उत्तराखंड

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग -परमात्मा से मिलन*


*आज का पञ्चांग*

*दिनांक:- 17/10/2024, गुरुवार*
*पूर्णिमा, शुक्ल पक्ष,*
*आश्विन*
(समाप्ति काल)

तिथि———- पूर्णिमा 16:55:26 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र———– रेवती 16:19:20
योग———— हर्शण 25:40:43
करण——- विष्टि भद्र 06:47:54
करण————– बव 16:55:26
करण———- बालव 27:03:58
वार———————- गुरूवार
माह——————— आश्विन
चन्द्र राशि—– मीन 16:19:20
सूर्य राशि—- कन्या 07:41:58
सूर्य राशि—————— तुला
रितु————————- शरद
आयन—————- दक्षिणायण
संवत्सर——————– क्रोधी
संवत्सर (उत्तर)———— कालयुक्त
विक्रम संवत————– 2081
गुजराती संवत———— 2080
शक संवत—————- 1946
कलि संवत—————- 5125
सूर्योदय————– 06:21:38
सूर्यास्त—————- 17:46:50
दिन काल———— 11:25:11
रात्री काल————–12:35:23
चंद्रोदय————– 17:39:44
चंद्रास्त————— 30:40:50s
लग्न—- कन्या 29°57′ , 179°57′
सूर्य नक्षत्र—————— चित्रा
चन्द्र नक्षत्र—————— रेवती
नक्षत्र पाया—————— स्वर्ण

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

च—- रेवती 11:03:48

ची—- रेवती 16:19:20

चु—- अश्विनी 21:35:06

चे—- अश्विनी 26:51:15

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= कन्या 29°05, चित्रा 2 पो
चन्द्र=मीन 23°30 , रेवती 3 च
बुध =तुला 10°53′ स्वाति 2 रे
शु क्र= वृश्चिक 04°05, अनुराधा’ 1 ना
मंगल=मिथुन 28°30 ‘ पुनर्वसु’ 3 हा
गुरु=वृषभ 26°30 मृगशिरा , 2 वो
शनि=कुम्भ 19°50 ‘ शतभिषा , 4 सू
राहू=(व) मीन 11°20 उo भा o, 3 झ
केतु= (व)कन्या 11°20 हस्त 1 पू

*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*

राहू काल 13:30 – 14:56 अशुभ
यम घंटा 06:22 – 07:47 अशुभ
गुली काल 09:13 – 10: 39अशुभ
अभिजित 11:41 – 12:27 शुभ
दूर मुहूर्त 10:10 – 10:56 अशुभ
दूर मुहूर्त 14:44 – 15:30 अशुभ
प्रदोष 17:47 – 20:20 शुभ

💮गंड मूल अहोरात्र अशुभ

🚩पंचक 06:22 – 16:19 अशुभ

💮चोघडिया, दिन
शुभ 06:22 – 07:47 शुभ
रोग 07:47 – 09:13 अशुभ
उद्वेग 09:13 – 10:39 अशुभ
चर 10:39 – 12:04 शुभ
लाभ 12:04 – 13:30 शुभ
अमृत 13:30 – 14:56 शुभ
काल 14:56 – 16:21 अशुभ
शुभ 16:21 – 17:47 शुभ

🚩चोघडिया, रात
अमृत 17:47 – 19:21 शुभ
चर 19:21 – 20:56 शुभ
रोग 20:56 – 22:30 अशुभ
काल 22:30 – 24:05* अशुभ
लाभ 24:05* – 25:39* शुभ
उद्वेग 25:39* – 27:13* अशुभ
शुभ 27:13* – 28:48* शुभ
अमृत 28:48* – 30:22* शुभ

💮होरा, दिन
बृहस्पति 06:22 – 07:19
मंगल 07:19 – 08:16
सूर्य 08:16 – 09:13
शुक्र 09:13 – 10:10
बुध 10:10 – 11:07
चन्द्र 11:07 – 12:04
शनि 12:04 – 13:01
बृहस्पति 13:01 – 13:58
मंगल 13:58 – 14:56
सूर्य 14:56 – 15:53
शुक्र 15:53 – 16:50
बुध 16:50 – 17:47

