उत्तराखंडधर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग- ‛अहं’ की गुरुदक्षिणा*


*आज का पञ्चांग*

*दिनांक:- 23/10/2024, बुधवार*
*सप्तमी, कृष्ण पक्ष,*
*कार्तिक*
(समाप्ति काल)

तिथि——— सप्तमी 25:18:10 तक
पक्ष———————— कृष्ण
नक्षत्र——— पुनर्वसु 30:14:40
योग————- शिव 06:57:55
योग————- सिद्ध 29:50:38
करण——- विष्टि भद्र 13:16:53
करण————– बव 25:18:10
वार———————– बुधवार
माह———————- कार्तिक
चन्द्र राशि—– मिथुन 24:00:51
चन्द्र राशि—————– कर्क
सूर्य राशि——————– तुला
रितु———————— हेमंत
आयन—————–दक्षिणायण
संवत्सर (उत्तर)———– कालयुक्त
विक्रम संवत————– 2081
गुजराती संवत———— 2080
शक संवत—————- 1946
कलि संवत—————- 5125
सूर्योदय————– 06:25:15
सूर्यास्त—————- 17:41:13
दिन काल———— 11:15:58
रात्री काल———— 12:44:39
चंद्रास्त————– 12:34:10
चंद्रोदय—————- 22:54:32
लग्न—- तुला 5°55′ , 185°55′
सूर्य नक्षत्र—————— चित्रा
चन्द्र नक्षत्र—————- पुनर्वसु
नक्षत्र पाया—————— रजत

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

के—- पुनर्वसु 11:42:21

को—- पुनर्वसु 17:50:04

हा—- पुनर्वसु 24:00:51

ही—- पुनर्वसु 30:14:40

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= तुला 05°45, चित्रा 4 री
चन्द्र=मिथुन 20°30 , पुनर्वसु 1 के
बुध =तुला 20°53′ विशाखा 1 ती
शु क्र= वृश्चिक 12°05, अनुराधा’ 3 नू
मंगल=कर्क 01°30 ‘ पुनर्वसु’ 4 ही
गुरु=वृषभ 26°30 मृगशिरा , 2 वो
शनि=कुम्भ 19°50 ‘ शतभिषा , 4 सू
राहू=(व) मीन 11°05 उo भा o, 3 झ
केतु= (व)कन्या 11°05 हस्त 1 पू

*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*

राहू काल 12:03 – 13:28 अशुभ
यम घंटा 07:50 – 09:14 अशुभ
गुली काल 10:39 – 12: 03अशुभ
अभिजित 11:41 – 12:26 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:41 – 12:26 अशुभ
वर्ज्यम 17:50 – 19:29 अशुभ
प्रदोष 17:41 – 20:17 शुभ

💮चोघडिया, दिन
लाभ 06:25 – 07:50 शुभ
अमृत 07:50 – 09:14 शुभ
काल 09:14 – 10:39 अशुभ
शुभ 10:39 – 12:03 शुभ
रोग 12:03 – 13:28 अशुभ
उद्वेग 13:28 – 14:52 अशुभ
चर 14:52 – 16:17 शुभ
लाभ 16:17 – 17:41 शुभ

🚩चोघडिया, रात
उद्वेग 17:41 – 19:17 अशुभ
शुभ 19:17 – 20:52 शुभ
अमृत 20:52 – 22:28 शुभ
चर 22:28 – 24:04* शुभ
रोग 24:04* – 25:39* अशुभ
काल 25:39* – 27:15* अशुभ
लाभ 27:15* – 28:50* शुभ
उद्वेग 28:50* – 30:26* अशुभ

💮होरा, दिन
बुध 06:25 – 07:22
चन्द्र 07:22 – 08:18
शनि 08:18 – 09:14
बृहस्पति 09:14 – 10:11
मंगल 10:11 – 11:07
सूर्य 11:07 – 12:03
शुक्र 12:03 – 12:59
बुध 12:59 – 13:56
चन्द्र 13:56 – 14:52
शनि 14:52 – 15:49
बृहस्पति 15:49 – 16:45
मंगल 16:45 – 17:41

🚩होरा, रात
सूर्य 17:41 – 18:45
शुक्र 18:45 – 19:49
बुध 19:49 – 20:52
चन्द्र 20:52 – 21:56
शनि 21:56 – 22:59
बृहस्पति 22:59 – 24:04
मंगल 24:04* – 25:07
सूर्य 25:07* – 26:11
शुक्र 26:11* – 27:15
बुध 27:15* – 28:18
चन्द्र 28:18* – 29:22
शनि 29:22* – 30:26

