उत्तराखंडधर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग- निष्काम भावना*

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*आज का राशिफल*
*05 मार्च 2025 , बुधवार*

मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज आपका दिन सामान्य रहेगा। किसी महत्वपूर्ण संस्था के साथ जुड़ने का आपको मौका मिल सकता है। जो कि आपके लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होगा। आपका मान-सम्मान भी बढ़ेगा। बच्चों के लिए समय अवश्य निकालें। इस समय प्राकृतिक चीजों पर अपना अधिक से अधिक समय व्यतीत करें। इससे आपको मानसिक व आत्मिक शांति महसूस होगी। किसी उच्च पद पर आसीन व्यक्ति की मदद से आपकी हर समस्या हल हो सकती हैं। आत्म संतुष्टि मिलेगी। स्वास्थ्य सुधार होगा।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी ,वु , वे, वो)
आज मान प्रतिष्ठा बढेगी । रूके हुए कार्य पूर्ण होंगे । इस समय दूरदराज की व्यवसायिक पार्टियों से संपर्क स्थापित करें। आपको बाहरी गतिविधियों से महत्वपूर्ण ऑर्डर मिलने के योग बन रहे हैं। इनकम के सोर्स भी अभी कमजोर रहेंगे। ऑफिस में किसी नए प्रोजेक्ट को हाथ में लेने से पहले उसके बारे में पूरी जांच-पड़ताल अवश्य करें। स्वास्थ्य सही रहेगा।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज आपका दिन उत्तम रहेगा । इस समय ग्रह स्थितियां और भाग्य दोनों ही आपके पक्ष में काम कर रहे हैं। समय का भरपूर सदुपयोग करें। संतान के कैरियर संबंधी प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता मिलने से खुशी भरा माहौल रहेगा। अगर संपत्ति संबंधी कोई मसला चल रहा है तो आज किसी की मध्यस्थता से हल हो सकता है। स्वास्थ्य लाभ होगा।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज आपका दिन मिलाजुला रहेगा । पारिवारिक सुख मिलेगा । इस समय बिजनेस संबंधी किसी भी काम में पैसा लगाने से परहेज करें। क्योंकि अभी परिस्थितियां अनुकूल नहीं है। इस समय वर्तमान गतिविधियों पर ही अपना ध्यान केंद्रित रखें। कुछ नया करने का प्लान अभी स्थगित कर दें। स्वास्थ्य सुधार होगा।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति से मुलाकात आपको जीवन की एक नई दिशा प्रदान करेगी। और आप अपने कार्य संबंधी योजनाओं को बेहतरीन तरीके से अंजाम दे पाएंगे। पैतृक प्रॉपर्टी संबंधी मामले सुलझाने के लिए आज समय उचित है। खुद के लिए समय अवश्य निकालें। स्वास्थ्य बढ़िया रहेगा।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज जनसंपर्क आपके लिए फायदेमंद साबित होंगे। आत्मविश्वास तथा आत्मबल को मजबूत बनाकर रखें। इस समय आपको कई आर्डर तथा अनुबंध हासिल होने वाले हैं। ऑफिस में भी आपके उचित कार्यों की वजह से कोई अथॉरिटी मिल सकती हैं। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज आपका दिन मनोहारी रहेगा। बस इस समय भावनाओं के बजाय चतुराई और विवेक से काम लेना स्थितियों को आपके पक्ष में करेगा। संतान प्राप्ति संबंधी भी कोई शुभ सूचना मिल सकती है। जिससे पारिवारिक प्रसन्नता बनी रहेगी। कोई रुका हुआ कार्य भी पूरा करने के लिए यह उचित समय है। स्वास्थ्य बेहतर रहेगा।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज आपका दिन मनोनुकूल होगा। व्यवसायिक स्थिति अब बेहतर हो रही है। थोड़ी बहुत परेशानियां आएंगी लेकिन इनकी वजह से कोई भी काम नहीं रुकेगा। कार्यक्षेत्र की आंतरिक गतिविधियों पर ध्यान रखना जरूरी है। सामाजिक दायरा मान सम्मान देगा। स्वास्थ्य सही रहेगा।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज आपका समय सावधान रहने का है। कार्यालय अथवा दुकान के स्टाफ पर कड़ी नजर अवश्य रखें, इनकी मिली भगत आपके लिए नुकसानदायक हो सकती है। अपने महत्वपूर्ण कागजात तथा दस्तावेजों को संभालकर रखें। ऑफिस में भी कुछ राजनीतिक वातावरण जैसा बना रहेगा। स्वास्थ्य लाभ निश्चित है।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज आप अपनी किसी नकारात्मक आदत को छोड़ने का संकल्प करेंगे। इस कार्य में घर के बड़े बुजुर्गों का भी आशीर्वाद व सहयोग रहेगा। विद्यार्थियों को भी कैरियर संबंधी किसी समस्या का समाधान मिलने से बहुत अधिक राहत और सुकून प्राप्त होगा। स्वास्थ्य बेहतर रहेगा।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज आपका समय मेहनत वाला रहेगा। व्यवसायिक गतिविधियों के लिए आपने जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उसके लिए अभी और अधिक मेहनत की जरूरत है। दूरदराज के अपने संपर्क सूत्रों में और अधिक मजबूती लाने की जरूरत है। सरकारी सेवा वाले लोगों का काम ज्यादा रहेगा। स्वास्थ्य सही रहेगा।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज घर परिवर्तन या यात्रा संबंधी कोई योजना बन रही है तो उसे अंजाम देने के लिए उचित समय है। किसी भी काम में घर के वरिष्ठ लोगों की सलाह अवश्य लें और उस पर अमल भी करें। आपके लिए यह बहुत ही लाभदायक रहेगा। सामाजिक दायरा बढेगा। धार्मिक विचारों में वृद्धि होगी। किसी मित्र से सोशल मीडिया पर बात हो सकती है। स्वास्थ्य सुधार होगा।

🔅 *_कृपया ध्यान दें👉_*
यद्यपि शुद्ध राशिफल की पूरी कोशिश रही है फिर भी इन राशिफलों में और आपकी कुंडली व राशि के ग्रहों के आधार पर आपके जीवन में घटित हो रही घटनाओं में कुछ अन्तर हो सकता है। ऐसी स्थिति में आप किसी ज्योतिषी से अवश्य सम्पर्क करें। किसी भी भिन्नता के लिए हम उत्तरदायी नहीं हैं।

🌷आपका दिन मंगलमय हो।🌷

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*निष्काम भावना*

सुना है मैंने, एक मुसलमान बादशाह हुआ। गुलाम था उसका एक, बहुत प्रेम था गुलाम से। पत्नी भी नहीं सो सकती थी उसके कमरे में, लेकिन गुलाम सोता था। कोई भी साथ न जाए वहा, वहां भी गुलाम साथ होता था। कितनी ही गुफ्तगू की बात हो, बडे दो सम्राटों से मिलना हो रहा हो, तो भी गुलाम मौजूद होता था। गहरी मैत्री थी। सम्राट कुछ भोजन भी करता था, तो पहला कौर गुलाम को देता था।

दोनों शिकार के लिए गए थे। रास्ते में खो गए। भूख लगी, बहुत परेशान थे। एक वृक्ष के पास रुके। एक ही फल था वृक्ष में, सम्राट ने हाथ बढ़ाकर तोड़ा। सदा के हिसाब के अनुसार उसने एक कली काटी और गुलाम को दी। उस गुलाम ने कली खाई और कहा कि आश्चर्य, ऐसा अमृत फल! एक कली और दे दें।

सम्राट ने दूसरी भी दे दी। गुलाम ने तीसरी भी मांगी। एक ही टुकड़ा सम्राट के पास बचा। सम्राट ने कहा कि अब बस! हद्द कर दी तूने! अगर इतना अमृत फल है, तो एक तो टुकड़ा मुझे खा लेने दे! गुलाम हाथ से छीनने लगा। उसने कहा कि नहीं मालिक, यह फल ऐसा अमृत है कि मुझे पूरा दे दें।

सम्राट ने कहा, यह ज्यादती है। यह सीमा के बाहर बात हुई जा रही है। तू तीन टुकड़े खा चुका है। दूसरा फल वृक्ष पर नहीं है। हम दोनों भूखे हैं। और मैंने तुझे तीन टुकड़े दे दिए। फल मैंने तोड़ा है। और तू आखिरी टुकड़ा भी नहीं छोड़ना चाहता।

गुलाम ने कहा कि नहीं, छोड़ने को राजी नहीं हूं।

लेकिन सम्राट न माना। उसने टुकड़ा अपने मुंह में रखा। जहर था बिलकुल। उसने गुलाम से कहा, तू पागल तो नहीं है? इसे तू अमृत कहता है!

