाँक कर देखा,सुबह होने को थी।उसने जल्दी से अपना झोला बाँधा और गुरु जी के सामने जा खड़ा हुआ।गुरु जी ने पूछा “आज इतने जल्दी भिक्षा पर?”*
*साधु बोला- “घर जा रहा हूँ।”*
*गुरु जी बोले- “अब घर क्या करने जा रहे हो?”*
*साधु बोला- “धर्म सीखने”*
*क्या सच में, घर परिवार बीवी और अपने बच्चो को छोड़कर साधु बन जाने से और सुमिरन करने से मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। विचार करने योग्य बात है।*