*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*

तुला > 04:58 से 07: 14 तक
वृश्चिक > 07:14 से 09:36 तक
धनु > 09:36 से 11:52 तक
मकर > 11:52 से 14:44 तक
कुम्भ > 14:44 से 15:08 तक
मीन > 15:08 से 16:44 तक
मेष > 16:44 से 18:04 तक
वृषभ > 18:04 से 20:12 तक
मिथुन > 20:12 से 22:20 तक
कर्क > 22:20 से 00:54 तक
सिंह > 00:54 से 02:44 तक
कन्या > 02:44 से 04:54 तक

*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

15 + 7 + 4 + 1 = 27 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

गुरु ग्रह मुखहुति

*💮 शिव वास एवं फल -:*

22 + 22 + 5 = 49 ÷ 7 = 0 शेष

शमशान वास = मृत्यु कारक

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

दोपहर 13:23 तक समाप्त

स्वर्ग लोक = शुभ कारक

*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*

*भारतीय कार्तिक मास*

*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*

सत्कुले योजयेत्कन्यां पुत्रं विद्यासु योजतेत् ।
व्यसने योजयेच्छत्रुं मित्रं धर्मे नियोजयेत् ।।
।। चा o नी o।।

लड़की का बयाह अच्छे खानदान मे करना चाहिए. पुत्र को अचछी शिक्षा देनी चाहिए, शत्रु को आपत्ति और कष्टों में डालना चाहिए, एवं मित्रों को धर्म कर्म में लगाना चाहिए.

*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*

गीता -: विभूतियोग अo-10

अथवा बहुनैतेन किं ज्ञातेन तवार्जुन ।,
विष्टभ्याहमिदं कृत्स्नमेकांशेन स्थितो जगत्‌ ॥,

अथवा हे अर्जुन! इस बहुत जानने से तेरा क्या प्रायोजन है।, मैं इस संपूर्ण जगत्‌ को अपनी योगशक्ति के एक अंश मात्र से धारण करके स्थित हूँ॥,42॥,

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
मनोरंजक यात्रा की योजना बनेगी। डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है। आय में वृद्धि होगी। बिगड़े काम बनेंगे। प्रसन्नता रहेगी। मित्रों के साथ अच्‍छा समय व्यतीत होगा। व्यस्तता के चलते स्वास्‍थ्य बिगड़ सकता है, ध्यान रखें। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। भाग्य का साथ मिलेगा। प्रमाद न करें।

🐂वृष
घर-परिवार के साथ आराम तथा मनोरंजन के साथ समय व्यतीत होगा। मान-सम्मान मिलेगा। व्यापार मनोनुकूल चलेगा। योजना फलीभूत होगी। कार्यस्थल पर परिवर्तन संभव है। विरोध होगा। काम करते समय लापरवाही न करें। चोट लग सकती है। थकान तथा कमजोरी महसूस होगी। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा।

👫मिथुन
किसी भी व्यक्ति के उकसावे में न आएं। फालतू खर्च होगा। पुराना रोग उभर सकता है। सेहत को प्रा‍थमिकता दें। लेन-देन में जल्दबाजी से हानि होगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। महत्वपूर्ण निर्णय लेने का समय नहीं है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। व्यापार मनोनुकूल चलेगा। अनावश्यक जोखिम न लें।

🦀कर्क
यात्रा मनोरंजक रहेगी। भेंट व उपहार की प्राप्ति संभव है। किसी बड़ी समस्या का हल मिलेगा। व्यावसायिक साझेदार पूर्ण सहयोग करेंगे। कोई नया उपक्रम प्रारंभ करने का मन बनेगा। सेहत का ध्यान रखें। वरिष्ठजनों की सलाह काम आएगी। नए मित्र बनेंगे। आय बनी रहेगी। हर कार्य बेहतर होगा।

🐅सिंह
स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। चोट व दुर्घटना से हानि संभव है। कार्य करते समय लापरवाही न करें। बनते कामों में बाधा हो सकती है। विवाद से बचें। काम में मन नहीं लगेगा। किसी व्यक्ति के उकसाने में न आएं। विवेक का प्रयोग करें। आय बनी रहेगी। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। व्यापार ठीक चलेगा।

🙍‍♀️कन्या
रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। मनपसंद भोजन की प्राप्ति संभव है। पारिवारिक सदस्यों तथा मित्रों के साथ आनंदायक समय व्यतीत होगा। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।

⚖️तुला
सामाजिक कार्यों में मन लगेगा। दूसरों की सहायता कर पाएंगे। मान-सम्मान मिलेगा। रुके कार्यों में गति आएगी। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। व्यापार ठीक चलेगा। मनोरंजक यात्रा हो सकती है। मित्रों के साथ अच्‍छा समय व्यतीत होगा। घर-बाहर सुख-शांति रहेगी। झंझटों में न पड़ें। ईर्ष्यालु सक्रिय रहेंगे।

