धर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग पाप का गुरु कौन..? *


📜««« *आज का पंचांग* »»»📜
कलियुगाब्द……………………5125
विक्रम संवत्…………………..2080
शक संवत्……………………..1945
मास………………………………चैत्र
पक्ष……………………………..कृष्ण
तिथी…………………………..दशमी
दोप 04.10 पर्यंत पश्चात एकादशी
रवि…………………………उत्तरायण
सूर्योदय…………प्रातः 06.16.55 पर
सूर्यास्त…………संध्या 06.43.03 पर
सूर्य राशि…………………………मीन
चन्द्र राशि……………………….मकर
गुरु राशि………………………….मेष
नक्षत्र……………………………श्रवण
रात्रि 08.00 पर्यंत पश्चात धनिष्ठ
योग………………………………सिद्ध
दोप 01.05 पर्यंत पश्चात साध्य
करण…………………………….विष्टि
दोप 04.10 पर्यंत पश्चात बव
ऋतु……………………….(मधु) वसंत
दिन…………………………….गुरुवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार :–*
04 अप्रैल सन 2024 ईस्वी ।

⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*
प्रातः 12.05 से 12.54 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
दोपहर 02.02 से 03.34 तक ।

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*मीन*
05:16:57 06:47:14
*मेष*
06:47:14 08:28:53
*वृषभ*
08:28:53 10:27:33
*मिथुन*
10:27:33 12:41:15
*कर्क*
12:41:15 14:57:25
*सिंह*
14:57:25 17:09:13
*कन्या*
17:09:13 19:19:53
*तुला*
19:19:53 21:34:31
*वृश्चिक*
21:34:31 23:50:41
*धनु*
23:50:41 25:56:18
*मकर*
25:56:18 27:43:24
*कुम्भ*
27:43:24 29:16:57

🚦 *दिशाशूल :-*
दक्षिणदिशा – यदि आवश्यक हो तो दही या जीरा का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

☸ शुभ अंक…………………..4
🔯 शुभ रंग…………………..पीला

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 10.56 से 12.28 तक चंचल
दोप. 12.28 से 02.01 तक लाभ
दोप. 02.01 से 03.33 तक अमृत
सायं 05.06 से 06.38 तक शुभ
सायं 06.38 से 08.06 तक अमृत
रात्रि 08.06 से 09.33 तक चंचल

📿 *आज का मंत्र :-*
|। ॐ बृं बृहस्पतये नम: ।|

📢 *सुभाषितानि :-*
*श्रीमद्भगवतगीता (पञ्चमोऽध्यायः – कर्मसंन्यासयोगः) -*
ये हि संस्पर्शजा भोगा दुःखयोनय एव ते।
आद्यन्तवन्तः कौन्तेय न तेषु रमते बुधः॥५-२२॥
अर्थात :
इन्द्रिय तथा विषयों के संयोग से उत्पन्न होने वाले सभी भोग दुःख उत्पन्न करने वाले ही हैं। इसलिए हे अर्जुन! इन आदि-अन्त वाले (अनित्य) भोगों में, बुद्धिमान पुरुष नहीं लिप्त होते हैं॥22॥

🍃 *आरोग्यं :-*
*अस्थमा (दमा) के घरेलु उपचार :-*

— दो चम्मच प्याज का रस और दो चम्मच शहद मिलाकर लेने से दमा ठीक होता है , खांसी , गले की खराश व स्नायु में भी आराम मिलता है।

— एक चम्मच अजवायन और चौथाई चम्मच काली मिर्च पीसकर मिलाकर सुबह शाम गर्म पानी के साथ लेने से दमा ठीक होता है।

— दमबेल (टाईलोफोरा इंडिका) का एक बड़ा , मोटा पत्ता लें। इसमें एक काली मिर्च लपेटें और मुह में पान की तरह चबाकर रस को चूसते रहे। अंत में बचा गूदा थूंक दें। पांच -सात दिन ये प्रयोग सुबह खाली पेट करने से अस्थमा में आशातीत लाभ होता है।

— एक कप पानी मे पांच लौंग कूटकर डालें और इसे उबाल लें। हल्का गर्म रहने पर इसमें दो चम्मच शहद डालें। ये पानी सुबह शाम पीने से दमा का कफ निकल जायेगा। खांसी में भी आराम मिलेगा।

