उत्तराखंडधर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग- अजामिल की कथा*


*आज का पञ्चांग*

*दिनांक:- 19/01/2025, रविवार*
*पंचमी, कृष्ण पक्ष,*
*माघ*
(समाप्ति काल)

तिथि———– पंचमी 07:30:10 तक
पक्ष———————— कृष्ण
नक्षत्र——— उoफाo 17:29:11
योग———- अतिगंड 25:56:18
करण———– तैतुल 07:30:10
करण————- गर 20:41:28
वार———————– रविवार
माह———————— माघ
चन्द्र राशि—————– कन्या
सूर्य राशि—————– मकर
रितु———————– शिशिर
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर (उत्तर) ————-कालयुक्त
विक्रम संवत————– 2081
गुजराती संवत———— 2081
शक संवत——————1946
कलि संवत—————- 5125
सूर्योदय————– 07:11:44
सूर्यास्त—————- 17:48:28
दिन काल———— 10:36:43
रात्री काल———— 13:23:03
चंद्रास्त————– 10:25:18
चंद्रोदय—————- 22:53:00
लग्न—- मकर 5°1′ , 275°1′
सूर्य नक्षत्र———— उत्तराषाढा
चन्द्र नक्षत्र——— उत्तरा फाल्गुनी
नक्षत्र पाया—————— रजत

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

पा—- उत्तरा फाल्गुनी 10:47:01

पी—- उत्तरा फाल्गुनी 17:29:11

पू—- हस्त 24:12:40

ष—- हस्त 30:57:18

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= मकर 05°40, उ o षा o 3 जा
चन्द्र=कन्या 04°30 , उ o फा o 3 पा
बुध =धनु 21°52 ‘ पू o षाo 3 फा
शु क्र= कुम्भ 21°05, पू o फाo’ 1 से
मंगल=कर्क 00°30 ‘ पुनर्वसु ‘ 4 ही
गुरु=वृषभ 17°30 रोहिणी, 3 वी
शनि=कुम्भ 21°28 ‘ पू o भा o , 1 से
राहू=(व) मीन 06°25 उo भा o, 1 दू
केतु= (व)कन्या 06°25 उ oफा o 3 पा

*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*

राहू काल 16:29 – 17:48 अशुभ
यम घंटा 12:30 – 13:50 अशुभ
गुली काल 15:09 – 16: 29अशुभ
अभिजित 12:09 – 12:51 शुभ
दूर मुहूर्त 16:24 – 17:06 अशुभ
वर्ज्यम 26:54* – 28:42* अशुभ
प्रदोष 17:48 – 20:32 शुभ

💮चोघडिया, दिन
उद्वेग 07:12 – 08:31 अशुभ
चर 08:31 – 09:51 शुभ
लाभ 09:51 – 11:11 शुभ
अमृत 11:11 – 12:30 शुभ
काल 12:30 – 13:50 अशुभ
शुभ 13:50 – 15:09 शुभ
रोग 15:09 – 16:29 अशुभ
उद्वेग 16:29 – 17:48 अशुभ

🚩चोघडिया, रात
शुभ 17:48 – 19:29 शुभ
अमृत 19:29 – 21:09 शुभ
चर 21:09 – 22:50 शुभ
रोग 22:50 – 24:30* अशुभ
काल 24:30* – 26:10* अशुभ
लाभ 26:10* – 27:51* शुभ
उद्वेग 27:51* – 29:31* अशुभ
शुभ 29:31* – 31:12* शुभ

💮होरा, दिन
सूर्य 07:12 – 08:05
शुक्र 08:05 – 08:58
बुध 08:58 – 09:51
चन्द्र 09:51 – 10:44
शनि 10:44 – 11:37
बृहस्पति 11:37 – 12:30
मंगल 12:30 – 13:23
सूर्य 13:23 – 14:16
शुक्र 14:16 – 15:09
बुध 15:09 – 16:02
चन्द्र 16:02 – 16:55
शनि 16:55 – 17:48

