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*ऋषिकेश -एम्स में जन स्वास्थ्य सभा का हुआ आयोजन*

देव भूमि जे के न्यूज ऋषिकेश,30/10/2023-

एम्स ऋषिकेश में सोमवार को जन स्वास्थ्य सभा का आयोजन किया गया। जिसमें देशभर के विभिन्न मेडिकल संस्थानों से आए विशेषज्ञ चिकित्सकों ने महिलाओं में बढ़ते स्तन कैंसर के मामलों पर व्याख्यान प्रस्तुत किए एवं जनता को स्तन कैंसर के प्रति जागरुक किया। इस दौरान विशेषज्ञों ने कहा कि स्तन कैंसर से पूरी तरह से निजात पाया जा सकता है, वशर्ते महिलाएं इस कैंसर के प्रति जागरुक रहें और नियमिततौर पर घर पर इसके तमाम लक्षणों की प्रारंभिक जांच करें। स्तन कैंसर के लक्षणों का जिक्र करते हुए कैंसर विशेषज्ञों ने बताया कि कोई भी लक्षण पाए जाने की स्थिति में महिलाओं को तत्काल विशेषज्ञों के पास सघन परीक्षण और उपचार के लिए जाना चाहिए।

एम्स ऋषिकेश के शल्य चिकित्सा विभाग के तत्वावधान में सोमवार को संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह, संकायाध्यक्ष अकादमिक प्रोफेसर जया चतुर्वेदी व चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आरबी कालिया के मार्गदर्शन में मेडिकल कॉलेज ब्लॉक में स्तन कैंसर जागरुकता विषय पर जन स्वास्थ्य सभा का आयोजन किया गया। जिसमें काफी संख्या में जनसामान्य ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर प्रो.मीनू सिंह ने कहा कि स्तन कैंसर के प्रति जनसमुदाय में जागरुकता अति आवश्यक है एवं एम्स ऋषिकेश प्रत्येक वर्ष अक्टूबर माह में इस विषय से जुड़ी विभिन्न गतिविधियां आयोजित करता रहा है। डीन एकेडमिक प्रो. जया चतुर्वेदी ने कहा कि स्तन कैंसर के मरीज संकोच व जानकारी नहीं होने के कारण समय से इलाज के लिए चिकित्सक के पास नहीं पहुंच पाते हैं। जिस कारण से बीमारी का उपचार समय रहते शुरू नहीं हो पाता है एवं मरीज को इसका नुकसान उठाना पड़ता है। जनरल सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. सोमप्रकास बासु ने कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम समन्वयक, ब्रेस्ट यूनिट के हेड एडिशनल प्रोफेसर डॉ. फरहानुल हुदा ने स्तन कैंसर जागरुकता पर शल्य चिकित्सा विभाग द्वारा आयोजित की गई माहभर की गतिविधियों नुक्कड़ नाटक, पोस्ट प्रतियोगिता, स्लोगन प्रतियोगिता एवं सामुहिक चर्चा की जानकारी दी। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि सुभारती यूनिवर्सिटी मेरठ के कैंसर अनुसंधान विभाग के निदेशक प्रो. अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि प्राथमिक स्तर पर स्तन में गांठ, डिस्चार्ज, रक्तस्राव, स्तन की त्वचा का रंग परिवर्तन अथवा निपल्स का अंदर चला जाना स्तन कैंसर का लक्षण हो सकता है। उन्होंने बताया कि स्तन के किसी भी हिस्से में दर्द के होने अथवा नहीं होने का कैंसर से कोई संबंध नहीं है, लिहाजा ऐसी किसी भी स्थिति में भी जांच अवश्य कराई जानी चाहिए।
उन्होंने बताया कि किसी भी तरह की बीमारी के लक्षण पाए जाने पर उसे चिकित्सक से छिपाना घातक हो सकता है। लिहाजा इस मामले में महिलाओं को जागरुक रहने की जरुरत है। उन्होंने स्तन कैंसर के बढ़ते मामलों के दृष्टिगत देश में अधिकाधिक स्तन केयर सेंटर्स खोले जाने पर जोर दिया। प्रो. अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि 30 से 40 वर्ष की अवस्था में महिलाओं में स्तन कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। बताया कि ईश्वर ने प्रत्येक व्यक्ति को शतायु दी है, मगर नशावृत्ति, तंबाकू सेवन, नियमित दिनचर्या खानपान आदि जीवन की तमाम गलतियों के कारण लोग दीर्घायु प्राप्त नहीं कर पाते हैं। उन्होंने आगाह किया कि यदि कैंसर के मामले इसी तरह से बढ़ते रहे और इसकी रोकथाम के लिए लोग जागरुक नहीं हुए तो 2035 तक यह कोविड 19 से ज्यादा भयावह स्थिति पैदा हो सकती है। विशेषज्ञ ने बताया कि जेनेटिक फैक्टर के साथ साथ वायु, प्रकाश प्रदूषण व खानपान भी स्तन व अन्य कैंसर के कारण बन रहे हैं।
अतिथि वक्ता कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट देहरादून के निदेशक डॉ. सुनील सैनी ने बताया कि भारत में पश्चिमी देशों के मुकाबले कम उम्र में स्तन कैंसर के मामले अधिक सामने आ रहे हैं। अमेरिका में 40 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में सिर्फ 4 प्रतिशत स्तन कैंसर पाया जाता है, वहीं भारत में यह आंकड़ा 26 फीसदी तक जा चुका है। जिसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, इसलिए लोगों के बीच में स्तन कैंसर के प्रति जागरुकता की नितांत आवश्यकता है। कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट देहरादून की वरिष्ठ सर्जन डॉ. अंशिका अरोड़ा ने महिलाओं को अपने घर पर ही सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन के तौर तरीके बताए, साथ ही उन्होंने बताया कि महिलाओं को 40 से 50 वर्ष की उम्र में और इसके बाद नियमित अंतराल में विशेषज्ञ चिकित्सक से विस्तृत जांच करानी चाहिए जिससे स्तन कैंसर संबंधी किसी भी आशंका को निरमूल किया जा सके। उन्होंने महिलाओं को स्तन कैंसर को लेकर भ्रांतियों के प्रति आगाह किया और बताया कि जेनटिक कारणों से स्तन कैंसर के मामले महज 9 से 10 प्रतिशत हैं, जबकि 90 फीसदी मामले शारीरिक बदलाव, खानपान आदि कारणों से ब्रेस्ट कैंसर के मामले सामने आते हैं।
इस दौरान स्तन कैंसर से संबंधित जांच व लक्षणों की समग्र जानकारी के लिए लघु फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया,जिसे कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने सराहा और अन्य लोगों को भी स्तन कैंसर के संबंध में जागरुक करने की बात कही। इसके बाद डॉक्टर विधु एस. खरे, डॉ. कार्तिक जे. एवं डॉ. दीपिका रैना ने स्तन कैंसर के इलाज में सर्जरी, कीमोथेरेपी व रेडियोथेरेपी के क्षेत्र में हुए नई प्रगतियों से अवगत कराया और वर्तमान में स्तन कैंसर के उपचार के बारे में बताया।
इस दौरान सीएफएम विभागाध्यक्ष प्रो. वर्तिका सक्सेना, एसजीपीजीआई चंडीगढ़ के पूर्व एचओडी प्रोफेसर राजेंद्र सिंह, एम्स कॉलेज ऑफ नर्सिंग प्राचार्य प्रो. स्मृति अरोड़ा आदि मौजूद थे।
इंसेट
प्रो. अनुराग श्रीवास्तव ने स्तन कैंसर से बचाव के दिए नुस्खे
इन वस्तुओं के सेवन से बढ़ रहा कैंसर का रिस्क-
नूडल्स, पिज्जा, बर्गर, फास्ट फूड्स, रेड मीट
चार सफेद जहर को करें रसोई से बाहर
मैदा, सफेद नमक, सफेद चीनी