⚜ *आज का राशिफल :-*

🐐 *राशि फलादेश मेष :-*
(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)
रोजगार में वृद्धि होगी। संपत्ति के बड़े सौदे हो सकते हैं। बड़ा लाभ होगा। जल्दबाजी न करें। प्रमाद से बचें। दूरदर्शिता एवं बुद्धिमानी से कई रुके हुए काम पूरे होने की संभावना है। खर्चों में कमी करना होगी। व्यापार में सही निर्णय नहीं लेने से हानि हो सकती है।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
राजकीय सहयोग मिलेगा। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। थकान रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। विवाद से बचें। नए कार्यों में लाभ होने की संभावना है। परिवार की तरक्की होगी। आपको अपने कर्म पर विश्वास रखते हुए कार्य करना चाहिए।

👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*
(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)
पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। बौद्धिक कार्य सफल रहेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। दिन प्रतिकूल रह सकता है। सामाजिक स्तर में परिवर्तन एवं प्रतिष्ठा को लेकर चिंतित रहेंगे। दांपत्य जीवन अच्छा रहेगा। अधिक लोभ-लालच न करें।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
शोक समाचार मिल सकता है। भागदौड़ अधिक होगी। थकान रहेगी। वाणी पर नियंत्रण आवश्यक है। माता-पिता का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। दिन प्रसन्नतापूर्वक व्यतीत होगा। व्यापार में लाभ की स्थिति बनेगी। रुका पैसा प्राप्त होने के योग हैं।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
रुके कार्य पूर्ण होंगे। मेहनत सफल रहेगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। नई योजनाओं का क्रियान्वयन होगा। बड़े लोगों से भेंट होगी, जिसका लाभ भविष्य में मिलेगा। शत्रु परास्त होंगे। आलस्य से बचकर रहें।

👧 *राशि फलादेश कन्या :-*
(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। यात्रा सफल रहेगी। लाभ के अवसर बढ़ेंगे। जोखिम न लें। आवास संबंधी समस्या रहेगी। रचनात्मक कामों का प्रतिफल मिलेगा। पूर्व में किए गए कार्यों का शुभ फल प्राप्त हो सकेगा। स्वाध्याय में रुचि बढ़ेगी।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
नवीन वस्त्राभूषण की प्राप्ति होगी। रोजगार में वृद्धि होगी। यात्रा सफल रहेगी। प्रसन्नता बनी रहेगी। अपने व्यसनों पर नियंत्रण रखना चाहिए। श्रम अधिक करना होगा। आपके कार्यों की समाज एवं परिवार में आलोचना हो सकती है। व्यापार सामान्य चलेगा।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
चोट व दुर्घटना से बचें। लेन-देन में सावधानी रखें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। विवाद न करें। आर्थिक समस्या रह सकती है। नए कामों में सफलता मिलेगी। व्यापार अच्छा चलेगा। स्वास्थ्य में सुधार होगा। खर्च का बोझ बढ़ेगा।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)
पुराने मित्र व संबंधी मिलेंगे। अच्‍छी खबरें मिलेंगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। व्यापार अच्छा चलेगा। पारिवारिक वातावरण सहयोगात्मक रहेगा। आपकी बुद्धिमानी से समस्याओं का समाधान संभव है। सुख-समृद्धि बढ़ेगी।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)
योजना फलीभूत होगी। घर-बाहर पूछ-परख बढ़ेगी। कार्यसिद्धि होगी। व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। आत्मविश्वास बढ़ने से व्यापारिक लाभ अधिक होने के योग हैं। यात्रा में सावधानी रखें। जल्दबाजी एवं लापरवाही से कार्य करने की प्रवृत्ति पर रोक लगाएँ।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
राजकीय सहयोग मिलेगा। रुके कार्य पूर्ण होंगे। अध्यात्म में रुचि रहेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। राज्य एवं व्यवसाय के क्षेत्र में उचित लाभ हो सकेगा। परिवार में खुशी का माहौल रहेगा। जीवनसाथी की उन्नति सामाजिक सम्मान को बढ़ाएगी।

🐟 *राशि फलादेश मीन :-*
(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
फालतू खर्च होगा। तनाव रहेगा। विवाद को बढ़ावा न दें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें, बाकी सामान्य रहेगा। आर्थिक स्थिति कमजोर रहेगी। मित्रों की मदद से महत्वपूर्ण कार्य पूरे होने के आसार हैं। साझेदारी में नए प्रस्ताव मिलेंगे।

