उत्तराखंडधर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग- बुद्ध ओर देवदत्*


*आज का पञ्चांग*

*दिनांक:- 08/12/2024, रविवार*
*सप्तमी, शुक्ल पक्ष,*
*मार्गशीर्ष*
(समाप्ति काल)

तिथि——— सप्तमी 09:43:44 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र——- शतभिषा 16:02:05
योग————- वज्र 27:52:18
करण———– वणिज 09:43:44
करण——- विष्टि भद्र 20:55:24
वार———————– रविवार
माह——————— मार्गशीर्ष
चन्द्र राशि—————- कुम्भ
सूर्य राशि—————- वृश्चिक
रितु————————- हेमंत
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर (उत्तर)————- कालयुक्त
विक्रम संवत—————- 2081
गुजराती संवत————– 2081
शक संवत—————– 1946
कलि संवत—————– 5125
सूर्योदय————– 06:58:59
सूर्यास्त————– 17:23:32
दिन काल———— 10:24:32
रात्री काल———— 13:36:08
चंद्रोदय————– 12:24:20
चंद्रास्त—————- 24:17:03
लग्न—-वृश्चिक 22°15′ , 232°15′
सूर्य नक्षत्र—————– ज्येष्ठा
चन्द्र नक्षत्र————– शतभिषा
नक्षत्र पाया——————- ताम्र

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

सी—- शतभिषा 10:15:47

सू—- शतभिषा 16:02:05

से—- पूर्वा भाद्रपदा 21:47:10

सो—- पूर्वा भाद्रपदा 27:31:02

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= वृश्चिक 22°45, ज्येष्ठा 2 या
चन्द्र=कुम्भ 14°30 , शतभिषा 3 सी
बुध =वृश्चिक 17°52 ‘ ज्येष्ठा 1 नो
शु क्र= मकर 06°05, उ oषा०’ 4 जी
मंगल=कर्क 11°30 ‘ पुष्य ‘ 3 हो
गुरु=वृषभ 21°30 रोहिणी, 4 वू
शनि=कुम्भ 18°50 ‘ शतभिषा , 4 सू
राहू=(व) मीन 08°35 उo भा o, 2 थ
केतु= (व)कन्या 08°35 उ o फा o 4 पी

*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*

राहू काल 16:05 – 17:24 अशुभ
यम घंटा 12:11 – 13:29 अशुभ
गुली काल 14:47 – 16: 05अशुभ
अभिजित 11:50 – 12:32 शुभ
दूर मुहूर्त 16:00 – 16:42 अशुभ
वर्ज्यम 22:10 – 23:42 अशुभ
प्रदोष 17:24 – 20:10 शुभ

🚩पंचक ² अहोरात्र अशुभ

💮चोघडिया, दिन
उद्वेग 06:59 – 08:17 अशुभ
चर 08:17 – 09:35 शुभ
लाभ 09:35 – 10:53 शुभ
अमृत 10:53 – 12:11 शुभ
काल 12:11 – 13:29 अशुभ
शुभ 13:29 – 14:47 शुभ
रोग 14:47 – 16:05 अशुभ
उद्वेग 16:05 – 17:24 अशुभ

🚩चोघडिया, रात
शुभ 17:24 – 19:06 शुभ
अमृत 19:06 – 20:48 शुभ
चर 20:48 – 22:30 शुभ
रोग 22:30 – 24:12* अशुभ
काल 24:12* – 25:54* अशुभ
लाभ 25:54* – 27:36* शुभ
उद्वेग 27:36* – 29:18* अशुभ
शुभ 29:18* – 30:59* शुभ

💮होरा, दिन
सूर्य 06:59 – 07:51
शुक्र 07:51 – 08:43
बुध 08:43 – 09:35
चन्द्र 09:35 – 10:27
शनि 10:27 – 11:19
बृहस्पति 11:19 – 12:11
मंगल 12:11 – 13:03
सूर्य 13:03 – 13:55
शुक्र 13:55 – 14:47
बुध 14:47 – 15:39
चन्द्र 15:39 – 16:31
शनि 16:31 – 17:24

