धर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग- पत्ते से सीख*

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*आज का पञ्चांग*

*दिनाँक:-26/03/2024, मंगलवार*
*प्रतिपदा, कृष्ण पक्ष,*
*चैत्र मास*
(समाप्ति काल)

तिथि———- प्रतिपदा 14:55:02 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र————- हस्त 13:32:31
योग————- ध्रुव 22:16:33
करण———– कौलव 14:55:02
करण———– तैतुल 28:02:41
वार——————— मंगलवार
माह————————– चैत्र
चन्द्र राशि—– कन्या 26:55:37
चन्द्र राशि——————– तुला
सूर्य राशि——————- मीन
रितु————————- वसंत
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर—————— शोभकृत
संवत्सर (उत्तर)—————– पिंगल
विक्रम संवत—————- 2080
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत—————– 1945
कलि संवत—————– 5124
सूर्योदय————— 06:17:20
सूर्यास्त—————- 18:32:27
दिन काल————- 12:15:06
रात्री काल————–11:43:46
चंद्रास्त—————- 06:44:07
चंद्रोदय—————–19:34:22
लग्न—- मीन 11°40′ , 341°40′
सूर्य नक्षत्र———- उत्तरा भाद्रपदा
चन्द्र नक्षत्र——————- हस्त
नक्षत्र पाया——————- रजत

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

ण—- हस्त 06:49:38

ठ—- हस्त 13:32:31

पे—- चित्रा 20:14:33

पो—- चित्रा 26:55:37

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= मीन 11:10, उ oभाo 3 झ
चन्द्र=कन्या 19:30 , हस्त 3 ण
बुध =मेष 00:53′ रेवती 4 ची
शु क्र= कुम्भ 23°05, पू o भाo ‘ 1 से
मंगल=कुम्भ 08°30 ‘ शतभिषा’ 1 गो
गुरु=मेष 21°30 भरणी , 3 ले
शनि=कुम्भ 18°50 ‘ शतभिषा ,4 सू
राहू=(व) मीन 22°15 रेवती , 2 दो
केतु=(व) कन्या 22°15 हस्त , 4 ठ

*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*

राहू काल 15:29 – 17:01 अशुभ
यम घंटा 09:21 – 10:53 अशुभ
गुली काल 12:25 – 13: 57अशुभ
अभिजित 12:00 – 12:49 शुभ
दूर मुहूर्त 08:44 – 09:33 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:14 – 24:03* अशुभ
वर्ज्यम 22:28 – 24:15* अशुभ

💮चोघडिया, दिन
रोग 06:17 – 07:49 अशुभ
उद्वेग 07:49 – 09:21 अशुभ
चर 09:21 – 10:53 शुभ
लाभ 10:53 – 12:25 शुभ
अमृत 12:25 – 13:57 शुभ
काल 13:57 – 15:29 अशुभ
शुभ 15:29 – 17:01 शुभ
रोग 17:01 – 18:32 अशुभ

🚩चोघडिया, रात
काल 18:32 – 20:00 अशुभ
लाभ 20:00 – 21:28 शुभ
उद्वेग 21:28 – 22:56 अशुभ
शुभ 22:56 – 24:24* शुभ
अमृत 24:24* – 25:52* शुभ
चर 25:52* – 27:20* शुभ
रोग 27:20* – 28:48* अशुभ
काल 28:48* – 30:16* अशुभ

💮होरा, दिन
मंगल 06:17 – 07:19
सूर्य 07:19 – 08:20
शुक्र 08:20 – 09:21
बुध 09:21 – 10:22
चन्द्र 10:22 – 11:24
शनि 11:24 – 12:25
बृहस्पति 12:25 – 13:26
मंगल 13:26 – 14:27
सूर्य 14:27 – 15:29
शुक्र 15:29 – 16:30
बुध 16:30 – 17:31
चन्द्र 17:31 – 18:32

