धर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग- मनुष्य के छः शत्रु:–*


*आज का पञ्चांग*

*दिनांक : 04/02/2024, रविवार*
*नवमी, कृष्ण पक्ष,*
*माघ*
(समाप्ति काल)
तिथि——–नवमी 17:49:10 तक
पक्ष————————–कृष्ण
नक्षत्र———-विशाखा 07:19:42
योग—————वृद्वि 12:10:59
करण—————गर 17:49:10
करण————वणिज 29:43:32
वार————————-रविवार
माह—————————माघ
चन्द्र राशि——————-वृश्चिक
सूर्य राशि———————मकर
रितु————————-शिशिर
आयन——————–उत्तरायण
संवत्सर——————-शोभकृत
संवत्सर (उत्तर)—————–पिंगल
विक्रम संवत—————-2080
गुजराती संवत————–2080
शक संवत—————–1945
कलि संवत—————–5124
सूर्योदय—————-07:05:46
सूर्यास्त—————-18:00:40
दिन काल————-10:54:54
रात्री काल————-13:04:30
चंद्रास्त—————- 12:19:45
चंद्रोदय—————- 26:40:54
लग्न—- मकर 20°31′ , 290°31′
सूर्य नक्षत्र—————— श्रवण
चन्द्र नक्षत्र—————- विशाखा
नक्षत्र पाया——————-रजत

*🚩💮शुभा$शुभ मुहूर्त💮🚩*

राहू काल 16:39 – 18:01 अशुभ
यम घंटा 12:33 – 13:55 अशुभ
गुली काल 15:17 – 16: 39अशुभ
अभिजित 12:11 – 12:55 शुभ
दूर मुहूर्त 16:33 – 17:17 अशुभ
वर्ज्यम 11:29 – 13:08 अशुभ

*💮दिशा शूल ज्ञान———-पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*🚩💮 पद, चरण 💮🚩*

तो—- विशाखा 07:19:42

ना—- अनुराधा 13:32:54

नी—- अनुराधा 19:42:53

नू—-अनुराधा 25:49:36

*🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩*

ग्रह =राशी, अंश, नक्षत्र, पद
======================
सूर्य= मकर 20:10, श्रवण 4 खो
चन्द्र= वृश्चिक 03:30, विशाखा 4 तो
बुध= मकर 04:53′ उo षo 3 जा
शुक्र= धनु 20°05, पूo षाo’ 3 फा
मंगल= धनु 28°30′ उo षाo’ 1 भे
गुरु= मेष 13°30 भरणी, 1 ली
शनि= कुम्भ 12°20′ शतभिषा, 2 सा
राहू= (व) मीन 24°58 रेवती, 3 च
केतु= (व) कन्या 24°58 चित्रा, 1 पे

💮चोघडिया, दिन
उद्वेग 07:06 – 08:28 अशुभ
चर 08:28 – 09:49 शुभ
लाभ 09:49 – 11:11 शुभ
अमृत 11:11 – 12:33 शुभ
काल 12:33 – 13:55 अशुभ
शुभ 13:55 – 15:17 शुभ
रोग 15:17 – 16:39 अशुभ
उद्वेग 16:39 – 18:01 अशुभ

🚩चोघडिया, रात
शुभ 18:01 – 19:39 शुभ
अमृत 19:39 – 21:17 शुभ
चर 21:17 – 22:55 शुभ
रोग 22:55 – 24:33* अशुभ
काल 24:33* – 26:11* अशुभ
लाभ 26:11* – 27:49* शुभ
उद्वेग 27:49* – 29:27* अशुभ
शुभ 29:27* – 31:05* शुभ
 
*नोट :-* दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
*चर* में वाहन,मशीन आदि कार्य करें।
*उद्वेग* में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें।
*शुभ* में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें।
*लाभ* में व्यापार करें।
*रोग* में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें।
*काल* में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है।
*अमृत* में सभी शुभ कार्य करें।
 
💮होरा, दिन
सूर्य 07:06 – 08:00
शुक्र 08:00 – 08:55
बुध 08:55 – 09:49
चन्द्र 09:49 – 10:44
शनि 10:44 – 11:39
बृहस्पति 11:39 – 12:33
मंगल 12:33 – 13:28
सूर्य 13:28 – 14:22
शुक्र 14:22 – 15:17
बुध 15:17 – 16:12
चन्द्र 16:12 – 17:06
शनि 17:06 – 18:01

🚩होरा, रात
बृहस्पति 18:01 – 19:06
मंगल 19:06 – 20:11
सूर्य 20:11 – 21:17
शुक्र 21:17 – 22:22
बुध 22:22 – 23:28
चन्द्र 23:28 – 24:33
शनि 24:33* – 25:38
बृहस्पति 25:38* – 26:44
मंगल 26:44* – 27:49
सूर्य 27:49* – 28:54
शुक्र 28:54* – 29:59
बुध 29:59* – 31:05

*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*

मकर > 04:56 से 06:54 तक
कुम्भ > 06:54 से 08:12 तक
मीन > 08:12 से 09:42 तक
मेष > 09:42 से 11:24 तक
वृषभ > 11:24 से 13:22 तक
मिथुन > 13:22 से 15:34 तक
कर्क > 15:34 से 17:54 तक
सिंह > 17:54 से 20:06 तक
कन्या > 20:06 से 22:22 तक
तुला > 22:22 से 00:26 तक
वृश्चिक > 00:26 से 02:38 तक
धनु > 02:38 से 04:50 तक

*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

15 + 9 + 1 + 1 = 26 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान🚩*

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

राहु ग्रह मुखहुति

*💮 शिव वास एवं फल -:*

24 + 24 + 5 = 53 ÷ 7 = 4 शेष

सभायां = संताप कारक

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

रात्रि 29:37 से प्रारम्भ

स्वर्ग लोक = शुभ कारक

*💮🚩 विशेष जानकारी🚩💮*

*प्रथम रविवार*

*🚩💮 शुभ विचार 💮🚩*

हस्ती स्थूलतनुः सचांकुशवशः कि हस्तिमात्रेकुंशः ।
दीपे प्रज्वलिते प्रणश्यति तमः किं दीपमात्रं तमः ।।
वज्रेणापि हताः पतन्ति गिरयः किं वज्रमात्रन्नगाः ।
तेजो यस्य विराजते स बलवान्स्थूलेषुकः प्रत्ययः ।।
।। चा o नी o।।

हाथी का शरीर कितना विशाल है लेकिन एक छोटे से अंकुश से नियंत्रित हो जाता है.
एक दिया घने अन्धकार का नाश करता है, क्या अँधेरे से दिया बड़ा है.
एक कड़कती हुई बिजली एक पहाड़ को तोड़ देती है, क्या बिजली पहाड़ जितनी विशाल है.
जी नहीं. बिलकुल नहीं. वही बड़ा है जिसकी शक्ति छा जाती है. इससे कोई फरक नहीं पड़ता की आकार कितना है.

*🚩💮 सुभाषितानि 💮🚩*

गीता -: कर्मयोग अo-03

न मे पार्थास्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किंचन ।,
नानवाप्तमवाप्तव्यं वर्त एव च कर्मणि ॥,

हे अर्जुन! मुझे इन तीनों लोकों में न तो कुछ कर्तव्य है और न कोई भी प्राप्त करने योग्य वस्तु अप्राप्त है, तो भी मैं कर्म में ही बरतता हूँ॥,22॥,

*💮🚩दैनिक राशिफल🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
महत्वपूर्ण कार्यसिद्धि हो सकती है। मनोरंजक यात्रा होगी। निवेश व नौकरी मनोनुकूल रहेंगे। प्रमाद न करें। व्यावसायिक स्थिति में सुधार संभव है। कामकाज में मन लगेगा। निजी कार्यों में सावधानी, सतर्कता रखें। रुका पैसा प्राप्त होगा।

