उत्तराखंडधर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग-निंदा के दुष्परिणाम*

*⚜️ आज का राशिफल, 08 जून 2024 , शनिवार*

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज आपका का दिन सामान्य रहेगा। संतान की ओर से कोई शुभ समाचार मिलने से मन प्रसन्न रहेगा तथा मनोरंजन संबंधी कार्यक्रम भी बनेंगे। पारिवारिक गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाने में आपका विशेष योगदान रहेगा और आप उसमें कामयाब भी रहेंगे। जीवनसाथी की भावनाओं को समझ मधुरता स्थापित करेंगे। किसी कार्यवश बाहर गमन होगा। स्वास्थ्य सुधार होगा।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी , वु , वे, वो)
आज आपका दिन बेहतर रहेगा । कार्यक्षेत्र में आज कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है। परंतु कार्य संपन्न होने में कुछ व्यस्त रह सकते हैं। इस समय तनाव लेने की अपेक्षा धैर्य बनाकर रखना ज्यादा उचित रहेगा। युवा वर्ग तथा विद्यार्थियों को इस प्रतियोगी माहौल में अत्यधिक मेहनत की जरूरत है।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
अगर आप राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े हैं, तो यह संपर्क आपके लिए कुछ अच्छे अवसर प्रदान करने वाले हैं। इसलिए अपने संपर्क सूत्रों को और अधिक मजबूत बनाकर रखें। प्रॉपर्टी संबंधी कोई रुका हुआ काम भी आज हल हो सकता है।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
कार्य क्षेत्र में इस समय सूझबूझ व समझदारी से आप किसी भी परेशानी को आसानी से हल कर पाएंगे। कर्मचारियों के साथ अच्छे संबंध बनाकर रखें, इससे उनका मनोबल बढ़ेगा तथा वे लोग कार्यों को मन लगाकर करेंगे। आय के स्रोतों में भी इजाफा होगा।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
रिस्क प्रवृत्ति के कार्यों से दूर रहें। वर्तमान समय में जैसा चल रहा है उसी पर अपना ध्यान केंद्रित रखें। अनजान लोगों के साथ किसी भी तरह का बिजनेस करते समय पूरी तरह चौकन्ना रहें। क्योंकि इस तरह की लापरवाही आपको नुकसान दे सकती है। किसी चाहते से बात करके मन प्रसन्न होगा।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आपका दिन मनोनुकूल रहेगा। धन प्राप्ति के योग हैं। सामाजिक सम्मान मिलैगा। घर के नवीनीकरण या सुधार जैसी योजनाओं पर कार्य करते समय वास्तुविद की सलाह अवश्य लें। इससे आपके घर में सकारात्मकता आएगी। साथ ही प्रत्येक कार्य को करने से पहले बजट का भी ध्यान रखना अति आवश्यक है।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज आपका दिन सामान्य रहेगा। कार्य क्षेत्र में अत्यधिक व्यस्तता बनी रहेगी। ऑर्डर को समय पर पूरा करने से मार्केट में आपकी साख बनेगी। इस समय प्रतिद्वंद्वियों की गतिविधियों को नजरअंदाज ना करें। नौकरीपेशा लोगों को मेहनत से काम लेना है। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।

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वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
इस समय व्यवसाय में आपके पक्ष में कुछ महत्वपूर्ण स्थितियां बन रही हैं, इसलिए पूरी गंभीरता के साथ अपने कार्यों को अंजाम दे। धीमी गति से चल रहे काम में अब सुधार आएगा। ऑफिस मे सहकर्मी ईर्ष्या तथा जलन की भावना से आपके कार्यों में कुछ नुकसान पहुंचा सकते हैं। जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
पिछले कुछ समय से चल रही विपरीत परिस्थितियों में आज अचानक ही किसी अनुभवी व्यक्ति की मदद मिलेगी, जिससे आप अपनी समस्याओं से मुक्ति पा लेंगे। इस समय किसी भी अनुभवी व्यक्ति की सलाह की अवहेलना ना करके उस पर गंभीरता से विचार करें। स्वास्थ्य सही रहेगा।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
व्यवसाय में उत्पादन क्षमता में सुधार आना शुरू होगा। आर्थिक स्थितियां भी बेहतर होंगी। इस समय मार्केट से संबंधित कार्यों को निपटाने की कोशिश करें। तथा अपनी पुरानी पार्टियों के साथ भी पुनः संपर्क स्थापित करने से फायदा हो सकता है।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज आपका दिन बेहतर रहेगा । धार्मिक कार्यक्रम बनेंगे । धन धान्य से सम्पन्न होंगे। जिस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आप काफी समय से प्रयासरत थे, आज उसके उचित परिणाम हासिल करने का समय आ गया है। इसलिए प्रयासरत रहें और आशावादी बने रहें। परंतु अपनी दिनचर्या में अत्यधिक अनुशासन और मेहनत की आवश्यकता है।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज आपका दिन मिलाजुला रहेगा। कार्य क्षेत्र में अत्यधिक व्यस्तता बनी रहेगी। धर्म में रुचि बढेगी। इस समय प्रतिद्वंद्वियों की गतिविधियों को नजरअंदाज न करें। नौकरीपेशा लोगों को मेहनत व सावधानी से काम लेना है। धार्मिक आयोजन होगा। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।

