आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग- सही दिशा.
*आज का पञ्चांग*
*दिनांक:- 14/08/2024, बुधवार*
*नवमी, शुक्ल पक्ष,*
*श्रावण*
(समाप्ति काल)
तिथि———– नवमी 10:23:13 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र——— अनुराधा 12:11:49
योग————– ऐन्द्र 16:04:28
करण———– कौलव 10:23:14
करण———– तैतुल 22:31:04
वार———————— बुधवार
माह———————– श्रावण
चन्द्र राशि—————– वृश्चिक
सूर्य राशि—————— कर्क
रितु————————– वर्षा
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————– क्रोधी
संवत्सर (उत्तर) —————कालयुक्त
विक्रम संवत—————- 2081
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत—————— 1946
कलि संवत—————– 5125
सूर्योदय————— 05:50:39
सूर्यास्त—————- 18:56:33
दिन काल————- 13:05:53
रात्रि काल————–10:54:36
चंद्रोदय—————- 14:26:57
चंद्रास्त—————- 24:44:48
लग्न—- कर्क 27°31′ , 117°31′
सूर्य नक्षत्र————— आश्लेषा
चन्द्र नक्षत्र—————- अनुराधा
नक्षत्र पाया——————- रजत
*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
नू—- अनुराधा 05:54:06
ने—- अनुराधा 12:11:49
नो—- ज्येष्ठा 18:26:28
या—- ज्येष्ठा 24:38:03
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= कर्क 27°05, अश्लेषा 4 ड़ो
चन्द्र= वृश्चिक 13°30 , अनुराधा 3 नू
बुध =सिंह 06°53′ मघा 2 मी
शु क्र= सिंह 16°05, पू o फाo’ 2 टा
मंगल=वृषभ 22°30 ‘ रोहिणी’ 4 वु
गुरु=वृषभ 23°30 रोहिणी , 4 वु
शनि=कुम्भ 23°10 ‘ पू o भा o ,2 सो
राहू=(व) मीन 14°45 उo भा o, 4 ञ
केतु= (व)कन्या 14°45 हस्त 2 ष
*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*
राहू काल 12:24 – 14:02 अशुभ
यम घंटा 07:29 – 09:07 अशुभ
गुली काल 10:45 – 12: 24अशुभ
अभिजित 11:57 – 12:50 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:57 – 12:50 अशुभ
वर्ज्यम 18:02 – 19:41 अशुभ
प्रदोष 18:57 – 21:09 शुभ
🚩गंड मूल 12:12 – अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
लाभ 05:51 – 07:29 शुभ
अमृत 07:29 – 09:07 शुभ
काल 09:07 – 10:45 अशुभ
शुभ 10:45 – 12:24 शुभ
रोग 12:24 – 14:02 अशुभ
उद्वेग 14:02 – 15:40 अशुभ
चर 15:40 – 17:18 शुभ
लाभ 17:18 – 18:57 शुभ
🚩चोघडिया, रात
उद्वेग 18:57 – 20:18 अशुभ
शुभ 20:18 – 21:40 शुभ
अमृत 21:40 – 23:02 शुभ
चर 23:02 – 24:24* शुभ
रोग 24:24* – 25:46* अशुभ
काल 25:46* – 27:08* अशुभ
लाभ 27:08* – 28:29* शुभ
उद्वेग 28:29* – 29:51* अशुभ
💮होरा, दिन
बुध 05:51 – 06:56
चन्द्र 06:56 – 08:02
शनि 08:02 – 09:07
बृहस्पति 09:07 – 10:13
मंगल 10:13 – 11:18
सूर्य 11:18 – 12:24
शुक्र 12:24 – 13:29
बुध 13:29 – 14:35
चन्द्र 14:35 – 15:40
शनि 15:40 – 16:46
बृहस्पति 16:46 – 17:51
मंगल 17:51 – 18:57
🚩होरा, रात
सूर्य 18:57 – 19:51
शुक्र 19:51 – 20:46
बुध 20:46 – 21:40
चन्द्र 21:40 – 22:35
शनि 22:35 – 23:29
बृहस्पति 23:29 – 24:24
मंगल 24:24* – 25:18
सूर्य 25:18* – 26:13
शुक्र 26:13* – 27:08
बुध 27:08* – 28:02
चन्द्र 28:02* – 28:57
शनि 28:57* – 29:51
*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
कर्क > 02:54 से 05:14 तक