🐂वृष
धैर्य रखें। आय से अधिक व्यय से आर्थिक तंगी आने की आशंका है। साधारण मतभेद, चिड़चिड़ाहट रह सकती है। दूसरों के कहने में नहीं रहें। व्यापार मध्यम रहेगा। कुसंगति से बचें। यात्रादि में जोखिम न लें। लेन-देन में सावधानी रखें। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा।

👫मिथुन
प्रसन्नता में वृद्धि होगी। लाभ होगा। दूसरों के व्यवहार से लाभ होगा। पूर्व नियोजित योजनाओं का क्रियान्वयन संभव है। रुके कार्यों की चर्चा होगी। संतान के कामों से सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। प्रयास सफल रहेंगे। मान-सम्मान मिलेगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी।

🦀कर्क
शुभ समाचार प्राप्त होंगे। बेचैनी रहेगी। मान बढ़ेगा। अतिथियों का आवागमन रहेगा। झंझटों में न पड़ें। सहयोग, मार्गदर्शन नहीं मिल पाएगा। अर्थ संबंधी विवाद हो सकते हैं। संतान की चिंता रहेगी। सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेना होगा। पारिवारिक कामकाज स्थगित रहेंगे।

🐅सिंह
उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। रोजगार में अपने कार्य को महत्व देंगे। महत्वपूर्ण काम समय पर पूरे हो पाएँगे। नए कार्यों की योजना बनेगी। आशानुरूप लाभ होने के योग हैं। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। भूमि व भवन आदि की खरीद-फरोख्त संभव है।

🙍‍♀️कन्या
व्यावसायि‍क यात्रा सफल रहेगी। बकाया वसूली होगी। धनार्जन होगा। चोट व रोग से बचें। व्यवसाय ठीक चलेगा। मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा के अवसर आएँगे। आमदनी में सुधार होगा। व्यापारिक स्थायित्व बढ़ेगा। मांगलिक उत्सवों में भाग लेंगे।

⚖️तुला
रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। निवेशादि लाभप्रद रहेंगे। परिवार के सदस्यों की तरक्की होगी। आमदनी से अधिक व्यय न करें। अपने कामों के प्रति सजगता रखना आवश्यक है। चोट व रोग से बचें। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा।

🦂वृश्चिक
भागदौड़ रहेगी। कामकाज की अधिकता से तनाव बढ़ेगा। व्यावहारिक परेशानियाँ रहेंगी। छोटी-बड़ी तात्कालिक समस्याएँ विचलित रखेंगी। व्यापारिक असंतोष रहेगा। शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है। दु:खद समाचार मिल सकता है। विवाद को बढ़ावा न दें।

🏹धनु
प्रभावशाली व्यक्ति सहायता करेंगे। धनार्जन होगा। मानसिक-वैचारिक श्रेष्ठता रहेगी। यात्रा मनोरंजक रहेगी। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। आर्थिक स्थितियाँ विशेष लाभप्रद बन पाएँगी। दांपत्य जीवन संतोषप्रद रहेगा। व्यर्थ लोभ-लालच नहीं रखें।

🐊मकर
सोच-विचार के अनुरूप स्थितियाँ रह पाएँगी। व्यावसायिक प्रयास सफल होने के आसार हैं। परिवार में धार्मिक, मांगलिक कार्य हो सकते हैं। जल्दबाजी न करें। विवाद से बचें। पुराना रोग उभर सकता है। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में लापरवाही न करें।

🍯कुंभ
महत्वपूर्ण व्यक्तियों से मेलजोल बढ़ेगा। प्रसन्नता रहेगी। संतान पक्ष की चिंता रहेगी। समस्याओं का हल ढूँढ सकेंगे। कर्ज लेने की प्रवृत्ति का त्याग करें। जीवनसाथी के स्वास्थ्य में सुधार होगा। तीर्थदर्शन हो सकता है। क्रोध-चिड़चिड़ाहट से कार्य नहीं करें।

