उत्तराखंड

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग-मनुष्य की खोपड़ी*


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कलियुगाब्द…………………..5126
विक्रम संवत्………………….2081
शक संवत्…………………….1946
मास………………………………ज्येष्ठ
पक्ष………………………………कृष्ण
तिथी……………………………सप्तमी
प्रातः 11.43 पर्यंत पश्चात अष्टमी
रवि…………………………उत्तरायण
सूर्योदय…….प्रातः 05.42.00 पर
सूर्यास्त……..संध्या 07.07.06 पर
सूर्य राशि……………………….वृषभ
चन्द्र राशि……………………….कुम्भ
गुरु राशि………………………..वृषभ
नक्षत्र…………………………..धनिष्ठा
प्रातः 07.22 पर्यंत पश्चात शतभिषा
योग………………………………वैधृति
रात्रि 08.43 पर्यंत पश्चात विष्कुम्भ
करण………………………………..बव
प्रातः 11.43 पर्यंत पश्चात बालव
ऋतु………………………(शुक्र) ग्रीष्म
दिन………………………………गुरुवार

💮 *आंग्ल मतानुसार :–*
30 मई सन 2024 ईस्वी ।

*अभिजीत मुहूर्त :-*
प्रातः 11.57 से 12.50 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
दोपहर 02.04 से 03.43 तक ।

*उदय लग्न मुहूर्त :-*
*वृषभ*
04:47:57 06:46:47
*मिथुन*
06:46:47 09:00:28
*कर्क*
09:00:28 11:16:38
*सिंह*
11:16:38 13:28:27
*कन्या*
13:28:27 15:39:06
*तुला*
15:39:06 17:53:44
*वृश्चिक*
17:53:44 20:09:54
*धनु*
20:09:54 22:15:31
*मकर*
22:15:31 24:02:38
*कुम्भ*
24:02:38 25:36:10
*मीन*
25:36:10 27:07:21
*मेष*
27:07:21 28:47:57

🚦 *दिशाशूल :-*
दक्षिणदिशा – यदि आवश्यक हो तो दही या जीरा का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

☸ शुभ अंक…………………..3
🔯 शुभ रंग…………………..पीला

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 10.43 से 12.23 तक चंचल
दोप. 12.23 से 02.03 तक लाभ
दोप. 02.03 से 03.42 तक अमृत
सायं 05.22 से 07.02 तक शुभ
सायं 07.02 से 08.22 तक अमृत
रात्रि 08.22 से 09.42 तक चंचल

💮 *आज का मंत्र :-*
|। ॐ हिरण्यगर्भाय नम: ।|

📢 *सुभाषितानि :-*
*श्रीमद्भगवतगीता (षष्ठोऽध्यायः – आत्मसंयमयोग:) -*
सर्वभूतस्थितं यो मां भजत्येकत्वमास्थितः।
सर्वथा वर्तमानोऽपि स योगी मयि वर्तते॥६-३१॥
अर्थात :
जो पुरुष एकत्व में स्थित होकर सभी भूतों में (आत्मरूप) से स्थित मुझ (वासुदेव) को भजता है, वह योगी सब प्रकार से कर्म करता हुआ भी मुझमें ही विद्यमान है॥31॥

🍃 *आरोग्यं :-*
*दांतों को मोतियों की तरह ऐसे चमकाएं -*

*हल्दी और सरसों का तेल -*
हल्दी इम्यूनिटी को बढ़ाता है, साथ ही यह बॉडी में हीलिंग पावर को भी बढ़ाता है। घरेलू उपायों से दांत चमकाने के लिए हल्दीह पाउडर को, बहुत अच्छा माना जाता है। इसके लिए आप हल्दी, सरसों का तेल और नमक मिलाकर मंजन करें। दांत मजबूत होंगें और पीलापन भी जाएगा।
⚜ *आज का राशिफल :-*⚜️
*राशि फलादेश मेष :-*
(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)
कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय सोच-समझकर करें। व्यवसाय ठीक चलेगा। धार्मिक अनुष्ठान पूजा-पाठ इत्यादि का कार्यक्रम आयोजित हो सकता है। कोर्ट-कचहरी के कार्य मनोनुकूल रहेंगे। मानसिक शांति रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। समय अनुकूल है।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। नौकरी में चैन रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। प्रमाद न करें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। शारीरिक कष्ट संभव है।

