*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग- जंजीर*
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कलियुगाब्द……………………..5125
विक्रम संवत्…………………….2080
शक संवत्……………………….1945
मास……………………………कार्तिक
पक्ष………………………………शुक्ल
तिथी………………………….त्रयोदशी
संध्या 05.24 पर्यंत पश्चात चतुर्दशी
रवि…………………………दक्षिणायन
सूर्योदय (इंदौर)…..प्रातः 06.46.06 पर
सूर्यास्त…………..संध्या 05.41.32 पर
सूर्य राशि………………………..वृश्चिक
चन्द्र राशि…………………………..मेष
गुरु राशी……………………………मेष
नक्षत्र……………………………अश्विनी
दोप 02.56 पर्यंत पश्चात भरणी
योग………………………………..वरिघ
रात्रि 03.46 पर्यंत पश्चात परिघ
करण……………………………..तैतिल
संध्या 05.24 पर्यंत पश्चात गरज
ऋतु…………………………(उर्ज) शरद
दिन……………………………..शनिवार
🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार :-*
25 नवम्बर सन 2023 ईस्वी ।
☸ शुभ अंक………………………7
🔯 शुभ रंग…………………….नीला
⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*
दोप 11.51 से 12.34 तक ।
👁🗨 *राहुकाल :-*
प्रात: 09.31 से 10.52 तक ।
🌞 *उदय लग्न मुहूर्त -*
*वृश्चिक*
06:10:57 08:27:13
*धनु*
08:27:13 10:32:45
*मकर*
10:32:45 12:19:52
*कुम्भ*
12:19:52 13:53:25
*मीन*
13:53:25 15:24:37
*मेष*
15:24:37 17:05:21
*वृषभ*
17:05:21 19:04:00
*मिथुन*
19:04:00 21:17:42
*कर्क*
21:17:42 23:33:52
*सिंह*
23:33:52 25:45:41
*कन्या*
25:45:41 27:56:20
*तुला*
27:56:20 30:10:57
🚦 *दिशाशूल :-*
पूर्व दिशा – यदि आवश्यक हो तो अदरक या उड़द का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।
✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 08.09 से 09.30 तक शुभ
दोप. 12.12 से 01.33 तक चर
दोप. 01.33 से 02.54 तक लाभ
दोप. 02.54 से 04.15 तक अमृत
संध्या 05.36 से 07.15 तक लाभ
रात्रि 08.54 से 10.33 तक शुभ ।
📿 *आज का मंत्र :-*
।। ॐ क्लीं कृष्णाय नम: ।।
📢 *संस्कृत सुभाषितानि -*
*श्रीमद्भगवतगीता (चतुर्थोऽध्यायः – ज्ञानकर्मसंन्यासयोगः) -*
एवं परम्पराप्राप्तमिमं राजर्षयो विदुः।
स कालेनेह महता योगो नष्टः परन्तप॥४-२॥
अर्थात :
हे परन्तप अर्जुन! इस प्रकार परम्परा से प्राप्त इस योग को राजर्षियों ने जाना, किन्तु बहुत काल बीतने के बाद वह योग- परम्परा (पृथ्वी से ) लुप्त हो गयी॥2॥
🍃 *आरोग्यं सलाह :-*
*आंखों के नीचे सूजन को कम करने के तरीके -*
*4. कॉफी पाउडर -*
एक चम्मउच कॉफी पाउडर में दो चम्मेच कच्चाू दूध मिलाकर पेस्ट् बना लें और इस लेप को आंखों के नीचे लगाकर 5 से 10 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर पानी से धो लें। इस बात का ध्यान दें कि ये आंख के अंदर न जाए। आपको खुद फर्क महसूस होगा और आंखों की सूजन कम होने लगेगी।
⚜ *आज का राशिफल :-*
🐐 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। स्वादिष्ट भोजन का आनंद मिलेगा। थकान रहेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। पराक्रम बढ़ेगा। जीवनसाथी से आर्थिक मतभेद हो सकते हैं। कामकाज में आशानुरूप स्थिति बनेगी। संतान के व्यवहार पर नजर रखें।
🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