सिंह > 05:14 से 07:24 तक
कन्या > 07:24 से 09:34 तक
तुला > 09:34 से 11: 50 तक
वृश्चिक > 11:50 से 14:08 तक
धनु > 14:208 से 16:14 तक
मकर > 16:14 से 18:06 तक
कुम्भ > 18:06 से 19:34 तक
मीन > 19:34 से 21:02 तक
मेष > 21:02 से 22:34 तक
वृषभ > 22:34 से 00:48 तक
मिथुन > 00:48 से 02:46 तक
*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*💮दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
9 + 3 + 1 = 13 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शनि ग्रह मुखहुति
*💮 शिव वास एवं फल -:*
9 + 9 + 5 = 23 ÷ 7 = 2 शेष
गौरी सन्निधौ = शुभ कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*
*सर्वार्थ, अमृत सिद्धि योग 12:12 तक*
*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*
धनधान्मप्रयोगेषु विद्यासंग्रहणेषु च ।
आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्जा सुखी भवेत् ।।
।। चा o नी o।।
जो व्यक्ति आर्थिक व्यवहार करने में, ज्ञान अर्जन करने में, खाने में और काम-धंदा करने में शर्माता नहीं है वो सुखी हो जाता है.
*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*
गीता -: राजविद्याराज ह्य योग अo-09
अश्रद्दधानाः पुरुषा धर्मस्यास्य परन्तप ।,
अप्राप्य मां निवर्तन्ते मृत्युसंसारवर्त्मनि ॥,
हे परंतप! इस उपयुक्त धर्म में श्रद्धारहित पुरुष मुझको न प्राप्त होकर मृत्युरूप संसार चक्र में भ्रमण करते रहते हैं॥,3॥,
*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐏मेष
पूजा-पाठ में मन लगेगा। कोर्ट व कचहरी के काम निबटेंगे। लाभ के अवसर मिलेंगे। प्रसन्नता रहेगी। कुछ मानसिक अंतर्द्वंद्व पैदा होंगे। पारिवारिक उलझनों के कारण मानसिक कष्ट रहेगा। धैर्य एवं संयम रखकर काम करना होगा। यात्रा आज न करें।
🐂वृष
पुराना रोग उभर सकता है। चोट व दुर्घटना से बचें। वस्तुएं संभालकर रखें। बाकी सामान्य रहेगा। व्यापार-व्यवसाय सामान्य रहेगा। दूरदर्शिता एवं बुद्धि चातुर्य से कठिनाइयां दूर होंगी। राज्य तथा व्यवसाय में सफलता मिलने के योग हैं। पठन-पाठन में रुचि बढ़ेगी।
👫मिथुन
राजमान प्राप्त होगा। नए अनुबंध होंगे। नई योजना बनेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। कार्य में व्यय की अधिकता रहेगी। दांपत्य जीवन में भावनात्मक समस्याएं रह सकती हैं। व्यापार में नए अनुबंध आज नहीं करें।
🦀कर्क
कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी। धनार्जन होगा। संतान के स्वास्थ्य पर ध्यान दें। परिवार के सहयोग से दिन उत्साहपूर्ण व्यतीत होगा। योजनानुसार कार्य करने से लाभ की संभावना है। आर्थिक सुदृढ़ता रहेगी। बेचैनी रहेगी। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है।
🐅सिंह
लेन-देन में सावधानी रखें। बकाया वसूली के प्रयास सफल रखें। व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल रहेगी। कानूनी मामले सुधरेंगे। धन का प्रबंध करने में कठिनाई आ सकती है। आहार की अनियमितता से बचें। व्यापार, नौकरी में उन्नति होगी।
🙍♀️कन्या
ऐश्वर्य पर व्यय होगा। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। विवाद को बढ़ावा न दें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। राजकीय कार्य में परिवर्तन के योग बनेंगे। आलस्य का परित्याग करें। आपके कामों की लोग प्रशंसा करेंगे। व्यापार लाभप्रद रहेगा। नई कार्ययोजना के योग प्रबल हैं।
