उत्तराखंडधर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग- ब्रह्मचर्य*


📜««« *आज का पञ्चांग* »»»📜
कलियुगाब्द…………………….5126
विक्रम संवत्……………………2081
शक संवत्………………………1946
मास…………………………….श्रावण
पक्ष……………………………….कृष्ण
तिथी…………………………..चतुर्दशी
दोप 03.54 पर्यंत पश्चात अमावस्या
रवि…………………………दक्षिणायन
सूर्योदय …प्रातः 05.59.01 पर
सूर्यास्त………..संध्या 07.06.55 पर
सूर्य राशि………………………….कर्क
चन्द्र राशि…………………………कर्क
गुरु राशी………………………….वृषभ
नक्षत्र……………………………पुनर्वसु
प्रातः 11.58 पर्यंत पश्चात पुष्य
योग…………………………………..वज्र
प्रातः 10.57 पर्यंत पश्चात सिद्धि
करण………………………………शकुन
दोप 03.54 पर्यंत पश्चात चतुष्पद
ऋतु…………………………(नभ:) वर्षा
दिन………………………………शनिवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार :-*
03 अगस्त सन 2024 ईस्वी ।

☸ शुभ अंक…………………….6
🔯 शुभ रंग…………………….नीला

⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*
दोप 12.06 से 12.58 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
प्रात: 09.17 से 10.55 तक ।

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त -*
*कर्क*
04:44:12 07:00:23
*सिंह*
07:00:23 09:12:11
*कन्या*
09:12:11 11:22:51
*तुला*
11:22:51 13:37:29
*वृश्चिक*
13:37:29 15:53:39
*धनु*
15:53:39 17:59:15
*मकर*
17:59:15 19:46:22
*कुम्भ*
19:46:22 21:19:55
*मीन*
21:19:55 22:51:07
*मेष*
22:51:07 24:31:51
*वृषभ*
24:31:51 26:30:30
*मिथुन*
26:30:30 28:44:12

🚦 *दिशाशूल :-*
पूर्व दिशा – यदि आवश्यक हो तो अदरक या उड़द का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 07.39 से 09.16 तक शुभ
दोप. 12.31 से 02.09 तक चर
दोप. 02.09 से 03.46 तक लाभ
दोप. 03.46 से 05.24 तक अमृत
संध्या 07.01 से 08.24 तक लाभ
रात्रि 09.47 से 11.09 तक शुभ ।

💮 *आज का मंत्र :-*
।। ॐ गोविन्दाय नम: ।।

📢 *संस्कृत सुभाषितानि -*
*श्रीमद्भगवतगीता (अष्टमोऽध्यायः – अक्षरब्रह्मयोग:) -*
यं यं वापि स्मरन्भावं त्यजत्यन्ते कलेवरम् ।
तं तमेवैति कौन्तेय सदा तद्भावभावितः ॥८- ६॥
अर्थात :
हे कुन्ती पुत्र अर्जुन! यह मनुष्य अंतकाल में जिस-जिस भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर त्याग करता है, उस-उसको ही प्राप्त होता है क्योंकि वह सदा उसी भाव से भावित रहा है॥6॥

🍃 *आरोग्यं सलाह :-*
*पेट के कीड़े नष्ट करने के कुछ सरल उपाय :-*

1. अनार के छिलकों को सुखाकर चूर्ण बना लें | यह चूर्ण दिन में तीन बार एक -एक चम्मच लें , इससे पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं |

2. टमाटर को काटकर ,उसमें सेंधा नमक और कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर सेवन करें | इस प्रयोग से पेट के कीड़े मर कर गुदामार्ग से बाहर निकल जाते हैं |

3. लहसुन की चटनी बनाकर उसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर सुबह -शाम खाने से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं |

⚜ *आज का राशिफल :-*

🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
नवीन वस्त्राभूषण की प्राप्ति होगी। कोई बड़ा कार्य हो जाने से प्रसन्नता रहेगी। निवेश लाभदायक रहेगा। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। रोजगार में वृद्धि होगी। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। विवाद से बचें। आवश्यक वस्तु गुम हो सकती है।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
व्यापार ठीक चलेगा। आय होगी। विवेक का प्रयोग करें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा। व्ययवृद्धि से तनाव रहेगा। किसी व्यक्ति के उकसावे में न आएं। विवाद से बचें। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। काम में मन नहीं लगेगा।

👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
नए अनुबंध हो सकते हैं। रोजगार में वृद्धि होगी। रुके कार्य पूर्ण होंगे। प्रसन्नता रहेगी। नौकरी में उच्चाधिकारी की प्रसन्नता प्राप्त होगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। लंबी यात्रा हो सकती है। लाभ होगा। प्रशंसा मिलेगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। प्रमाद न करें।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। कार्य पूर्ण होंगे। प्रसन्नता रहेगी। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। जोखिम न लें। भाइयों का सहयोग मिलेगा। आय में वृद्धि होगी। आर्थिक उन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। कोई बड़ा कार्य कर पाएंगे।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
राजकीय सहयोग से कार्य पूर्ण व लाभदायक रहेंगे। कारोबार मनोनुकूल रहेगा। शेयर मार्केट में जोखिम न लें। नौकरी में चैन रहेगा। घर-बाहर प्रसन्नता बनी रहेगी। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। ध्यान रखें। तीर्थदर्शन हो सकता है। सत्संग का लाभ मिलेगा।

👩‍🦰 *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
व्यापार ठीक चलेगा। जोखिम व जमानत के कार्य बिलकुल न करें। वाहन, मशीनरी व अग्नि आदि के प्रयोग से हानि की आशंका है, सावधानी रखें। दूसरों के झगड़ों में हस्तक्षेप न करें। आवश्यक वस्तु समय पर नहीं मिलने से क्षोभ होगा। फालतू की बातों पर ध्यान न दें।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
राजकीय सहयोग प्राप्त होगा। वैवाहिक प्रस्ताव प्राप्त हो सकता है। कारोबार से लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। कोई बड़ा कार्य करने की योजना बन सकती है। कार्यसिद्धि होगी। सुख के साधनों पर व्यय होगा। प्रसन्नता रहेगी। प्रमाद न करें। शत्रुओं का पराभव होगा।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
प्रॉपर्टी ब्रोकर्स के लिए सुनहरा मौका साबित हो सकता है। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। रोजगार में वृद्धि के योग हैं। स्वास्थ्‍य कमजोर रहेगा। आय में वृद्धि होगी। व्यस्तता रहेगी। मित्रों की सहायता कर पाएंगे। संपत्ति के बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
बौद्धिक कार्य सफल रहेंगे। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन मिल सकता है। यात्रा मनोरंजक रहेगी। पारिवारिक मांगलिक कार्य हो सकता है। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। मेहनत का फल पूरा नहीं मिलेगा। स्वास्थ्य खराब हो सकता है।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
आय में निश्चितता रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। लेन-देन में सावधानी रखें। किसी भी अपरिचित व्यक्ति पर अंधविश्वास न करें। शोक संदेश मिल सकता है। विवाद को बढ़ावा न दें। किसी के उकसाने में न आएं। व्यस्तता रहेगी। थकान व कमजोरी रहेगी। काम में मन नहीं लगेगा।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
कार्यसिद्धि से प्रसन्नता रहेगी। आय में वृद्धि होगी। सामाजिक कार्य करने के अवसर मिलेंगे। मेहनत सफल रहेगी। बिगड़े काम बनेंगे। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। समय की अनुकूलता का लाभ लें। धनार्जन होगा।

🐟 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
नए मित्र बनेंगे। अच्‍छी खबर मिलेगी। प्रसन्नता रहेगी। कार्यों में गति आएगी। विवेक का प्रयोग करें। लाभ में वृद्धि होगी। मित्रों के सहयोग से किसी बड़ी समस्या का हल मिलेगा। व्यापार ठीक चलेगा। घर-बाहर सुख-शांति रहेगी। पुराने संगी-साथी व रिश्तेदारों से मुलाकात होगी।

☯ *आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।*

।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।

🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩

*ब्रह्मचर्य*

दो सन्यासी बरसात के मौसम में एक आश्रम से दूसरे आश्रम की ओर जा रहे थे। बीच में नदी और जंगल पड़ती थी। दोनों सन्यासी पैदल यात्रा कर रहे थे। एक सन्यासी 25 वर्ष का था और दूसरा सन्यासी 65 वर्ष का। छोटे सन्यासी बड़े सन्यासी की बड़ी सेवा करते थे, आश्रम में नए सन्यासी सदैव अपने बड़े सन्यासियों के प्रति आदर सम्मान एवं सेवा का भाव रखते हैं। बड़े सन्यासी आगे आगे चल रहे थे। छोटे सन्यासी उनके ठीक पीछे चल रहे थे।