*राशि फलादेश मिथुन :-*
(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)
कार्यप्रणाली में सुधार होगा। सामाजिक काम करने की इच्छा रहेगी। मान-सम्मान मिलेगा। सुख के साधन प्राप्त होंगे। नई योजना बनेगी। तत्काल लाभ नहीं मिलेगा। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। नौकरी में मातहतों का सहयोग मिलेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। शारीरिक कष्ट संभव है। किसी व्यक्ति से कहासुनी हो सकती है। स्वाभिमान को ठेस लग सकती है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। आय बनी रहेगी। पुराना रोग उभर सकता है। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेना पड़ सकता है।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
किसी दूसरे व्यक्ति की बातों में न आएं। कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय सोच-समझकर करें। व्यापार अच्‍छा चलेगा। नौकरी में मातहतों से कहासुनी हो सकती है। लेन-देन में सावधानी रखें। कुसगंति से बचें। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। पुराना रोग उभर सकता है।

👧 *राशि फलादेश कन्या :-*
(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
धन प्राप्ति सुगम होगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। भाइयों का सहयोग मिलेगा। परिवार में मांगलिक कार्य हो सकता है। शरीर में कमर व घुटने आदि के दर्द से परेशानी हो सकती है। लेन-देन में सावधानी रखें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। शत्रुभय रहेगा। कोर्ट व कचहरी के कार्य अनुकूल रहेंगे।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
धनलाभ के अवसर हाथ आएंगे। भूमि व भवन संबंधी बाधा दूर होगी। बड़ा लाभ हो सकता है। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता मिलेगी। भाग्य का साथ रहेगा। शेयर मार्केट से लाभ होगा। शत्रु पस्त होंगे। सुख के साधनों की प्राप्ति पर व्यय होगा।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
किसी वरिष्ठ प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन व सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार से लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। कष्ट व भय सताएंगे। भाग्य का साथ मिलेगा। किसी मांगलिक कार्य में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता प्राप्त करेगा।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)
कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है। भागदौड़ अधिक रहेगी। थकान व कमजोरी महसूस होगी। आय में निश्चितता रहेगी। व्यापार ठीक चलेगा। निवेश सोच-समझकर करें। राजभय रहेगा। वाणी पर नियंत्रण रखें। शारीरिक कष्ट संभव है। यात्रा में जल्दबाजी न करें।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)
प्रयास सफल रहेंगे। सामाजिक कार्यों में रुचि रहेगी। मान-सम्मान मिलेगा। नौकरी में प्रशंसा होगी। कार्यसिद्धि होगी। प्रसन्नता रहेगी। चोट व रोग से बचें। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। किसी व्यक्ति के बहकावे में न आएं। व्यापार ठीक चलेगा। निवेश शुभ रहेगा। पारिवारिक सहयोग मिलेगा।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
दूर से शुभ समाचारों की प्राप्ति होगी। घर में मेहमानों का आगमन होगा। कोई मांगलिक कार्य हो सकता है। आत्मविश्वास बढ़ेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। निवेश शुभ रहेगा। प्रसन्नता बनी रहेगी। चिंता तथा तनाव बने रहेंगे। यश बढ़ेगा।

🐟 *राशि फलादेश मीन :-*
(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। निवेश शुभ रहेगा। व्यापार मनोनुकूल लाभ देगा। किसी बड़ी समस्या से मुक्ति मिल सकती है। किसी न्यायपूर्ण बात का भी विरोध हो सकता है। विवाद न करें। कुबुद्धि हावी रहेगी। चोट व रोग से बचें।

☸️ *आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।*
।। *शुभम भवतु* ।।

🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩

*मनुष्य की खोपड़ी*

अधिकतम लोग असफल मरते हैं। यह हो सकता है कि उन्होंने बड़ी सफलताएं पाई हों संसार में। यह हो सकता है कि उन्होंने बहुत यश और धन अर्जित किया हो। लेकिन फिर भी असफल मरते हैं, क्योंकि हाथ खाली होते हैं मरते वक्त। भिखारी ही खाली हाथ नहीं मरते, सम्राट भी खाली हाथ ही मरते हैं। तो फिर यह सारी जिंदगी का श्रम कहां गया? अगर सारे जीवन का श्रम भी संपदा न बन पाया और भीतर एक पूर्णता न ला पाया, तो क्या हम रेत पर महल बनाते रहे? या पानी पर लकीरें खींचते रहे? या सपने देखते रहे और समय गंवाते रहे? क्या है, इस दौड़ की सारी निष्फलता क्या है?

