*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग -नेत्रहीन संत*
*आज का पञ्चांग*
*दिनाँक:-03/02/2024, शनिवार*
*अष्टमी, कृष्ण पक्ष,*
*माघ*
(समाप्ति काल)
तिथि———– अष्टमी 17:20:24 तक
पक्ष————————-कृष्ण
नक्षत्र——— विशाखा 31:19:42
योग————– गण्ड 12:50:23
करण———– कौलव 17:20:24
करण———– तैतुल 29:41:20
वार———————– शनिवार
माह————————- माघ
चन्द्र राशि——– तुला 25:03:18
चन्द्र राशि—————— वृश्चिक
सूर्य राशि——————– मकर
रितु———————— शिशिर
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर——————- शोभकृत
संवत्सर (उत्तर)—————– पिंगल
विक्रम संवत—————- 2080
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत—————– 1945
कलि संवत—————– 5124
सूर्योदय————— 07:06:19
सूर्यास्त—————- 17:59:53
दिन काल————- 10:53:33
रात्री काल————- 13:05:52
चंद्रास्त—————- 11:41:01
चंद्रोदय—————- 25:38:54
लग्न—-मकर 19°30′ , 289°30′
सूर्य नक्षत्र—————— श्रवण
चन्द्र नक्षत्र—————- विशाखा
नक्षत्र पाया——————- रजत
*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
ती—- विशाखा 12:21:18
तू—- विशाखा 18:43:48
ते—- विशाखा 25:03:18
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= मकर 19:10, श्रवण 3 खे
चन्द्र=तुला 20:30 , विशाखा 1 ती
बुध =मकर 02:53′ उ o षo 2 भो
शु क्र=धनु 19°05, पू o षाo ‘ 2 धा
मंगल=धनु 28 °30 ‘ उ oषाo’ 1 भे
गुरु=मेष 13°30 अश्विनी , 4 ला
शनि=कुम्भ 12°20 ‘ शतभिषा ,2 सा
राहू=(व) मीन 25°03 रेवती , 3 च
केतु=(व) कन्या 25°03 चित्रा , 1 पे
*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*
राहू काल 09:50 – 11:11 अशुभ
यम घंटा 13:55 – 15:17 अशुभ
गुली काल 07:06 – 08: 28अशुभ
अभिजित 12:11 – 12:55 शुभ
दूर मुहूर्त 08:33 – 09:17 अशुभ
वर्ज्यम 11:56 – 13:38 अशुभ
💮चोघडिया, दिन
काल 07:06 – 08:28 अशुभ
शुभ 08:28 – 09:50 शुभ
रोग 09:50 – 11:11 अशुभ
उद्वेग 11:11 – 12:33 अशुभ
चर 12:33 – 13:55 शुभ
लाभ 13:55 – 15:17 शुभ
अमृत 15:17 – 16:38 शुभ
काल 16:38 – 17:59 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
लाभ 17:59 – 19:38 शुभ
उद्वेग 19:38 – 21:16 अशुभ
शुभ 21:16 – 22:55 शुभ
अमृत 22:55 – 24:33* शुभ
चर 24:33* – 26:11* शुभ
रोग 26:11* – 27:49* अशुभ
काल 27:49* – 29:28* अशुभ
लाभ 29:28* – 31:06* शुभ
💮होरा, दिन
शनि 07:06 – 08:01
बृहस्पति 08:01 – 08:55
मंगल 08:55 – 09:50
सूर्य 09:50 – 10:44
शुक्र 10:44 – 11:39
बुध 11:39 – 12:33
चन्द्र 12:33 – 13:28
शनि 13:28 – 14:22
बृहस्पति 14:22 – 15:17
मंगल 15:17 – 16:11
सूर्य 16:11 – 17:05
शुक्र 17:05 – 17:59
🚩होरा, रात
बुध 17:59 – 19:05
चन्द्र 19:05 – 20:11
शनि 20:11 – 21:16
बृहस्पति 21:16 – 22:22
मंगल 22:22 – 23:27
सूर्य 23:27 – 24:33
शुक्र 24:33* – 25:38
बुध 25:38* – 26:44
चन्द्र 26:44* – 27:49
शनि 27:49* – 28:55
बृहस्पति 28:55* – 30:00
मंगल 30:00* – 31:06
*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
मकर > 05:00 से 06:58 तक
कुम्भ > 06:58 से 08:16 तक
मीन > 08:16 से 09:46 तक
मेष > 09:46 से 11:28 तक
वृषभ > 11:28 से 13:26 तक
मिथुन > 13:26 से 15:38 तक
कर्क > 15:42 से 17:58 तक
सिंह > 17:58 से 20:10 तक
कन्या > 20:10 से 22:26 तक
तुला > 22:26 से 00:30 तक
वृश्चिक > 00:30 से 02:42 तक
धनु > 02:42 से 04:58 तक
*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*💮दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
15 + 8 + 7 + 1 = 31 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
राहु ग्रह मुखहुति
*💮 शिव वास एवं फल -:*
23 + 23 + 5 = 51 ÷ 7 = 2 शेष
गौरी सन्निधौ = शुभ कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*
*दुर्गाष्टमी*
*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*
आत्मवर्गं परित्यज्य परवर्गं समाश्रयेत् ।
स्वयमेव लयं याति यथा राज्यमधर्मतः ।।
।। चा o नी o।।
जो अपने समाज को छोड़कर दुसरे समाज को जा मिलता है, वह उसी राजा की तरह नष्ट हो जाता है जो अधर्म के मार्ग पर चलता है.
