उत्तराखंडऋषिकेश

*ऋषिकेश -रामानंद संप्रदाय के प्रवर्तक जगद्गुरु रामानंदाचार्य जी की 724वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई*

देवभूमि जेके न्यूज ऋषिकेश 2 फरवरी 2024- ऋषिकेश मायाकुंड स्थित श्रीरामानंद आश्रम में आज ७२४वीं जयंती
धूमधाम से मनाई गई। श्रीरामानंद जयंती के अवसर पर अनेकों धार्मिक आयोजन किए गए। इसी कड़ी में एक विशाल शोभा यात्रा का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न प्रकार की झांकियां ,संस्कृत विद्यालय के विद्यार्थियों ने वैदिक मंत्रोचार का उच्चारण करते हुए बैंड बाजों के साथ संतो महंतों ने मायाकुंड मार्ग से होते हुए मुखर्जी मार्ग, लाजपत राय रोड, हरिद्वार रोड ,तिलक मार्ग, रेलवे रोड होते हुए लक्ष्मण झूला मार्ग पुराना टिहरी अड्डा रोड होते हुए रामानंद आश्रम में संपन्न हुआ। जहां विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। ऋषिकेश शहर में शोभायात्रा के दौरान जगह-जगह लोगों ने पुष्पों की वर्षा की एवं मिष्ठान वितरण किया। शोभायात्रा में सभी संतो विद्यार्थियों को चाय की व्यवस्था फलों की व्यवस्था थी । नगर को तोरण द्वार से सजाया गया था। दूरदराज से आए भक्तों एवं स्थानीय लोगों , जनप्रतिनिधियों ने प्रसाद ग्रहण किया।

आपको बता दें कि भारत के प्रमुख संतों में रामानंद संप्रदाय के प्रवर्तक जगद्गुरु रामानंदाचार्य की जयंती शुक्रवार २फरवरी को मनाई जातीं हैं । 14वीं सदी के वैष्णव भक्ति के कवि संत और संत रामानंद का जन्म माघ मास की सप्तमी तिथि पर कान्यकुब्ज ब्राह्मण के कुल में हुआ था।

रामानंद रामानुजाचार्य के विशिष्टाद्वैत दर्शन के अनुयायी थे। रामानंद की शिक्षाएँ रामानुजाचार्य के समान थीं। वे हिन्दी में पढ़ाते थे। उन्होंने जाति व्यवस्था की निंदा की और हर जाति के लोगों को अपने संप्रदाय में शामिल होने की अनुमति दी।

उनका कहना था कि हरि को भजै सो हरि का होई। –

स्वामी रामानंदाचार्य वैष्णव भक्तिधारा के महान संत हैं। रामानंद अर्थात रामानंदाचार्य ने हिन्दू धर्म को संगठित और व्यवस्थित करने के अथक प्रयास किए। उन्होंने वैष्णव संप्रदाय को पुनर्गठित किया तथा वैष्णव साधुओं को उनका आत्मसम्मान दिलाया। सोचें जिनके शिष्य संत कबीर और रविदास जैसे संत रहे हों तो वे कितने महान रहे होंगे।

बादशाह गयासुद्दीन तुगलक ने हिन्दू जनता और साधुओं पर हर तरह की पाबंदी लगा रखी थी। हिन्दुओं पर बेवजह के कई नियम तथा बंधन थोपे जाते थे। इन सबसे छुटकारा दिलाने के लिए रामानंद ने बादशाह को योगबल के माध्यम से मजबूर कर दिया। अंतत: बादशाह ने हिंदुओं पर अत्याचार करना बंद कर उन्हें अपने धार्मिक उत्सवों को मनाने तथा हिन्दू तरीके से रहने की छूट दे दी।

आज के कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री राम पीठाधीश्वर ब्रह्मपुरी के महामंडलेश्वर स्वामी दयाराम दास जी महाराज के द्वारा किया गया ।मुख्य वक्ता के रूप में एवं संचालन देसीगौ रक्षाशाला के संस्थापक अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी ईश्वर दास जी महाराज के द्वारा किया गया। इस अवसर पर रामानंद आश्रम में प्रमुख रूप से महामंडलेश्वर वृंदावन पुजारी जी महाराज , डॉक्टर नारायण दास जी महाराज,अयोध्या दास रामायणी, महंत धर्मानंद जी महाराज,नि.महापौर अनिता ममगाईं,सुरेश दास, महंत प्रकाशानंद जी, महंत छोटन दास जी, महंत सरदार सुखबीर सिंह, महंत आनंद दास, कोतवाल मोनी बाबा, महंत परमानंद जी महाराज, पूर्णानंद गिरी, स्वामी अखंडानंद गिरी जी महाराज, प्रमोद दास जी महाराज, शंकर दास जी महाराज,रवि शास्त्री , रवि कौशल,विरक्त वैष्णो मंडल के तमाम संत सहित राम कृपाल गौतम, राम चौबे, अभिषेक शर्मा, राघव भटनागर, जनार्दन कैरवान ,पुजारी सर्वेश्वर दास जी, पुजारी महावीर दास जी महाराज उपस्थित थे ।

Devbhumi jknews

जीवन में हमेशा सच बोलिए, ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *