*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग- भक्त और भगवान*
*आज का पञ्चांग*
*दिनांक:- 27/02/2025, गुरुवार*
*चतुर्दशी, कृष्ण पक्ष,*
*फाल्गुन*
(समाप्ति काल)
तिथि———-चतुर्दशी 08:54:12 तक
तिथि- अमावस्या 30:13:52(क्षय )
पक्ष———————— कृष्ण
नक्षत्र———– धनिष्ठा 15:42:44
योग—————शिव 23:39:50
करण———- शकुनी 08:54:12
करण——— चतुष्पद 19:36:49
करण———— नाग 30:13:52
वार———————– गुरूवार
माह———————- फाल्गुन
चन्द्र राशि—————— कुम्भ
सूर्य राशि—————– कुम्भ
रितु———————— वसंत
आयन——————उत्तरायण
संवत्सर——————- क्रोधी
संवत्सर (उत्तर) ————कालयुक्त
विक्रम संवत————– 2081
गुजराती संवत———— 2081
शक संवत—————–1946
कलि संवत—————- 5125
सूर्योदय————– 06:46:48
सूर्यास्त————– 18:17:16
दिन काल———— 11:30:28
रात्री काल———— 12:28:32
चंद्रास्त————– 17:41:02
चंद्रोदय—————- 30:55:04
लग्न—- कुम्भ 14°29′ , 314°29′
सूर्य नक्षत्र————— शतभिषा
चन्द्र नक्षत्र—————- धनिष्ठा
नक्षत्र पाया——————- ताम्र
*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
गु—- धनिष्ठा 10:10:12
गे—- धनिष्ठा 15:42:44
गो—- शतभिषा 21:13:47
सा—- शतभिषा 26:43:30
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= कुम्भ 14°40, शतभिषा 3 सी
चन्द्र= कुम्भ 01°30 , धनिष्ठा 3 गु
बुध =कुम्भ 28°52 ‘ पू o भा o 3 दा
शु क्र= मीन 16°05, उ o फाo’ 4 ञ
मंगल=मिथुन 22°30 ‘ पुनर्वसु ‘ 1 के
गुरु=वृषभ 17°30 रोहिणी, 3 वी
शनि=कुम्भ 26°28 ‘ पू o भा o , 2 सो
राहू=(व) मीन 04°20 उo भा o, 1 दू
केतु= (व)कन्या 04°20 उ oफा o 3 पा
*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*
राहू काल 13:58 – 15:25 अशुभ
यम घंटा 06:47 – 08:13 अशुभ
गुली काल 09:39 – 11: 06अशुभ
अभिजित 12:09 – 12:55 शुभ
दूर मुहूर्त 10:37 – 11:23 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:13 – 15:59 अशुभ
वर्ज्यम 22:20 – 23:48 अशुभ
प्रदोष 18:17 – 20:49 शुभ
🚩पंचक ¹ अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
शुभ 06:47 – 08:13 शुभ
रोग 08:13 – 09:39 अशुभ
उद्वेग 09:39 – 11:06 अशुभ
चर 11:06 – 12:32 शुभ
लाभ 12:32 – 13:58 शुभ
अमृत 13:58 – 15:25 शुभ
काल 15:25 – 16:51 अशुभ
शुभ 16:51 – 18:17 शुभ
🚩चोघडिया, रात
अमृत 18:17 – 19:51 शुभ
चर 19:51 – 21:24 शुभ
रोग 21:24 – 22:58 अशुभ
काल 22:58 – 24:32* अशुभ
लाभ 24:32* – 26:05* शुभ
उद्वेग 26:05* – 27:39* अशुभ
शुभ 27:39* – 29:12* शुभ
अमृत 29:12* – 30:46* शुभ
💮होरा, दिन
बृहस्पति 06:47 – 07:44
मंगल 07:44 – 08:42
सूर्य 08:42 – 09:39
शुक्र 09:39 – 10:37
बुध 10:37 – 11:34
चन्द्र 11:34 – 12:32
शनि 12:32 – 13:30
बृहस्पति 13:30 – 14:27
मंगल 14:27 – 15:25
सूर्य 15:25 – 16:22
शुक्र 16:22 – 17:20
बुध 17:20 – 18:17
🚩होरा, रात
चन्द्र 18:17 – 19:20
शनि 19:20 – 20:22
बृहस्पति 20:22 – 21:24
मंगल 21:24 – 22:27
सूर्य 22:27 – 23:29
शुक्र 23:29 – 24:32
बुध 24:32* – 25:34
चन्द्र 25:34* – 26:36
शनि 26:36* – 27:39
बृहस्पति 27:39* – 28:41
मंगल 28:41* – 29:43
सूर्य 29:43* – 30:46
*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
कुम्भ > 04:58 से 06:34 तक
मीन > 06:34 से 08:02 तक
मेष > 08:02 से 09:40 तक
वृषभ > 09:40 से 11:38 तक
मिथुन > 11:38 से 13:56 तक
कर्क > 13:56 से 16:12 तक
सिंह > 16:12 से 18:22 तक
कन्या > 18:22 से 20:36 तक
तुला > 20:36 से 22:50 तक
वृश्चिक > 22:50 से 01:08 तक
धनु > 01:08 से 03:04 तक
मकर > 03:04 से 04:50 तक
*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*💮दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
15 + 14 + 5 + 1 = 35 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
केतु ग्रह मुखहुति
*💮 शिव वास एवं फल -:*
29 + 29 + 5 = 63 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*
*चतुर्दशी वृद्धि अमावस्या*
*अमावस्या क्षय*
*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*
कालः पचति भूतानि कालः संहरते प्रजाः ।
कालः सुप्तेषु जागर्ति कालो हि दुरतिक्रमः ।।
।। चा o नी o।।
काल सभी जीवो को निपुणता प्रदान करता है. वही सभी जीवो का संहार भी करता है. वह जागता रहता है जब सब सो जाते है. काल को कोई जीत नहीं सकता.
*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*
गीता -: गुणत्रयविभागयोग :- अo-14
प्रकाशं च प्रवृत्तिं च मोहमेव च पाण्डव ।,
न द्वेष्टि सम्प्रवृत्तानि न निवृत्तानि काङ्क्षति ॥,
श्री भगवान बोले- हे अर्जुन! जो पुरुष सत्त्वगुण के कार्यरूप प्रकाश (अन्तःकरण और इन्द्रियादि को आलस्य का अभाव होकर जो एक प्रकार की चेतनता होती है, उसका नाम ‘प्रकाश’ है) को और रजोगुण के कार्यरूप प्रवृत्ति को तथा तमोगुण के कार्यरूप मोह (निद्रा और आलस्य आदि की बहुलता से अन्तःकरण और इन्द्रियों में चेतन शक्ति के लय होने को यहाँ ‘मोह’ नाम से समझना चाहिए) को भी न तो प्रवृत्त होने पर उनसे द्वेष करता है और न निवृत्त होने पर उनकी आकांक्षा करता है।, (जो पुरुष एक सच्चिदानन्दघन परमात्मा में ही नित्य, एकीभाव से स्थित हुआ इस त्रिगुणमयी माया के प्रपंच रूप संसार से सर्वथा अतीत हो गया है, उस गुणातीत पुरुष के अभिमानरहित अन्तःकरण में तीनों गुणों के कार्यरूप प्रकाश, प्रवृत्ति और मोहादि वृत्तियों के प्रकट होने और न होने पर किसी काल में भी इच्छा-द्वेष आदि विकार नहीं होते हैं, यही उसके गुणों से अतीत होने के प्रधान लक्षण है)॥,22॥,
*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐂मेष
किसी वरिष्ठ व्यक्ति के सहयोग से कार्य की बाधा दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। परिवार के लोग अनुकूल व्यवहार करेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। नए लोगों से संपर्क होगा। आय में वृद्धि तथा आरोग्य रहेगा। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। चिंता में कमी होगी। जल्दबाजी न करें।
🐏वृष
