धर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग- ईश्वर का न्याय*

*आज का पञ्चांग*

*दिनाँक:-04/01/2024, गुरुवार*
*अष्टमी, कृष्ण पक्ष,*
*पौष*
(समाप्ति काल)

तिथि———– अष्टमी 22:04:11 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र———— हस्त 17:32:29
योग———- अतिगंड 30:47:33
करण———– बालव 08:59:26
करण———– कौलव 22:04:11
वार———————– गुरूवार
माह————————- पौष
चन्द्र राशि—– कन्या 30:45:15
चन्द्र राशि—————— तुला
सूर्य राशि——————– धनु
रितु———————— शिशिर
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर—————— शोभकृत
संवत्सर (उत्तर) ——————-पिंगल
विक्रम संवत—————- 2080
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत——————-1945
कलि संवत—————– 5124
सूर्योदय————— 07:11:41
सूर्यास्त—————- 17:36:15
दिन काल————- 10:24:34
रात्रि काल————- 13:35:36
चंद्रास्त—————- 12:09:55
चंद्रोदय—————- 24:59:41
लग्न—- धनु 18°59′ , 258°59′
सूर्य नक्षत्र————— पूर्वाषाढा
चन्द्र नक्षत्र——————- हस्त
नक्षत्र पाया——————- रजत

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

ण—- हस्त 10:53:03

ठ—- हस्त 17:32:29

पे—- चित्रा 24:09:57

पो—- चित्रा 30:45:15

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= धनु 18:30, पूo षाo 2 धा
चन्द्र=कन्या 18:30 , हस्त 3 ण
बुध =वृश्चिक 28:53′ ज्येष्ठा 4 यू
शु क्र=वृश्चिक 12°05, अनुराधा’ 3 नू
मंगल=धनु 05 °30 ‘ मूल ‘ 2 यो
गुरु=मेष 11°30 अश्विनी , 4 ला
शनि=कुम्भ 09°40 ‘ शतभिषा ,1 गो
राहू=(व) मीन 26°35 रेवती , 3 च
केतु=(व) कन्या 26°35 चित्रा , 1 पे

*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*

राहू काल 13:42 – 15:00 अशुभ
यम घंटा 07:12 – 08:30 अशुभ
गुली काल 09:48 – 11: 06अशुभ
अभिजित 12:03 – 12:45 शुभ
दूर मुहूर्त 10:40 – 11:22 अशुभ
दूर मुहूर्त 14:50 – 15:31 अशुभ
वर्ज्यम 26:22* – 28:07 अशुभ

💮चोघडिया, दिन
शुभ 07:12 – 08:30 शुभ
रोग 08:30 – 09:48 अशुभ
उद्वेग 09:48 – 11:06 अशुभ
चर 11:06 – 12:24 शुभ
लाभ 12:24 – 13:42 शुभ
अमृत 13:42 – 15:00 शुभ
काल 15:00 – 16:18 अशुभ
शुभ 16:18 – 17:36 शुभ

🚩चोघडिया, रात
अमृत 17:36 – 19:18 शुभ
चर 19:18 – 21:00 शुभ
रोग 21:00 – 22:42 अशुभ
काल 22:42 – 24:24* अशुभ
लाभ 24:24* – 26:06* शुभ
उद्वेग 26:06* – 27:48* अशुभ
शुभ 27:48* – 29:30* शुभ
अमृत 29:30* – 31:12* शुभ

💮होरा, दिन
बृहस्पति 07:12 – 08:04
मंगल 08:04 – 08:56
सूर्य 08:56 – 09:48
शुक्र 09:48 – 10:40
बुध 10:40 – 11:32
चन्द्र 11:32 – 12:24
शनि 12:24 – 13:16
बृहस्पति 13:16 – 14:08
मंगल 14:08 – 15:00
सूर्य 15:00 – 15:52
शुक्र 15:52 – 16:44
बुध 16:44 – 17:36

🚩होरा, रात
चन्द्र 17:36 – 18:44
शनि 18:44 – 19:52
बृहस्पति 19:52 – 21:00
मंगल 21:00 – 22:08
सूर्य 22:08 – 23:16
शुक्र 23:16 – 24:24
बुध 24:24* – 25:32
चन्द्र 25:32* – 26:40
शनि 26:40* – 27:48
बृहस्पति 27:48* – 28:56
मंगल 28:56* – 30:04
सूर्य 30:04* – 31:12

,*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*

धनु > 04:48 से 06:58 तक
मकर > 06:58 से 08:50 तक
कुम्भ > 08:50 से 10:12 तक
मीन > 10:12 से 11:42 तक
मेष > 11:42 से 13:24 तक
वृषभ > 13:24 से 15:22 तक
मिथुन > 15:22 से 17:34 तक
कर्क > 17:34 से 19:54 तक
सिंह > 19:54 से 22:04 तक
कन्या > 22:04 से 00:20 तक
तुला > 00:20 से 02:26 तक
वृश्चिक > 02:26 से 04:44 तक

*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

15 + 8 + 5 + 1 = 29 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

गुरु ग्रह मुखहुति

*💮 शिव वास एवं फल -:*

23 + 23 + 5 = 51 ÷ 7 = 2 शेष

गौरी सन्निधौ = शुभ कारक

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*

*कालाष्टमी*

*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*

अभ्यासाध्दार्यते विद्या कुलं शीलेन धार्यते ।
गुणेन ज्ञायते त्वार्यः कोपो नेत्रेण गम्यते ।।
।। चा o नी o।।

जो वैदिक ज्ञान की निंदा करते है, शास्र्त सम्मत जीवनशैली की मजाक उड़ाते है, शांतीपूर्ण स्वभाव के लोगो की मजाक उड़ाते है, बिना किसी आवश्यकता के दुःख को प्राप्त होते है.

*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*

गीता -: सांख्ययोग अo-02

ध्यायतो विषयान्पुंसः संगस्तेषूपजायते ।,
संगात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते ॥,

विषयों का चिन्तन करने वाले पुरुष की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है, आसक्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है॥,62॥,

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
आय में वृद्धि होगी। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। पुराने मित्र व संबंधी मिलेंगे। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। विरोध की संभावना, धनहानि, गृहस्‍थी में कलह, रोग से घिरने की संभावना, कुछ कार्यसिद्धि की संभावना। चिंताएं जन्म लेंगी। स्त्री पीड़ा, कुछ लाभ की आशा करें।

🐂वृष
स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। भागदौड़ रहेगी। भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। धनागम सुस्त रहेगा। कार्य के प्रति अनमनापन रहेगा। दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है। कुछ लाभ की संभावना। चिंताएं कुछ कम होंगी।

👫मिथुन
लेनदारी वसूल होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। लाभ के अवसर प्राप्त होंगे। शत्रु भय रहेगा। व्यापार-व्यवसाय में ग्राहकी अच्छी रहेगी। नौकरी में कार्य व्यवहार, ईमानदारी की प्रशंसा होगी। मशक्कत करने से लाभ होगा। चिंता होगी। शत्रु पराजित होंगे।

🦀कर्क
पार्टनर से मतभेद समाप्त होगा। नौकरी में अधिकारी का सहयोग तथा विश्वास मिलेगा। पारिवारिक व्यस्तता रहेगी। आकस्मिक व्यय से तनाव रहेगा। अपेक्षाकृत कार्यों में विलंब होगा। विवेक से कार्य करें। स्थानीय धर्मस्थल की परिवार के साथ यात्रा होगी।

🐅सिंह
लेन-देन में सावधानी रखें। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। शत्रु पर विजय, हर्ष के समाचार मिलने की संभावना। कुसंग से हानि। धनागम सुखद रहेगा। प्रेमिका मिलेगी। कुछ आय होगी। माता को कष्ट रहेगा।

🙎‍♀️कन्या
कारोबारी नए अनुबंध होंगे। नई योजना बनेगी। मान-सम्मान मिलेगा। वाणी पर नियंत्रण रखें। स्त्री कष्ट संभव। कलह से बचें। कार्य में सफलता, शत्रु पराजित होंगे। विवेक से कार्य बनेंगे। पेट रोग से पीड़ित होने की संभावना। वस्त्राभूषण की प्राप्ति के योग।

