*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग- मनुष्य के छः शत्रु*
*आज का पञ्चांग*
*दिनांक:- 23/02/2025, रविवार*
*दशमी, कृष्ण पक्ष,*
*फाल्गुन*
(समाप्ति काल)
तिथि———– दशमी 13:55:25 तक
पक्ष————————-कृष्ण
नक्षत्र———— मूल 18:41:46
योग————- वज्र 11:17:45
करण——- विष्टि भद्र 13:55:25
करण————- बव 25:55:50
वार———————– रविवार
माह——————— फाल्गुन
चन्द्र राशि—————— धनु
सूर्य राशि—————– कुम्भ
रितु———————— वसंत
आयन—————– उत्तरायण
संवत्सर——————– क्रोधी
संवत्सर (उत्तर) ————-कालयुक्त
विक्रम संवत————– 2081
गुजराती संवत———— 2081
शक संवत—————- 1946
कलि संवत—————- 5125
सूर्योदय————– 06:50:37
सूर्यास्त—————- 18:14:44
दिन काल————-11:24:06
रात्री काल————-12:34:56
चंद्रास्त————– 13:20:23
चंद्रोदय—————- 28:04:13
लग्न—- कुम्भ 10°28′ , 310°28′
सूर्य नक्षत्र————- शतभिषा
चन्द्र नक्षत्र——————- मूल
नक्षत्र पाया——————- ताम्र
*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
भा—- मूल 12:30:29
भी—- मूल 18:41:46
भू—- पूर्वाषाढा 24:50:09
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= कुम्भ 10°40, शतभिषा 2 सा
चन्द्र= धनु 06°30 , मूल 3 भा
बुध =कुम्भ 21°52 ‘ पू o भा o 1 से
शु क्र= मीन 15°05, उ o फाo’ 4 ञ
मंगल=मिथुन 22°30 ‘ पुनर्वसु ‘ 1 के
गुरु=वृषभ 17°30 रोहिणी, 3 वी
शनि=कुम्भ 25°28 ‘ पू o भा o , 2 सो
राहू=(व) मीन 04°30 उo भा o, 1 दू
केतु= (व)कन्या 04°30 उ oफा o 3 पा
*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*
राहू काल 16:49 – 18:15 अशुभ
यम घंटा 12:33 – 13:58 अशुभ
गुली काल 15:24 – 16: 49अशुभ
अभिजित 12:10 – 12:55 शुभ
दूर मुहूर्त 16:44 – 17:29 अशुभ
वर्ज्यम 17:03 – 18:42 अशुभ
प्रदोष 18:15 – 20:48 शुभ
गंड मूल 06:51 – 18:42 अशुभ
💮चोघडिया, दिन
उद्वेग 06:51 – 08:16 अशुभ
चर 08:16 – 09:42 शुभ
लाभ 09:42 – 11:07 शुभ
अमृत 11:07 – 12:33 शुभ
काल 12:33 – 13:58 अशुभ
शुभ 13:58 – 15:24 शुभ
रोग 15:24 – 16:49 अशुभ
उद्वेग 16:49 – 18:15 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
शुभ 18:15 – 19:49 शुभ
अमृत 19:49 – 21:23 शुभ
चर 21:23 – 22:58 शुभ
रोग 22:58 – 24:32* अशुभ
काल 24:32* – 26:07* अशुभ
लाभ 26:07* – 27:41* शुभ
उद्वेग 27:41* – 29:15* अशुभ
शुभ 29:15* – 30:50* शुभ
💮होरा, दिन
सूर्य 06:51 – 07:48
शुक्र 07:48 – 08:45
बुध 08:45 – 09:42
चन्द्र 09:42 – 10:39
शनि 10:39 – 11:36
बृहस्पति 11:36 – 12:33
मंगल 12:33 – 13:30
सूर्य 13:30 – 14:27
शुक्र 14:27 – 15:24
बुध 15:24 – 16:21
चन्द्र 16:21 – 17:18
शनि 17:18 – 18:15
🚩होरा, रात
बृहस्पति 18:15 – 19:18
मंगल 19:18 – 20:21
सूर्य 20:21 – 21:23
शुक्र 21:23 – 22:26
बुध 22:26 – 23:29
चन्द्र 23:29 – 24:32
शनि 24:32* – 25:35
बृहस्पति 25:35* – 26:38
मंगल 26:38* – 27:41
सूर्य 27:41* – 28:44
शुक्र 28:44* – 29:47
बुध 29:47* – 30:50
*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
कुम्भ > 05:14 से 06:50 तक
मीन > 06:50 से 08:18 तक
मेष > 08:18 से 09:56 तक
वृषभ > 09:56 से 11:54 तक
मिथुन > 11:54 से 14:08 तक
कर्क > 14:08 से 16:28 तक
सिंह > 16:28 से 18:38 तक
कन्या > 18:38 से 20:52 तक
तुला > 20:52 से 23:06 तक
वृश्चिक > 23:06 से 01:24 तक
धनु > 01:24 से 03:20 तक
मकर > 03:20 से 05:14 तक
*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौंजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
15 + 10 + 1 + 1 = 27 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
राहु ग्रह मुखहुति
*💮 शिव वास एवं फल -:*
25 + 25 + 5 = 55 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक , दुःख कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
दोपहर 13:55 तक समाप्त
पाताल लोक = धनलाभ कारक
*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*
*सर्वार्थ सिद्धि योग 1842 तक*
*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*
भस्मना शुध्यते कांस्यं ताम्रमम्लेन शुध्यति ।
रजसा शुध्यते नारि नदी वेगेन शुध्यति ।।
।। चा o नी o।।
राख से घिसने पर पीतल चमकता है . ताम्बा इमली से साफ़ होता है. औरते प्रदर से शुद्ध होती है. नदी बहती रहे तो साफ़ रहती है.