🚩होरा, रात
बृहस्पति 17:24 – 18:32
मंगल 18:32 – 19:40
सूर्य 19:40 – 20:48
शुक्र 20:48 – 21:56
बुध 21:56 – 23:04
चन्द्र 23:04 – 24:12
शनि 24:12* – 25:20
बृहस्पति 25:20* – 26:28
मंगल 26:28* – 27:36
सूर्य 27:36* – 28:44
शुक्र 28:44* – 29:52
बुध 29:52* – 30:59

*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*

वृश्चिक > 04:06 से 06:44 तक
धनु > 06:44 से 08:56 तक
मकर > 08:56 से 11:44 तक
कुम्भ > 11:44 से 12: 16 तक
मीन > 12:16 से 13:48 तक
मेष > 13:48 से 15:12 तक
वृषभ > 15:12 से 17:20 तक
मिथुन > 17:20 से 19:32 तक
कर्क > 19:32 से 22:00 तक
सिंह > 22:00 से 23:50 तक
कन्या > 23:50 से 02:06 तक
तुला > 02:06 से 04:16 तक

*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौंजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

7 + 1 + 1 = 9 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

शुक्र ग्रह मुखहुति

*💮 शिव वास एवं फल -:*

7 + 7 + 5 = 19 ÷ 7 = 5 शेष

ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

09:44 से रात्रि 20:53 तक

मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशिनी

*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*

*भानु सप्तमी*

*भक्त नरसी मेहता जयंती*

*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*

जानीयात् प्रेषणे भृत्यान् बान्धवान् व्यसनागमे ।
मित्रं चापत्तिकाले तु भार्यां च विभवक्षये ।।
।। चा o नी o।।

नौकर की परीक्षा तब करें जब वह कर्त्तव्य का पालन न कर रहा हो,
रिश्तेदार की परीक्षा तब करें जब आप मुसीबत मे घिरें हों,
मित्र की परीक्षा विपरीत परिस्थितियों मे करें,
और जब आपका वक्त अच्छा न चल रहा हो तब पत्नी की परीक्षा करे।

*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*

गीता -: विश्वरूपदर्शनयोग अo-11

न वेदयज्ञाध्ययनैर्न दानै
र्न च क्रियाभिर्न तपोभिरुग्रैः।,
एवं रूपः शक्य अहं नृलोके
द्रष्टुं त्वदन्येन कुरुप्रवीर ॥,

हे अर्जुन! मनुष्य लोक में इस प्रकार विश्व रूप वाला मैं न वेद और यज्ञों के अध्ययन से, न दान से, न क्रियाओं से और न उग्र तपों से ही तेरे अतिरिक्त दूसरे द्वारा देखा जा सकता हूँ।,48॥,

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। रोजगार में वृद्धि होगी। साझेदारी में नवीन प्रस्ताव प्राप्त हो सकेंगे। शत्रु सक्रिय रहेंगे। गर्व-अहंकार को दूर करें। राजनीतिक व्यक्तियों से लाभकारी योग बनेंगे। मनोबल बढ़ने से तनाव कम होगा।

🐂वृष
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। यात्रा सफल रहेगी। रोजगार में वृद्धि होगी। जोखिम न लें। अपने व्यसनों पर नियंत्रण रखें। पत्नी के बतलाए रास्ते पर चलने से लाभ की संभावना बनती है। यात्रा से लाभ। वाहन-मशीनरी खरीदी के योग हैं। व्यवसाय में अड़चनें आएंगी।

👫मिथुन
फालतू खर्च होगा। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। विवाद को बढ़ावा न दें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। व्यावसायिक योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं हो पाएगा। परिवार की चिंता रहेगी। आय से व्यय अधिक होंगे। अजनबियों पर विश्वास से हानि हो सकती है।

🦀कर्क
धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। कोर्ट व कचहरी के कार्य बनेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। चोट व रोग से बचें। कार्य-व्यवसाय में लाभ होने की संभावना है। दांपत्य जीवन में अनुकूलता रहेगी। सामाजिक समारोहों में भाग लेंगे। सुकर्मों के लाभकारी परिणाम मिलेंगे।

