*प्राइवेट पार्ट में ₹ 9000000 लाख का छिपाए हुए था सोना- एयरपोर्ट पर हुआ गिरफ्तार-रेक्टम की सर्जरी कर गोल्ड किया गया बरामद…*
डेस्क – हाल के दिनों में भारत में गोल्ड की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, जिसके चलते गोल्ड तस्करी के मामलों में भी वृद्धि देखी जा रही है। राजस्थान के जयपुर एयरपोर्ट पर अबू धाबी से आए यात्री के पास से एक किलो से अधिक सोना बरामद होना इस स्थिति का एक ताजा उदाहरण है। तस्करों द्वारा गोल्ड को विभिन्न नए और चालाक तरीकों से लाने के प्रयासों ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के सामने चुनौती खड़ी कर दी है। इस लेख में हम समझेंगे कि गोल्ड तस्करी के कौन-कौन से तरीके तस्करों ने अपनाए हैं और इसके खिलाफ सुरक्षा एजेंसियां कैसे काम कर रही हैं।
जयपुर एयरपोर्ट पर हुई तस्करी: एक केस स्टडी
जयपुर एयरपोर्ट पर हाल ही में अबू धाबी से आए महेंद्र खान नामक एक यात्री से करीब 1.1 किलो शुद्ध सोना बरामद हुआ। यह सोना प्लास्टिक में लपेट कर उसकी बॉडी में छुपाया गया था। कस्टम अधिकारियों को उसकी गतिविधियों से शक हुआ, और एक्स-रे स्कैन के बाद उसकी बॉडी में छुपाए गए तीन कैप्सूलों में से यह सोना बरामद किया गया। इसकी कीमत करीब 90 लाख रुपए आंकी गई है।
यह मामला इस बात का प्रमाण है कि गोल्ड तस्करी के लिए लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं। महेंद्र खान के केस में भी रेक्टम में गोल्ड को छुपाने का तरीका अपनाया गया था, जो हाल ही में काफी प्रचलित हो रहा है।
गोल्ड तस्करी के नए ट्रेंड-
तस्करों ने अब गोल्ड तस्करी के कई नए और अनोखे तरीके खोज लिए हैं, जिनमें से कुछ मुख्य हैं:
रेक्टम में गोल्ड छुपाना-
तस्कर अब गोल्ड को पेस्ट के रूप में बनाकर कंडोम में भरते हैं और इसे रेक्टम में छुपाकर लाते हैं। यह तरीका सुरक्षा जांच से बचने में काफी मददगार साबित होता है, क्योंकि बॉडी स्कैनर में इस तरह का गोल्ड डिटेक्शन मुश्किल हो सकता है।
अंडरगारमेंट्स में गुप्त पॉकेट्स बनाना-
तस्कर अब अंडरगारमेंट्स में छुपी हुई जेबें बनाकर भी गोल्ड लाते हैं। इन जेबों में गोल्ड के छोटे-छोटे टुकड़े रखे जाते हैं ताकि सुरक्षा जांच के दौरान इसका पता न चले।
गोल्ड का रंग और फॉर्म बदलना-
तस्कर गोल्ड का रंग बदलकर उसे व्हाइट या पिंक कर देते हैं, ताकि वह सामान्य धातु जैसा लगे। केमिकल्स के जरिए ऐसा करना आसान होता है, और यह तरीका जांच के दौरान सुरक्षा एजेंसियों को धोखा देने में सहायक होता है।
लिक्विड पेस्ट में गोल्ड बदलना-
गोल्ड को लिक्विड पेस्ट या जेल के रूप में बदल दिया जाता है। इस तरह का गोल्ड नेल पॉलिश, शैम्पू की बोतल, या अन्य छोटी-छोटी बोतलों में रखा जा सकता है।
गोल्ड तस्करी के पिछले मामलों पर नजर-
करीब आठ महीने पहले, जयपुर एयरपोर्ट पर मस्कट से आए दो यात्रियों के पास से 2 किलो सोना बरामद हुआ था। यह सोना भी उनके प्राइवेट पार्ट्स में छुपाया गया था। इससे पता चलता है कि तस्कर लगातार इसी तरीके का इस्तेमाल कर रहे हैं और अधिकारियों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।
गोल्ड तस्करी की बढ़ती समस्या और इसके पीछे की वजह-
भारत में सोने की मांग हर वर्ष अधिक रहती है, जिससे सोने की कीमतों में भी इजाफा होता रहता है। तस्करों को कम दामों पर गोल्ड उपलब्ध होने वाले देशों से सोना लाकर भारतीय बाजार में ऊँचे दाम पर बेचने का फायदा मिलता है। इसीलिए वे नए-नए तरीके अपनाते हैं ताकि सीमा शुल्क और अन्य कानूनी बाधाओं से बचा जा सके।
सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका और उपाय-
भारतीय सुरक्षा एजेंसियां अब हवाई अड्डों पर सुरक्षा उपकरणों को अपग्रेड करने और प्रशिक्षित अधिकारियों को तैनात करने पर जोर दे रही हैं। कस्टम अधिकारियों को शक होने पर एक्स-रे स्कैन और अन्य आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है।
बॉडी स्कैनर और एक्स-रे मशीनों का उपयोग-
तस्करी की आशंका होने पर यात्रियों की बॉडी स्कैनिंग और एक्स-रे द्वारा जांच की जाती है। इस तकनीक के उपयोग से कई मामलों में गोल्ड बरामद किया गया है।
सीमा शुल्क के कड़े नियम-
सीमा शुल्क अधिकारियों को हर यात्री की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त, संदेह होने पर संदिग्ध यात्रियों से सख्ती से पूछताछ भी की जाती है।