🐟मीन
कार्यप्रणाली में सुधार होगा। नई योजना बनेगी। मान-सम्मान मिलेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रमाद न करें। जीवनसाथी को सम्मान मिलने से मन प्रसन्न रहेगा। जोखिम के कामों से दूर रहें। नौकरी में ऐच्छिक स्थानांतरण, पदोन्नति के योग हैं। अध्ययन में रुचि बढ़ेगी।

*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*

*मनुष्य के छः शत्रु:–*

          मानवों को कर्म करने में जानवरों से कहीं अधिक स्वतन्त्रता है । यही नहीं उनके मानसिक भावों के भी इन्द्रधनुष जैसे अनगिनत रंग होते हैं । इतनी सारी भावनाएं पशुओं में नहीं पाई जातीं । इस स्वतन्त्रता के कारण ही मनुष्यों में सुख-दुःख भी विशेष रूप से चित्रित होते हैं । दुःखों से बचने के लिए, परमात्मा ने वेदद्वारा धर्म का निरूपण किया । तथापि हमारे कुछ मानसिक शत्रु हमें धर्म का निर्वहन करने में बाधित करते हैं । इस लेख में इन पर विजय पाने का एक उपाय दिया गया है ।

शास्त्रों में मनुष्य के षड् रिपु बताए गए है – काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद और मात्सर्य । ये इस प्रकार हैं –

काम – सब प्रकार की इच्छाएं । जब ये इच्छाएं हम पर हावी हो जाती हैं, तब हम उनकी पूर्ति के लिए हत्या आदि भयंकर कृत्य करने में भी नहीं झिझकते ।

क्रोध – क्रोध के वश में तो हम सभी जानते हैं कि हम प्रायः ऐसे कृत्य कर डालते हैं जिनपर हमें बाद में पछतावा होता है ।

लोभ – काम की जब पराकाष्ठा हो जाती है, तब हम दूसरे की वस्तु का लोभ करने लगते हैं । इससे स्तेय (चोरी) आदि अनेकों पाप करते हैं ।

मोह – जहां एक ओर मोह वस्तुओं, परिजनों, आदि, से लगाव होता है, वहीं इसका विस्तृत अर्थ है सत्य न जानना । जिस प्रकार हम मृगतृष्णा में कुछ को कुछ देखते हैं, वैसे ही मोह के कारण हम अपने को अपना शरीर मानते हैं और शरीर की आवश्यकताओं को पूर्ण करने में जीवन लगा देते हैं; अपने माता-पिता, सन्तान, आदि को अपना मानकर उनके सुख में सुखी और उनके दुःख में दुःखी होते हैं, आदि, आदि । वस्तुतः, अन्य सभी भावों के मूल में मोह या अविद्या ही होती है ।

मद – अभिमान करना मद है । इसके कारण हम क्रोध और मात्सर्य में अनेकों बार फंस जाते हैं ।

मात्सर्य – लोभ से उत्पन्न यह भाव, हमारी इष्ट वस्तु/सुख को दूसरे को पाते हुए देखकर, दूसरे के सुख में दुःखी होना है ।

इस प्रकार हम देखते हैं कि ये सभी मानसिक विकार एक दूसरे से ही उत्पन्न होते हैं, एक-दूसरे से सम्बद्ध हैं ।
     
गीता कहती है –

“ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते ।
सङ्गात् सञ्जायते कामः कामात् क्रोधोऽभिजायते ॥
क्रोधोद्भवति सम्मोहः सम्मोहात् स्मृतिविभ्रमः ।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात् प्रणश्यति ॥”

           ( गीता २।६२-६३)

अर्थात् विषयों के बारे में सोचते-सोचते मनुष्य का उनमें लगाव उत्पन्न हो जाता है । उस लगाव से काम, काम से क्रोध, क्रोध से सम्मोह (=मोह), सम्मोह से स्मृति का नाश, स्मृतिनाश से ज्ञान का नाश और ज्ञान के नाश से वह आत्मा स्वयं नष्ट हो जाती है, अर्थात् अधर्म में फंस जाती है

Devbhumi jknews

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