🐅सिंह
प्रतिष्ठा बढ़ेगी। रोजगार में वृद्धि होगी। यात्रा का शुभ योग होने के साथ ही कठिन कार्य में भी सफलता मिल सकेगी। रिश्तेदारों से संपत्ति संबंधी विवाद हो सकता है। व्यापार-नौकरी में लाभ होगा। पुराना रोग उभर सकता है। प्रयास सफल रहेंगे।

🙎‍♀️कन्या
पुराने मित्र व संबंधियों से मुलाकात होगी। शुभ समाचार मिलेंगे। मान बढ़ेगा। प्रसन्नता रहेगी। मन में उत्साह रहेगा, जिससे कार्य की गति बढ़ेगी। आपके कार्यों को समाज में प्रशंसा मिलेगी। भागीदारी में आपके द्वारा लिए गए निर्णयों से लाभ होगा।

⚖️तुला
प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। कानूनी अड़चन दूर होगी। भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि होगी। स्वास्थ्य संबंधी समस्या हल हो सकेगी। व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा। अपनी वस्तुएँ संभालकर रखें। रुका धन मिलेगा। भ्रम की स्थिति बन सकती है।

🦂वृश्चिक
जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। विवाद को बढ़ावा न दें। मितव्ययिता को ध्यान में रखें। कुटुंबियों से संबंध सुधरेंगे। शत्रुओं से सावधान रहें। व्यापार लाभप्रद रहेगा। खर्चों में कमी करें। सश्रम किए गए कार्य पूर्ण होंगे।

🏹धनु
स्वादिष्ट भोजन का आनंद मिलेगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। अच्छे लोगों से भेंट होगी जो आपके हितचिंतक रहेंगे। योजनाएं फलीभूत होंगी। नौकरी में पदोन्नाति के योग हैं। आलस्य से बचकर रहें। परिवार की मदद मिलेगी।

🐊मकर
रोजगार में वृद्धि होगी। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। अर्थ संबंधी कार्यों में सफलता से हर्ष होगा। सुखद भविष्य का स्वप्न साकार होगा। विचारों से सकारात्मकता बढ़ेगी। दुस्साहस न करें। व्यापार में इच्छित लाभ होगा।

🍯कुंभ
नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। मान-सम्मान मिलेगा। नेत्र पीड़ा हो सकती है। अधिकारी वर्ग विशेष सहयोग नहीं करेंगे। ऋण लेना पड़ सकता है। यात्रा आज नहीं करें। परिवार के कार्यों को प्राथमिकता दें। आपकी बुद्धिमत्ता सामाजिक सम्मान दिलाएगी।

🐟मीन
किसी के भरोसे न रहकर अपना कार्य स्वयं करें। महत्वपूर्ण कार्यों में हस्तक्षेप से नुकसान की आशंका है। परिवार में तनाव रहेगा। व्यापार-व्यवसाय मध्यम रहेगा। कष्ट, भय, चिंता व बेचैनी का माहौल बन सकता है। दु:खद समाचार मिल सकता है, धैर्य रखें।

*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*

*बुद्ध ओर देवदत्*

*बुद्ध का चचेरा भाई था* : देवदत्त। बचपन से बुद्ध के साथ खेला, बड़ा हुआ। लड़े भी होंगे, झगड़े भी होंगे, एक-दूसरे को कभी मारा भी होगा, एक-दूसरे को कभी पटका भी होगा—सब कुछ हुआ होगा, दोनों बराबर उम्र के थे, साथ-साथ बड़े…एक ही महल में बड़े हुए। फिर बुद्ध तो तथागत हो गए, परम ज्ञान को उपलब्ध हुए,

देवदत्त के मन में बड़ी ईष्या जगी। उसने कहा‌ : जो बुद्ध कर सकते हैं, वह मैं भी कर सकता हूं। तो वह आ कर बुद्ध से दीक्षित हुआ। लेकिन दीक्षित होने में काइयांपन था; चालबाजी थी, दुकानदारी थी। वह दीक्षित हुआ कि जरा ठीक से देख लूं,
आखिर बुद्ध की प्रतिष्ठा का राज क्या है? क्या खाते हैं, क्या पीते हैं, क्या पहनते हैं; कब सोते, कब उठते; क्या-क्या करते हैं, ठीक से जांच कर लूं, साल-छह महीने में सब मेरी समझ में आ जाएगा; फिर मैं भी वही करूंगा। मैं भी बुद्ध हो जाऊंगा।

