धर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग- मुंडमाल*


*आज का पञ्चांग*

*दिनाँक:-10/03/2024,रविवार*
*अमावस्या, कृष्ण पक्ष*
*फाल्गुन*

तिथि——————–अमावस्या 14:29:21,तक
पक्ष—————————कृष्ण पक्ष
नक्षत्र———–पूर्वभाद्रपदा 25:54:00*
योग——————–साध्य 16:12:08
करण——————- नाग 14:29:21
करण————- किन्स्तुघ्न 24:35:52*
वार—————————– रविवार
माह————————फाल्गुन मास
चन्द्र राशि—————कुम्भ 20:38:52
चन्द्र राशि—————-मीन 20:38:52
सूर्य राशि———————-कुम्भ राशि
रितु——————————–वसंत
आयन————————-उत्तरायण
संवत्सर————————-शोभकृत
संवत्सर (उत्तर) ————————पिंग
विक्रम संवत——————— 2080
शक संवत————————1945
कलि संवत———————- 5124
सूर्योदय———————-06:24:38
सूर्यास्त———————-18:19:10
दिन काल——————–11:54:32
रात्री काल——————–12:04:41
चंद्रास्त———————–18:27:31
चंद्रोदय———————30:36:18*
लग्न———–कुम्भ 25°45′ , 325°45′
सूर्य नक्षत्र——————–पूर्वभाद्रपदा
चन्द्र नक्षत्र——————-पूर्वभाद्रपदा
नक्षत्र पाया————————–ताम्र

*शुभ अशुभ मुहूर्त*
राहुकाल शाम 04:55 – 06:22
यमगण्ड 12:31 – 13:59
गुलिक काल 15:27 – 16:55
अभिजित 11:45 -12:30*
दूरमुहूर्त 19:58 – 20:00

*पद, चरण*
से————— पूर्वभाद्रपदा 10:09:34
सो—————पूर्वभाद्रपदा 15:24:06
दा—————-पूर्वभाद्रपदा 20:38:52
दी————–पूर्वभाद्रपदा 25:54:00*

*दिशा शूल ज्ञान———-पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है.
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*चौघड़िया दिन*
उद्वेग 06:40 – 08:07 अशुभ
चर 08:07 – 09:34 शुभ*
लाभ 09:34 – 11:02 शुभ*
अमृत 11:02 – 12:30 शुभ*
काल 12:30 -01:54 अशुभ
शुभ 01:54 – 03:26 शुभ*
रोग 03:26 – 04:54 अशुभ
उद्वेग 04:54 – 06:22 अशुभ

*चौघड़िया रात*
शुभ 06:22 – 07:54 शुभ*
अमृत 07:54 – 09:26 शुभ*
चर 09:26 – 10:58 शुभ*
रोग 10:58 – 12:30 अशुभ
काल 12:30 – 02:02 अशुभ
लाभ 02:02 -03:34 शुभ*
उद्वेग 03:34 – 05:06 अशुभ
शुभ 05:06 – 06:38 शुभ*

*होरा दिन*
सूर्य 06:40 – 07:40
शुक्र 07:40 – 08:40
बुध 08:40 – 09:40
चन्द्र 09:40 – 10:40
शनि 10:40 – 11:40
गुरु 11:40 – 12:40
मंगल 12:40 – 13:40
सूर्य 13:40 – 14:40
शुक्र 14:40 – 15:40
बुध 15:40 – 16:40
चन्द्र 16:40 – 17:40
शनि 17:40 – 18:40

*होरा रात*
गुरु 18:40 – 19:40
मंगल 19:40 – 20:40
सूर्य 20:40 – 21:40
शुक्र 21:40 – 22:40
बुध 22:40 – 23:40
चन्द्र 23:40 – 24:40
शनि 24:40 – 01:40
गुरु 01:40 – 02:40
मंगल 02:40 – 03:40
सूर्य 03:40 – 04:40
शुक्र 04:40 – 05:40
बुध 05:40 – 06:38

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है.
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें लाभ में व्यापार करें
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें.
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है.
अमृत में सभी शुभ कार्य करें.

*💮🚩विशेष जानकारी🚩💮*

*देव पितृ अमावस्या*

*बुध उदय*

*💮🚩दैनिक राशिफल🚩💮*

मेष राशि
आज का दिन शुभ है और लाभदायक भी है व्यापार में तेजी रहेगी लाभ समय पर मिल जायेगा आर्थिक स्थिति में तेजी से सुधार आएगा नए काम के लिए आपको आज मित्रो की मदद मिल जाएगी और अगर कही कोई व्यापारिक सौदा करने का मौका मिलता है तो जरुर करे.

