उत्तराखंड

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग- गुरु का सम्मान*


📜««« *आज का पंचांग*»»»📜
कलियुगाब्द……………………5125
विक्रम संवत्…………………..2080
शक संवत्……………………..1945
रवि…………………………उत्तरायण
मास……………………………..माघ
पक्ष……………………………..कृष्ण
तिथी…………………………एकादशी
दोप 04.01 पर्यंत पश्चात द्वादशी
सूर्योदय….प्रातः 07.04.40 पर
सूर्यास्त ….संध्या 06.17.03 पर
सूर्य राशि………………………..मकर
चन्द्र राशि………………………वृश्चिक
गुरु राशि…………………………..मेष
नक्षत्र……………………………ज्येष्ठा
प्रातः 07.28 पर्यंत पश्चात पूर्वाषाढ़ा
योग……………………………व्याघात
प्रातः 08.44 पर्यंत पश्चात वज्र
करण……………………………बालव
दोप 04.01 पर्यंत पश्चात कौलव
ऋतु……………………..(तप:) शिशिर
दिन…………………………..मंगलवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार* :-
06 फरवरी सन 2024 ईस्वी ।

⚜️ *अभिजीत मुहूर्त* :-
दोप 12.18 से 01.02 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल* :-
दोप 03.27 से 04.50 तक ।

☸ शुभ अंक………………..6
🔯 शुभ रंग……………….लाल

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*मकर*
05:44:57 07:13:52
*कुम्भ*
07:13:52 09:05:36
*मीन*
09:05:36 10:36:49
*मेष*
10:36:49 12:17:33
*वृषभ*
12:17:33 14:16:12
*मिथुन*
14:16:12 16:29:54
*कर्क*
16:29:54 18:46:04
*सिंह*
18:46:04 20:57:53
*कन्या*
20:57:53 23:08:33
*तुला*
23:08:33 25:23:10
*वृश्चिक*
25:23:10 27:39:20
*धनु*
27:39:20 29:44:57

🚦 *दिशाशूल* :-
उत्तरदिशा – यदि आवश्यक हो तो गुड़ का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

✡ *चौघडिया* :-
प्रात: 09.53 से 11.16 तक चंचल
प्रात: 11.16 से 12.39 तक लाभ
दोप. 12.39 से 02.03 तक अमृत
दोप. 03.26 से 04.49 तक शुभ
रात्रि 07.49 से 09.26 तक लाभ ।

📿 *आज का मंत्र* :-
।। ॐ महावीराय नमः ।।

⚜️ *संस्कृत सुभाषितानि :-*
*श्रीमद्भगवतगीता (चतुर्थोऽध्यायः – ज्ञानकर्मसंन्यासयोगः) -*
अपरे नियताहाराः प्राणान्प्राणेषु जुह्वति।
सर्वेऽप्येते यज्ञविदो यज्ञक्षपितकल्मषाः॥४-३०॥
अर्थात :
नियमित आहार द्वारा प्राणों का प्राणों में ही हवन करते हैं। ये सभी साधक यज्ञों द्वारा पापों का नाश करने वाले और यज्ञों को जानने वाले हैं॥30॥

🍃 *आरोग्यं :*-
*पेट साफ करने का घरेलू उपाय -*

1. भोजनोपरांत 125 ग्राम मट्ठे में 2 ग्राम अजवायन और आधा ग्राम काला नमक मिलाकर खाने से गैस बनना खत्म हो जाता है।
2. उसी तरह एक लहसुन की फांक छीलकर बीज निकाली हुई मुनक्का को नग में लपेटकर, भोजन के बाद चबाकर निगल जाएं। इससे पेट की रुकी हुई वायु तत्काल निकल जाएगी।
3. इसके अलावा अलसी के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से गैस की शिकायत दूर हो जाती है।
4. अदरक के छोटे टुकड़े कर उस पर नमक छिड़ककर दिन में दो-तीन बार उसका सेवन करें। गैस की परेशानी से छुटकारा मिलेगा, शरीर हलका होगा और भूख खुलकर लगेगी।
5. अजवायन दो ग्राम, नमक आधा ग्राम चबाकर खाएं। पेट दर्द और गैस से आराम मिलेगा। इसके अलावा पानी के साथ हिंगाष्टक चूर्ण खाने से सभी प्रकार वायु विकार दूर होते हैं।