स्थायी संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। आय में वृद्धि तथा उन्नति मनोनुकूल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। पार्टनरों का सहयोग समय पर प्राप्त होगा। यात्रा की योजना बनेगी। घर-बाहर कुछ तनाव रहेगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
👫मिथुन
स्वास्थ्य का ध्यान रखें। चोट व दुर्घटना से बचें। आय में कमी रह सकती है। घर-बाहर असहयोग व अशांति का वातावरण रहेगा। अपनी बात लोगों को समझा नहीं पाएंगे। ऐश्वर्य के साधनों पर बड़ा खर्च होगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। हितैषी सहयोग करेंगे। धनार्जन संभव है।
🦀कर्क
किसी जानकार प्रबुद्ध व्यक्ति का सहयोग प्राप्त होने के योग हैं। तंत्र-मंत्र में रुचि रहेगी। किसी राजनयिक का सहयोग मिल सकता है। लाभ के दरवाजे खुलेंगे। चोट व दुर्घटना से बचें। व्यस्तता रहेगी। थकान व कमजोरी महसूस होगी। विवाद से बचें। धन प्राप्ति होगी। प्रमाद न करें।
🐅सिंह
पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बनेगा। स्वादिष्ट व्यंजनों का लाभ मिलेगा। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल रहेंगे। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। काम में मन लगेगा। शेयर मार्केट में लाभ रहेगा। नौकरी में सुविधाएं बढ़ सकती हैं। व्यस्तता के चलते स्वास्थ्य का ध्यान रखें। धन प्राप्ति सुगमता से होगी।
🙍♀️कन्या
दु:खद सूचना मिल सकती है, धैर्य रखें। फालतू खर्च होगा। कुसंगति से बचें। बेकार की बातों पर ध्यान न दें। अपने काम पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। लाभ होगा।
⚖️तुला
भूले-बिसरे साथी तथा आगंतुकों के स्वागत तथा सम्मान पर व्यय होगा। आत्मसम्मान बना रहेगा। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। बड़ा काम करने का मन बनेगा। परिवार के सदस्यों की उन्नति के समाचार मिलेंगे। प्रसन्नता रहेगी। पारिवारिक सहयोग बना रहेगा। किसी व्यक्ति की बातों में न आएं, लाभ होगा।
🦂वृश्चिक
यात्रा मनोनुकूल मनोरंजक तथा लाभप्रद रहेगी। भेंट व उपहार की प्राप्ति संभव है। व्यापार-व्यवसाय से मनोनुकूल लाभ होगा। घर-बाहर सफलता प्राप्त होगी। परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी। काम में लगन तथा उत्साह बने रहेंगे। मित्रों के साथ प्रसन्नतापूर्वक समय बीतेगा।
🏹धनु
घर-बाहर प्रसन्नतादायक वातावरण रहेगा। नौकरी में चैन महसूस होगा। व्यापार से संतुष्टि रहेगी। संतान की चिंता रहेगी। प्रतिद्वंद्वी तथा शत्रु हानि पहुंचा सकते हैं। मित्रों का सहयोग व मार्गदर्शन प्राप्त होगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। यात्रा की योजना बनेगी। प्रसन्नता रहेगी।
🐊मकर
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। यात्रा मनोरंजक रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। नौकरी में सुकून रहेगा। जल्दबाजी में कोई आवश्यक वस्तु गुम हो सकती है। कानूनी अड़चन आ सकती है। विवाद न करें। व्यवसाय ठीक चलेगा। घर-बाहर प्रसन्नता बनी रहेगी।
🍯कुंभ