🚩होरा, रात
चन्द्र 17:47 – 18:50
शनि 18:50 – 19:53
बृहस्पति 19:53 – 20:56
मंगल 20:56 – 21:59
सूर्य 21:59 – 23:02
शुक्र 23:02 – 24:05
बुध 24:05* – 25:07
चन्द्र 25:07* – 26:10
शनि 26:10* – 27:13
बृहस्पति 27:13* – 28:16
मंगल 28:16* – 29:19
सूर्य 29:19* – 30:22

*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*

कन्या > 03:08 से 05:34 तक
तुला > 05:34 से 07: 42 तक
वृश्चिक > 07:42 से 10:06 तक
धनु > 10:06 से 12:22 तक
मकर > 12:22 से 15:12 तक
कुम्भ > 15:12 से 15:38 तक
मीन > 15:38 से 17:10 तक
मेष > 17:10 से 18:34 तक
वृषभ > 18:34 से 20:42 तक
मिथुन > 20:42 से 22:50 तक
कर्क > 22:50 से 01:24 तक
सिंह > 01:24 से 03:14 तक

*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

15 + 5 + 1 = 21 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

चन्द्र ग्रह मुखहुति

*💮 शिव वास एवं फल -:*

15 + 15 + 5 = 35 ÷ 7 = 0 शेष

शमशान वास = मृत्यु कारक

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

06:47 तक समाप्त

मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशिनी

*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*

*देवकार्य,स्नान, दान पूर्णिमा*

*श्री सत्यनारायण व्रत पूर्णिमा*

*सर्वार्थ सिद्धि योग 28:27 तक*

*तुला$र्क 07:43 से*

*कार्तिक स्नान प्रारम्भ*

*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*

त्यजेध्दर्म दयाहीनं विद्याहीनं गुरुं त्यजेत् ।
त्यजेत्क्रोधमुखीं भार्यान्निः स्नेहानबंधवांस्त्यजेत् ।।
।। चा o नी o।।

जिस व्यक्ति के पास धर्म और दया नहीं है उसे दूर करो. जिस गुरु के पास अध्यात्मिक ज्ञान नहीं है उसे दूर करो. जिस पत्नी के चेहरे पर हरदम घृणा है उसे दूर करो. जिन रिश्तेदारों के पास प्रेम नहीं उन्हें दूर करो.

*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*

गीता -: विभूतियोग अo-10

बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम्‌ ।,
मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकरः॥,

तथा गायन करने योग्य श्रुतियों में मैं बृहत्साम और छंदों में गायत्री छंद हूँ तथा महीनों में मार्गशीर्ष और ऋतुओं में वसंत मैं हूँ॥,35॥,

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
ऐश्वर्य के साधनों पर खर्च होगा। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। स्थायी संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। शारीरिक कष्ट संभव है। भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। विवेक से कार्य करें।

🐂वृष
यात्रा लाभदायक रहेगी। राजकीय सहयोग मिलेगा। सरकारी कामों में सहूलियत होगी। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। घर में सुख-शांति रहेंगे। कारोबारी अनुबंध हो सकते हैं। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। पार्टनरों से सहयोग मिलेगा। झंझटों में न पड़ें।

👫मिथुन
यात्रा लाभदायक रहेगी। संतान पक्ष से बुरी खबर मिल सकती है। डूबी हुई रकम प्राप्त होगी। व्यापार-व्यवसाय से मनोनुकूल लाभ होगा। नौकरी में प्रशंसा मिलेगी। जल्दबाजी से काम बिगड़ सकते हैं। नए उपक्रम प्रारंभ करने संबंधी योजना बनेगी।

🦀कर्क
चोट व दुर्घटना से बड़ी हानि हो सकती है। पुराना रोग उभर सकता है। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। किसी व्यक्ति विशेष से कहासुनी हो सकती है। स्वाभिमान को ठेस पहुंच सकती है। दौड़धूप रहेगी। नकारात्मकता हावी रहेगी। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें।

🐅सिंह
दुष्टजनों से सावधानी आवश्यक है। फालतू खर्च पर नियंत्रण नहीं रहेगा। हल्की मजाक करने से बचें। अपेक्षित काम में विलंब होगा। बेकार की बातों पर ध्यान न दें। अपने काम से काम रखें। लाभ के अवसर मिलेंगे। विवेक का प्रयोग करें। आय में वृद्धि होगी।