वृषभ राशि
आज का दिन आपके लिए अच्छा ही रहने वाला है आपकी सफलता का सिलसिला अब और भी आगे बढेगा काफी उतार चढ़ाव देखने के बाद अब अच्छा समय आया है कर्म करने पर ध्यान दे बेकार की बातो से दूर रहे.

मिथुन राशि
आज का दिन बहुत ही अच्छा है अब आपके संकट के दिन टलने शुरू हो गए है बस थोडा सा प्रयास करे आगे आय के भी रस्ते खुलेगे और लाभ का मार्ग भी प्रशस्त होगा सभी अपनों को साथ लेकर चलने में ही आपका हित रहने वाला है.

कर्क राशि
आपके लिए समय थोडा प्रतिकूल चल रहा है इसलिए अभी इस समय में जो चल रहा है उस पर ही ध्यान केन्द्रित करे किसी से बहस करना ठीक नहीं होगा धनलाभ होगा सावधानी से काम करे नहीं तो अपनी ही गलती से कोई काम बिगड़ सकता है.

सिंह राशि
समय पक्ष का चल रहा है इसलिए आज का दिन भी अच्छा बीतेगा जीवनसाथी से भी मधुर सम्बन्ध स्थपित करने में कामयाबी मिल जाएगी लेकिन आगे के लिए अभी से नहीं सोचा तो फिर परिवार में कुछ अशांति भी बढ़ सकती है

कन्या राशि
आज दिन अभी ठीक है और काम पर ध्यान देना ही लाभकारी सिद्ध होगा अपने नाम का उपयोग हर जगह करना ठीक नहीं रहेगा आप किसी भी अनजान व्यक्ति से व्यवहार सोच समझकर करे अब आपकी लोकप्रियता समाज आदि में बढ़ेगी.

तुला राशि
आज का समय अच्छा है और जो करना है वो करे सफलता मिलेगी आज कोई बहुप्रतीक्षित काम बन जाने की ख़ुशी मिल सकती है संतान से भी कुछ शुभ समाचार मिलेगे यात्रा के योग बने है तो आप यात्रा पर भी जाना चाहे तो जाए.

वृश्चिक राशि
अभी समय विपरीत चल रहा है आपको किसी के साथ उलझना नहीं है आपके ऊपर झूठा इल्झाम लग सकता है और कोई आपका भारी अपमान भी कर सकता है आप कोई नया काम और बड़ा सौदा करने से भी बचे हानि के योग चल रहे है.

धनु राशि
आज का दिन आपके लिए अच्छा है आप किसी नए काम में अपने आप को व्यस्त ही पायेगे लाभ का समय चल रहा है इसलिए अब आप मित्रो की मदद से काम करके लाभ पा सकते है परिवार में खुशियों का संचार होता रहेगा धन भी मिलेगा.

मकर राशि
आज का दिन शुभ है धनदायक दिन है परिवार में खुशियों का माहोल बना रहेगा कुछ कलेश आदि हो तो आज थोड़े से प्रयास से निपटाया जा सकता है आज घरेलु छोटे छोटे कामो में इंटरेस्ट लेगे और सजावट आदि में सहयोग करेगे.

कुम्भ राशि
आज का दिन सर्वोतम दिन है जिस किसी काम में हाथ डालोगे उसमे सफलता और सिद्धि अवस्य मिलेगी राशी का चंद्रमा आपके लिए शानदार फल प्रदान कर रहा है यात्रा करने का मौका मिलेगा और यात्रा सफल रहेगी.

मीन राशि
आज आपके लिए विशेष अच्छा नहीं है आपके मन मस्तिष्क में उलटे सीधे विचार आयेगे ओर बैचेनी बढ़ी हुई रहेगी इसलिए आज किसी काम में उतावली न करे खर्च को पूरा करने की समस्या बड़ी परेशान करने वाली हो सकती है आज मन शांत रखे और अशांत होने से खुद भी बचे.

*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*

*मुंडमाल*

“यह झील देखती हो प्रिये? क्या है ये झील??”