नई योजना लागू करने का श्रेष्ठ समय है। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। सामाजिक कार्य सफल रहेंगे। मान-सम्मान मिलेगा। कार्यसिद्धि होगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। घर-बाहर प्रसन्नता का माहौल रहेगा। पारिवारिक सहयोग प्राप्त होगा। बड़ा कार्य करने का मन बनेगा। सफलता के साधन जुटेंगे। जोखिम न उठाएं।
🐟मीन
स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। बनते कामों में विघ्न आएंगे। चिंता तथा तनाव रहेंगे। जीवनसाथी से सामंजस्य बैठाएं। फालतू खर्च होगा। कुसंगति से बचें। बेवजह लोगों से मनमुटाव हो सकता है। बेकार की बातों पर ध्यान न दें। आय में निश्चितता रहेगी। मित्रों का सहयोग मिलेगा। जल्दबाजी न करें।
*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*
*🛕जय श्री राम🙏*
*🌳 भक्त और भगवान 🌳*
एक बार संत सूरदास जी को एक सज्जन ने भजन के लिए आमंत्रित किया। भजनोपरांत सज्जन को उन्हें घर तक पहुंचाने का ध्यान ही नहीं रहा। सूरदास जी ने भी उसे तकलीफ नहीं देनी चाही और खुद ही लाठी लेकर गोविंद-गोविंद करते हुए अंधेरी रात में पैदल ही अपने घर की ओर निकल पड़े।
रास्ते में एक कुआं पड़ता था। वे लाठी से टटोलते-टटोलते, भगवान का नाम लेते हुए बढ़ रहे थे, कि उनके पांव और कुएं के बीच मात्र कुछ ही दूरी रह गई थी, और तभी उन्हें लगा कि किसी ने उनकी लाठी पकड़ ली है, उन्होंने पूछा- तुम कौन हो?
उत्तर मिला- बाबा! मैं एक बालक हूं। मैं भी आपका भजन सुन कर लौट रहा हूं। देखा कि आप गलत रास्ते जा रहे हैं, इसलिए मैं इधर आ गया। चलिए, आपको घर तक छोड़ दूं।
सूरदास जी ने पूछा- तुम्हारा नाम क्या है बेटा?
उत्तर मिला- बाबा! अभी तक मां ने मेरा नाम नहीं रखा है।
सूरदास जी ने पूछा- तब मैं तुम्हें किस नाम से पुकारूं?
उत्तर मिला- कोई भी नाम चलेगा बाबा।
सूरदास जी ने रास्ते में ने और भी कई सवाल पूछे और तब उन्हें लगा कि हो न हो, यह कन्हैया हैं। वे समझ गए कि आज गोपाल खुद मेरे पास आए हैं। क्यों नहीं मैं इनका हाथ पकड़ लूं। और यह सोचकर वे अपना हाथ उस लाठी पर भगवान श्री कृष्ण की ओर बढ़ाने लगे।
भगवान श्री कृष्ण उनकी यह चाल समझ गए।
सूरदास जी का हाथ धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था। जब केवल चार अंगुल अंतर रह गया, तब भगवान श्री कृष्ण लाठी को छोड़कर दूर चले गए। और जैसे ही उन्होंने लाठी छोड़ी, सूरदास जी विह्वल हो गए, उनकी आंखों से अश्रुधारा बह निकली, और वे बोले- मैं अंधा हूं, और ऐसे अंधे की लाठी छोड़कर चले जाना, कन्हैया तुम्हारी बहादुरी है क्या? और फिर उनके श्रीमुख से वेदना के यह स्वर निकल पड़े-
—— बांह छुड़ा के जात हैं, निर्बल जानी मोही ——
—— हृदय छोड़ के जाय तो, मैं मर्द बखानू तोही ——
सार- मुझे निर्बल जानकार मेरा हाथ छुड़ाकर जाते हो, पर मेरे हृदय से जाओ तो मैं तुम्हें मर्द कहूं।
तब भगवान कृष्ण जी ने कहा- बाबा! अगर मैं ऐसे भक्तों के हृदय से चला जाऊं, तो फिर मैं कहां रहूं?
*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, वो पर्याप्त है।।*