उस गुलाम ने कहा कि जिस हाथ से सदा मीठे फल खाने को मिले, उसके एक जरा-से कड़वे फल की शिकायत भी करनी सारे जीवन के प्रेम पर पानी फेर देना है। और सवाल फल का नहीं है, सवाल तो उस हाथ का है, जिसने दिया है। वह हाथ इतना मीठा है। इसीलिए जिद्द कर रहा था कि वह टुकड़ा मुझे दे दें। आपको पता भी न चल पाए। क्योंकि पता भी चल गया, तो शिकायत हो गई। आपको पता भी न चल पाए। क्योंकि पता भी चल गया किसी कारण से, तो शिकायत हो गई। तो जिंदगी भर इतना प्रेम, उसमें यह छोटी-सी शिकायत, मेरे छोटे मन का सबूत है। यह फल बहुत मीठा था।

पर सम्राट ने कहा कि मुझे कडुवा लगता है।

तो उस गुलाम ने कहा कि मुझे आपके हाथ के संबंध में पता नहीं, आपके मुंह के संबंध में मुझे कुछ पता नहीं, लेकिन आपने जिस हाथ से मुझे दिया है, उस हाथ में सभी कुछ मीठा हो जाता है।

निष्काम भावना का अर्थ है, परमात्मा जो भी दे रहा है, वह उसकी अनुकंपा है, हमारी कोई मांग नहीं है। और वह जो भी दे रहा है, उस सभी के लिए हम अनुगृहीत हैं। उसमें भेद नहीं है कि इस बात के लिए अनुग्रह है और इस बात के लिए शिकायत है। जिस आदमी के मन में शिकायत है, वह आस्तिक नहीं है।

आस्तिक की मेरी तरफ एक ही परिभाषा है, वह आदमी नहीं, जो कहता है, ईश्वर है। वह आदमी नहीं, जो कहता है कि ईश्वर है, इसके मैं प्रमाण दे सकता हूं। वह आदमी नहीं? जो ईश्वर है, ऐसी मान्यता रखकर जीता है। आस्तिक का एक ही अर्थ है, वह आदमी, जिसकी अस्तित्व के प्रति कोई शिकायत नहीं है। ईश्वर का नाम भी न ले, तो चलेगा। चर्चा ही न उठाए, तो भी चलेगा। ईश्वर की बात भी न करे, तो भी चलेगा। लेकिन अस्तित्व के प्रति, जीवन के प्रति उसकी कोई शिकायत नहीं है।

यह सारा जीवन उसके लिए एक आनंद-उत्सव है। यह सारा जीवन उसके, लिए एक अनुग्रह है, एक ग्रेटिटयूड है। यह सारा जीवन एक अनुकंपा है, एक आभार है। उसके प्राण का एक-एक स्वर धन्यवाद से भरा है, जो भी है, उसके लिए। उसमें रत्तीभर फर्क की उसकी आकांक्षा नहीं है। ‘

ऐसा व्यक्ति, कृष्ण कहते हैं, निष्काम भाव से उपासता है मुझे।। उसके योग- क्षेम की मैं स्वयं ही चिंता कर लेता हूं। उसे अपने न तो योग की चिंता करनी है और न क्षेम की।

यहां एक बड़ी अदभुत बात है। और आमतौर से जब भी कोई इस सूत्र को पढ़ता है, तो उसको कठिनाई क्षेम में मालूम पड़ती है, योग में नहीं! इस सूत्र पर, जितने व्याख्याकार हैं, उनको कठिनाई क्षेम में मालूम पड़ती है। वे कहते हैं, योग तो ठीक है कि परमात्मा सम्हाल लेगा, अंतिम मिलन को, लेकिन यह जो रोज दैनंदिन का जीवन है, यह जो रोटी कमानी है, यह जो कपड़ा बनाना है, यह जो मकान बनाना है, यह जो बच्चे पालने हैं-यह सब-यह परमात्मा कैसे करेगा? हालत दूसरी होनी चाहिए। हालत तो यह होनी चाहिए कि ये छोटी-छोटी चीजें शायद परमात्मा कर भी लेगा। योग, साधना की अंतिम अवस्था, वह कैसे करेगा! लेकिन वह किसी को खयाल नहीं उठता।

हम सबको डर इन्हीं सब छोटी चीजों का है, इसीलिए। उस बड़ी चीज पर तो हमारी कोई दृष्टि भी नहीं है। मोहम्मद, सांझ जो भी उन्हें मिलता था, बांट देते थे। कोई भेंट कर जाता, कोई दे जाता, कोई चढ़ा जाता, वे सांझ सब बांटकर, रात फकीर होकर सो जाते थे। मोहम्मद जैसा फकीर मुश्किल से होता है।

