*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग-दो पत्तों की कहानी*
*⚜️ आज का राशिफल, 18 जून 2024 , मंगलवार*
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आपका दिन सामान्य रहेगा। बोलने से पहले थौड़ा सोचें। आज कोई समाचार मिल सकता है। किसी परिजन की चिंता रहेगी। कारोबार में विवेक से कार्य करें, लाभ होगा। थोड़े प्रयास से अधिक लाभ होगा। संतान और स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। गुस्सा नियन्त्रित हो तो जिन्दगी में शुकुन ही शुकुन सिद्ध होगा। समय का सदुपयोग करना सबसे बेहतर रहेगा। स्वास्थ्य सुधार होगा।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी , वु , वे, वो)
आपका आज का दिन अनुकूल रहेगा । कम बोलें पर अच्छा बोलें। आज कई स्त्रोतों से धनलाभ संभव है। घर-परिवार की चिंता से तनाव रहेगा। निजी कार्यों से भागदौड़ अधिक होगी। निवेश शुभ रहेगा। यात्रा हो सकती है।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
समय की अनुकूलता का आभास होगा। बड़े सौदों के लिए समय शुभ है। संपत्ति के कार्य लाभ देंगे। आर्थिक लाभ होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। विवाह योग्य जातकों के लिए समय उपयुक्त है।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज पसंदीदा भोजन का आनंद मिलेगा। दोस्तों के साथ यात्रा होगी। नौकरी में परिश्रम निरर्थक होगा। आप की लापरवाही से लाभ के अवसर हाथ से निकलेंगे। विवाह प्रयास सफल रहेंगे।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
दिन की शुरुआत में आलस की अधिकता रहेगी। करियर के प्रति निर्णय लेने में संकोच रहेगा। धन प्राप्ति सुगमता से होगी। यात्रा सफल रहेगी। न्यायपक्ष मजबूत होगा।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। कार्यस्थल परिश्रम अधिक होगा। बुजुर्गजनों को पुरानी व्याधि से कष्ट होगा। कीमती वस्तुएं संभाल कर रखें।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
नई व्यापारिक योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। राजकीय सहयोग मिलेगा, उन्नति होगी। अपनों से मनमुटाव हो सकता है।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
अपनी जिम्मेदारी को समझें। गृहस्थ सुख मिलेगा। आज धनलाभ होगा। व्यवसायिक प्रतिद्वंद्वी शांत रहेंगे। मन प्रसन्न रहेगा। आलस्य की अधिकता से कार्यों में विलंब होगा। संतान के विवाह के लिए किये प्रयास सफल रहेंगे।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
अपनी बातों से लोगों का दिल जित लेंगे। संतान के लिए समय अनुकूल है। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। सामाजिक कार्य सफल रहेंगे। स्वजनों के साथ पार्टी-पिकनिक का आनंद मिलेगा।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। आज की गई यात्रा-निवेश सफल रहेगा। धन प्राप्ति सुगम होगी, जोखिम न लें। कारोबार के विस्तार के लिए धन संग्रह करेंगे।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
मनोबल बढेगा ।न चाहते हुए भी फालतू खर्च बढ़ सकता है। मामूली चोट, विवाद आदि से हानि हो सकती है लेकिन ध्यान रखें तो सामान्य रहेगा सब कुछ । कुसंगति से बचें, जोखिम न लें। तीर्थयात्रा संभव है। परिवार के प्रति सजग रहेंगे। गाय सेवा हर दृष्टि से लाभकारी होगी।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
रोजगार के लिए उत्तम समय है ।आज किया निवेश शुभ रहेगा। स्वजनों के साथ पार्टी-पिकनिक का आनंद मिलेगा। काम की अधिकता रहेगी। झूठ बोलने से बचें। माता के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। शुभ समाचार प्राप्त होगा। दान धर्म फलदायी होगा।
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*♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*
*!! दो पत्तों की कहानी !!*
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*आज निर्जला एकादशी व्रत*
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एक समय की बात है। गंगा नदी के किनारे पीपल का एक पेड़ था। पहाड़ों से उतरती गंगा पूरे वेग से बह रही थी कि अचानक पेड़ से दो पत्ते नदी में आ गिरे।
एक पत्ता आड़ा गिरा और एक सीधा। जो आड़ा गिरा वह अड़ गया; कहने लगा, “आज चाहे जो हो जाए मैं इस नदी को रोक कर ही रहूँगा… चाहे मेरी जान ही क्यों न चली जाए मैं इसे आगे नहीं बढ़ने दूंगा।”
वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा– रुक जा गंगा… अब तू और आगे नहीं बढ़ सकती… मैं तुझे यहीं रोक दूंगा!
