उत्तराखंड

*ऑटिज्म : हिमालयन अस्पताल व आरडीआई जौलीग्रांट ने चलाया जागरुकता अभियान*

देवभूमि जे के न्यूज- 08-APR-2024 डोईवाला- हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट व ग्राम्य विकास संस्थान (आरडीआई) की ओर से ऑटिज्म व विश्व स्वास्थ्य दिवस के उपलक्ष्य में जागरुकता अभियान चलाया गया। अस्पताल में ऑटिज्म रोग से पीड़ित बच्चों के लिए पेटिंग प्रतियोगिता का आयोजन कर उन्हें पुरस्कृत किया गया। वहीं, बहदराबाद हरिद्वार में 60 से अधिक आशा व आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को अस्पताल के चिकित्सकों ने ऑटिज्म के लक्षण, बचाव व उपचार की जानकारी दी।

हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट के बार रोग विभाग की ओर से ऑटिज्गम दिवस के उपलक्ष्य में जागरुकता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य सेवा निदेशक डॉ.हेम चंद्र जोशी ने बताया कि इस वर्ष ऑटिज्म जागरूकता की थीम “एम्पावरिंग आटिस्टिक थीम” है, जिसका उद्देश्य इस स्थिति वाले बच्चों अधिक सर्मथन एवं शक्ति प्रदान करना है। बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल रावत ने बताय कि ऐसे बच्चे देरी से बोलना शुरू करते हैं,एक ही शब्द को बार बार रिपीट करना आदि है अतः आटिस्टिक लोंगो को समाजिक गतिविधयों से जोडना आवश्यक है। बाल रोग वरिष्ठ चिकित्सक डॉ.अल्पा गुप्ता ने ऑटिज्म से जुड़े प्रश्नों के जवाब अभिभावकों को दिए। डॉ.निरुल पंडिता की ओर से ऑटिज्म से पीड़ित बच्चो के लिए पेटिंग प्रतियोगिता आयोजित की गई। सभी बच्चों को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ,ज्योति वालिया, डॉ.आशीष सिमल्टी, डॉ.सनोबर वसीम, डॉ.नीतिका अग्रवाल, डॉ.राकेश कुमार, डॉ.सोनम अग्रवाल, डॉ.मंजू केदारनाथ आदि ने सहयोग दिया।

*आरडीआई ने 60 से अधिक आशा व आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को दी जानकारी*
ग्राम्य विकास संस्थन कार्यक्रम अधिकारी नीलम पाण्डेय ने बताया कि हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट व ग्राम्य विकास संस्थान (आरडीआई) की ओर से ऑटिज्म पर जागरुकता अभियान चलाया गया। इसी कड़ी बहदराबाद हरिद्वार में 60 से अधिक आशा व आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को अस्पताल के चिकित्सकों ने ऑटिज्म के लक्षण, बचाव व उपचार की जानकारी दी। कार्यक्रम में बहादराबाद के स्वास्थ्य अधीक्षक डॉ. सुबोध जोशी ने जागरुकता कार्यक्रम को सराहा। इस दौरान डॉ.अनिल रावत, डॉ.निरुल, डॉ.राकेश, डॉ.चांदनी, रविन्द्र वर्मा, लीला उनियाल, सीमा एवं शीतल मौजूद रही।

*क्या होता है ऑटिज्म*
हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट के बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल रावत ने बताया कि ऑटिज्म पर जागरूकता बेहद जरूरी है, यह एक ऐसी न्यूरोलाजिकल स्थिति है, जो बचपन में शुरू होती है जिसमें बच्चे के कम्युनिकेशन, इमेजिनेशन और सोशल इन्ट्रैक्शन पर बुरा असर पड़ता। आसान भाषा में कहें तो इससे पीड़ित बच्चों के दिमाग का विकास अन्य बच्चों की तुलना में कम होता है।

*ऑटिज्म के यह हो सकते हैं लक्षण*
हिमालयन अस्पतात के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.राकेश कुमार ने बताया कि स्‍पीच डेवलपमेंट न होना, असामान्य संवेदनशीलता, हाथ या शरीर की असामान्‍य मूवमेंट, खेलना, आई कॉन्‍टैक्‍ट न बना पाना, नाम सुनकर रिएक्ट न करना, दूसरों के साथ कनेक्ट न कर पाना, खिलौनों से अजीब तरह से खेलना ये कुछ बड़े लक्षण हैं, जो ऑटिज्म की तरफ इशारा करते हैं। इन्हें किसी भी कीमत पर इग्नोर नहीं करना चाहिए।

*ऑटिज्म बन रहा बड़ी स्वास्थ्य समस्या*
ऑटिज्म दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। भारत में भी इससे पीड़ित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। 2021 में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, भारत में ऑटिज्म की अनुमानित संख्या 68 बच्चों में से लगभग 1 हो सकती है।

Devbhumi jknews

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