और एकबारगी सब छोड़ देना बहुत आसान है। महावीर ने एकबारगी सब छोड़ दिया, यह बहुत आसान है। मोहम्मद ने एकबारगी सब नहीं छोड़ा; रोज-रोज छोड़ा। यह बहुत कठिन है। सुबह लोग दे जाते, तो मोहम्मद ले लेते, और सांझ सब बांट देते। रात फकीर होकर सो जाते। आदेश था घर में कि एक चावल का टुकड़ा भी बचाया न जाए। क्योंकि जिसने आज सुबह दिया था, वह कल सुबह देगा। और नहीं देगा, तो उसकी मर्जी। नहीं देगा, तो इसीलिए कि देने की बजाय न देना हितकर होगा। सांझ सब बांट देना है। जिसने आज सुबह फिक्र की थी, कल सुबह फिक्र करेगा। नहीं करेगा, तो उसका अर्थ है कि वह चाहता है, आज हम भूखे रहें। उसका अर्थ है कि वह चाहता है, आज भोजन की बजाय भूख हितकर है।

ठीक चलता रहा। मोहम्मद की जिद्द थी, इसलिए कोई रोकता नहीं था। लेकिन फिर मोहम्मद बीमार पड़े और अंतिम रात आ गई। तो पत्नी को भय लगा! उसे लगा, और दिन तो सब ठीक था, लेकिन आज आंधी रात में भी दवा की जरूरत पड़ सकती है। सुबह वह देगा, लेकिन आंधी रात! पत्नी का मन, प्रेम के कारण ही, पांच दीनार, पांच रुपए उसने बचाकर रख लिए।

मोहम्मद बेचैन हैं। करवट बदलते हैं, नींद नहीं आती। रात बारह बज गए हैं। आखिर उन्होंने उठकर कहा कि मुझे लगता है कि मेरे जीवनभर का नियम आज टूट गया है। मुझे नींद नहीं आती! मैं तो सदा सो जाता था। आज मेरी हालत वैसी है, जैसी धनपतियों की होती है। करवट बदलता हूं नींद नहीं आती। मैं सदा का गरीब, मुझे कभी कोई चिंता नहीं पकड़ी। रात मुझे कोई सवाल नहीं था। आज क्या हो रहा है? मुझे डर है कि कहीं कुछ बचा तो नहीं लिया गया! पत्नी घबड़ा गई। उसने कहा कि क्षमा करें, भूल हो गई बड़ी! पांच रुपए मैंने बचा लिए, इस डर से कि बीमार हैं आप, पता नहीं, रात दवा-दारू की, चिकित्सक की, वैद्य की जरूरत पड़ जाए तो मैं क्या करूंगी!

तो मोहम्मद ने कहा कि जीवनभर के अनुभव के बाद भी कि हर सुबह वह सम्हालने मौजूद रहा, तुझे बुद्धि न आई! जीवनभर के अनुभव के बाद! और जो हर सुबह मौजूद रहा, अगर जरूरत पड़ेगी तो आंधी रात मौजूद नहीं होगा, ऐसे शक का क्या कारण था? कोई अनुभव है तेरा ऐसा? वह पांच रुपए बांट दे! अन्यथा मैं सो न सकूंगा। और यह मरते क्षण मेरे ऊपर इल्जाम रह जाए कि मोहम्मद, कुछ साथ था, तब मरे। जिंदगीभर की फकीरी को खराब किए देती है!

पत्नी बाहर गई। चकित हुई देखकर, एक भिखारी द्वार पर खड़ा है! मोहम्मद ने कहा, देखती है! जब लेने वाला आंधी रात को आ सकता है, तो देने वाला क्यों नहीं आ सकता? यह आंधी रात, अंधेरा, कोई बस्ती में दिखाई नहीं पड़ता, पक्षी भी पर नहीं मारते, और दरवाजे पर आदमी भिक्षा-पात्र लिए खड़ा है! फिर भी तेरी आंख नहीं खुलती? दे आ!

वह उसको देकर आ गई, लौटकर आई। मोहम्मद ने, कहते हैं, चादर ओढी; और उनकी अंतिम सांस निकल गई।

जो जानते हैं, वे कहते हैं कि मोहम्मद की सांस अटकी रही, उन पाच दीनार की वजह से। वह अड़चन थी, वह बोझ था, वह पत्थर की तरह जमीन से उन्हें खींचे रहा। वह पत्थर जैसे ही हटा गर्दन से, उन्होंने पंख पसार दिए और किसी दूसरी यात्रा पर चले गए।

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