🚩होरा, रात
शनि 18:32 – 19:31
बृहस्पति 19:31 – 20:30
मंगल 20:30 – 21:28
सूर्य 21:28 – 22:27
शुक्र 22:27 – 23:26
बुध 23:26 – 24:24
चन्द्र 24:24* – 25:23
शनि 25:23* – 26:22
बृहस्पति 26:22* – 27:20
मंगल 27:20* – 28:19
सूर्य 28:19* – 29:18
शुक्र 29:18* – 30:16

*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*

मीन > 04:54 से 06:20 तक
मेष > 06: 20 से 08:12 तक
वृषभ > 08:12 से 10:06 तक
मिथुन > 10:06 से 12:18 तक
कर्क > 12:18 से 14:42 तक
सिंह > 14:42 से 16:50 तक
कन्या > 16:50 से 19:06 तक
तुला > 19:06 से 20:56 तक
वृश्चिक > 20:56 से 23:20 तक
धनु > 23:20 से 01:20 तक
मकर > 01:20 से 03:22 तक
कुम्भ > 03:22 से 04:40 तक

*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

15 + 1 + 3 + 1 = 20 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

मंगल ग्रह मुखहुति

*💮 शिव वास एवं फल -:*

16 + 16 + 5 = 37 ÷ 7 = 2 शेष

गौरी सन्निधौ = शुभ कारक

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*

*वसंतोत्सव*

*गणगौर पूजा प्रारम्भ*

*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*

पत्रं नैव यदा करीरविटपे दोषो वसन्तस्य किं
नोलूकोऽप्यवलोकते यदि दिवा सूर्यस्य किं दूषणं ।
वर्षा नैव पतन्ति चातकमुखे मेघस्य किं दूषणं ।
यत्पूर्व विधिना ललाटलिखितं तन्मार्जितुं कः क्षमः ।।
।। चा o नी o।।

बसंत ऋतू क्या करेगी यदि बास पर पत्ते नहीं आते. सूर्य का क्या दोष यदि उल्लू दिन में देख नहीं सकता. बादलो का क्या दोष यदि बारिश की बूंदे चातक पक्षी की चोच में नहीं गिरती. उसे कोई कैसे बदल सकता है जो किसी के मूल में है.

*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*

गीता -: ज्ञानकर्मसन्यास योग अo-04

यज्ञशिष्टामृतभुजो यान्ति ब्रह्म सनातनम्‌ ।,
नायं लोकोऽस्त्ययज्ञस्य कुतोऽन्यः कुरुसत्तम ॥,

हे कुरुश्रेष्ठ अर्जुन! यज्ञ से बचे हुए अमृत का अनुभव करने वाले योगीजन सनातन परब्रह्म परमात्मा को प्राप्त होते हैं।, और यज्ञ न करने वाले पुरुष के लिए तो यह मनुष्यलोक भी सुखदायक नहीं है, फिर परलोक कैसे सुखदायक हो सकता है?॥,31॥,

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
संपत्ति के कार्य लाभ देंगे। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। संतान संबंधी चिंता कम होगी। स्वाभाविक सोच में बदलाव आएगा। रुका पैसा प्रयास करने पर प्राप्त होने के योग हैं। व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा।

🐂वृष
मेहनत का फल पूरा-पूरा मिलेगा। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। यात्रा, निवेश व नौकरी मनोनुकूल रहेंगे। प्रमाद न करें। आर्थिक स्थिति संतोषजनक रहेगी। अपनी योजनाओं में परिवर्तन करना होगा। प्रतिस्पर्धा, शत्रुता से परेशानी संभव है। अनसोचे कामों में हाथ नहीं डालें।

👫मिथुन
मेहमानों का आगमन होगा। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। धनार्जन होगा। नियमित कर्ज, लेनदेन में कटौती करना होगी। योजनाओं पर चर्चा, कार्य के प्रति लगन रह पाएगी। नौकरी, राज्यपक्ष में स्थायित्व की बात आएगी।