और साल-छह महीने में…देवदत्त बुद्धिमान आदमी था…उसने बुद्ध की ठीक से जांच-पड़ताल कर ली। ठीक से निरीक्षण कर लिया: ऐसे उठते, ऐसे बैठते, ऐसे चलते। वैसे ही उठने लगा, वैसे ही बोलने लगा, वैसे ही चलने लगा—बुद्ध की बिलकुल ही अनुकृति हो गया।

और तब कुछ लोग उससे प्रभावित भी होने लगे। अंधों की दुनिया है! इस अंधों की दुनिया में काने भी राजे हो जाते हैं। अंधों की दुनिया में काना ही राजा हो सकता है। आंखवालों को तो अंधे बर्दाश्त ही नहीं करते। अंधा समझौता कर लेता है काने से कि चलो, तुम आधे-आधे, आधे हम जैसे। कम-से-कम आधे तो हम जैसे!

देवदत्त का और सब व्यवहार तो अज्ञानी का था, मूर्च्छित का था, लेकिन उठता था, बैठता था, चलता था, बोलता था…बड़े सुभाषित बोलता था। वचन, परिमार्जित थे। भाषा, सुगठित थी, सुडौल थी। उद्धरण देता था परम शास्त्रों के। व्याख्या, अनूठी थी! विश्लेषण, गहरा था! तर्क, प्रतिष्ठित, प्रतिभापूर्ण।

अंधे साथ होने लगे! देवदत्त को भी पांच सौ शिष्य मिल गए। और जब पांच सौ शिष्य मिल गए, तो देवदत्त का असली अहंकार प्रकट हुआ जो अब तक छिपा था। उसने घोषणा कर दी: मैं भी बुद्ध हूं।

बुद्ध को खबर मिली, बुद्ध बहुत हंसे। बुद्ध ने कहा, मेरे जैसा चलना, मेरे जैसा उठना, मेरे जैसा बोलना—ऐसे कोई बुद्ध होता है! दो बुद्ध कभी एक-जैसे उठते हैं, एक-जैसे बैठते हैं, एक-जैसे चलते हैं! इस तरह तो पाखंड पैदा होता है।

और देवदत्त पागल है, ठीक, मगर ये पांच सौ लोग जो बुद्ध को छोड़कर देवदत्त के साथ हो लिए, इनके लिए क्या कहो?

देवदत्त बुद्ध को छोड़ कर अलग हो गया। उसने अपने अलग धर्म की घोषणा कर दी। मगर जल्दी ही वे लोग बिखर गए। और देवदत्त जब मरा तो पछताता हुआ मरा। बहुत पीड़ा में मरा। एक महा अवसर खो गया। मरते वक्त उसे समझ आई बात, बड़ी देर से समझ में आई बात, कि मैं ऊपर-ऊपर का आचरण सीख लिया, अंतस का दीया तो जला ही नहीं।

आचरण कितना ही तुम सुव्यवस्थित कर लो, इससे अंतस का दीया नहीं जलेगा। आचरण को सुव्यवस्थित करना ऐसा ही है जैसे कोई दीए की तसवीर बना ले…सुंदर तसवीर बना ले, प्यारे-प्यारे रंग भर दे, फिर उस तसवीर को ले जाकर अपने कमरे में टांग ले—अंधेरा उस तसवीर से प्रभावित नहीं होगा। अंधेरा उस तसवीर से डरेगा नहीं। तस्वीरों से कहीं अंधेरा भगा है? तसवीर टंगी रहेगी और अंधेरा कुंडली मार कर बैठा रहेगा। असली दीया चाहिए। फिर चाहे असली दीया मिट्टी का हो और तसवीर सोने की बनी हो।

असली दीया चाहिए। फिर चाहे असली दीया दो कौड़ी का हो और तसवीर पर हीरे-जवाहरात जड़े हों। तो भी अंधेरा असली दीए को पहचानेगा। असली दीए को पहचानते ही बाहर हो जाएगा। बाहर हो जाना ही पड़ेगा। असली दीए के पास आने का उपाय नहीं है।

Devbhumi jknews

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