कुछ देर चलने के उपरांत अब उन्हें एक नदी पार करनी थी नदी के पास एक सुंदर सी युवा स्त्री खड़ी थी उसे स्त्री ने बड़े सन्यासी जी से निवेदन किया। स्त्री ने कहा मुझे तैरना नहीं आता और ये नदी पार करनी है। बड़े सन्यासी ने स्त्री की ओर अपना चेहरा घुमाया। स्त्री ने पुनः कहा मेरी सहायता कीजिए, मुझे नदी पार करवा दें। बड़े सन्यासी जी रुके और सोचने लगे, “क्या मुझे ऐसा करना चाहिए? मानवता के रूप से तो यह सही है। परंतु, मेरा इतने वर्षों का ब्रह्मचर्य है। कहीं स्त्री के स्पर्श से वह नष्ट ना हो जाए। मेरे इतने सालों की तपस्या है।

मैं यूं ही किसी की मदद करने के लिए उसे नष्ट नहीं कर सकता।” यह सब विचार कर बड़े सन्यासी जी ने हाथ जोड़कर उस महिला को मदद करने से मना कर दिया। बड़े सन्यासी जी नदी की ओर मुड़ कर नदी पार करने के लिए नदी में उतर पड़े।

जब नदी पार कर बड़े सन्यासी दूसरे छोर पर पहुंचे। तब उन्होंने पीछे मुड़कर छोटे सन्यासी को देखना चाहा कि, आखिर छोटे सन्यासी जी अभी कहां तक पहुंचे हैं। यह क्या? वह देखकर अचंभित रह गए। छोटे सन्यासी उस महिला को नदी पार करवाने में मदद कर रहे थे। छोटे संन्यासी ने उस महिला को अपनी पीठ पर चढ़ा रखा था और पानी में तैर रहे थे। यह सब देख बड़े सन्यासी हैरान भी थे और उन्हें क्रोध भी आ रहा था।

बड़े सन्यासी समझ नहीं पा रहे थे कि, वह इस बात से ज्यादा दुखी हैं या क्रोधित। वे सोच रहे थे आखिर कोई इतना मूर्ख कैसे हो सकता है कि अपने इतने सालों के संन्यास को और तपस्या को भंग कर दें? वह भी एक स्त्री के लिए! या फिर अभी इस छोटे सन्यासी की तपस्या में कमी थी? या वो अभी पूर्ण रूप से ब्रह्मचारी बन ही नहीं पाया था? एक स्त्री के सौंदर्य को देखकर भटक गया। यदि वह उसे मदद नहीं करता तो कौन सा मानव जाति पर कोई आपत्ति आ जानी थी?” यह सब सोच बड़े सन्यासी जल्दी-जल्दी आगे बढ़ते जा रहे थे।

बड़े संन्यासी ने जब फिर से पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि वे दोनों नदी पार कर चुके हैं। छोटे सन्यासी उस महिला से कह रहे थे की, देवी आप अब सुरक्षित हैं। अब आप अपने गंतव्य स्थान को जा सकती हैं। मैं आपसे अब जाने की आज्ञा लेता हूँ। यह कह कर वह भी बड़े सन्यासी के पीछे-पीछे आने लगे। बड़े सन्यासी आगे मुड़कर वापस आगे जाने लगे। तभी बड़े सन्यासी के पैर में एक कांटा चुभ गया और बड़े सन्यासी के पैरों से लहू बहने लगा। यह देख छोटे सन्यासी दौड़े और बड़े सन्यासी के पैर से कांटा निकाल दिया। फिर उन्हें बिठाने के लिए एक शिला साफ किया। परंतु, बड़े सन्यासी छोटे सन्यासी से अत्यंत क्रुद्ध थे। उन्होंने छोटे सन्यासी को डपटते हुए कहा, “मुझे तुम्हारी सहायता या सेवा की आवश्यकता नहीं है।”

यह कहकर लंगड़ाते हुए वह आगे बढ़ने लगे। जब भी छोटे सन्यासी कोई बात कहना चाहते या बड़े सन्यासी की सेवा करना चाहे, तो बड़े सन्यासी झिड़क देते। छोटे सन्यासी समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर हुआ क्या है? उनके सोच में यह बात दूर-दूर तक नहीं थी कि महिला की मदद करने के कारण बड़े सन्यासी दुखी एवं क्रोधित हैं। चलते चलते दोनों सन्यासी दूसरे आश्रम तक पहुंच गए। उन दोनों के रहने की व्यवस्था एक ही कमरे में की हुई थी।