🚩होरा, रात
बृहस्पति 17:48 – 18:55
मंगल 18:55 – 20:02
सूर्य 20:02 – 21:09
शुक्र 21:09 – 22:16
बुध 22:16 – 23:23
चन्द्र 23:23 – 24:30
शनि 24:30* – 25:37
बृहस्पति 25:37* – 26:44
मंगल 26:44* – 27:51
सूर्य 27:51* – 28:58
शुक्र 28:58* – 30:05
बुध 30:05* – 31:12

*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*

मकर > 05:50 से 07:40 तक
कुम्भ > 07:40 से 09:12 तक
मीन > 09:12 से 10:42 तक
मेष > 10:42 से 12:22 तक
वृषभ > 12:22 से 14:20 तक
मिथुन > 14:20 से 16:32 तक
कर्क > 16:32 से 18:54 तक
सिंह > 18:54 से 21:08 तक
कन्या > 21:08 से 23:30 तक
तुला > 23:30 से 01:30 तक
वृश्चिक > 01:30 से 04:44 तक
धनु > 04:40 से 05:54 तक

*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौंजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

15 + 5 + 1 + 1 = 22 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

गुरु ग्रह मुखहुति

*💮 शिव वास एवं फल -:*

20 + 20 + 5 = 45 ÷ 7 = 3 शेष

वृषभारूढ़ = शुभ कारक

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*

*पंचमी तिथि वृद्धि*

*सर्वार्थ, अमृत सिद्धि योग 17:29 से*

*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*

उपसर्गेऽन्यचक्रे च दुर्भिक्षे च भयावहे ।
असाधुजनसम्पर्के यः पलायति जीवति ।।
।। चा o नी o।।

वह व्यक्ति सुरक्षित रह सकता है जो नीचे दी हुई परिस्थितियां उत्पन्न होने पर भाग जाए.
१. भयावह आपदा.
२. विदेशी आक्रमण
३. भयंकर अकाल
४. दुष व्यक्ति का संग.

*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*

गीता -: क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभागयोग अo-13

ज्योतिषामपि तज्ज्योतिस्तमसः परमुच्यते ।,
ज्ञानं ज्ञेयं ज्ञानगम्यं हृदि सर्वस्य विष्ठितम्‌ ॥,

वह परब्रह्म ज्योतियों का भी ज्योति (गीता अध्याय 15 श्लोक 12 में देखना चाहिए) एवं माया से अत्यन्त परे कहा जाता है।, वह परमात्मा बोधस्वरूप, जानने के योग्य एवं तत्वज्ञान से प्राप्त करने योग्य है और सबके हृदय में विशेष रूप से स्थित है॥,17॥,

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आंखों का विशेष ध्यान रखें। चोट व रोग से बचाएं। चिंता रहेगी। घर में मेहमानों का आगमन होगा। व्यय होगा। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। व्यवसाय ठीक चलेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। नौकरी में सहकर्मी साथ देंगे। प्रसन्नता बनी रहेगी।

🐂वृष
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। जुए व सट्टे से दूर रहें। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। कोई बड़ा काम होने से उत्साह व प्रसन्नता में वृद्धि होगी। जीवन सुखमय रहेगा। अपरिचितों पर अतिविश्वास न करें। किसी अनहोनी होने का भय सताएगा।

👫मिथुन
कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। व्यवसाय ठीक चलेगा। पुराना रोग उभर सकता है। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेना पड़ सकता है। चिंता तथा निराशा हावी रहेंगी। बेकार बातों पर ध्यान न दें। आय में निश्चितता रहेगी। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें।

🦀कर्क
जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। कानूनी अड़चन दूर होकर स्थिति अनुकूल रहेगी। नौकरी में मातहतों का साथ रहेगा। व्यापार अच्छा चलेगा। जल्दबाजी न करें। रुके कामों में गति आएगी। कीमती वस्तु गुम हो सकती है। चोट व रोग से बचें। आशंका-कुशंका से बाधा संभव है।

🐅सिंह
सुख के साधन जुटेंगे। भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। नए कार्य करने का मन बनेगा। भाइयों का सहयोग मिलेगा। उत्साह वृद्धि होगी। प्रतिद्वंद्वी सक्रिय रहेंगे। सावधानी आवश्यक है। भाग्य साथ है। अपने काम पर ध्यान दें। शत्रुओं का का पराभव होगा।

🙍‍♀️कन्या
वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का मौका मिलेगा। परिवार व मित्रों के साथ जीवन सुखमय गुजरेगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता प्राप्त करेगा। अध्ययन में मन लगेगा। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। बेचैनी रहेगी। व्यस्तता के चलते थकान हो सकती है। व्यापार में लाभ के योग हैं।

⚖️तुला
नौकरी में मातहतों का सहयोग मिलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। राजकीय कोप भुगतना पड़ सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें। भागदौड़ अधिक रहेगी। दु:खद समाचार मिल सकता है। किसी अपने के व्यवहार से मन को ठेस पहुंच सकती है। दूसरों के उकसावे में न आएं। व्यापार धीमा चलेगा।

🦂वृश्चिक
व्यवसाय में उतार-चढ़ाव रहेगा। आय बनी रहेगी। गृह क्लेश हो सकता है। पार्टनरों से मतभेद संभव है। कुसंगति से हानि होगी। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। क्रोध व उत्तेजना से समस्या बढ़ सकती है। अपेक्षाकृत कार्यों में विलंब होगा। तनाव रहेगा। मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

🏹धनु
आय में वृद्धि होगी। व्यापार में वृद्धि होगी। अज्ञात भय सताएगा। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। जल्दबाजी न करें। अच्छी बात भी लोगों को समझ नहीं आएगी। विरोध होगा। जीवन सुखमय करने के लिए व्यय होगा। प्रयास सफल रहेंगे। कार्य की प्रशंसा होगी। सामाजिक कार्य में मन लगेगा। मान-सम्मान मिलेगा।

🐊मकर
पूजा-पाठ में मन लगेगा। शत्रुओं का पराभव होगा। लेन-देन में सावधानी रखें। आय में वृद्धि होगी। कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी। व्यवसाय लाभदायक रहेगा। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। शुभ समय। शारीरिक कष्ट संभव है। विवाद में न पड़ें। क्लेश होगा। बेचैनी रहेगी।

🍯कुंभ
सुख के साधन जुटेंगे। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। व्यवसाय ठीक चलेगा। नई योजना बनेगी। समाज में मान-सम्मान मिलेगा। कोई बड़ी मुश्किल का हल मिलेगा। आय में वृद्धि होगी। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी। जीवनसाथी की चिंता रहेगी। शत्रुभय रहेगा।

🐟मीन
व्यापार से अधिक लाभ होगा। नौकरी में प्रशंसा मिलेगी। उत्साह वृद्धि होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बेचैनी रहेगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। व्यस्तता के चलते स्वयं का ध्यान नहीं रख पाएंगे। विवाद को बढ़ावा न दें। पराक्रम व प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे।

*आपका दिन मंगलमय हो🚩*

*🍁 अजामिल की कथा 🍁*

भगवान की शरण में रहने वाले विरले भक्तों के पाप श्री भगवान के नामोच्चारण से ऐसे नष्ट हो जाते हैं जैसे सूर्य उदय होने पर कोहरा नष्ट हो जाता है। जिन्होंने अपने भगवद गुण अनुरागी मन मधुकर को भगवान श्री कृष्ण के चरणारविन्द मकरन्द का एक बार पान करा दिया; उन्होंने सारे प्रायश्चित कर लिए। वे स्वप्न में भी यमराज और उनके पाशधारी दूतों को नहीं देखते।

इसी सन्दर्भ में कन्नौज के दासीपति ब्राह्मण अजामिल की कथा आती है। अजामिल बड़ा ही शास्त्रज्ञ शीलवान, सदाचारी व सदगुणों का खजाना था। ब्रह्मचारी, विनयी, जितेन्द्रिय, सत्यनिष्ठ, मंत्रवेत्ता और पवित्र भी था। इसने गुरु, अग्नि, अतिथि और वृद्ध पुरुषों की सेवा की थी। अहंकार तो इसमें था ही नहीं। यह समस्त प्राणियों का हित चाहता, उपकार करता, आवश्यकता के अनुसार ही बोलता और किसी के गुणों में दोष नहीं ढूँढ़ता था।

