उत्तराखंडधर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग -कठोरतम दण्ड*


*आज का पञ्चांग*

*दिनाँक:-12/03/2024, मंगलवार*
*द्वितीया, शुक्ल पक्ष,*
*फाल्गुन*
(समाप्ति काल)

तिथि——— द्वितीया 07:12:30 तक
तिथि—– तृतीया 28:03:16(क्षय )
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र———- रेवती 20:28:28
योग———– शुक्ल 07:52:00
योग————– ब्रह्म 28:06:40
करण———–कौलव 07:12:30
करण———– तैतुल 17:34:29
करण————– गर 28:03:16
वार——————— मंगलवार
माह———————- फाल्गुन
चन्द्र राशि——- मीन 20:28:28
चन्द्र राशि——————— मेष
सूर्य राशि——————– कुम्भ
रितु————————- वसंत
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर—————— शोभकृत
संवत्सर (उत्तर) ——————पिंगल
विक्रम संवत————— 2080
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत—————— 1945
कलि संवत—————– 5124
सूर्योदय————— 06:32:57
सूर्यास्त—————- 18:24:59
दिन काल————- 11:52:02
रात्री काल————- 12:06:52
चंद्रोदय—————- 07:44:44
चंद्रास्त—————- 20:46:50
लग्न—-कुम्भ 27°45′ , 327°45′
सूर्य नक्षत्र———— पूर्वा भाद्रपदा
चन्द्र नक्षत्र——————- रेवती
नक्षत्र पाया——————- स्वर्ण

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

दो—- रेवती 09:42:05

च—- रेवती 15:04:27

ची—- रेवती 20:28:28

चु—- अश्विनी 25:54:15

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= कुम्भ 27:10, पूoभाo 3 दा
चन्द्र=मीन 21:30 , रेवती 2 दो
बुध =मीन 09:53′ उ oभा o 2 थ
शु क्र= कुम्भ 05°05, धनिष्ठा ‘ 4 गे
मंगल=मकर 27°30 ‘ धनिष्ठा’ 2 गी
गुरु=मेष 19°30 भरणी , 2 लू
शनि=कुम्भ 17°50 ‘ शतभिषा ,4 सू
राहू=(व) मीन 23°00 रेवती , 2 दो
केतु=(व) कन्या 23°00 हस्त , 4 ठ

*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*

राहू काल 15:27 – 16:56 अशुभ
यम घंटा 09:31 – 10:59 अशुभ
गुली काल 12:29 – 13: 58अशुभ
अभिजित 12:05 – 12:53 शुभ
दूर मुहूर्त 08:55 – 09:43 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:16 – 24:04* अशुभ
वर्ज्यम 09:42 – 11:08 अशुभ

💮गंड मूल अहोरात्र अशुभ

🚩पंचक ⁵ 06:33 – 20:28 अशुभ

💮चोघडिया, दिन
रोग 06:33 – 08:02 अशुभ
उद्वेग 08:02 – 09:31 अशुभ
चर 09:31 – 10:59 शुभ
लाभ 10:59 – 12:29 शुभ
अमृत 12:29 – 13:58 शुभ
काल 13:58 – 15:27 अशुभ
शुभ 15:27 – 16:56 शुभ
रोग 16:56 – 18:25 अशुभ

🚩चोघडिया, रात
काल 18:25 – 19:56 अशुभ
लाभ 19:56 – 21:27 शुभ
उद्वेग 21:27 – 22:58 अशुभ
शुभ 22:58 – 24:28* शुभ
अमृत 24:28* – 25:59* शुभ
चर 25:59* – 27:30* शुभ
रोग 27:30* – 29:01* अशुभ
काल 29:01* – 30:32* अशुभ