⚜ *आज का राशिफल :-*

🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल लाभ देगी। लाभ के मौके बार-बार प्राप्त होंगे। विवेक का प्रयोग करें। बेकार बातों में समय नष्ट न करें। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में तरक्की के योग हैं। व्यापार की गति बढ़ेगी। लाभ में वृद्धि होगी। प्रमाद न करें।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
कोई पुरानी व्याधि परेशानी का कारण बनेगी। विरोधी सक्रिय रहेंगे। कोई बड़ी समस्या से सामना हो सकता है। नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। किसी विशेष क्षेत्र में सामाजिक कार्य करने की इच्छा रहेगी। प्रभाव क्षेत्र में वृद्धि होगी। निवेश शुभ रहेगा।

👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)
धर्म-कर्म में रुचि बढ़ेगी। कोर्ट व कचहरी के अटके कामों में अनुकूलता आएगी। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। निवेश शुभ रहेगा। दूसरों के काम में हस्तक्षेप न करें। चोट व रोग से बचें। सेहत का ध्यान रखें। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। लाभ में वृद्धि होगी। प्रसन्नता रहेगी।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
बोलचाल में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। प्रतिद्वंद्विता कम होगी। शत्रु सक्रिय रहेंगे। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में लापरवाही न करें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। ऐसा कोई कार्य न करें जिससे बाद में पछताना पड़े। जोखिम न लें।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
कोर्ट व कचहरी में लंबित कार्य पूरे होंगे। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल रहेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। शेयर मार्केट से लाभ होगा। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। भाग्य का साथ रहेगा। सभी काम पूर्ण होंगे। जल्दबाजी न करें।

💁‍♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
रोजगार में वृद्धि तथा बेरोजगारी दूर होगी। आर्थिक उन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। संचित कोष में वृद्धि होगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। शेयर मार्केट में सोच-समझ्कर निवेश करें। संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। झंझटों से दूर रहें। घर-बाहर प्रसन्नता बनी रहेगी।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। यात्रा लाभदायक रहेगी। विद्यार्थी वर्ग सफलता प्राप्त करेगा। व्यापार मनोनुकूल रहेगा। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यस्तता के चलते स्वास्थ्य खराब हो सकता है। प्रमाद न करें।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में कमी रह सकती है। दु:खद समाचार की प्राप्ति संभव है। व्यर्थ भागदौड़ रहेगी। काम में मन नहीं लगेगा। बेवजह विवाद की स्थिति बन सकती है। प्रयास अधिक करना पड़ेंगे। दूसरों के उकसाने में न आकर महत्वपूर्ण निर्णय स्वयं लें, लाभ होगा।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)
जल्दबाजी में कोई काम न करें। पुराना रोग परेशानी का कारण बन सकता है। कोई आवश्यक वस्तु गुम हो सकती है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। कुंआरों को वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। प्रयास सफल रहेंगे। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में उन्नति होगी। व्यापार लाभदायक रहेगा। प्रमाद न करें।

🏹 *राशि फलादेश मकर :-*
(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)
किसी भी निर्णय को लेने में जल्दबाजी न करें। भ्रम की स्थिति बन सकती है। लेन-देन में सावधानी रखें। थकान व कमजोरी महसूस होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। कारोबार में मनोनुकूल लाभ होगा। प्रमाद न करें।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेना पड़ सकता है। मस्तिष्क पीड़ा हो सकती है। घर-बाहर सहयोग प्राप्त होगा। भेंट व उपहार की प्राप्ति संभव है। बेरोजगारी दूर होगी। अचानक कहीं से लाभ के आसार नजर आ सकते हैं। किसी बड़ी समस्या से निजात मिलेगी। निवेश व नौकरी मनोनुकूल लाभ देंगे।

🐠 *राशि फलादेश मीन :-*
आंखों को चोट व रोग से बचाएं। कीमती वस्तु गुम हो सकती है। पुराना रोग उभर सकता है। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। हल्की हंसी-मजाक किसी से भी न करें। नकारात्मकता रहेगी। अकारण क्रोध होगा। फालतू खर्च होगा। चिंता तथा तनाव रहेंगे। बेवजह कहासुनी हो सकती है। जोखिम न लें।