क्या करें-
नियमित एक घंटे व्यायाम, हार्ड वर्क
सात्विक आहार लें
कोशिश करें कि भोजन को तैयार होने के तीन घंटे के भीतर खा लें, उसके बाद नहीं।
शाम को पांच बजे के बाद भोजन नहीं लें
भोजन के साथ थोड़ी मात्रा में घी, मक्खन का भी उपयोग करें।
अधिक कड़वा, अधिक खट्टा व अधिक गर्म खाद्य पदार्थ नहीं लें।
पांच ग्राम से अधिक मात्रा में नमक नहीं लें।
अत्यधिक मीठा नहीं लें।
कैंसर से बचाव में व्रत-उपवास कारगर-

कैंसर को परास्त करने वाले योद्धा हुए सम्मानित
कार्यक्रम के दौरान विभाग की ओर से ब्रेस्ट कैंसर से उपचार के बाद समाधान पाने वाली महिलाओं को स्मृति चिह्न भेंटकर प्रोत्साहित किया गया। इस दौरान एम्स में ब्रेस्ट कैंसर का उपचार कराने वाली महिला प्रीति त्यागी आदि ने अपने अनुभव साझा किए। इसके अलावा विभिन्न प्रतियोगिताओं में अव्वल रहे प्रतिभागियों को प्रशस्तिपत्र भेंटकर सम्मानित किया गया।

Devbhumi jknews

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