*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*
गीता -: कर्मयोग अo-03
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः ।,
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते ॥,
श्रेष्ठ पुरुष जो-जो आचरण करता है, अन्य पुरुष भी वैसा-वैसा ही आचरण करते हैं।, वह जो कुछ प्रमाण कर देता है, समस्त मनुष्य-समुदाय उसी के अनुसार बरतने लग जाता है (यहाँ क्रिया में एकवचन है, परन्तु ‘लोक’ शब्द समुदायवाचक होने से भाषा में बहुवचन की क्रिया लिखी गई है।,)॥,21॥,
*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐏मेष
कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। जीवनसाथी से सामंजस्य बैठाएं। भूमि व भवन की खरीद-फरो्ख्त की योजना बनेगी। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। निवेश शुभ रहेगा। लंबी यात्रा का मन बनेगा। प्रसन्नता में वृद्धि होगी। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। मित्रों के साथ अच्छा समय बीतेगा। भय रहेगा। चोट व रोग से बचें।
🐂वृष
प्रभावशाली व्यक्तियों का सहयोग व मार्गदर्शन प्राप्त होगा। आय में वृद्धि होगी। रुके कार्यों में गति आएगी। किसी मांगलिक कार्य में भाग लेने का मौका मिलेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। शारीरिक कष्ट संभव है। शत्रु पस्त होंगे। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है।
👫मिथुन
वाहन व मशीनरी के प्रयोग में लापरवाही न करें। क्रोध व उत्तेजना से बाधा उत्पन्न होगी। नियंत्रण रखें। अपेक्षित कार्यों में विलंब होगा। चिंता तथा तनाव रहेंगे। दूसरों के काम में दखल न दें। व्यवसाय ठीक चलेगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। काम में मन नहीं लगेगा। विवाद से बचें।
🦀कर्क
पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बन सकता है। मनपसंद भोजन का आनंद प्राप्त होगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। पठन-पाठन व लेखन आदि में मन लगेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। मस्तिष्क पीड़ा हो सकती है। यात्रा मनोरंजक रहेगी। राजभय है। जल्दबाजी न करें। वाणी में संयम रखें।
🐅सिंह
देव-दर्शन का कार्यक्रम बनेगा। अध्यात्म में रुचि रहेगी। वरिष्ठजनों का सहयोग प्राप्त होगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यवसाय से मनोनुकूल लाभ होगा। प्रभावशालीव व्यक्तियों से परिचय बढ़ेगा। नौकरी में सहकर्मी साथ देंगे। निवेश शुभ रहेगा। परिवार के साथ समय अच्छा गुजरेगा।
🙍♀️कन्या
किसी अपरिचित की बातों में न आएं। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। व्यवस्था में अधिक प्रयास करना पड़ेंगे। चिंता तथा तनाव रहेंगे। किसी झगड़े में न पड़ें। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। कुसंगति से हानि होगी। लेन-देन में जल्दबाजी न करें।
⚖️तुला
भागदौड़ रहेगी। किसी व्यक्ति के व्यवहार से दिल को ठेस पहुंच सकती है। बनते काम बिगड़ सकते हैं, धैर्य रखें। प्रयास अधिक करना पड़ेंगे। आय में निश्चितता रहेगी। बुद्धि का प्रयोग करें। किसी के उकसावे में न आएं। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। दु:खद समाचार मिल सकता है।
🦂वृश्चिक
घर में अतिथियों का आगमन होगा। व्यय होगा। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। प्रसन्नता रहेगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। आत्मविश्वास बना रहेगा। नौकरी व व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देंगे। कोई अनहोनी होने की आशंका रहेगी। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा।
🏹धनु
सामाजिक कार्य करने का अवसर प्राप्त होगा। मान-सम्मान मिलेगा। निवेश शुभ रहेगा। यात्रा की योजना बनेगी। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। आय में वृद्धि होगी। मातहतों का सहयोग मिलेगा। घर-बाहर प्रसन्नता बनी रहेगी। किसी बड़ी समस्या से सामना हो सकता है। प्रयास सफल रहेंगे।
🐊मकर