💮होरा, दिन
मंगल 06:33 – 07:32
सूर्य 07:32 – 08:32
शुक्र 08:32 – 09:31
बुध 09:31 – 10:30
चन्द्र 10:30 – 11:30
शनि 11:30 – 12:29
बृहस्पति 12:29 – 13:28
मंगल 13:28 – 14:28
सूर्य 14:28 – 15:27
शुक्र 15:27 – 16:26
बुध 16:26 – 17:26
चन्द्र 17:26 – 18:25

🚩होरा, रात
शनि 18:25 – 19:26
बृहस्पति 19:26 – 20:26
मंगल 20:26 – 21:27
सूर्य 21:27 – 22:27
शुक्र 22:27 – 23:28
बुध 23:28 – 24:28
चन्द्र 24:28* – 25:29
शनि 25:29* – 26:30
बृहस्पति 26:30* – 27:30
मंगल 27:30* – 28:31
सूर्य 28:31* – 29:31
शुक्र 29:31* – 30:32

*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*

कुम्भ > 04:12 से 05:48 तक
मीन > 05:48 से 07:08 तक
मेष > 07: 08 से 09:00 तक
वृषभ > 09:00 से 10:54 तक
मिथुन > 10:54 से 13:06 तक
कर्क > 13:06 से 15:30 तक
सिंह > 15:30 से 17:38 तक
कन्या > 17:38 से 19:54 तक
तुला > 19:54 से 21:50 तक
वृश्चिक > 21:50 से 00:10 तक
धनु > 00:10 से 02:08 तक
मकर > 02:08 से 04:10 तक

*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

2 + 3 + 1 = 6 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

सूर्य ग्रह मुखहुति

*💮 शिव वास एवं फल -:*

2 + 2 + 5 = 9 ÷ 7 = 2 शेष

गौरी सन्निधौ = शुभ कारक

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*

*फुलेरा दूज (द्वितीया) अबूझ मुहूर्त*

*सर्वार्थ, अमृत सिद्धि योग 2028 से*

*तृतीयाक्षय*

*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*

विप्रो वृक्षस्तस्य मूलं च सन्ध्या
वेदाः शाखा धर्मकर्माणि पत्रम् ।
तस्मात्‍ मूलं यत्नो रक्षणीयम्
छिन्ने मूले नैव शाखा न पत्रम् ।।
।। चा o नी o।।

ब्राह्मण एक वृक्ष के समान है. उसकी प्रार्थना ही उसका मूल है. वह जो वेदों का गान करता है वही उसकी शाखाए है. वह जो पुण्य कर्म करता है वही उसके पत्ते है. इसीलिए उसने अपने मूल को बचाना चाहिए. यदि मूल नष्ट हो जाता है तो शाखाये भी ना रहेगी और पत्ते भी.

*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*

गीता -: ज्ञानकर्मसन्यास योग अo-04

एवं ज्ञात्वा कृतं कर्म पूर्वैरपि मुमुक्षुभिः ।,
कुरु कर्मैव तस्मात्वं पूर्वैः पूर्वतरं कृतम्‌ ॥,

पूर्वकाल में मुमुक्षुओं ने भी इस प्रकार जानकर ही कर्म किए हैं, इसलिए तू भी पूर्वजों द्वारा सदा से किए जाने वाले कर्मों को ही कर॥,15॥,

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
दूसरे से अधिक अपेक्षा करेंगे। जल्दबाजी से काम में बाधा उत्पन्न होगी। दौड़धूप अधिक रहेगी। बुरी सूचना मिल सकती है, धैर्य रखें। बनते कामों में देरी होगी। चिंता तथा तनाव रहेंगे। मित्रों के साथ समय अच्छा व्यतीत होगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा। आय में निश्चितता रहेगी।

🐂वृष
कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बन सकता है। कोई मांगलिक कार्य में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद प्राप्त होगा। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा। परिवार में प्रसन्नता रहेगी। जल्दबाजी से हानि संभव है। शरीर कष्ट से बचें।

