मनोरंजन

*फिर से फार्म में आ रहे हैं सनी देओल*

(मुकेश कबीर)

सनी देओल अब फिर से फॉर्म में हैं, गदर टू हिट होने के बाद अभी उनकी सात आठ फिल्में पर्दे पर उतरने के लिए बेताब हैं। जिसमे एक साउथ की फिल्म जट्ट भी शामिल है इस फिल्म से सभी को बड़ी उम्मीदें हैं। सनी असल में ऐसे स्टार हैं जो बॉलीवुड की मूर्खता पूर्ण हरकतों से दूर रहते हैं और न ही वो अन्य हीरोज की तरह नाइट पार्टी या रेव पार्टीज में शामिल होते हैं। सनी देओल फिल्म इंडस्ट्री में रहकर भी अपने भारतीय संस्कारों को बचाकर रखे हुए हैं,इसलिए कभी उनके बेवजह के विवाद भी सुनने में नही आते। सनी एक अनुशासित और गंभीर हीरो हैं जो सेट पर भी किसी को डोमिनेट या अपमानित नहीं करते और न ही कुछ बड़े स्टार्स की तरह मोनोपोली में यकीन करते वे सिर्फ अपना काम करते हैं,यही कारण है कि वे दस साल बाद भी कम बैक करने में सफल रहे। आजकल बॉलीवुड में सिर्फ तीन चार स्टार्स की लॉबी ही चल रही है लेकिन यह सनी का ही दम था कि उन्होंने फिर से सबको पछाड़कर नाइंटीज वाला स्टारडम हासिल किया । एक बार अमिताभ बच्चन से किसी ने पूछा था कि आपके बाद अगला सुपर स्टार कौन होगा तब अमिताभ ने सनी देओल का नाम लिया था और सनी ने भी नब्बे के दशक में वो मुकाम हासिल कर लिया था जब उनकी घायल, दामिनी, घातक और बॉर्डर सहित सात फिल्मे सुपर हिट हुई थीं घायल से गदर तक पूरे दस साल तक कोई उनके आसपास भी नही था, लेकिन फिर कुछ नए सुपर स्टार बने और पैड पब्लिसिटी ने जोर पकड़ लिया तो सनी पीछे हो गए। आजकल तो बॉलीवुड में पब्लिसिटी ही ज्यादा चलती है भले ही फिल्म न चलें इसलिए सनी जैसे सहज और अनुशासित हीरो ट्रेक से बाहर हो गए। गदर टू से उन्होंने फिर कमबैक किया और इतना जबरजस्त किया कि आज पैंसठ की उम्र होने पर भी उनके घर निर्माता खुद आने लगे। असल में सनी देओल की सबसे बड़ी ताकत है उनकी पॉपुलैरिटी और एक्शन सीन, लोग आज भी उनको देखना चाहते हैं और वो एक्शन सीन में इतने ज्यादा फिट बैठते हैं कि एक्शन में फाइटिंग रियल जैसी लगने लगती है। उनकी पर्सनेलिटी और आवाज़ में एक लड़ाका साफ दिखाई देता है,वो दस लोगों को एक साथ मारते हैं तो लोगों को यकीन भी होता है कि यह बंदा मार सकता है। हिंदी फिल्मों में पहले यह मुकाम सिर्फ उनके पिता धमेंद्र को ही हासिल था और आज धर्मेंद्र को रिप्लेस करने की क्षमता किसी में है तो वो हैं सिर्फ सनी देओल।

आज बॉलीवुड में फिल्में तो बहुत बन रही हैं लेकिन हिट बहुत कम हो रही हैं इसलिए निर्माता नए नए फार्मूले तलाश रहे हैं और ज्यादातर निर्माता दक्षिण भारत के फार्मूले अपना रहे हैं। साउथ में फाइट सीन बहुत ज्यादा होते हैं जो वहां का ट्रेंड है इसलिए वहां तो कोई भी हीरो एक्शन में चल जाता है लेकिन हिंदी फिल्मों में साउथ की तरह के फाइटिंग सीन सिर्फ एक दो हीरोज पर ही फिट बैठ सकते हैं और सनी देओल उनमें से एक इसलिए अब दक्षिण की फिल्मों में भी उनको लिया जा रहा है। यदि सही से उनको प्रस्तुत किया गया तो वो नॉर्थ के रजनीकांत साबित हो सकते हैं। अकेले ही सिस्टम से भिडऩा, कार को हवा में उड़ा देना और एक साथ पचास लोगों को ठोक देना यह साउथ का फार्मूला है जो सनी पर बहुत सूट करेगा वैसे भी वे देश में अकेले ऐसे हीरो हैं जिनके पास ढाई किलो का हाथ है। (विनायक फीचर्स) (लेखक गीतकार है।)

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