🦀कर्क
यात्रा, नौकरी व निवेश मनोनुकूल लाभ देंगे। रोजगार मिलेगा। अप्रत्याशित लाभ होगा। जोखिम न लें। बड़े व्यक्तियों से भेंट का लाभ मिलेगा। कानूनी कार्यों में समय सीमा का ध्यान रखें। व्यवहारकुशलता का लाभ मिलेगा। व्यावसायिक श्रेष्ठता रहेगी।

🐅सिंह
कानूनी अड़चन दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। तंत्र-मंत्र में रुचि बढ़ेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। शुभ समय। यात्रा में अपनी वस्तुओं को संभालकर रखें। पैतृक संपत्ति के क्षेत्रों में उन्नति होगी। नौकरी में संयत व्यवहार आवश्यक है।

🙍‍♀️कन्या
रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। स्वादिष्ट भोजन भोजन का आनंद मिलेगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। प्रसन्नता रहेगी। मनोविनोद के अवसर मिलेंगे। भाई-बहनों से संबंध प्रगाढ़ होंगे। विद्यार्थियों को पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। रचनात्मक काम होंगे।

⚖️तुला
व्यर्थ दौड़धूप रहेगी। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। बुरी खबर मिल सकती है। चिंता रहेगी। मानसिक शांति रहेगी। व्यापारिक विवादों का आसान हल निकाल सकेंगे। वाणी पर संयम रखना चाहिए। अधीनस्थों से मदद मिलेगी।

🦂वृश्चिक
आ‍कस्मिक खर्च अधिक होगा। तनाव रहेगा। थकान रहेगी। जोखिम न लें। धैर्य रखें। माता के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। संघर्ष, भागदौड़ के बाद रोजगार में इच्छित सफलता मिलने के योग हैं। परिवार, समाज में आपके कार्यों को महत्व दिया जाएगा।

🏹धनु
योजना फलीभूत होगी। कार्य की प्रशंसा होगी। आय में वृद्धि होगी। चिंता तथा तनाव रहेंगे। प्रमाद न करें। संतान, भाइयों से लाभ होगा। घरेलू उपयोग की वस्तुएँ क्रय करेंगे। सामाजिक कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाएँगे। व्यापारिक योजनाओं को गोपनीय बनाकर रखें।

🐊मकर
राजकीय मिलेगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। प्रेम प्रस्ताव मिल सकता है। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। सामान्य प्रतिष्ठा, सम्मान से उत्साहित रहेंगे। खर्चों में कमी का प्रयास करना होगा। व्यापार-व्यवसाय में विवेक से निर्णय लेने पर आशानुकूल लाभ के योग हैं।

🍯कुंभ
यात्रा, निवेश व नौकरी मनोनुकूल लाभ देंगे। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। जोखिम न लें। जल्दबाजी न करें। लेन-देन में सावधानी रखें। उच्चाधिकारियों से सम्मान एवं महत्व प्राप्त हो सकेगा। रुके हुए धन की प्राप्ति होगी। पूँजी निवेश लाभदायी रहेगा।

🐟मीन
चोट, चोरी व विवाद से हानि संभव है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। कुसंगति से बचें। थकान रहेगी। परिवार में आर्थिक समस्या को लेकर विचार-विमर्श होगा। दूसरों से अपमानजनक व्यवहार न करें। कार्यक्षेत्र में इच्छित सफलता व संतोष रहेगा।

*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*

*पत्ते से सीख*

गंगा नदी के किनारे पीपल का एक पेड़ था। पहाड़ों से उतरती गंगा पूरे वेग से बह रही थी कि अचानक पेड़ से दो पत्ते नदी में आ गिरे।

एक पत्ता आड़ा गिरा और एक सीधा।

जो आड़ा गिरा वह अड़ गया, कहने लगा, “आज चाहे जो हो जाए मैं इस नदी को रोक कर ही रहूँगा…चाहे मेरी जान ही क्यों न चली जाए मैं इसे आगे नहीं बढ़ने दूंगा।”

वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा– रुक जा गंगा….अब तू और आगे नहीं बढ़ सकती….मैं तुझे यहीं रोक दूंगा!