पर नदी तो बढ़ती ही जा रही थी… उसे तो पता भी नहीं था कि कोई पत्ता उसे रोकने की कोशिश कर रहा है।
पर पत्ते की तो जान पर बन आई थी। वो लगातार संघर्ष कर रहा था। नहीं जानता था कि बिना लड़े भी वहीं पहुंचेगा, जहां लड़कर.. थककर.. हारकर पहुंचेगा! पर अब और तब के बीच का समय उसकी पीड़ा का… उसके संताप का काल बन जाएगा।
वहीं दूसरा पत्ता जो सीधा गिरा था, वह तो नदी के प्रवाह के साथ ही बड़े मजे से बहता चला जा रहा था।
यह कहता हुआ कि “चल गंगा, आज मैं तुझे तेरे गंतव्य तक पहुंचा के ही दम लूँगा… चाहे जो हो जाए मैं तेरे मार्ग में कोई अवरोध नहीं आने दूंगा… तुझे सागर तक पहुंचा ही दूंगा।
नदी को इस पत्ते का भी कुछ पता नहीं… वह तो अपनी ही धुन में सागर की ओर बढ़ती जा रही थी। पर पत्ता तो आनंदित है, वह तो यही समझ रहा है कि वही नदी को अपने साथ बहाए ले जा रहा है।
आड़े पत्ते की तरह सीधा पत्ता भी नहीं जानता था कि चाहे वो नदी का साथ दे या नहीं, नदी तो वहीं पहुंचेगी जहाँ उसे पहुंचना है! पर अब और तब के बीच का समय उसके सुख का… उसके आनंद का काल बन जाएगा।
जो पत्ता नदी से लड़ रहा है… उसे रोक रहा है, उसकी जीत का कोई उपाय संभव नहीं है और जो पत्ता नदी को बहाए जा रहा है उसकी हार को कोई उपाय संभव नहीं है।
हमारा जीवन भी उस नदी के सामान है जिसमें सुख और दुःख की तेज़ धारायें बहती रहती हैं।
और जो कोई जीवन की इस धारा को आड़े पत्ते की तरह रोकने का प्रयास भी करता है, तो वह मुर्ख है, क्योंकि ना तो कभी जीवन किसी के लिये रुका है और ना ही रुक सकता है।
वह अज्ञान में है जो आड़े पत्ते की तरह जीवन की इस बहती नदी में सुख की धारा को ठहराने या दुःख की धारा को जल्दी बहाने की मूर्खता पूर्ण कोशिश करता है ।
क्योंकि सुख की धारा जितने दिन बहनी है… उतने दिन तक ही बहेगी। आप उसे बढ़ा नहीं सकते और अगर आपके जीवन में दुःख का बहाव जितने समय तक के लिए आना है वो आ कर ही रहेगा, फिर क्यों आड़े पत्ते की तरह इसे रोकने की फ़िज़ूल मेहनत करें।
बल्कि जीवन में आने वाली हर अच्छी बुरी परिस्थितियों में खुश हो कर जीवन की बहती धारा के साथ उस सीधे पत्ते की तरह ऐसे चलते जाओ… जैसे जीवन आपको नहीं बल्कि आप जीवन को चला रहे हो। सीधे पत्ते की तरह सुख और दुःख में समता और आनन्दित होकर जीवन की धारा में मौज से बहते जाएँ।
और जब जीवन में ऐसी सहजता से चलना सीख गए तो फिर सुख क्या? और दुःख क्या ?
*शिक्षा:-*
जीवन के बहाव में ऐसे ना बहें कि थक कर हार भी जाएं और अंत तक जीवन आपके लिए एक पहेली बन जाये। बल्कि जीवन के बहाव को हँस कर ऐसे बहाते जाएं कि अंत तक आप जीवन के लिए पहेली बन जायें।
सुख हमारी खुद की सम्पत्ति है… इसे बाहर नहीं अपने भीतर ही तलाशें। इससे आप सदैव सुखी रहेंगे..!!
*सदैव प्रसन्न रहिये – जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*
*जिसका मन मस्त है – उसके पास समस्त है।।*
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