प्रतिद्वंद्विता में वृद्धि होगी। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक लाभ बढ़ेगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। नए कार्य प्रारंभ करने की योजना बनेगी। मित्रों के साथ अच्छा समय बीतेगा। विरोध करने का अवसर दूसरों को न दें। प्रसन्नता बनी रहेगी।
🍯कुंभ
यात्रा मनोरंजक रहेगी। सभी ओर से सफलता प्राप्त होगी। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। नवीन वस्त्राभूषण पर व्यय होगा। व्यस्तता के चलते थकान महसूस होगी। विवेक से कार्य करें। लाभार्जन सहज होगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करें।
🐟मीन
यात्रा मनोरंजक रहेगी। नई योजना बनेगी। व्यवसाय में वृद्धि के लिए सभी ओर से सहयोग प्राप्त होगा। नौकरी में मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। प्रसन्नता में वृद्धि होगी। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। चोट व दुर्घटना से बचें। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें।
*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*
0️⃣3️⃣❗0️⃣2️⃣❗2️⃣0️⃣2️⃣4️⃣
*♨️आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*
*!! नेत्रहीन संत !!*
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एक बार एक राजा अपने सहचरों के साथ शिकार खेलने जंगल में गये। वहाँ शिकार के चक्कर में एक दूसरे से बिछड़ गये और एक दूसरे को खोजत हुये राजा एक नेत्रहीन संत की कुटिया में पहुँच कर अपने बिछड़े हुये साथियों के बारे में पूछा।
नेत्र हीन संत ने कहा महाराज सबसे पहले आपके सिपाही गये हैं, बाद में आपके मंत्री गये, अब आप स्वयं पधारे हैं। इसी रास्ते से आप आगे जायें तो मुलाकात हो जायगी। संत के बताये हुये रास्ते में राजा ने घोड़ा दौड़ाया और जल्दी ही अपने सहयोगियों से जा मिले और नेत्रहीन संत के कथनानुसार ही एक दूसरे से आगे पीछे पहुंचे थे।
यह बात राजा के दिमाग में घर कर गयी कि नेत्रहीन संत को कैसे पता चला कि कौन किस ओहदे वाला जा रहा है। लौटते समय राजा अपने अनुचरों को साथ लेकर संत की कुटिया में पहुंच कर संत से प्रश्न किया कि आप नेत्रविहीन होते हुये कैसे जान गये कि कौन जा रहा है, कौन आ रहा है ?
राजा की बात सुन कर नेत्रहीन संत ने कहा महाराज आदमी की हैसियत का ज्ञान नेत्रों से नहीं उसकी बातचीत से होती है। सबसे पहले जब आपके सिपाही मेरे पास से गुजरे तब उन्होंने मुझसे पूछा कि ऐ अंधे इधर से किसी के जाते हुये की आहट सुनाई दी क्या ? तो मैं समझ गया कि यह संस्कार विहीन व्यक्ति छोटी पदवी वाले सिपाही ही होंगे।
जब आपके मंत्री जी आये तब उन्होंने पूछा बाबा जी इधर से किसी को जाते हुये… तो मैं समझ गया कि यह किसी उच्च ओहदे वाला है, क्योंकि बिना संस्कारित व्यक्ति किसी बड़े पद पर आसीन नहीं होता। इसलिये मैंने आपसे कहा कि सिपाहियों के पीछे मंत्री जी गये हैं।
जब आप स्वयं आये तो आपने कहा सूरदास जी महाराज आपको इधर से निकल कर जाने वालों की आहट तो नहीं मिली तो मैं समझ गया कि आप राजा ही हो सकते हैं। क्योंकि आपकी वाणी में आदर सूचक शब्दों का समावेश था और दूसरे का आदर वही कर सकता है जिसे दूसरों से आदर प्राप्त होता है। क्योंकि जिसे कभी कोई चीज नहीं मिलती तो वह उस वस्तु के गुणों को कैसे जान सकता है!
दूसरी बात यह संसार एक वृक्ष स्वरूप है- जैसे वृक्ष में डालियाँ तो बहुत होती हैं पर जिस डाली में ज्यादा फल लगते हैं वही झुकती है। इसी अनुभव के आधार में मैं नेत्रहीन होते हुये भी सिपाहियों, मंत्री और आपके पद का पता बताया अगर गलती हुई हो महाराज तो क्षमा करें।
राजा संत के अनुभव से प्रसन्न हो कर संत की जीवन व्रत्ति का प्रबंन्ध राजकोष से करने का मंत्री जी को आदेशित कर वापस राजमहल लौट आये।
*शिक्षा:-*
आजकल हमारे परिवार संस्कार विहीन होता जा रहे हैं। थोड़ा सा पद, पैसा व प्रतिष्ठा पाते ही दूसरे की उपेक्षा करते हैं, जो उचित नहीं है। मधुर भाषा बोलने में किसी प्रकार का आर्थिक नुकसान नहीं होता है। अतः मीठा बोलने में कंजूसी नहीं करनी चाहिए..!!
*सदैव प्रसन्न रहिये – जो प्राप्त है, पर्याप्त है।*
*जिसका मन मस्त है – उसके पास समस्त है।।*
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