⚖️तुला
भय, पीड़ा व भ्रम की स्थिति बन सकती है। व्यर्थ भागदौड़ होगी। भय-पीड़ा, मानसिक कष्ट की संभावना। लाभ तथा पराक्रम ठीक रहेगा। दु:समाचार प्राप्त होंगे। हानि तथा भय की संभावना, पराक्रम से सफलता, कलहकारी वातावरण बनेगा। भयकारक दिन रहेगा।

🦂वृश्चिक
यात्रा सफल रहेगी। विवाद न करें। लेन-देन में सावधानी रखें। कानूनी बाधा दूर होगी। देव दर्शन होंगे। राज्य से लाभ होने की संभावना। मातृपक्ष की चिंता। वाहन-मशीनरी का प्रयोग सावधानी से करें। धनागम की संभावना। मित्र मिलेंगे। विवाद न करें।

🏹धनु
बेचैनी रहेगी। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। राजकीय बाधा दूर होगी। नेत्र पीड़ा की संभावना। धनलाभ एवं बुद्धि लाभ होगा। शत्रु से परेशान होंगे। अपमान होने की संभावना। कष्ट की संभावना। धनहानि। कष्ट-पीड़ा। शारीरिक पीड़ा होगी।

🐊मकर
प्रेम-प्रसंग में जोखिम न लें। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। झंझटों में न पड़ें। आगे बढ़ने के मार्ग मिलने की संभावना। शत्रु पराजित होंगे। लाभ होगा। स्वास्थ्य ठीक होगा। अनजाना भय सताएगा। राज्य से लाभ। शत्रु शांत होंगे।

🍯कुंभ
रोजगार में वृद्धि होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। परिवार की चिंता रहेगी। लाभ होगा। अस्वस्थता का अनुभव करेंगे। चिंता से मुक्ति नहीं मिलेगी। शत्रु दबे रहेंगे। कलह-अपमान से बचें। संभावित यात्रा होगी। सावधानी बरतना होगी।

🐟मीन
जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। घर-बाहर अशांति रह सकती है। प्रयास सफल रहेंगे। यात्रा के योग बनेंगे। कुछ कष्ट होने की संभावना। लाभ के योग बनेंगे। स्त्री वर्ग को कष्ट। कुसंग से कष्ट। कलहकारक दिन रहेगा। अपनी तरफ से बात को बढ़ावा न दें।

*🍁 ईश्वर का न्याय 🍁*

     
         

भिक्षा ले कर लौटते हुए एक शिक्षार्थी ने मार्ग में मुर्गे और कबूतर की बातचीत सुनी।

कबूतर मुर्गे से बोला- “मेरा भी क्या भाग्य है? भोजन न मिले, तो मैं कंकर खा कर भी पेट भर लेता हूँ। कहीं भी सींक, घास आदि से घोंसला बना कर रह लेता हूँ। माया मोह भी नहीं, बच्चे बड़े होते ही उड़ जाते हैं। पता नहीं ईश्वर ने क्यों हमें इतना कमजोर बनाया है? जिसे देखो वह हमारा शिकार करने पर तुला रहता है। पकड़ कर पिंजरे में कैद कर लेता है। आकाश में रहने को जगह होती तो मैं कभी पृथ्वी पर कभी नहीं आता।”

मुर्गे ने भी जवाब दिया-“ मेरा भी यही दुर्भाग्य है। गंदगी में से भी दाने चुन चुन कर खा लेता हूँ। लोगों को जगाने के लिए रोज सवेरे सवेरे बेनागा बाँग देता हूँ। पता नहीं ईश्वर ने हमें भी क्यों इतना कमजोर बनाया है? जिसे देखो वह हमें, हमारे भाइयों से ही लड़ाता है। कैद कर लेता है। हलाल तक कर देता है। पंख दिये हैं, पर इतनी शक्ति दी होती कि आकाश में उड़ पाता तो मैं भी कभी भी पृथ्वी पर नहीं आता।“

शिष्य ने सोचा कि अवश्य ही ईश्वर ने इनके साथ अन्याय किया है। आश्रम में आकर उसने यह घटना अपने गुरु जी को बताई और पूछा-“ गुरुवर, क्या ईश्वर ने इनके साथ अन्याय नहीं किया है?

