उत्तराखंडधर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग-झूठे ब्रह्मज्ञान का आडंबर*


📜««« *आज का पञ्चांग* »»»📜
कलियुगाब्द…………………….5126
विक्रम संवत्……………………2081
शक संवत्………………………1946
मास……………………………आषाढ़
पक्ष………………………………शुक्ल
तिथी…………………………..पूर्णिमा
दोप 03.43 पर्यंत पश्चात प्रतिपदा
रवि…………………………दक्षिणायन
सूर्योदय …प्रातः 05.53.32 पर
सूर्यास्त………….संध्या 07.13.26 पर
सूर्य राशि………………………….कर्क
चन्द्र राशि………………………….धनु
गुरु राशि…………………………वृषभ
नक्षत्र………………………..उत्तराषाढ़ा
रात्रि 12.04 पर्यंत पश्चात श्रवण
योग……………………………विष्कुम्भ
रात्रि 09.07 पर्यंत पश्चात प्रीती
करण……………………………….बव
दोप 03.43 पर्यंत पश्चात बालव
ऋतु………………………(शचि) ग्रीष्म
दिन…………………………….रविवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार :-*
21 जुलाई सन 2024 ईस्वी ।

⚜️ *तिथि विशेष :-*
📜 *गुरु पूर्णिमा -*
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा कहते हैं। भारत भर में यह पर्व बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन गुरुपूजा का विधान है।
आज के दिन महर्षि वेद व्यासजी की पूजा की जाती है। हमें वेदों का ज्ञान देने वाले व्यासजी ही हैं। अतः वे हमारे आदिगुरु हुए। इसीलिए गुरुपूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
सांसरिक विषयों का ज्ञान देने वाला शिक्षक होता है पर जो तत्व ज्ञान से अवगत कराये उसे ही गुरु कहा जाता है। हमारे धर्म ग्रंथों में गुरु मे गु का अर्थ अन्धकार या अज्ञान और रू का अर्थ प्रकाश (अन्धकार का निरोधक) । अर्थात् अज्ञान को हटा कर प्रकाश (ज्ञान) की ओर ले जाने वाले को गुरु कहा जाता हैं। गुरू की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार होता है गुरू की कृपा के बिना कुछ भी सम्भव नहीं है । गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व गुरु के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करने मनाया जाता है।

☸ शुभ अंक………………………3
🔯 शुभ रंग…………………….नीला

⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*
दोप 12.06 से 12.59 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
संध्या 05.29 से 07.08 तक ।

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*कर्क*
05:35:25 07:51:38
*सिंह*
07:51:38 10:03:27
*कन्या*
10:03:27 12:14:06
*तुला*
12:14:06 14:28:44
*वृश्चिक*
14:28:44 16:44:54
*धनु*
16:44:54 18:50:31
*मकर*
18:50:31 20:37:37
*कुम्भ*
20:37:37 22:11:10
*मीन*
22:11:10 23:42:22
*मेष*
23:42:22 25:23:06
*वृषभ*
25:23:06 27:21:45
*मिथुन*
27:21:45 29:35:25

🚦 *दिशाशूल :-*
पश्चिमदिशा – यदि आवश्यक हो तो दलिया, घी या पान का सेवनकर यात्रा प्रारंभ करें ।

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 07.35 से 09.14 तक चंचल
प्रात: 09.14 से 10.53 तक लाभ
प्रात: 10.53 से 12.32 तक अमृत
दोप. 02.11 से 03.50 तक शुभ
सायं 07.07 से 08.29 तक शुभ
संध्या 08.29 से 09.50 तक अमृत
रात्रि 09.50 से 11.11 तक चंचल ।

💮 *आज का मंत्रः*
॥ ॐ अर्काय नम: ॥

 *संस्कृत सुभाषितानि :-*
*श्रीमद्भगवतगीता (सप्तमोऽध्यायः – ज्ञानविज्ञानयोग:) -*
इच्छाद्वेषसमुत्थेन द्वन्द्वमोहेन भारत ।
सर्वभूतानि संमोहं सर्गे यान्ति परन्तप ॥७- २७॥
अर्थात :
हे भरतवंशी अर्जुन! संसार में इच्छा और द्वेष से उत्पन्न सुख-दुःखादि द्वंद्वरूप मोह से सम्पूर्ण प्राणी अत्यन्त अज्ञता को प्राप्त हो रहे हैं॥27॥

🍃 *आरोग्यं सलाह :-*
*विटामिन सी के लाभ : -*

*2. त्वचा को नमी देता है -*
विटामिन सी नमी को बरकरार रखकर आपकी त्वचा को मुलायम बनाए रखता है। इसमें उपलब्ध एप्रीकॉट ऑइल त्वचा को जरूरी पोषक तत्व देता है।

⚜ *आज का राशिफल :-*

🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। कारोबार में वृद्धि होगी। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। पुराना रोग बाधा का कारण बन सकता है। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। अनहोनी की आशंका रहेगी। शत्रुभय रहेगा। कानूनी अड़चन दूर होगी। कोई नई समस्या आ सकती है।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
रुके हुए कार्यों में गति आएगी। घर-बाहर सभी अपेक्षित कार्य पूर्ण होंगे। दूसरों के कार्य की जवाबदारी न लें। वाणी पर नियंत्रण रखें। अपेक्षित कार्यों में विलंब हो सकता है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। पार्टनरों से मतभेद संभव है। व्यवसाय ठीक चलेगा। समय नेष्ट है। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें।

👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। छोटे भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। प्रसन्नता रहेगी। संचित कोष में वृद्धि होगी। प्रमाद न करें। प्रतिद्वंद्विता में वृद्धि होगी। जीवनसाथी से अनबन हो सकती है। स्थायी संपत्ति खरीदने-बेचने की योजना बन सकती है। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता प्राप्त होगी।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
मनपसंद भोजन का आनंद प्राप्त होगा। लेन-देन में सावधानी रखें। शत्रुओं का पराभव होगा। विवाद को बढ़ावा न दें। भय रहेगा। प्रमाद न करें। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। व्यापार में अधिक लाभ होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। मातहतों से अनबन हो सकती है। कुसंगति से हानि होगी। पारिवारिक समस्याओं में इजाफा होगा। चिंता तथा तनाव बने रहेंगे। भागदौड़ रहेगी। दूर से बुरी खबर मिल सकती है। विवाद को बढ़ावा न दें। बनते कामों में बाधा हो सकती है। दूसरों से अपेक्षा न करें।

👩‍🦰 *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। किसी बड़े काम करने की योजना बनेगी। व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। भाइयों का सहयोग मिलेगा। भाग्य का साथ मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी। पुराने किए गए प्रयासों का लाभ मिलना प्रारंभ होगा। मित्रों की सहायता कर पाएंगे।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। सुख के साधन जुटेंगे। पराक्रम बढ़ेगा। घर में मेहमानों का आगमन होगा। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। व्यय होगा। किसी पारिवारिक आयोजन का हिस्सा बन सकते हैं। निवेश शुभ रहेगा। व्यापार ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। शत्रु परास्त होंगे।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। नौकरी में उच्चाधिकारी की प्रसन्नता प्राप्त होगा। आय में वृद्धि होगी। निवेश शुभ रहेगा। पार्टनरों का सहयोग प्राप्त होगा। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
वाणी पर नियंत्रण रखें। दूसरों के कार्य में दखल न दें। अपेक्षित कार्यों में विलंब होगा। आय में निश्चितता रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रमाद न करें। लाभ बढ़ेगा। यात्रा में सावधानी रखें। जल्दबाजी से हानि होगी। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। चिंता तथा तनाव रहेंगे। पुराना रोग उभर सकता है।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। किसी के व्यवहार से स्वाभिमान को चोट पहुंच सकती है। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। नौकरी में अनुकूलता रहेगी। व्यापार में वृद्धि होगी। कोई बड़ी बाधा आ सकती है। राजभय रहेगा। जल्दबाजी से काम बिगड़ेंगे। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
सभी तरफ से सफलता प्राप्त होगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। व्यापार में वृद्धि होगी। आय बढ़ेगी। घर में प्रसन्नता रहेगी। ऐश्वर्य पर व्यय हो सकता है। नई योजना बनेगी जिसका लाभ तुरंत नहीं मिलेगा। सामाजिक कार्य करने में रुचि रहेगी। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। शारीरिक कष्ट संभव है। चिंता तथा तनाव हावी रहेंगे।

🐟 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
व्यापार लाभदायक रहेगा। नौकरी में चैन रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। किसी वरिष्ठ व्यक्ति का सहयोग प्राप्त होगा। बेचैनी रहेगी। चोट व रोग से बचें। विवेक से कार्य करें। लाभ में वृद्धि होगी। मान-सम्मान मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी। पूजा-पाठ में मन लगेगा। कोर्ट व कचहरी के काम बनेंगे। अध्यात्म में रुचि बढ़ेगी।

☯ *आज गुरू पूर्णिमा व्यास पूजा का दिन आचार्य जी, पंडित अच्युता नन्द त्रिपाठी की ओर से सभी के लिए मंगलमय हो ।*

।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।

🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩

*झूठे ब्रह्मज्ञान का आडंबर*

एक वैद्य अपनी जीविका के लिए एक नगर में पहुँचा। वहाँ उसने अपना औषधालय स्थापित किया। सैकड़ों व्यक्ति दवा लेने आते और लाभ उठाते, किंतु जब वैद्य जी दवा के दाम माँगते, तो वे ब्रह्मज्ञान का उपदेश देने लगते। कहते हम सब ब्रह्म हैं। आप और हम एक ही हैं। औषधि भी ब्रह्मरूप है। फिर ब्रह्म से क्या लेना-देना ?

उस नगर में थोथे ब्रह्मज्ञान का शब्दाडंबर लोगों ने खूब रट लिया था और बाहर के आदमियों को मूर्ख बनाने के लिए उन्होंने यह अच्छा बहाना ढूँढ़ रखा था। अपने मतलब में तो चौकस रहते, जब किसी दूसरे को कुछ देने का अवसर आता, तो ब्रह्मज्ञान की बात बनाकर छुटकारा पा जाते।

वैद्य जी इन ब्रह्मज्ञानियों के मारे बड़े चकराए। जब दवा लेने आए, तब तो लोग ‘लाभ ज्ञानी’ रहें और जब देने का समय आए, तब ब्रह्मज्ञानी बन जाएँ। वैद्य जी इस व्यवहार से बड़े दुखी हुए और अपना औषधालय बंद करके अपने देश वापस चले जाने की बात सोचने लगे। वैद्य जी सोच-विचार में बैठे ही थे कि उस नगर के राजा का एक दूत उन्हें लिवाने आया। वैद्य जी की प्रशंसा दूर-दूर तक फैल चुकी थी, राजा ने भी उनके संबंध में कुछ सुना था। राजकुमार की बीमारी जब अन्य वैद्यों से अच्छी न हुई, तो राजा ने इन परदेशी वैद्य को बुलवाया।

दूतों के साथ वैद्य जी राजा के यहाँ पहुँचे और राजकुमार की बीमारी का इलाज करने लगे। धीरे-धीरे रोग अच्छा होने लगा। एक दिन राजा ने वैद्य जी से कहा, कोई ऐसी दवा बनाइए, जिससे राजकुमार जल्दी अच्छा हो जाए।”

वैद्य को यह अवसर बड़ा अच्छा जान पड़ा, उसकी समझ में आ गया कि यही मौका ब्रह्मज्ञानियों से बदला लेने का है। वैद्य ने कहा, “राजन् ! आपके राजकुमार एक दिन में बिलकुल चंगे हो सकते हैं, इस प्रकार की मैं एक दवा जानता हूँ, पर उसके लिए एक कठिन वस्तु की आवश्यकता है। यदि आप उसे मँगा सकें, तो दवा बन सकती है।” राजा ने उत्सुकतापूर्वक पूछा, “वह क्या वस्तु है ?” वैद्य ने कहा, “कुछ ब्रह्मज्ञानियों का तेल चाहिए।” राजा ने प्रसन्नतापूर्वक कहा, “यह क्या कठिन बात है ? हमारी सारी प्रजा ब्रह्मज्ञानी है। अभी सौ-दो सौ ब्रह्मज्ञानी पकड़कर मँगाता हूँ।” राजा की आज्ञा पाते ही पुलिस के सिपाही ब्रह्मज्ञानियों को तलाश करने के लिए चल दिए।

नगर में यह खबर बिजली की तरह फैल गई थी कि राजकुमार के लिए ब्रह्मज्ञानियों के तेल की जरूरत है। इस समाचार से सबके कान खड़े हो गए। पुलिस के जत्थे बड़ी सरगरमी के साथ खोजते फिर रहे थे कि ब्रह्मज्ञानी कौन है ? परंतु कुछ भी पता न चला, जिससे पूछते मना कर देता। बड़े-बूढ़ों, मुखिया, पंचों से पूछा गया तो उन्होंने गिड़गिड़ा- कर यही कहा, “भगवन् ! हमारे कुटुंब में सात पुश्त से कोई ब्रह्मज्ञानी नहीं हुआ। दूसरे मुहल्ले में तलाश कीजिए।” दूसरे मुहल्ले वालों से पूछा गया तो उत्तर मिला कि हम तो अल्पज्ञानी हैं, ब्रह्मज्ञानी का तो हमने कभी नाम भी नहीं सुना। जब सारे शहर में कोई ब्रह्मज्ञानी न मिला, तो वैद्य ने अपनी दुःखगाथा राजा से कह सुनाई और बताया कि किस प्रकार लोगों ने उनके पैसे ब्रह्मज्ञान की आड़ में रख लिए हैं। वैद्य ने दूसरी दवा देकर राजकुमार को अच्छा कर दिया और राजा ने उन थोथे ब्रह्मज्ञानियों को बुलाकर वैद्य जी के पैसे दिलवा दिए।

*हम ऐसे लोगों की बहुतायत देखते हैं, जो अपने मतलब में कभी नहीं चूकते और बुरे-बुरे कर्म करते हैं, किंतु जब भेद खुलता है या दंड मिलता है तो कहने लगते हैं, “भाग्य में ऐसा लिखा था, ऐसी होनी थी, होनहार को कौन मिटा सकता है ? कलियुग का प्रभाव है, अच्छी बुद्धि को बुरी कर देता है, बुरे दिनों का चक्कर है, ईश्वर की ऐसी ही मरजी है।” इस प्रकार ब्रह्मज्ञान बघारक अपने को निर्दोष साबित करना और दूसरों को मूर्ख बनाकर जीवन-मुक्त परमहंस का ज्ञान अपने ऊपर लागू करते हैं। जो ब्रह्म को सर्वत्र एक समान देखने लगेगा, वह दूसरों के हित और लाभ को अपने लाभ से किसी प्रकार कम नहीं समझ सकता। वह पाप-पुण्य से बहुत ऊँचा उठ जाता है, किंतु हम साधारण लोगों के लिए तो प्रेम और परोपकार यही ब्रह्मज्ञान है। स्वयं कष्ट सहकर दूसरों का भला करना यही उत्तम वेदांत है।*

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