*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*
गीता -: गुणत्रयविभागयोग :- अo-14
ऊर्ध्वं गच्छन्ति सत्त्वस्था मध्ये तिष्ठन्ति राजसाः ।,
जघन्यगुणवृत्तिस्था अधो गच्छन्ति तामसाः ॥,
सत्त्वगुण में स्थित पुरुष स्वर्गादि उच्च लोकों को जाते हैं, रजोगुण में स्थित राजस पुरुष मध्य में अर्थात मनुष्य लोक में ही रहते हैं और तमोगुण के कार्यरूप निद्रा, प्रमाद और आलस्यादि में स्थित तामस पुरुष अधोगति को अर्थात कीट, पशु आदि नीच योनियों को तथा नरकों को प्राप्त होते हैं॥,18॥,
*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐏मेष
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बेचैनी रहेगी। प्रयास सफल रहेंगे। धनलाभ के अवसर हाथ आएंगे। सामाजिक कार्य करने में रुचि रहेगी। मान-सम्मान मिलेगा। निवेश शुभ रहेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। कार्यसिद्धि होगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।
🐂वृष
यात्रा मनोरंजक रहेगी। स्वादिष्ट भोजन का आनंद प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता प्राप्त करेगा। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। व्यस्तता के चलते स्वास्थ्य प्रभावित होगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। मित्रों का सहयोग समय पर प्राप्त होगा। रुके कार्यों में गति आएगी। प्रसन्नता रहेगी। जोखिम न उठाएं।
👫मिथुन
जल्दबाजी से चोट लग सकती है। दूर से शोक समाचार मिल सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें। किसी अपने ही व्यक्ति से कहासुनी हो सकती है। थकान व कमजोरी रह सकती है। स्वास्थ्य पर खर्च होगा। चिंता तथा तनाव रहेंगे। नौकरी में कार्यभार रहेगा। भागदौड़ रहेगी। आय होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा।
🦀कर्क
कानूनी अड़चन दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। थकान व कमजोरी रह सकती है। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। निवेश में जल्दबाजी न करें। नौकरी में शांति रहेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। मित्रों का सहयोग रहेगा। कार्य समय पर पूर्ण होंगे।
🐅सिंह
पुराना रोग उभर सकता है। दूर से दु:खद समाचार मिल सकता है। व्यर्थ भागदौड़ रहेगी। किसी व्यक्ति के व्यवहार से अप्रसन्नता रहेगी। अपेक्षित कार्य विलंब से होंगे। प्रयास अधिक करना पड़ेंगे। किसी व्यक्ति विशेष की नाराजी झेलना पड़ेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा।
🙍♀️कन्या
जल्दबाजी न करें। कोई समस्या खड़ी हो सकती है। शरीर शिथिल हो सकता है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। भूमि व भवन इत्यादि की खरीद-फरोख्त की योजना बनेगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। आय में वृद्धि होगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेगे। प्रमाद न करें।
⚖️तुला
धनहानि संभव है, सावधानी रखें। किसी व्यक्ति के व्यवहार से स्वाभिमान को ठेस पहुंच सकती है। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। विवाद से बचें। शत्रु शांत रहेंगे। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। यात्रा लाभदायक रहेगी। व्यापार मनोनुकूल चलेगा। नौकरी में चैन रहेगा।
🦂वृश्चिक
अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। बात बढ़ सकती है। परिवार के किसी सदस्य के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। तनाव रहेगा। पुराना रोग उभर सकता है। लेन-देन में सावधानी रखें। किसी भी व्यक्ति की बातों में न आएं। महत्वपूर्ण निर्णय सोच-समझकर करें, लाभ होगा।
🏹धनु
शत्रु सक्रिय रहेंगे। शारीरिक कष्ट संभव है। दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करें। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। निवेश मनोनुकूल लाभ देगा। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता प्राप्त होगी। भाग्य का साथ मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी।