।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।

*गुरु का सम्मान*

प्राचीन समय में एक नगर में एक राजा राज्य करता था। राजा बड़ा ही सरल स्वभाव का था ।राजा को विद्या ग्रहण करने का बहुत शौक था। इसलिए राजा पढ़ना चाहता था। राजा ने अपने मंत्री को बुलाया और मंत्री से कहा, मंत्री जाओ, अपने राज्य में जो विद्वान गुरु हो उन्हें राज महल में ले आओ। मैं विद्या ग्रहण करना चाहता हूं ।मंत्री ने कहा, ठीक है  महाराज ! हम कल सुबह राज्य में भ्रमण करेंगे और हमें जो भी विद्वान गुरु मिलेगा हम उन्हें राजभवन में ले आएंगे।
दूसरे दिन सुबह होते ही मंत्री गुरु की खोज में राज्य भ्रमण के लिए निकल पड़े । मंत्री ने सारे राज्य में ढूंढा परंतु उन्हें विद्वान गुरु नहीं मिला । कुछ देर में शाम होने वाली थी इसलिए मंत्री ने सोचा कि चलो अब घर चलते हैं। मंत्री घर की ओर लौट रहे थे। घर लौटते समय मंत्री जी जंगल से गुजरे, वही मंत्री को एक गुरु दिखाई दिए । गुरु एक पेड़ के नीचे ध्यान लगाए बैठे थे
मंत्री जी घोड़ा से नीचे उतरे और गुरु के पास गए । मंत्री ने गुरु को प्रणाम किया , फिर कहने लगे , है गुरुवर !आपसे एक विनती है कि हमारे राजा विद्या ग्रहण करना चाहते हैं कृपा करके आप राजभवन चलें और राजा को विद्या का दान दें । गुरु मंत्री की प्रेम पूर्वक वाणी सुनकर प्रसन्न हो गए। गुरु ने कहा, चलो मंत्री राजभवन चलते हैं।

मंत्री और गुरु राज भवन पहुंच गए । राजा ने गुरु का स्वागत किया । गुरु ने दूसरे दिन से राजा को विद्या सिखाना शुरू कर दिया । विद्या ग्रहण करते हुए राजा को एक वर्ष होने जा रहा था परंतु राजा को विद्या समझ में ही नहीं आ रही थी । गुरु भी राजा को पढ़ाने में बहुत मेहनत कर रहे थे फिर भी राजा को समझ नहीं आ रहा था की हम गुरु की दी हुई शिक्षा को हम क्यों नहीं समझ पा रहे । यही जानने के लिए राजा ने, यही प्रश्न अपनी रानी से पूछा। रानी ने कहा की हम क्या जाने यह प्रश्न तो आप गुरु से पूछना।

राजा ने अगली सुबह धीमी आवाज में गुरु से कहां,  गुरुवर आप यदि बुरा ना मानो तो आपसे कुछ कहना चाहते हैं। गुरु ने कहा ,हां राजन बोलो, क्या कहना चाहते हो । राजा ने कहा ,  गुरुवर हमें विद्या ग्रहण करते एक वर्ष होने को जा रहा है लेकिन आपकी दी हुई विद्या हमारी समझ में ही नहीं आ रही।
गुरु ने राजा से कहा, राजन बात बहुत छोटी सी है परंतु आप अपने बड़े होने के अहंकार में इसे समझ नहीं पा रहे हैं । इसी कारण आप दुखी और परेशान हैं। राजा ने कहा, गुरुवर मैं कुछ समझा नहीं अपनी बात को स्पष्ट कहे । गुरु ने फिर कहां, माना कि आप बहुत बडे राजा है। आप हर प्रकार से मुझसे पद में और प्रतिष्ठा में बड़े हैं फिर भी यहां तो हमारा और तुम्हारा रिश्ता गुरु और शिष्य का है। आप खुद ऊंची सिंहासन पर और गुरु को छोटे से आसन पर बैठाते हो तो तुमही बताओ राजन तुम्हें विद्या कैसे समझ में आएगी। राजा गुरु की बात को समझ गया । राजा ने फिर गुरु को सिंहासन बैठाया और खुद छोटे आसन पर बैठा। अब गुरु ने जो भी विद्या बताई सिखाई बह सारी विद्या राजा को समझ में आ रही थी, क्योंकि राजा को स्वयं के राजा के बल राज्य का अभिमान ही ज्ञान ग्रहण में बाधक था। चूंकि गुरू को ऊंचे आसन देकर ज्ञान देने वाले को उच्च और शिष्य बनकर स्वयं का छोटा आसन ग्रहण कर ज्ञान प्राप्त करना ही स्वयं के राजा होने के अभिमान को मार देता है।

शिक्षा:-

दोस्तों हमें इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि, हमें अपने गुरु का आदर और सम्मान करना चाहिए।  गुरु को हृदय में स्थान देना चाहिए ।तभी गुरु की दी हुई विद्या हमारी समझ में आती है।

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