एक दिन वन से फल-फूल, समिधा व कुश लाते समय अजामिल ने एक कामी व निर्लज्ज भ्रष्ट शूद्र को शराब पीकर एक वेश्या के साथ विहार करते हुए देखा। वेश्या भी शराब पीकर अर्द्धनग्न अवस्था में मतवाली हो रही थी। अजामिल उन्हें इस अवस्था में देखकर सहसा मोहित व काम के वश हो गया। उसने अपने धैर्य व ज्ञान के अनुसार अपने काम वेग से विचलित मन को रोकने की बहुत कोशिश की परन्तु उस वेश्या को निमित्त बना कर काम पिशाच ने अजामिल के मन को ग्रस लिया। वह मन ही मन उस वेश्या का चिंतन करने लगा और अपने धर्म से विमुख हो गया। उस कुलटा को प्रसन्न करने के लिए अजामिल ने अपने पिता की सारी सम्पत्ति भी दे डाली व अपनी कुलीन नवविवाहिता पत्नी तक का त्याग कर दिया। धन पाने की चेष्टा में वह पतित कभी बटोहियों को बाँध कर उन्हें लूट लेता, कभी लोगों को जुए के छल से हरा देता, किसी का धन धोखा-धड़ी से ले लेता तो किसी का चुरा लेता। इस प्रकार उसकी आयु का एक बहुत बड़ा भाग, 88 वर्ष बीत गये और वह वेश्या के 10 पुत्रों का लालन-पालन करता रहा।

अजामिल ने किसी सत्पुरुष के कहने पर अपने सबसे छोटे पुत्र का नाम ‘नारायण’ रखा। वृद्ध अजामिल ने पुत्र मोह में अपना सम्पूर्ण ह्रदय अपने बच्चे नारायण को सौंप दिया था। उसकी तोतली बोली सुनकर अजामिल फूला न समाता, उसे अपने साथ ही खिलाता-पिलाता व उसी के मोहपाश में बंधा रहता। वह मूढ़ इस बात को जान ही ना पाया कि काल उसके सर पर आ पहुँचा है।

अजामिल की मृत्यु का समय आ पहुँचा। उसने देखा कि उसे ले जाने के लिए अत्यंत भयावने तीन यमदूत आये हैं, जिनके हाथों में फाँसी की रस्सी है, मुँह टेढ़े-मेढे हैं और शरीर के रोएँ खड़े हुए हैं। उस समय बालक नारायण वहाँ से कुछ दूरी पर खेल रहा था। यमदूतों की भयावह छवि से व्याकुल अजामिल ने बहुत ऊँचे स्वर से पुकारा- ‘नारायण’ ‘नारायण’। भगवान के पार्षदों ने देखा कि यह मरते समय हमारे स्वामी भगवान नारायण का नाम ले रहा है अतः वे झटपट वहाँ आ पँहुचे। उस समय यमदूत अजामिल के शरीर में से उसके सूक्ष्म शरीर को खींच रहे थे। चारों विष्णु दूतों ने उन्हें बलपूर्वक रोका।

यमदूतों ने कहा कि इस पापी अजामिल ने शास्त्राज्ञा का उल्लंघन करके स्वच्छंद आचरण किया है। इसने अनेकों वर्षों तक वेश्या के मल-समान अपवित्र अन्न से अपना जीवन व्यतीत किया है। इसका सारा जीवन पापमय है और इस पापी के पापों का प्रायश्चित दंडपाणि भगवान यमराज के पास नरक यातनायें भोगकर ही होगा।

भगवान के पार्षदों ने कहा- यमदूतों! इसने कोटि जन्म की पाप राशि का पूरा-पूरा प्रायश्चित कर लिया है क्योंकि इसने विवश हो कर ही सही, भगवान के परम कल्याणमय (मोक्षप्रद) नाम का उच्चारण किया है। जिस समय इसने ‘नारायण’ इन चार अक्षरों का उच्चारण किया, उसी समय इस पापी के समस्त पापों का प्रायश्चित हो गया। भगवन्नाम उच्चारण बड़े से बड़े पाप को काटने की सामर्थ्य रखता है क्योंकि भगवान के नाम के उच्चारण से मनुष्य की बुद्धि भगवान के गुण, लीला और स्वरुप में रम जाती है और स्वयं भगवान की भी उसके प्रति आत्मीय बुद्धि हो जाती है।