*🌳निंदा के दुष्परिणाम 🌳*
राजा पृथु एक दिन सुबह-सुबह घोड़ों के तबेले में जा पहुँचे। तभी वहाँ एक साधु भिक्षा मांगने आ पहँचा। सुबह-सुबह साधु को भिक्षा मांगते देख पृथु क्रोध से भर उठे। उन्होंने साधु की निंदा करते हुये, बिना विचारे तबेले से घोड़े की लीद उठाई और उसके पात्र में डाल दी। साधु भी शांत स्वभाव का था, सो भिक्षा ले वहाँ से चला गया और वह लीद कुटिया के बाहर एक कोने में डाल दी।

कुछ समय उपरान्त राजा पृथु शिकार के लिये गये। पृथु ने जब जंगल में देखा कि, एक कुटिया के बाहर घोड़े की लीद का बड़ा सा ढेर लगा हुआ है। उन्होंने देखा कि, यहाँ तो न कोई तबेला है और न ही दूर-दूर तक कोई घोड़े दिखाई दे रहे हैं। वह आश्चर्यचकित हो कुटिया में गये और साधु से बोले….

*”महाराज ! आप हमें एक बात बताइये, यहाँ कोई घोड़ा भी नहीं, न ही तबेला है, तो यह इतनी सारी घोड़े की लीद कहा से आई ?”*

साधु ने कहा…*” राजन् ! यह लीद मुझे एक राजा ने भिक्षा में दी है। अब समय आने पर यह लीद उसी को खानी पड़ेगी।”*

यह सुन राजा पृथु को पूरी घटना याद आ गई। वे साधु के पैरों में गिर क्षमा मांगने लगे। उन्होंने साधु से प्रश्न किया…

*हमने तो थोड़ी-सी लीद दी थी, पर यह तो बहुत अधिक हो गई ?*

साधु ने कहा…*हम किसी को जो भी देते हैं, वह दिन-प्रतिदिन प्रफुल्लित होता जाता है और समय आने पर हमारे पास लौटकर आ जाता है, यह उसी का परिणाम है।*

यह सुनकर पृथु की आँखों में अश्रु भर आये। वे साधु से विनती कर बोले…

*”महाराज ! मुझे क्षमा कर दीजिये। मैं आगे से ऐसी गलती कभी नहीं करूँगा। कृपया कोई ऐसा उपाय बता दीजिये, जिससे मैं अपने दुष्ट कर्मों का प्रायश्चित कर सकूँ।”*

राजा की ऐसी दु:खमयी हालत देखकर साधु बोला..

*”राजन् ! एक उपाय है। आपको कोई ऐसा कार्य करना है, जो देखने में तो गलत हो, पर वास्तव में गलत न हो।*

जब लोग आपको गलत देखेंगे, तो आपकी निंदा करेंगे। जितने ज्यादा लोग आपकी निंदा करेंगे, आपका पाप उतना हल्का होता जायेगा। *आपका अपराध निंदा करने वालों के हिस्से में आ जायेगा।*

यह सुनकर राजा पृथु ने महल में आकर बोहत सोच-विचार किया और अगले दिन सुबह से शराब की बोतल लेकर चौराहे पर बैठ गये। सुबह-सुबह राजा को इस हाल में देखकर सब लोग आपस में राजा की निंदा करने लगे कि, कैसा राजा है ? कितना निंदनीय कृत्य कर रहा है, क्या यह शोभनीय है ? आदि-आदि !

निंदा की परवाह किये बिना राजा पूरे दिन शराबियों की तरह अभिनय करते रहे। इस पूरे कृत्य के पश्चात जब राजा पृथु पुनः साधु के पास पहुँचे, तो लीद के ढेर के स्थान पर एक मुट्ठी लीद देख आश्चर्य से बोले,

*”महाराज ! यह कैसे हुआ ? इतना बड़ा ढेर कहाँ गायब हो गया ?”*

साधू ने कहा, *”यह आपकी अनुचित निंदा के कारण हुआ है राजन् ! जिन-जिन लोगों ने आपकी अनुचित निंदा की है,, आपका पाप उन सबमें बराबर-बराबर बंट गया है।*

फिर राजा बोले.. *” महाराज, फिर ये मुट्ठी भर बचा क्यूँ?? ये क्यूँ नहीं बंटा??”*

तो फिर ऋषि बोले, *”राजन, ये तुम्हारा कर्म है। जितना तुमने मेरे भिक्षा पात्र मे मेरे खाने के लिए दिए थे उतना तो तुम्हें खाना ही पड़ेगा। “*

कोई कितना भी उपाय, दान, पुण्य करले उसका कर्म दोष कट तो जाएगा पर उसका मूल नष्ट नहीं होगा… उतना तो भरना ही पड़ेगा..

जब हम किसी की बेवजह निंदा करते हैं, तो हमें उसके पाप का बोझ भी उठाना पड़ता है। तथा हमें अपने किये गये कर्मों का फल तो भुगतना ही पड़ता है। अब चाहे हँसकर भुगतें या रोकर। *हम जैसा देंगे, वैसा ही लौटकर वापिस आयेगा।*

*दूसरे की निंदा करिये और अपना घड़ा भरिये।*…… जय श्री राधे॥

Devbhumi jknews

जीवन में हमेशा सच बोलिए, ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है!

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