🙍‍♀️कन्या
मान-सम्मान मिलेगा। मेहनत का फल मिलेगा। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। शत्रु तथा ईर्ष्यालु व्यक्तियों से सावधानी आवश्यक है। समय की अनुकूलता है। सामाजिक कार्य करने का मन लगेगा।

⚖️तुला
सामाजिक कार्य करने में मन लगेगा। योजना फलीभूत होगी। कार्यस्थल पर परिवर्तन हो सकता है। कारोबार मनोनुकूल लाभ देगा। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। शेयर मार्केट, म्युचुअल फंड से लाभ होगा। आय में वृद्धि होगी। मान-सम्मान मिलेगा। स्वास्थ्‍य का ध्यान रखें।

🦂वृश्चिक
चोट व रोग से कष्ट हो सकता है। बेचैनी रहेगी। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। पूजा-पाठ में मन लगेगा। सत्संग का लाभ मिलेगा। राजकीय बाधा दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। परिवार तथा मित्रों का सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता बनी रहेगी।

🏹धनु
भागदौड़ अधिक रहेगी। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। मेहनत अधिक होगी। लाभ में कमी रह सकती है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। व्यवसाय-व्यापार मनोनुकूल चलेगा। आय बनी रहेगी। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा, सावधानी रखें। बुरी खबर मिल सकती है।

🐊मकर
पुरानी संगी-साथियों से मुलाकात होगी। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। फालतू खर्च होगा। स्वास्थ्य कमजोर रह सकता है। आत्मसम्मान बना रहेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। भाइयों का सहयोग मिलेगा। कारोबार से लाभ होगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा। जल्दबाजी न करें।

🍯कुंभ
बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। भेंट व उपहार की प्राप्ति संभव है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड से मनोनुकूल लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव वृद्धि होगी। कोई बड़ा काम होने से प्रसन्नता रहेगी। जल्दबाजी न करें। उत्साह रहेगा।

🐟मीन
पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बनेगा। आनंद के साथ समय व्यतीत होगा। मनपसंद व्यंजनों का लाभ मिलेगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। व्यापार मनोनुकूल लाभ देगा। नौकरी में प्रभाव वृद्धि होगी। किसी व्यक्ति से बहस हो सकती है। आशंका-कुशंका से बाधा होगी।

*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*

*🛕जय श्री राम🙏*

*☀️परमात्मा से मिलन☀️*

एक संन्यासी सारी दुनिया की यात्रा करके भारत वापस लौटा था । एक छोटी सी रियासत में मेहमान बना ।

उस रियासत के राजा ने जाकर संन्यासी को कहा :
स्वामी, एक प्रश्न मैं बीस वर्षो से निरंतर पूछ रहा हूं । कोई उत्तर नहीं मिलता ।
क्या आप मुझे उत्तर देंगे?

संन्यासी ने राजा से कहा : निसंदेह आज तुम खाली नहीं लौटोगे। निश्चित दूंगा। पूछो।

राजा ने कहा : मैं ईश्वर से मिलना चाहता हूं । ईश्वर को समझाने की कोशिश मत करना। मैं सीधा मिलना चाहता हूं।

उस संन्यासी ने कहा : अभी मिलना चाहते हैं कि थोड़ी देर ठहर कर?
राजा ने कहा: माफ़ करिए , शायद आप समझे नहीं। मैं परम पिता परमात्मा की बात कर रहा हूं, आप यह तो नहीं समझे कि किसी ईश्वर नाम वाले व्यक्ति की बात कर रहा हूं ; जो आप कहते हैं कि अभी मिलना है कि थोड़ी देर रुक सकते हो?

संन्यासी ने कहा : महानुभाव, भूलने की कोई गुंजाइश नहीं है। मैं तो चौबीस घंटे परमात्मा से मिलाने का ही धंधा करता हूं। अभी मिलना है कि थोड़ी देर रुक सकते हैं, सीधा जवाब दें।

तुम तो बीस साल से भगवान से मिलने को उत्सुक हो और आज वक्त आ गया तो मिल लो।
राजा ने हिम्मत की और उसने कहा : अच्छा मैं अभी मिलना चाहता हूं मिला दीजिए।

संन्यासी ने कहा : इस छोटे से कागज पर अपना नाम पता लिख दो ताकि मैं भगवान के पास पहुंचा दूं कि आप कौन हैं।

राजा ने अपना नाम, अपना महल का नाम, अपना परिचय, अपनी उपाधियां लिखकर उन्हें दी!