संकेत में, परिहास में, तान अलापने में अथवा किसी की अवहेलना करने में भी यदि कोई ‘नाम’ उच्चारण करे तो उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। जो मनुष्य गिरते समय, पैर फिसलते समय, अंग भंग होते समय, साँप के डसते समय, आग में जलते समय व चोट लगते समय भी विवशता से ‘हरि-हरि’ कहकर भगवान के नाम का उच्चारण कर लेता है, वह यम यातना का पात्र नहीं रह जाता।

यमदूतों! जैसे जाने या अनजाने में ईंधन से अग्नि का स्पर्श हो जाए तो वह भस्म हो ही जाता है, वैसे ही जान बूझकर या अनजाने में, भगवान के नामों का संकीर्तन करने से मनुष्य के सारे पाप भस्म हो जाते हैं। जैसे कोई परम शक्तिशाली अमृत को उसका गुण न जान कर अनजाने में पी ले, तो भी अमृत उसे अमर बना ही देता है वैसे ही अनजाने में उच्चारण करने पर भी भगवान का नाम अपना फल देकर ही रहता है। अजामिल ने श्री भगवान का नाम नारायण का उच्चारण किया है अतः यमदूतों तुम अजामिल को मत ले जाओ।

भगवान के पार्षदों ने भागवत धर्म का पूरा-पूरा निर्णय सुना दिया व अजामिल को यमदूतों के पाश से बचा कर मृत्यु के मुख से छुड़ा लिया।

अजामिल ने यमदूतों व विष्णुदूतों के सारे संवाद को देखा व सुना। वह यमदूतों के फंदे से छुटकर निर्भय व स्वस्थ हो गया। सर्व पापहारी भगवान की महिमा सुनने से अजामिल के ह्रदय में शीघ्र ही भक्ति का उदय हो गया। उसे अपने जीवन पर बहुत पश्चाताप होने लगा। उसके ह्रदय में संसार के प्रति तीव्र वैराग्य होने लगा। अजामिल सबके संबंध और मोह को छोड़कर हरिद्वार चला गया। योगमार्ग व आत्म चिंतन का आश्रय लेकर अजामिल ने इन्द्रियों, मन व बुद्धि को विषयों से पृथक कर भगवान में लीन कर दिया। तब उसने देखा कि उसके सामने वही चारों विष्णुदूत खड़े हैं, जिन्हें उसने पहले देखा था। अजामिल ने सर झुका कर उन्हें नमस्कार किया। उनका दर्शन पाने के बाद अजामिल ने उसी तीर्थ हरिद्वार में गंगा के तट पर अपना शरीर त्याग दिया और तत्काल भगवान के पार्षदों के साथ स्वर्णमय विमान पर आरूढ़ होकर आकाशमार्ग से भगवान लक्ष्मीपति के निवास स्थान बैंकुठ को चला गया।

शिक्षा:- 1. भगवान के नाम में इतने पापों को काटने की शक्ति है, जितने पाप मनुष्य कर भी नहीं सकता।

2. जो मनुष्य मोहग्रस्त होकर घर गृहस्थी का ही बोझा ढोते रहते हैं व भगवन्नाम के दिव्य रस से विमुख हैं, वे ही बार-बार नरक यातनाओं व जन्म-मरण के चक्र में फंसने के लिए धर्माधिकरी यमराज के सम्मुख लाए जाते हैं।

3. बड़े से बड़े पापों का सर्वोत्तम, अंतिम और पाप वासनाओं को भी निर्मूल कर डालने वाला प्रायश्चित यही है कि केवल श्री भगवान के गुणों, लीलाओं और नामों का कीर्तन किया जाए। भगवान के आश्रित भक्तों की ओर यमदूत आँख उठा कर भी नहीं देखते।

*कलियुग केवल नाम आधारा।*
*सिमर सिमर नर उतरहिं पारा।।*

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