☸️ *आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।*

🐚।। *शुभम भवतु* ।।🐚

0️⃣4️⃣❗0️⃣4️⃣❗2️⃣0️⃣2️⃣4️⃣

*♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*

*!! पाप का गुरु कौन..? !!*
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एक समय की बात है। एक पंडित जी कई वर्षों तक काशी में शास्त्रों का अध्ययन करने के बाद गांव लौटे। पूरे गांव में शोहरत हुई कि काशी से शिक्षित होकर आए हैं और धर्म से जुड़े किसी भी पहेली को सुलझा सकते हैं।

शोहरत सुनकर एक किसान उनके पास आया और उसने पूछ लिया- पंडित जी आप हमें यह बताइए कि पाप का गुरु कौन है?

प्रश्न सुन कर पंडित जी चकरा गए, उन्होंने धर्म व आध्यात्मिक गुरु तो सुने थे, लेकिन पाप का भी गुरु होता है, यह उनकी समझ और ज्ञान के बाहर था।

पंडित जी को लगा कि उनका अध्ययन अभी अधूरा रह गया है। वह फिर काशी लौटे। अनेक गुरुओं से मिले लेकिन उन्हें किसान के सवाल का जवाब नहीं मिला।

अचानक एक दिन उनकी मुलाकात एक गणिका (वेश्या) से हो गई। उसने पंडित जी से परेशानी का कारण पूछा, तो उन्होंने अपनी समस्या बता दी। गणिका बोली- पंडित जी ! इसका उत्तर है तो बहुत सरल है, लेकिन उत्तर पाने के लिए आपको कुछ दिन मेरे पड़ोस में रहना होगा।

पंडित जी इस ज्ञान के लिए ही तो भटक रहे थे। वह तुरंत तैयार हो गए। गणिका ने अपने पास ही उनके रहने की अलग से व्यवस्था कर दी। पंडित जी किसी के हाथ का बना खाना नहीं खाते थे। अपने नियम-आचार और धर्म परंपरा के कट्टर अनुयायी थे।

गणिका के घर में रहकर अपने हाथ से खाना बनाते खाते कुछ दिन तो बड़े आराम से बीते, लेकिन सवाल का जवाब अभी नहीं मिला। वह उत्तर की प्रतीक्षा में रहे। एक दिन गणिका बोली- पंडित जी ! आपको भोजन पकाने में बड़ी तकलीफ होती है। यहां देखने वाला तो और कोई है नहीं। आप कहें तो नहा-धोकर मैं आपके लिए भोजन तैयार कर दिया करूं।

पंडित जी को राजी करने के लिए उसने लालच दिया- यदि आप मुझे इस सेवा का मौका दें, तो मैं दक्षिणा में पांच स्वर्ण मुद्राएं भी प्रतिदिन आपको दूंगी।

स्वर्ण मुद्रा का नाम सुनकर पंडित जी विचारने लगे। पका-पकाया भोजन और साथ में सोने के सिक्के भी ! अर्थात दोनों हाथों में लड्डू हैं। पंडित जी ने अपना नियम-व्रत, आचार-विचार धर्म सब कुछ भूल गए।

उन्होंने कहा- तुम्हारी जैसी इच्छा, बस विशेष ध्यान रखना कि मेरे कमरे में आते-जाते तुम्हें कोई नहीं देखे।

पहले ही दिन कई प्रकार के पकवान बनाकर उसने पंडित जी के सामने परोस दिया। पर ज्यों ही पंडित जी ने खाना चाहा, उसने सामने से परोसी हुई थाली खींच ली। इस पर पंडित जी क्रुद्ध हो गए और बोले, यह क्या मजाक है ?

गणिका ने कहा, यह मजाक नहीं है पंडित जी, यह तो आपके प्रश्न का उत्तर है। यहां आने से पहले आप भोजन तो दूर, किसी के हाथ का पानी भी नहीं पीते थे, मगर स्वर्ण मुद्राओं के लोभ में आपने मेरे हाथ का बना खाना भी स्वीकार कर लिया। यह लोभ ही पाप का गुरु है।

*शिक्षा:-*
हमें किसी भी तरह के लोभ-लालच को जीवन में अपनाएं बिना जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए।

*सदैव प्रसन्न रहिये – जो प्राप्त है, पर्याप्त है।*
*जिसका मन मस्त है – उसके पास समस्त है।।*
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