🦂वृश्चिक
बुरी सूचना मिल सकती है। मेहनत अधिक होगी। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। आय में कमी रहेगी। नकारात्मकता बढ़ेगी। विवाद से क्लेश होगा। जल्दबाजी में कोई महत्वपूर्ण निर्णय न लें। अनावश्यक परेशानी खड़ी हो सकती है। दूसरों की बातों में न आएं। धैर्य रखें, समय सुधरेगा।

🏹धनु
लेन-देन में जल्दबाजी न करें। आवश्यक वस्तु समय पर नहीं मिलने से क्रोध रहेगा। भूमि व भवन संबंधी बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल रहेगा। बड़ा काम करने का मन बनेगा। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। आय में वृद्धि होगी।

🐊मकर
घर-परिवार की चिंता रहेगी। किसी वरिष्ठ व्यक्ति का मार्गदर्शन व सहयोग प्राप्त होगा। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। घर-परिवार में प्रसन्नता रहेगी। बाहर जाने का मन बनेगा। भाइयों से मतभेद दूर होंगे। व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। संतान पक्ष से खुशियां प्राप्त होंगी।

🍯कुंभ
उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। कोई नया बड़ा काम करने की योजना बनेगी। भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल चलेगा। भ्रम की स्थिति बन सकती है। बुद्धि का प्रयोग करें। लाभ में वृद्धि होगी। समय प्रसन्नतापूर्वक व्यतीत होगा।

🐟मीन
किसी प्रभावशाली व्यक्ति से सहयोग प्राप्त होगा। पूजा-पाठ में मन लगेगा। तीर्थदर्शन हो सकते हैं। विवेक का प्रयोग करें, लाभ होगा। मित्रों के साथ अच्‍छा समय बीतेगा। विरोध होगा। पारिवारिक सुख-शांति बनी रहेगी। चिंता तथा तनाव रहेंगे। झंझटों में न पड़ें। जल्दबाजी से हानि होगी। आलस्य हावी रहेगा।

*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*

*‛अहं’ की गुरुदक्षिणा*
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एक ऋषि के पास एक युवक ज्ञान के लिए पहुंचा, ज्ञान प्राप्ति के बाद शिष्य ने गुरु दक्षिणा में गुरु को कुछ देना चाहा।
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गुरु ने दक्षिणा के रूप में वह चीज मांगी, जो बिलकुल व्यर्थ हो। शिष्य व्यर्थ चीज की खोज में निकल पड़ा।
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उसने मिट्टी की ओर हाथ बढ़ाया, तो मिट्टी बोल पड़ी…
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तुम मुझे व्यर्थ समझ रहे हो? क्या तुम्हें पता नहीं है कि इस दुनिया का सारा वैभव मेरे ही गर्भ से प्रकट होता है?
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ये विविध वनस्पतियां ये रूप, रस और गंध सब कहां से आते हैं?
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शिष्य आगे बढ़ गया। थोड़ी दूर पर उसे एक पत्थर मिला। शिष्य ने सोचा, इसे ही ले चलूं।
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जैसे ही उसे लेने के लिए हाथ बढ़ाया, तो पत्थर से आवाज आई, तुम इतने ज्ञानी होकर भी मुझे बेकार क्यों मान रहे हो।
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तुम अपने भवन और अट्टलिकाएं किससे बनाते हो? तुम्हारे मंदिरों में किसे गढ़ कर देव प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं?
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मेरे इतने उपयोग के बाद भी तुम मुझे व्यर्थ मान रहे हो। यह सुनकर शिष्य ने फिर अपना हाथ खींच लिया।
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वह सोचने लगा, जब मिट्टी और पत्थर इतने उपयोगी हैं, तो आखिर व्यर्थ क्या हो सकता है?
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उसके मन से आवाज आई कि सृष्टि का हर पदार्थ अपने आप में उपयोगी है तो ऐसा क्या है जो मैं गुरु जी को दक्षिणा में दे सकूं।
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रास्ते में उसे एक संत मिले, युवक ने उन्हें अपनी बात बताई।
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संत मुस्कराए और युवक से कहा ऐसा नहीं है व्यर्थ की चीजें सिर्फ वह होती हैं, जिनका सीधे तौर पर आपके जीवन में कोई कार्य नहीं होता…
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बल्कि व्यर्थ की चीजें वह हैं जिनसे किसी कोई भला नहीं हो सकता।
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वस्तुतः व्यर्थ और तुच्छ वह है, जो दूसरों को व्यर्थ और तुच्छ समझता है। व्यक्ति के भीतर का अहंकार ही एक ऐसा तत्व है, जिसका कहीं कोई उपयोग नहीं।
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यह सुनकर शिष्य सीधा गुरु जी के पास गया और उनके पैरों में गिर पड़ा। वह दक्षिणा में अपना अहंकार देने आया था।
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जय जय श्री राधे

Devbhumi jknews

जीवन में हमेशा सच बोलिए, ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है!

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