👫मिथुन
नवीन वस्त्राभूषण की प्राप्ति पर व्यय होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। नए मित्र बनेंगे। नया उपक्रम प्रारंभ करने की योजना बन सकती है। व्यवसाय लाभदायक रहेगा। शुभ समय।

🦀कर्क
दूर से सुखद सूचना मिल सकती है। घर में मेहमानों का आगमन होगा। व्यय होगा। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। बड़ा काम करने का मन बनेगा। परिवार का सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी। बुद्धि का प्रयोग करें। लाभ बढ़ेगा। मित्रों के साथ अच्छा समय बीतेगा।

🐅सिंह
मेहनत का फल मिलेगा। सामाजिक कार्य करने में रुचि रहेगी। मान-सम्मान मिलेगा। कारोबार मनोनुकूल लाभ देगा। किसी प्रभावशाली व्यक्ति से परिचय बढ़ेगा। शारीरिक कष्ट संभव है। अज्ञात भय सताएगा। चिंता तथा तनाव रहेंगे। किसी मनोरंजक यात्रा की योजना बनेगी। बुरे लोगों से दूर रहें।

🙍‍♀️कन्या
परिवार तथा मित्रों के साथ कोई मनोरंजक यात्रा का आयोजन हो सकता है। रुका हुआ पैसा मिलने का योग है। मित्रों के सहयोग से कार्य पूर्ण होंगे। नया कार्य प्रारंभ करने की योजना बनेगी। नौकरी में उच्चाधिकारी की प्रशंसा प्राप्त होगी। समय अनुकूल है। आलस्य त्यागकर प्रयास करें।

⚖️तुला
पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। आवश्यक वस्तु गुम हो सकती है। विवाद को बढ़ावा न दें। किसी व्यक्ति के उकसाने में न आएं। कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय भावना में बहकर न करें। बुद्धि का प्रयोग लाभ में वृद्धि करेगा। आय बनी रहेगी। थकान महसूस होगी।

🦂वृश्चिक
कार्यस्थल पर परिवर्तन संभव है। योजना फलीभूत होगी। कारोबार में वृद्धि पर विचार हो सकता है। नौकरी में अधिकारीगण प्रसन्न रहेंगे। मातहतों का सहयोग मिलेगा। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। व्यापार में मनोनुकूल लाभ होगा। उत्साह व प्रसन्नता रहेगी। स्वास्थ्‍य उत्तम रहेगा। शुभ समय।

🏹धनु
किसी धार्मिक स्थल की यात्रा की आयोजना हो सकती है। सत्संग का लाभ मिलेगा। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। घर-बाहर सुख-शांति रहेगी। किसी प्रभावशाली व्यक्ति का मार्गदर्शन सहायता प्राप्त होगी। धन प्राप्ति में बाधाएं दूर होंगी। ऐश्वर्य के साधनों पर बड़ा व्यय हो सकता है।

🐊मकर
चोट व दुर्घटना से हानि संभव है। लापरवाही न करें। किसी व्यक्ति से व्यर्थ विवाद हो सकता है। मानसिक क्लेश होगा। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। आय में कमी हो सकती है। व्यापार ठीक चलेगा। लोगों से अधिक अपेक्षा न करें।

🍯कुंभ
भूमि, भवन, दुकान, शोरूम व फैक्टरी इत्यादि की खरीद-फरोख्त हो सकती है। बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। विवाद को बढ़ावा न दें। कुसंगति से बचें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। धन प्राप्ति सुगम होगी। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।

🐟मीन
जल्दबाजी से काम बिगड़ेंगे तथा समस्या बढ़ सकती है। विरोध होगा। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। बाहर जाने की योजना बनेगी। किसी वरिष्ठ व्यक्ति का सहयोग कार्य में आसानी देगा। घर-बाहर सुख-शांति बने रहेंगे। नौकरी में चैन रहेगा। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा।