⚖️तुला
रोजगार मिलेगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। नौकरी में अधिकार बढ़ेंगे। व्यावसायिक समस्या का हल निकलेगा। नई योजना में लाभ की संभावना है। घर में मांगलिक आयोजन हो सकते हैं। जीवनसाथी से संबंध घनिष्ठ होंगे।
🦂वृश्चिक
यात्रा सफल रहेगी। प्रयास सफल रहेंगे। वाणी पर नियंत्रण रखें। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। लाभ होगा। व्यापार-व्यवसाय में उन्नति के योग हैं। वाणी पर संयम आवश्यक है। जीवनसाथी से मदद मिलेगी। सामाजिक यश-सम्मान बढ़ेगा। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
🏹धनु
पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। पारिवारिक उन्नति होगी। सुखद यात्रा के योग बनेंगे। स्वविवेक से कार्य करना लाभप्रद रहेगा।
🐊मकर
पुराना रोग उभर सकता है। शोक समाचार मिल सकता है। भागदौड़ रहेगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। अधूरे कामों में गति आएगी। व्यावसायिक गोपनीयता भंग न करें। गीत-संगीत में रुचि बढ़ेगी। आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी।
🍯कुंभ
पुराने मित्र व संबंधियों से मुलाकात होगी। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। मान बढ़ेगा। स्वजनों से मेल-मिलाप होगा। नौकरी में ऐच्छिक पदोन्नति की संभावना है। किसी की आलोचना न करें। खानपान का ध्यान रखें। आर्थिक संपन्नता बढ़ेगी।
🐟मीन
भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। बेरोजगारी दूर होगी। लाभ होगा। मान-प्रतिष्ठा में कमी आएगी। कामकाज में बाधाएं आ सकती हैं। कर्मचारियों पर व्यर्थ संदेह न करें। आर्थिक तंगी रहेगी। शत्रु सक्रिय रहेंगे। स्वास्थ्य कमजोर होगा।
*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*
*सही दिशा*
*एक गांवमें धर्मदास नामक एक व्यक्ति रहता था। बातें तो बड़ी ही अच्छी-अच्छी करता था पर था एकदम कंजूस।कंजूस भी ऐसा वैसा नहीं बिल्कुल मक्खीचूस।*
*चाय की बात तो छोड़ों वह किसी को पानी तक के लिए नहीं पूछता था। साधु-संतों और भिखारियों को देखकर तो उसके प्राण ही सूख जाते थे कि कहीं कोई कुछ मांग न बैठे। एक दिन उसके दरवाजे पर एक महात्मा आये और धर्मदास से सिर्फ एक रोटी मांगी। पहले तो धर्मदास ने महात्मा को कुछ भी देने से मना कर दिया। लेकिन तब वह वहीं खड़ा रहा तो उसे आधी रोटी देने लगा। आधी रोटी देखकर महात्मा ने कहा कि अब तो मैं आधी रोटी नहीं पेट भरकर खाना खाऊंगा।*
*इस पर धर्मदास ने कहा कि अब वह कुछ नहीं देगा। महात्मा रात भर चुपचाप भूखा-प्यासा धर्मदास के दरवाजे पर खड़ा रहा। सुबह जब धर्मदास ने महात्मा को अपने दरवाजे पर खड़ा देखा तो सोचा कि अगर मैंने इसे भरपेट खाना नहीं खिलाया और यह भूख-प्यास से यहीं पर मर गया तो मेरी बदनामी होगी। बिना कारण साधु की हत्या का दोष लगेगा।*
*धर्मदास ने महात्मा से कहा कि बाबा तुम भी क्या याद करोगे।आओ पेट भरकर खाना खा लो।*