पर नदी तो बढ़ती ही जा रही थी…उसे तो पता भी नहीं था कि कोई पत्ता उसे रोकने की कोशिश कर रहा है।

पर पत्ते की तो जान पर बन आई थी.. वो लगातार संघर्ष कर रहा था…नहीं जानता था कि बिना लड़े भी वहीँ पहुंचेगा, जहां लड़कर.. थककर.. हारकर पहुंचेगा!

पर अब और तब के बीच का समय उसकी पीड़ा का…. उसके संताप का काल बन जाएगा।

वहीँ दूसरा पत्ता जो सीधा गिरा था, वह तो नदी के प्रवाह के साथ ही बड़े मजे से बहता चला जा रहा था।

यह कहता हुआ कि “चल गंगा, आज मैं तुझे तेरे गंतव्य तक पहुंचा के ही दम लूँगा…
चाहे जो हो जाए मैं तेरे मार्ग में कोई अवरोध नहीं आने दूंगा….तुझे सागर तक पहुंचा ही दूंगा।”

नदी को इस पत्ते का भी कुछ पता नहीं…वह तो अपनी ही धुन में सागर की ओर बढ़ती जा रही थी। पर पत्ता तो आनंदित है, वह तो यही समझ रहा है ,कि वही नदी को अपने साथ बहाए ले जा रहा है।

आड़े पत्ते की तरह सीधा पत्ता भी नहीं जानता था कि चाहे वो नदी का साथ दे या नहीं, नदी तो वहीं पहुंचेगी जहाँ उसे पहुंचना है!

पर अब और तब के बीच का समय उसके सुख का…. उसके आनंद का काल बन जाएगा।
जो पत्ता नदी से लड़ रहा है…उसे रोक रहा है, उसकी जीत का कोई उपाय संभव नहीं है

और जो पत्ता नदी को बहाए जा रहा है उसकी हार का कोई उपाय संभव नहीं है।

हमारा जीवन भी उस नदी के सामान है जिसमें सुख और दुःख की तेज़ धारायें बहती रहती हैं …

और जो कोई जीवन की इस धारा को आड़े पत्ते की तरह रोकने का प्रयास भी करता है, तो वह मूर्ख है

क्योंकि ना तो कभी जीवन किसी के लिये रुका है और ना ही रुक सकता है।

वह अज्ञान में है जो आड़े पत्ते की तरह जीवन की इस बहती नदी में सुख की धारा को ठहराने या दुःख की धारा को जल्दी बहाने की मूर्खता पूर्ण कोशिश करता है ।

क्योंकि सुख की धारा जितने दिन बहनी है… उतने दिन तक ही बहेगी। आप उसे बढ़ा नहीं सकते,
और अगर आपके जीवन में दुःख का बहाव जितने समय तक के लिए आना है वो आ कर ही रहेगा, फिर क्यों आड़े पत्ते की तरह इसे रोकने की फ़िज़ूल मेहनत करना।

बल्कि जीवन में आने वाली हर अच्छी बुरी परिस्थितियों में खुश हो कर जीवन की बहती धारा के साथ उस सीधे पत्ते की तरह ऐसे चलते जाओ….
जैसे जीवन आपको नहीं बल्कि आप जीवन को चला रहे हो।

सीधे पत्ते की तरह सुख और दुःख में समता और आनन्दित होकर जीवन की धारा में मौज से बहते जाएँ।

और जब जीवन में ऐसी सहजता से चलना सीख गए तो फिर सुख क्या? और दुःख क्या ?

Devbhumi jknews

जीवन में हमेशा सच बोलिए, ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है!

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