*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*

*कठोरतम दण्ड*
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एक दिन संध्या के समय सरयू के तट पर तीनों भाइयों संग टहलते श्रीराम से महात्मा भरत ने कहा, “एक बात पूछूं भईया?
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माता कैकई ने आपको वनवास दिलाने के लिए मंथरा के साथ मिल कर जो षड्यंत्र किया था, क्या वह राजद्रोह नहीं था?
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उनके षड्यंत्र के कारण एक ओर राज्य के भावी महाराज और महारानी को चौदह वर्ष का वनवास झेलना पड़ा तो दूसरी ओर पिता महाराज की दुखद मृत्यु हुई।
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ऐसे षड्यंत्र के लिए सामान्य नियमों के अनुसार तो मृत्युदंड दिया जाता है, फिर आपने माता कैकई को दण्ड क्यों नहीं दिया?
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राम मुस्कुराए…बोले, “जानते हो भरत, किसी कुल में एक चरित्रवान और धर्मपरायण पुत्र जन्म ले ले तो उसका जीवन उसके असँख्य पीढ़ी के पितरों के अपराधों का प्रायश्चित कर देता है।
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जिस माँ ने तुम जैसे महात्मा को जन्म दिया हो उसे दण्ड कैसे दिया जा सकता है भरत ?”
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भरत संतुष्ट नहीं हुए। कहा, “यह तो मोह है भइया, और राजा का दण्डविधान मोह से मुक्त होता है।
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एक राजा की तरह उत्तर दीजिये कि आपने माता को दंड क्यों नहीं दिया, समझिए कि आपसे यह प्रश्न आपका अनुज नहीं, अयोध्या का एक सामान्य नागरिक कर रहा है।
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राम गम्भीर हो गए। कुछ क्षण के मौन के बाद कहा, “अपने सगे-सम्बन्धियों के किसी अपराध पर कोई दण्ड न देना ही इस सृष्टि का कठोरतम दण्ड है भरत!”
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माता कैकई ने अपनी एक भूल का बड़ा कठोर दण्ड भोगा है। वनवास के चौदह वर्षों में हम चारों भाई अपने अपने स्थान से परिस्थितियों से लड़ते रहे हैं, पर माता कैकई हर क्षण मरती रही हैं।
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अपनी एक भूल के कारण उन्होंने अपना पति खोया, अपने चार बेटे खोए, अपना समस्त सुख खोया, फिर भी वे उस अपराधबोध से कभी मुक्त न हो सकीं।
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वनवास समाप्त हो गया तो परिवार के शेष सदस्य प्रसन्न और सुखी हो गए, पर वे कभी प्रसन्न न हो सकीं। कोई राजा किसी स्त्री को इससे कठोर दंड क्या दे सकता है?
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मैं तो सदैव यह सोच कर दुखी हो जाता हूँ कि मेरे कारण अनायास ही मेरी माँ को इतना कठोर दण्ड भोगना पड़ा।”
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राम के नेत्रों में जल उतर आया था, और भरत आदि भाई मौन हो गए थे।
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राम ने फिर कहा, “और उनकी भूल को अपराध समझना ही क्यों भरत! यदि मेरा वनवास न हुआ होता तो संसार भरत और लक्ष्मण जैसे भाइयों के अतुल्य भ्रातृप्रेम को कैसे देख पाता।
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मैंने तो केवल अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन मात्र किया था, कोई दण्ड न देना ही इस सृष्टि का कठोरतम दण्ड है भरत तुम दोनों ने तो मेरे स्नेह में चौदह वर्ष का वनवास भोगा।
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वनवास न होता तो यह संसार सीखता कैसे कि भाइयों का सम्बन्ध होता कैसा है।” भरत के प्रश्न मौन हो गए थे। वे अनायास ही बड़े भाई से लिपट गए!
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राम कोई नारा नहीं हैं। राम एक आचरण हैं, एक चरित्र हैं, एक जीवन जीने की शैली हैं।

Devbhumi jknews

जीवन में हमेशा सच बोलिए, ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है!

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