🐊मकर
धन प्राप्ति सुगम तरीके से होगी। नई योजना बनेगी। तत्काल लाभ नहीं होगा। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। सामाजिक कार्य करने में रुझान रहेगा। मान-सम्मान मिलेगा। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि से मनोनुकूल लाभ होगा। कष्ट, तनाव व चिंता का वातावरण बन सकता है। शत्रु पस्त होंगे।
🍯कुंभ
पूजा-पाठ में मन लगेगा। किसी साधु-संत का आशीवार्द मिल सकता है। कोर्ट व कचहरी के कार्य मनोनुकूल रहेंगे। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेंगे। नौकरी में प्रभाव वृद्धि होगी। मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। लंबित कार्य पूर्ण होंगे। प्रमाद न करें।
🐟मीन
घर में अतिथियों का आगमन होगा। व्यय होगा। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। नौकरी में संतोष रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। विरोध होगा। विवाद से क्लेश होगा, इससे बचें। पुराना रोग उभर सकता है। परिवार की चिंता रहेगी। जल्दबाजी न करें।
*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*
*मनुष्य के छः शत्रु*
मानवों को कर्म करने में जानवरों से कहीं अधिक स्वतन्त्रता है । यही नहीं उनके मानसिक भावों के भी इन्द्रधनुष जैसे अनगिनत रंग होते हैं । इतनी सारी भावनाएं पशुओं में नहीं पाई जातीं । इस स्वतन्त्रता के कारण ही मनुष्यों में सुख-दुःख भी विशेष रूप से चित्रित होते हैं । दुःखों से बचने के लिए, परमात्मा ने वेदद्वारा धर्म का निरूपण किया । तथापि हमारे कुछ मानसिक शत्रु हमें धर्म का निर्वहन करने में बाधित करते हैं । इस लेख में इन पर विजय पाने का एक उपाय दिया गया है ।
शास्त्रों में मनुष्य के षड् रिपु बताए गए है – काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद और मात्सर्य । ये इस प्रकार हैं –
*काम* – सब प्रकार की इच्छाएं । जब ये इच्छाएं हम पर हावी हो जाती हैं, तब हम उनकी पूर्ति के लिए हत्या आदि भयंकर कृत्य करने में भी नहीं झिझकते ।
*क्रोध* – क्रोध के वश में तो हम सभी जानते हैं कि हम प्रायः ऐसे कृत्य कर डालते हैं जिनपर हमें बाद में पछतावा होता है ।
*लोभ* – काम की जब पराकाष्ठा हो जाती है, तब हम दूसरे की वस्तु का लोभ करने लगते हैं । इससे स्तेय (चोरी) आदि अनेकों पाप करते हैं ।
*मोह* – जहां एक ओर मोह वस्तुओं, परिजनों, आदि, से लगाव होता है, वहीं इसका विस्तृत अर्थ है सत्य न जानना । जिस प्रकार हम मृगतृष्णा में कुछ को कुछ देखते हैं, वैसे ही मोह के कारण हम अपने को अपना शरीर मानते हैं और शरीर की आवश्यकताओं को पूर्ण करने में जीवन लगा देते हैं; अपने माता-पिता, सन्तान, आदि को अपना मानकर उनके सुख में सुखी और उनके दुःख में दुःखी होते हैं, आदि, आदि । वस्तुतः, अन्य सभी भावों के मूल में मोह या अविद्या ही होती है ।
*मद* – अभिमान करना मद है । इसके कारण हम क्रोध और मात्सर्य में अनेकों बार फंस जाते हैं ।
*मात्सर्य* – लोभ से उत्पन्न यह भाव, हमारी इष्ट वस्तु/सुख को दूसरे को पाते हुए देखकर, दूसरे के सुख में दुःखी होना है ।
इस प्रकार हम देखते हैं कि ये सभी मानसिक विकार एक दूसरे से ही उत्पन्न होते हैं, एक-दूसरे से सम्बद्ध हैं ।
*गीता कहती है –*
“ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते ।
सङ्गात् सञ्जायते कामः कामात् क्रोधोऽभिजायते ॥
क्रोधोद्भवति सम्मोहः सम्मोहात् स्मृतिविभ्रमः ।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात् प्रणश्यति ॥”
( गीता २।६२-६३)
अर्थात् विषयों के बारे में सोचते-सोचते मनुष्य का उनमें लगाव उत्पन्न हो जाता है । उस लगाव से काम, काम से क्रोध, क्रोध से सम्मोह (=मोह), सम्मोह से स्मृति का नाश, स्मृतिनाश से ज्ञान का नाश और ज्ञान के नाश से वह आत्मा स्वयं नष्ट हो जाती है, अर्थात् अधर्म में फंस जाती है