तब वह संन्यासी बोला कि महाशय, ये सब बाते मुझे झूठ और असत्य मालूम होती हैं जो आपने कागज पर लिखीं हैं।

राजा हतप्रभ था कि इस सन्यासी को मेरे परिचय पर संदेह क्यों हो रहा है?

संन्यासी ने कहा : अगर तुम्हारा नाम बदल दें तो क्या तुम बदल जाओगे? तुम्हारी चेतना, तुम्हारी सत्ता, तुम्हारा व्यक्तित्व दूसरा हो जाएगा?

उस राजा ने कहा : नहीं, नाम के बदलने से मैं क्यों बदलूंगा? नाम, नाम है, और मैं, मैं हूं!

तो संन्यासी ने कहा : एक बात तो तय हो गई कि नाम तुम्हारा परिचय नहीं है, क्योंकि तुम उसके बदलने से बदलते नहीं। आज तुम राजा हो, कल गांव के भिखारी हो जाओगे तो क्या बदल जाओगे?

उस राजा ने कहा : नहीं, अगर मेरा राज्य चला जाएगा, मैं भिखारी भी हो जाऊंगा, लेकिन मैं क्यों बदल जाऊंगा? मैं तो जो हूं, हूं। राजा होकर जो हूं, भिखारी होकर भी वही रहूँगा! अगर महल, राज्य और धन- संपति नहीं भी होगी तो भी मैं तो वही रहूंगा जो मैं हूं!

फिर संन्यासी ने कहा : तो तय हो गई दूसरी बात कि राज्य तुम्हारा परिचय नहीं है, क्योंकि राज्य छिन जाए तो भी तुम बदलते नहीं।
अब ये बताओ तुम्हारी उम्र कितनी है?

उसने कहा : चालीस वर्ष!

संन्यासी ने कहा: तो पचास वर्ष के होकर क्या तुम कुछ और हो जाओगे? जब तुम बीस वर्ष या जब बच्चे थे तो क्या तब तुम कोई और थे?

उस राजा ने कहा : नहीं! उम्र बदलती है, शरीर बदलता है लेकिन मैं कभी नहीं बदला! मैं तो जो बचपन में था, जो मेरे भीतर था, वह आज भी है!

संन्यासी ने कहा : अब तो उम्र भी तुम्हारा परिचय नहीं रहा, शरीर भी तुम्हारा परिचय नहीं रहा! अब अपना असली परिचय लिखकर दो कि असलियत में तुम कौन हो? अगर वह आप लिख दोगे तो मैं उसे भगवान के पास पहुंचा दूंगा, अन्यथा गलत जानकारी देने के कारण मैं भी झूठा बनूंगा तुम्हारे साथ! अभी तक तुम स्वयं बतला चुके हो कि अब तक का दिया परिचय तुम्हारा नहीं है।

राजा बोला : अब तो बड़ी कठिनाई हो गई। उसे तो मैं भी नहीं जानता! आखिर जो मैं हूं , उसे तो मैं नहीं जानता! अब तक मैं इन्हीं को अपना परिचय समझता था!

संन्यासी ने कहा : मेरे लिय भी यह धर्म संकट है कि जिसका मैं परिचय भी न दे सकूं, बता भी न सकूं कि कौन मिलना चाहता है, तो भगवान भी क्या कहेंगे कि किसको मिलाना चाहता है?

तो जाओ पहले इसको खोज लो कि *तुम कौन हो ।*
और मैं तुमसे वचन देता हूं कि जिस दिन तुम यह जान लोगे कि तुम कौन हो, उस दिन तुम्हें भगवान को खोजने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी , *क्योंकि स्वयं को जानने में ही वह भी जान लिया जाएगा जो परमात्मा है यानी जिसने खुद को जान लिया उसने परमात्मा को पा लिया!*
*खुद के बोध के लिए सदगुरु की शरणागत होना होगा तभी साक्षात् परम ब्रह्म का दर्शन हो पायेगा!*
*जिसने भी वह दर्शन किया, अपने अन्दर जीते जी किया।*

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