ॠषि बोले- “ईश्वर ने पृथ्वी पर मनुष्य को सबसे बुद्धिमान प्राणी बनाया है। उसे गर्व न हो जाये, इसलिये शेष प्राणियों में गुणावगुण दे कर, मनुष्य को उनसे, कुछ न कुछ सीखने का स्वभाव दिया है। वह प्रकृति और प्राणियों में संतुलन रखते हुए, सृष्टि के सौंदर्य को बढ़ाए और प्राणियों का कल्याण करे।

मुर्गे और कबूतर में जो विलक्षणता ईश्वषर ने दी है, वह किसी प्राणी में नहीं दी है। मुर्गे जैसे छोटे प्राणी के सिर पर ईश्वर ने जन्मजात राजमुकुट की भाँति कलगी दी है। इसीलिए उसे ताम्रचूड़ कहते हैं।

अपना संसार बनाने के लिए, उसे पंख दिये हैं किन्तु उसने पृथ्वी पर ही रहना पसंद किया। वह आलसी हो गया। इसलिए लम्बी उड़ान भूल गया। वह भी ठीक है, पर भोजन के लिए पूरी पृथ्वी पर उसने गंदगी ही चुनी। गंदगी में व्याप्त जीवाणुओं से वह इतना प्रदूषित हो जाता है कि उसका शीघ्र पतन ही सृष्टि के लिए श्रेयस्कर है। बुराई में से भी अच्छाई को ग्रहण करने की सीख, मनुष्य को मुर्गे से ही मिली है। इसलिए ईश्वर ने उसके साथ कोई अन्याय नहीं किया है।“

”किन्तु ॠषिवर, कबूतर तो बहुत ही निरीह प्राणी है। क्या उसके साथ अन्याय हुआ है?” शिष्य ने पूछा।

शिष्य, की शंका का समाधान करते हुए ॠषि बोले-“पक्षियों के लिए ईश्वर ने ऊँचा स्थान खुला आकाश दिया है, फिर भी जो पक्षी पृथ्वी के आकर्षण से बँधा, पृथ्वी पर विचरण पसंद करता है, तो उस पर हर समय खतरा तो मँडरायेगा ही।

प्रकृति ने भोजन के लिए अन्न बनाया है, फिर कबूतर को कंकर खाने की कहाँ आवश्यकता है। कबूतर ही है, जिसे आकाश में बहुत ऊँचा व दूर तक उड़ने की सामर्थ्य है। इसीलिये उसे “कपोत” कहा जाता है। वह परिश्रम करे, उड़े, दूर तक जाये और भोजन ढूँढे । “भूख में पत्थर भी अच्छे लगते हैं” कहावत, मनुष्य ने कबूतर से ही सीखी है, किन्तु अकर्मण्य नहीं बने।

कंकर खाने की प्रवृत्ति से उसकी बुद्धि कुंद हो जाने से कबूतर डरपोक और अकर्मण्य बन गया। यह सत्य है कि पक्षियों में सबसे सीधा पक्षी कबूतर ही है, किन्तु इतना भी सीधा नहीं होना चाहिए कि अपनी रक्षा के लिए उड़ भी नहीं सके।

बिल्ली का सर्वप्रिय भोजन चूहे और कबूतर हैं। चूहा फिर भी अपने प्राण बचाने के लिए पूरी शक्ति से भागने का प्रयास करता है, किंतु कबूतर तो बिल्ली या खतरा देख कर आँख बंद कर लेता है और काल का ग्रास बन जाता है।

जो प्राणी अपनी रक्षा स्वयं न कर सके, उसका कोई रक्षक नहीं। कबूतर के पास पंख हैं, फिर भी वह उड़ कर अपनी रक्षा नहीं कर सके, तो यह उसका दोष। ईश्वर ने उसके साथ भी कोई अन्याय नहीं किया है।

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