बुरी खबर मिल सकती है। वाणी पर नियंत्रण रखें। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। लेन-देन में सावधानी रखें। आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी। आपके व्यवहार एवं कार्यकुशलता से अधिकारी वर्ग से लाभ होगा। आपसी विचार-विमर्श लाभप्रद रहेगा।
👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
मेहनत का फल मिलेगा। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। यात्रा सफल रहेगी। धनलाभ होगा। प्रसन्नता बनी रहेगी। वाहन सुख मिलेगा। संपत्ति के लेन-देन में सावधानी बरतें। परिवार में सहयोग का वातावरण रहेगा। व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा। संतान पर ध्यान दें।
🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
उत्साहवर्द्धक सूचना मिलेगी। स्वाभिमान बढ़ेगा। पुराने मित्र-संबंधी मिलेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। कार्य एवं व्यवसाय के क्षेत्र में विभिन्न बाधाओं से मन अशांत रहेगा। विवादों से दूर रहना चाहिए। आर्थिक तंगी रहेगी। पिछले कार्यों को टालें। पारिवारिक तनाव से मन परेशान रहेगा।
🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
राजकीय सहयोग मिलेगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ होगा। जोखिम बिलकुल न लें। धर्म-कर्म में रुचि बढ़ेगी। व्यापार व नौकरी में हितकारकों की पूर्ण कृपा रहेगी। गृह उपयोगी वस्तुएँ क्रय करेंगे। नए संबंधों के प्रति सतर्क रहें।
🙎🏻♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
फालतू खर्च होगा। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। कुसंगति से बचें। दूसरों पर भरोसा न करें। धैर्य रखें। पारिवारिक जीवन अच्छा रहेगा। रुका पैसा मिलेगा। शत्रु आपकी छवि को धूमिल करने का प्रयास करेंगे। अतः सावधान रहें। व्यापार में सफलता मिलेगी।
⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
रुका हुआ धन प्राप्त होगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। विवाद न करें। व्यवसाय ठीक चलेगा। दांपत्य जीवन सुखद रहेगा। पूँजी निवेश बढ़ेगा। साहित्यिक रुचि बढ़ेगी। आर्थिक योग शुभ हैं। यात्रा से व्यापारिक लाभ हो सकता है। सुसंगति से लाभ होगा।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
योजना फलीभूत होगी। नए अनुबंध होंगे। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। निवेश शुभ रहेगा। जल्दबाजी व भागदौड़ से काम करने की प्रवृत्ति पर रोक लगाएँ। अच्छे मित्र से भेंट होगी। पराक्रम की वृद्धि होगी। समाज-परिवार में आदर मिलेगा।
🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। वरिष्ठजनों का सहयोग मिलेगा। कोर्ट व कचहरी के काम बनेंगे। कार्यसिद्धि होगी। आय-व्यय में संतुलन रहेगा। क्रोध पर संयम आवश्यक है। व्यापार में नए अनुबंध लाभकारी रहेंगे। धर्म में रुचि बढ़ेगी। नई योजना से लाभ होगा।
🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। पुराना रोग उभर सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें। व्यापार के विस्तार हेतु किए गए प्रयास सफल होंगे। संतान की ओर से अच्छे समाचार मिलेंगे। दूसरों के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करें। परिवार की चिंता रहेगी।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। राजकीय बाधा दूर होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। शत्रुभय रहेगा। लाभ होगा। पिछले कार्यों को टालना चाहिए क्योंकि उसमें असफलता का योग है। अनावश्यक विवाद होगा। व्यावसायिक योजनाएँ क्रियान्वित नहीं हो पाएँगी।