हिमालय की एक झील के किनारे आज शिव का आसन स्थापित हुआ था। पार्वती के दीर्घ नेत्र प्रिय के गंभीर मुख की ओर प्रश्नवाचक मुद्रा में उठे।

“जल की उर्मियां माया हैं, जल की आर्द्रता माया है और जलबिंदु का अस्तित्व भी माया है…पर मूलतत्व तो जल है…जानो वही ब्रह्म है, वही आत्म है और ब्रह्म – आत्म का एक्य ही सत्य है…और जो सत्य है प्रिये, वही सत -चित -आनंद है, सच्चिदानंद है।”

शिव पार्वती को कथाएं कहते थे…कभी शास्त्र…कभी छंद…कभी संगीत…कभी वैद्यक…कभी इतिहास, कभी भविष्य…कभी तंत्र…कभी योग…

जब शिव कुछ कहते थे तो समय स्थिर हो जाता था।

पता नहीं क्यों पार्वती को ऐसा क्यों लगता था कि जैसे ये सब कुछ सहस्त्रों बार शिव उनसे कह चुके हैं लेकिन वो एक और बार सुनना चाहती थीं।

सहसा महादेव ने गले में की मुंड माला को स्पर्श किया।

पार्वती ने देखा कि यह स्पर्श कोई अनायास स्पर्श नहीं था।

यह तो जैसे किसी विरही प्रेमी ने युगों बाद अपनी प्रेयसी के ऊष्ण गालों को छुआ था।

उन्होंने देखा कि मुंड एक – दो नहीं थे। वे अनायास ही गिनने लगीं। मुंड पूरे एक सौ सात थे।

पार्वती कौतूहल में डूब गईं।

“प्रभु! ये मुंड किसके हैं और आप इन्हें क्यों धारण किए हुए हैं?”

शिव कुछ ना बोले और उनके सजीव नेत्र कुछ झुक गए। उन्होंने कोई उत्तर नही दिया।

“प्रभु! कृपा कर बताइए कि ये किसके मुंड हैं?”

“पार्वती, यह ना पूछो प्रिये।” शिव की आंखों में अथाह दुःख का सागर लहराया।

देवी आश्चर्यचकित हो गईं।

निर्विकार में विकार? साक्षात आनंदकंद प्रभु को ऐसा दुख??

“प्रभु, कृपया बताइए…यदि दुख हो तो भी बताइए। संगिनी के साथ दुःख का प्रसाद ना बाटेंगे तो सुख का भोग कैसे स्वादु लगेगा?”

शिव ने दीर्घ उच्छवास लिया…..

“देवि! ऐसा कोई समय नहीं था जब मैं नहीं था…ऐसा भी कोई समय ना था जब तुम नही थीं। हर कल्प में मैं तुम्हे ढूंढता हूँ और फिर तुम्हें पा जाता हूँ।”

शिव की आँखें क्षितिज की अनंत गहराई में डूब सी गईं।

“जब आकाश था, तब तुम्हे प्राण रूप में पाया। जब शून्य था, तब तुम ऊर्जा रूप में मिलीं। जब मैं जगत हुआ तो तुम माया बनीं।”

“समाधि अवस्था से उतर जब मैं स्वेच्छा से गोचर होता हूं, तो तुम मेरी संगिनी बनती हो। अनंत कल्पों से यही क्रम चला आ रहा है।”

“फिर एक दिन ऐसा आता है जब तुम्हें विदा होना होता है तब ये शिव शव सा हो जाता है और तुम्हारे विछोह के दुख में ब्रह्माण्ड और समय की धारा में डूबता उतराता है।”

“पर प्रभु ये मुंड किसके हैं?” पार्वती की आँखों में अभी अबूझ भाव था।

“जब भी तुम विलग होती हो तो तुहारी मायास्वरूप देह के प्रतीक, तुम्हारे स्थूल अस्तित्व का अवशेष, तुम्हारा मुंड मैं धारण कर लेता हूँ।”

शिव की आँखें भर आईं।

हे गौरी! हे सौम्या!! ये सब मुंड तुम्हारे ही हैं और मैं विमुक्त होकर भी स्वेच्छा से तुम्हारे प्रेम में बद्ध होकर इन्हे अपनी देह से लगा कर रखता आया हूँ, युगों-युगों से।”

पार्वती भगवान का प्रेम सुनकर भाव समाधि में चली गई।
शक्ति अपने मूल रूप में आकर शिव में समा गई……

……फिर से एक और जन्म लेने के लिए।

शिव की आँखों से उष्ण अश्रु छलक पड़े और झील के जल में मिल गए।

झील ने उन अश्रुमणियों की उष्णता को प्रसाद रूप में पाया और वह झील ‘मणिमहेश’ के रूप में जग में जानी जाने लगी।

शिव पुनः समाधिस्थ हो गए।

उनके मुंडमाल में अब 108 कपाल थे।

Devbhumi jknews

जीवन में हमेशा सच बोलिए, ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *