उत्तराखंडधर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग-विद्वान और विद्यावान में अन्तर*


📜««« *आज का पंचांग* »»»📜
कलियुगाब्द……………………5126
विक्रम संवत्…………………..2081
शक संवत्……………………..1946
रवि………………………..दक्षिणायन
मास……………………………श्रावण
पक्ष……………………………..कृष्ण
तिथी………………………….द्वितीया
प्रातः 10.23 पर्यंत पश्चात तृतीया
सूर्योदय…प्रातः 05.54.02 पर
सूर्यास्त ….संध्या 07.12.57 पर
सूर्य राशि…………………………कर्क
चन्द्र राशि……………………….मकर
गुरु राशि………………………..वृषभ
नक्षत्र…………………………..धनिष्ठा
रात्रि 08.10 पर्यंत पश्चात शतभिषा
योग…………………………आयुष्मान
दोप 02.33 पर्यंत पश्चात सौभाग्य
करण…………………………….गरज
प्रातः 10.23 पर्यंत पश्चात वणिज
ऋतु……………………..(शुचि) ग्रीष्म
दिन………………………….मंगलवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार* :-
23 जुलाई सन 2024 ईस्वी ।

⚜️ *अभिजीत मुहूर्त* :-
दोप 12.06 से 12.59 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल* :-
दोप 03.50 से 05.29 तक ।

☸ शुभ अंक………………..5
🔯 शुभ रंग………………..लाल

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*कर्क*
05:31:30 07:47:41
*सिंह*
07:47:41 09:59:30
*कन्या*
09:59:30 12:10:10
*तुला*
12:10:10 14:24:47
*वृश्चिक*
14:24:47 16:40:57
*धनु*
16:40:57 18:46:34
*मकर*
18:46:34 20:33:41
*कुम्भ*
20:33:41 22:07:13
*मीन*
22:07:13 23:38:25
*मेष*
23:38:25 25:19:10
*वृषभ*
25:19:10 27:17:49
*मिथुन*
27:17:49 29:31:30

🚦 *दिशाशूल* :-
उत्तरदिशा – यदि आवश्यक हो तो गुड़ का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

✡ *चौघडिया* :-
प्रात: 09.14 से 10.53 तक चंचल
प्रात: 10.53 से 12.32 तक लाभ
दोप. 12.32 से 02.10 तक अमृत
दोप. 03.49 से 05.28 तक शुभ
रात्रि 08.28 से 09.49 तक लाभ ।

📿 *आज का मंत्र* :-
।। ॐ कपिमर्कटाय नमः ।।

📢 *संस्कृत सुभाषितानि :-*
*श्रीमद्भगवतगीता (सप्तमोऽध्यायः – ज्ञानविज्ञानयोग:) -*
येषां त्वन्तगतं पापं जनानां पुण्यकर्मणाम् ।
ते द्वन्द्वमोहनिर्मुक्ता भजन्ते मां दृढव्रताः ॥७- २८॥
अर्थात :
परन्तु निष्काम भाव से श्रेष्ठ कर्मों का आचरण करने वाले जिन पुरुषों का पाप नष्ट हो गया है, वे राग-द्वेषजनित द्वन्द्व रूप मोह से मुक्त दृढ़निश्चयी भक्त मुझको सब प्रकार से भजते हैं॥28॥

🍃 *आरोग्यं :*-
*विटामिन सी के लाभ : -*

*3. जल्द भरते हैं घाव -*
विटामिन सी के अंदर एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर में होने वाले घाव, जख्म या चोट को जल्द ठीक करने का काम करते हैं।

⚜ *आज का राशिफल :-*

🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। विरोधी सक्रिय रहेंगे। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रह सकता है। धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। कोर्ट व कचहरी के काम मनोनुकूल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। कुबुद्धि हावी रहेगी। चिंता तथा तनाव रहेंगे। मित्रों से संबंध सुधरेंगे।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। धैर्य रखें। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। पुराना रोग परेशानी का कारण रह सकता है। दूसरों के कार्य में दखल न दें। बड़ों की सलाह मानें। लाभ होगा। अपेक्षित कार्यों में विलंब होगा। मानसिक बेचैनी रहेगी।

👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)
प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। परिवार के किसी सदस्य के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। बेवजह कहासुनी हो सकती है। कानूनी अड़चन दूर होगी। व्यापार में वृद्धि होगी। नौकरी में सहकर्मियों का साथ मिलेगा। निवेश शुभ रहेगा। प्रसन्नता रहेगी। लेन-देन में जल्दबाजी न करें।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। शत्रु पस्त होंगे। वाणी पर नियंत्रण रखें। स्थायी संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। आर्थिक उन्नति के प्रयास सफल होंगे। निवेश शुभ रहेगा। व्यापार में वृद्धि होगी। किसी अपने के व्यवहार से स्वाभिमान को ठेस पहुंच सकती है। शारीरिक कष्ट संभव है।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का मौका मिलेगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। दुष्टजनों से दूरी बनाए रखें। निवेश शुभ रहेगा। व्यापार में वृद्धि होगी। नौकरी में उच्चाधिकारी सहयोग करेंगे। घर के सदस्यों के स्वास्थ्य व अध्ययन संबंधी चिंता रहेगी।

💁‍♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
लाभ के अवसर हाथ से निकलेंगे। बेवजह कहासुनी हो सकती है। पुराना रोग उभर सकता है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। व्यापार ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। प्रयास अधिक करना पड़ेंगे। धैर्य रखें। शत्रु हानि पहुंचा सकते हैं। दु:खद समाचार मिल सकता है। व्यर्थ भागदौड़ रहेगी।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
पराक्रम बढ़ेगा। लंब समय से रुके कार्य सहज रूप से पूर्ण होंगे। कार्य की प्रशंसा होगी। शेयर मार्केट में सफलता मिलेगी। व्यापार-व्यवसाय में वृद्धि होगी। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। शुभ समय। शत्रु पस्त होंगे। सुख के साधन जुटेंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी। अज्ञात भय रहेगा। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। घर-बाहर प्रसन्नता का माहौल रहेगा। घर में अतिथियों का आगमन होगा। व्यय होगा।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)
आंखों का ख्याल रखें। अज्ञात भय सताएगा। वाणी पर नियंत्रण रखें। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी। कानूनी अड़चन आ सकती है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। लॉटरी व सट्टे से दूर रहें। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। नौकरी में प्रमोशन प्राप्त हो सकता है।

🏹 *राशि फलादेश मकर :-*
(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)
व्यवसाय की गति धीमी रहेगी। आय में निश्चितता रहेगी। कोई बड़ी समस्या आ सकती है। धैर्य रखें। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। किसी अप‍रिचित पर अतिविश्वास न करें। विवाद से क्लेश होगा। दूसरों के उकसाने में न आएं। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। चिंता तथा तनाव रहेंगे।

*राशि फलादेश कुंभ :-*
(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
व्यवसाय ठीक चलेगा। मित्रों का सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी। शारीरिक कष्ट संभव है तथा तनाव रहेंगे। सुख के साधन प्राप्त होंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। लंबे समय से रुके कार्यों में गति आएगी।

🐠 *राशि फलादेश मीन :-*
आराम तथा मनोरंजन के साधन उपलब्ध होंगे। यश बढ़ेगा। व्यापार वृद्धि होगी। नई योजना बनेगी जिसका तत्काल लाभ नहीं मिलेगा। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। विरोधी सक्रिय रहेंगे। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। प्रमाद न करें। चोट व रोग से परेशानी संभव है।

☯ *आज मंगलवार है अपने नजदीक के मंदिर में संध्या 7 बजे सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ में अवश्य सम्मिलित होवें |*

।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।

🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩

. *विद्वान और विद्यावान में अन्तर*

*रावण विद्वान था जबकि हनुमान जी, विद्यावान थे।*
एक रोचक कथा-

*विद्यावान गुनी अति चातुर।*
*राम काज करिबे को आतुर॥*

एक होता है विद्वान और एक विद्यावान।

दोनों में आपस में बहुत अन्तर है। इसे
हम ऐसे समझ सकते हैं, रावण विद्वान है और हनुमान जी विद्यावान हैं।

रावण के दस सिर हैं। चार वेद और छह: शास्त्र दोनों मिलाकर दस हैं। इन्हीं को दस सिर कहा गया है। जिसके सिर में ये दसों भरे हों, वही दस शीश हैं।

रावण वास्तव में विद्वान है लेकिन विडम्बना क्या है ?
सीता जी का हरण करके ले आया। कईं बार विद्वान लोग अपनी विद्वता के कारण दूसरों को शान्ति से नहीं रहने देते। उनका अभिमान दूसरों की सीता रुपी शान्ति का हरण कर लेता है और हनुमान जी उन्हीं खोई हुई सीता रुपी शान्ति को वापिस भगवान से मिला देते हैं।

हनुमान जी ने कहा
*विनती करउँ जोरि कर रावन।* *सुनहु मान तजि मोर सिखावन॥*
हनुमान जी ने हाथ जोड़कर कहा कि मैं विनती करता हूँ, तो क्या हनुमान जी में बल नहीं है ?
नहीं, ऐसी बात नहीं है। विनती दोनों करते हैं।
जो भय से भरा हो या भाव से भरा हो।

रावण ने कहा कि तुम क्या, यहाँ देखो कितने लोग हाथ जोड़कर मेरे सामने खड़े हैं।
कर जोरे सुर दिसिप विनीता। भृकुटी विलोकत सकल सभीता॥
यही विद्वान और विद्यावान में अन्तर है।

हनुमान जी गये, रावण को समझाने। यही विद्वान और विद्यावान का मिलन है।

रावण के दरबार में देवता और दिग्पाल भय से हाथ जोड़े खड़े हैं और भृकुटी की ओर देख रहे हैं।
परन्तु हनुमान जी भय से हाथ जोड़कर नहीं खड़े हैं। रावण ने कहा भी –
*कीधौं श्रवन सुनेहि नहिं मोही।* *देखउँ अति असंक सठ तोही॥
*
रावण ने कहा – “तुमने मेरे बारे में सुना नहीं है ? तू बहुत निडर दिखता है !”

हनुमान जी बोले – “क्या यह जरुरी है कि तुम्हारे सामने जो आये, वह डरता हुआ आये ?”
रावण बोला – “देख लो, यहाँ जितने देवता और अन्य खड़े हैं, वे सब डरकर ही खड़े हैं।”
हनुमान जी बोले – “उनके डर का कारण है, वे तुम्हारी भृकुटी की ओर देख रहे हैं।”
भृकुटी विलोकत सकल सभीता।
परन्तु मैं भगवान राम की भृकुटी की ओर देखता हूँ।
उनकी भृकुटी कैसी है ? बोले,

*भृकुटी विलास सृष्टि लय होई। सपनेहु संकट परै कि सोई॥*

जिनकी भृकुटी टेढ़ी हो जाये तो प्रलय हो जाए और उनकी ओर देखने वाले पर स्वप्न में भी संकट नहीं आए।
मैं उन श्रीराम जी की भृकुटी की ओर देखता हूँ।
रावण बोला – “यह विचित्र बात है। जब राम जी की भृकुटी की ओर देखते हो तो हाथ हमारे आगे क्यों जोड़ रहे हो ?

*विनती करउँ जोरि कर रावन।*
हनुमान जी बोले – “यह तुम्हारा भ्रम है। हाथ तो मैं उन्हीं को जोड़ रहा हूँ।”

रावण बोला – “वह यहाँ कहाँ हैं ?”

हनुमान जी ने कहा कि “यही समझाने आया हूँ।”
मेरे प्रभु राम जी ने कहा था –
*सो अनन्य जाकें असि मति न टरइ हनुमन्त।*
*मैं सेवक सचराचर रूप स्वामी भगवन्त॥*

भगवान ने कहा है कि सबमें मुझको देखना। इसीलिए मैं तुम्हें नहीं, तुझ में भी भगवान को ही देख रहा हूँ ।” इसलिए हनुमान जी कहते हैं –
*खायउँ फल प्रभु लागी भूखा।*
और सबके देह परम प्रिय स्वामी॥

हनुमान जी रावण को प्रभु और स्वामी कहते हैं और रावण –
*मृत्यु निकट आई खल तोही। लागेसि अधम सिखावन मोही॥*

रावण खल और अधम कहकर हनुमान जी को सम्बोधित करता है।
यही विद्यावान का लक्षण है कि अपने को गाली देने वाले में भी जिसे भगवान दिखाई दे, वही विद्यावान है।

विद्यावान का लक्षण है –
*विद्या ददाति विनयं। विनयाति याति पात्रताम्॥*

पढ़ लिखकर जो विनम्र हो जाये,
वह विद्यावान और जो पढ़ लिखकर
अकड़ जाये, वह विद्वान ।

*तुलसी दास जी कहते हैं -*
*बरसहिं जलद भूमि नियराये। जथा नवहिं वुध विद्या पाये॥*

जैसे बादल जल से भरने पर नीचे आ जाते हैं, वैसे विचारवान व्यक्ति विद्या पाकर विनम्र हो जाते हैं।
इसी प्रकार हनुमान जी हैं – विनम्र और रावण है – विद्वान ।

*यहाँ प्रश्न उठता है कि विद्वान कौन है ?*

इसके उत्तर में कहा गया है कि जिसकी दिमागी क्षमता तो बढ़ गयी, परन्तु दिल खराब हो, हृदय में अभिमान हो, वही विद्वान है और अब प्रश्न है कि

*विद्यावान कौन है ?*

उत्तर में कहा गया है कि जिसके हृदय
में भगवान हो और जो दूसरों के हृदय
में भी भगवान को बिठाने की बात करे, वही विद्यावान है।

हनुमान जी ने कहा – “रावण ! और तो ठीक है, पर तुम्हारा दिल ठीक नहीं है। कैसे ठीक होगा ? कहा कि
*राम चरन पंकज उर धरहू। लंका अचल राज तुम करहू॥*

अपने हृदय में राम जी को बिठा लो और फिर मजे से लंका में राज करो।
यहाँ हनुमान जी रावण के हृदय में भगवान को बिठाने की बात करते हैं, इसलिए वे विद्यावान हैं।

Devbhumi jknews

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