दूसरे आश्रम के सन्यासियों ने इन दोनों का स्वागत किया। जब आश्रम के बाकी लोग कमरे से चले गए, तब बड़े संन्यासी ने क्रोध में बोला, “ये तुम्हें सन्यासी समझ रहे हैं। पर इन्हें क्या मालूम? तुम सन्यासी नहीं! भोगी हो। तुम मे सन्यासी और ब्रह्मचारी के कोई लक्षण नहीं है। छोटे सन्यासी कुछ समझ नहीं पाए। तब उन्होंने हाथ जोड़कर कहा, “मुझ से क्या अपराध हुआ है? जिसके कारण आप मुझसे इतना क्रोधित है? आप ऐसा क्यों कह रहे हैं कि मुझ में सन्यासी ब्रह्मचारी के कोई लक्षण नहीं?

यह सब सुनकर बड़े सन्यासी कहने लगे, “जैसे तुम्हें पता ही नहीं कि तुमने क्या किया है? उस महिला ने मुझे भी तो मदद मांगी थी। पर मैंने अपने ब्रह्मचर्य को, अपने संन्यास को ताक पर रखकर, उसकी मदद नही की।
तुमने एक क्षण सोचना भी आवश्यक नहीं समझा की, क्या उचित है? क्या अनुचित है? उसके सौंदर्य के आगे, अपनी तपस्या अपने सन्यास एवं ब्रह्मचर्य को एक बार भी याद नहीं कर पाए। सब का त्याग कर, उस महिला के हाथ को पड़कर नदी पार करने लगे। ऐसे अमर्यादित कृत्य करने के बाद तुम मुझसे पूछ रहे हो कि, मैंने ऐसा क्या किया है? माथे पर जब रूप का आकर्षण चढ़ता है तब कुछ और नहीं दिखता।”

तब हाथ जोड़कर छोटे संन्यासी ने मुस्कुराते हुए कहा, “आप सही कह रहे हैं। जब रूप का आकर्षण माथे पर चढ़ता है, तब कुछ और नहीं दिखता। मैंने तो उस महिला का साथ कब का छोड़ दिया, परंतु वह अभी तक आपके माथे में बैठी हुई है। क्या क्रोध, कुंठा और दुख ब्रह्मचर्य को भंग नहीं करते? क्या केवल स्त्री का स्पर्श ब्रह्मचर्य को भंग करता है?

ब्रह्मचर्य का स्थान मनुष्य के अंदर है, बाहर नहीं। बाहर की कोई भी स्थिति, प्रस्थिति, वस्तु, या स्थान एक संन्यासी एक ब्रह्मचारी को भंग नहीं कर सकते। जब तक वह स्वयं अंदर से भंग ना हो। मैंने तो उस स्त्री को केवल एक असहाय मानव के रूप में देखा। उसकी सहायता की और आगे चल पड़ा। सन्यासी जीवन में तो काम, क्रोध, मद, मोह किसी के लिए भी स्थान नहीं है। ब्रह्मचर्य का अर्थ ब्रह्म जैसा आचरण होता है। सन्यासी का अर्थ हर प्रकार के बंधन से मुक्ति होता है।”

यह सब सुन, बड़े सन्यासी हाथ जोड़कर छोटे सन्यासी से कहने लगे, “मुझे क्षमा कीजिए सन्यासी जी, आप आयु में मुझसे छोटे हैं, परंतु ज्ञान में मुझे बहुत ही बड़े हैं। मुझसे अपराध हुआ है।” तब छोटे संन्यासी ने कहा, “आपने सीख ले ली यह पर्याप्त है। बाकी अब आप मुझे, आपकी सेवा करने दें। यहां यही मेरा धर्म कहता है और दोनों मुस्कुराने लगे।

शिक्षा:-इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की, मनुष्य बाहर की बुराइयों से तभी आकर्षित हो सकता है, जब उसके अंदर में उन बुराइयों के लिए स्थान हो। यदि मनुष्य अपने आप को अंदर से निर्मल कर ले, तो बाहर की बुराइयां उसे दूषित नहीं कर सकती।

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