एक और छोटी कहानी मुझे स्मरण आती है।

एक महल के द्वार पर बहुत भीड़ लगी हुई थी। और भीड़ बढ़ती ही जा रही थी। और दोपहर से भीड़ बढ़नी शुरू हुई थी, अब सांझ होने आ गई, सारा गांव ही करीब करीब उस द्वार पर इकट्ठा हो गया था। क्या हो गया था उस द्वार पर राजमहल के? एक छोटी सी घटना हो गई थी। और घटना ऐसी बेबूझ थी कि जिसने भी सुना वह वहीं खड़ा होकर देखता रह गया। किसी की कुछ भी समझ में न आ रहा था। एक भिखारी सुबह—सुबह आया और उसने राजा के महल के सामने अपना भिक्षापात्र फैलाया। राजा ने कहा कि कुछ दे दो, अपने नौकरों को।

उस भिखारी ने कहा, एक शर्त पर लेता हूं। यह भिक्षापात्र उसी शर्त पर कोई चीज स्वीकार करता है जब यह वचन दिया जाए कि आप मेरे भिक्षापात्र को पूरा भर देंगे, तभी मैं कुछ लेता हूँ।

राजा ने कहा, यह कौन सी मुश्किल है! छोटा सा भिक्षापात्र है, पूरा भर देंगे! और अन्न से नहीं, स्वर्ण अशर्फियों से भर देंगे।
भिक्षुक ने कहा, और एक बार सोच लें, पीछे पछताना न पड़े। क्योंकि इस भिक्षापात्र को लेकर मैं और द्वारों पर भी गया हूं और न मालूम कितने लोगों ने यह वचन दिया था कि वे इसे पूरा भर देंगे। लेकिन वे इसे पूरा नहीं भर पाए और बाद में उन्हें क्षमा मांगनी पड़ी।

राजा हंसने लगा और उसने कहा कि यह छोटा सा भिक्षापात्र! उसने अपने मंत्रियों को कहा, स्वर्ण अशर्फियों से भर दो।
यही घटना हो गई थी, राजा स्वर्ण अशर्फियां डालता चला गया था, भिक्षापात्र कुछ ऐसा था कि भरता ही नहीं था। सारा गांव द्वार पर इकट्ठा हो गया था देखने। किसी की समझ में कुछ भी न पड़ता था कि क्या हो गया है! राजा का खजाना चुक गया। सांझ हो गई, सूरज ढलने लगा, लेकिन भिक्षा का पात्र खाली था। तब तो राजा भी घबड़ाया, गिर पड़ा पैरों पर उस भिक्षु के और बोला, क्या है इस पात्र में रहस्य? क्या है जादू? भरता क्यों नहीं?

उस भिखारी ने कहा, कोई जादू नहीं है, कोई रहस्य नहीं है, बड़ी सीधी सी बात है। एक मरघट से निकलता था, एक आदमी की खोपड़ी मिल गई, उससे ही मैंने भिक्षापात्र को बना लिया। और आदमी की खोपड़ी कभी भी किसी चीज से भरती नहीं है, इसलिए यह भी नहीं भरता है।
आदमी खाली हाथ जाता है, इसलिए नहीं कि खाली हाथ जाना जरूरी है, बल्कि आदमी की खोपड़ी में कहीं कुछ भूल है। इसलिए नहीं कि खाली हाथ जाना जीवन से कोई नियम है, कोई अनिवार्यता है। नहीं; जीवन से भरे हाथों भी जाया जा सकता है। और कुछ लोग गए हैं। और जो भी जाना चाहे वह भरे हाथों भी जा सकता है।लेकिन आदमी की खोपड़ी में कुछ भूल है।और इसलिए भरते हैं बहुत,भर नहीं पाता,हाथ खाली रह जाता है..!!
    *जय श्री कृष्ण*

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जीवन में हमेशा सच बोलिए, ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है!

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