*महात्मा भी कोई ऐसा वैसा नहीं था। धर्मदास की बात सुनकर महात्मा ने कहा कि अब मुझे खाना नहीं खाना, मुझे तो एक कुआं खुदवा दो। लो अब कुआं बीच में कहां से आ गया’ धर्मदास ने साधु महाराज से कहा। रामदयाल ने कुआं खुदवाने से साफ मना कर दिया।*
*साधु महाराज अगले दिन फिर रात भर चुपचाप भूखा-प्यासा धर्मदास के दरवाजे पर खड़ा रहा। अगले दिन सुबह भी जब धर्मदास ने साधु महात्मा को भूखा-प्यासा अपने दरवाजे पर ही खड़ा पाया तो सोचा कि अगर मैने कुआं नहीं खुदवाया तो यह महात्मा इस बार जरूर* *भूखा-प्यास मर जायेगा और मेरी बदनामी होगी।*
*धर्मदास ने काफी सोच-विचार किया और महात्मा से कहा कि साधु बाबा मैं तुम्हारे लिए एक कुआं खुदवा देता हूं और इससे आगे अब कुछ मत बोलना।*
*नहीं, एक नहीं अब तो दो कुएं खुदवाने पड़ेंगे।*
*महात्मा की फरमाइशें बढ़ती ही जा रही थीं। धर्मदास कंजूस जरूर था पर बेवकूफ नहीं। उसने सोचा कि अगर मैंने दो कुएं खुदवाने से मनाकर दिया तो यह चार कुएं खुदवाने की बात करने लगेगा। इसलिए धर्मदास ने चुपचाप दो कुएं खुदवाने में ही अपनी भलाई समझी।*
*कुएं खुदकर तैयार हुए तो उनमें पानी भरने लगा। जब कुओं में पानी भर गया तो महात्मा ने धर्मदास से कहा – दो कुओं में से एक कुआं मैं तुम्हें देता हूं और एक अपने पास रख लेता हूं।*
*मैं कुछ दिनों के लिए कहीं जा रहा हूं, लेकिन ध्यान रहे मेरे कुएं में से तुम्हें एक बूंद पानी भी नहीं निकालना है। साथ ही अपने कुएं में से सब गांव वालों को रोज पानी निकालने देना है। मैं वापस आकर अपने कुएं से पानी पीकर प्यास बुझाऊंगा।’ धर्मदास ने महात्मा वाले कुएं के मुंह पर एक मजबूत ढक्कन लगवा दिया।*
*सब गांव वाले रोज धर्मदास वाले कुएं से पानी भरने लगे। लोग खूब पानी निकालते पर कुएं में पानी कम न होता। शुद्ध शीतल जल पाकर गांव वाले निहाल हो गये थे और महात्मा जी का गुणगान करते न थकते थे।*
*एक वर्ष के बाद महात्मा पुनः उस गांव में आये और धर्मदास से बोले कि उसका कुआं खोल दिया जाये। धर्मदास ने कुएं का ढक्कन हटवा दिया। सभी लोग यह देखकर हैरान रह गये कि कुएं में एक बूंद भी पानी नहीं था।*
*महात्मा ने कहा – कुएं से कितना भी पानी क्यों न निकाला जाए वह कभी खत्म नहीं होता अपितु बढ़ता जाता है। कुएं का पानी न निकालने पर कुआं सूख जाता है इसका स्पष्ट प्रमाण तुम्हारे सामने है और यदि किसी कारण से कुएं का पानी न निकालने पर पानी नहीं भी सुखेगा तो वह सड़ अवश्य जायेगा और किसी काम में नहीं आयेगा।*
*महात्मा ने आगे कहा – कुएं के पानी की तरह ही धन-दौलत की भी तीन गतियां होती हैं।*
*उपयोग, नाश अथवा दुरुपयोग।*
*धन-दौलत का जितना इस्तेमाल करोगे वह उतना ही बढ़ती जायेगी। धन-दौलत का इस्तेमाल न करने पर कुएं के पानी की वह धन-दौलत निरर्थक पड़ी रहेगी। उसका उपयोग संभव नहीं रहेगा या अन्य कोई उसका दुरुपयोग कर सकता है। अतः अर्जित धन-दौलत का समय रहते सदुपयोग करना अनिवार्य है। ज्ञान की भी कमोबेश यही स्थिति होती है।धन-दौलत से दूसरों की सहायता करने की तरह ही ज्ञान भी बांटते चलो।*
*हमारा समाज जितना अधिक ज्ञानवान, शिक्षित व सुसंस्कृत होगा उतनी ही देश में सुख- शांति और समृद्धि आयेगी।ज्ञान बांटने वाले अथवा शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने वाले का भी कुएं के जल की तरह ही कुछ नहीं घटता अपितु बढ़ता ही है।*