🐟 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
संपत्ति के कार्य लाभ देंगे। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। खर्चों में वृद्धि से चिंता होगी। संतान के रोजगार की समस्या का समाधान संभव है। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। कश्मकश दूर होगी। स्वजनों से भेंट होगी।
*जंजीर*
एक पूरे चांद की रात में, एक गांव में कुछ मित्रों ने आधी रात तक शराबघर में इकट्ठा होकर शराब पी ली। वे जब नशे में बिल्कुल डूब गए, तब उन्हें ख्याल आया कि पूर्णिमा की रात है, चलें नदी पर नौका-विहार करें।
वे नदी पर गए। नाव चलाने वाले अपनी नौकाएं बांध कर कभी के घर जा चुके थे। वे एक बड़ी नौका में सवार हो गए, उन्होंने पतवारें उठा लीं और नौका को खेना शुरू कर दिया। फिर वे तेजी से–नशे में–ताकत से नौका को खेते रहे, खेते रहे, खेते रहे। और फिर बाद में सुबह होने के करीब आ गई, उन्होंने आधी रात तक नौका चलाई, सुबह की ठंडी हवाओं ने उनके होश को थोड़ा वापस लौटाया और उन्हें ख्याल आया–
हम न मालूम कितनी दूर निकल आए होंगे,
अपने गांव से न मालूम कितनी दूरी पर आ गए होंगे,
और न मालूम किस दिशा में आ गए हैं।
अब उचित है कि हम वापस लौट चलें, सुबह होने के करीब है, और हमें वापस लौट जाना चाहिए।
उन्होंने सोचा कि एक आदमी उतर कर देख ले कि हम कहां पहुंच गए हैं–उत्तर में, दक्षिण में, कितने दूर हैं,
किस गांव में हैं–किस तरह वापस लौटें?
एक मित्र नीचे उतरा, और नीचे उतर कर पागल की तरह हंसने लगा।
दूसरे मित्रों ने पूछा, हंसते क्यों हो? यह बताओ हम कहां हैं? किस जगह हैं? कितने दूर हैं?
लेकिन उसने कहा, तुम भी नीचे आ जाओ और तुम भी हंसोगे। उनमें से एक-एक उतरता गया और पागल होता गया और पागल की तरह हंसने लगा।
आखिर वे सब नीचे उतर आए और सभी पागल की तरह हंसने लगे, क्योंकि उन्होंने रात में कोई भी यात्रा नहीं की; वे वहीं खड़े थे, जहां रात नाव बंधी थी। वे असल में नाव को खोलना भूल गए थे, नाव की जंजीर तट से ही बंधी रह गई थी। रात भर पतवार चलाई व्यर्थ हो गई।
*नौका तभी यात्रा करती है जब तट से उसकी जंजीर मुक्त हो ।*
ऐसे ही यदि हम जाग जाएं, होंश में आ जाये तो हम दुख से मुक्त हो जाएं।
जिन लोगों की जीवन के प्रति दृष्टि दुख की होती है, संताप की होती है, जो जीवन को अंधकारपूर्ण आंखों से देखते हैं, जिन्हें जीवन के प्रति अहोभाव का, आनंद के भाव का कोई अनुभव नहीं होता, जो जीवन को आनंद की आंखों से देखने की क्षमता और पात्रता नहीं जुटा पाते हैं, उनकी नाव भी किनारे से ही बंधी रह जाती है, वे भी कभी जीवन के सागर में नौका को खे नहीं पाते हैं। वे वहीं खड़े रह जाते हैं जहां से यात्रा शुरू होती है। श्रम वे बहुत करते हैं, पतवार वे बहुत चलाते हैं, समय वे बहुत लगाते हैं। लेकिन नाव कहीं बढ़ती नहीं, वे वहीं रुक जाते हैं। क्योंकि हम भी शायद जीवन की सकारात्मक सोच रूपी जंजीर खोलना भूल गए हैं।