उत्तराखंडराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग -दान-का-हिसाब*


📜««« *आज का पञ्चांग* »»»📜
कलियुगाब्द…………………….5126
विक्रम संवत्……………………2081
शक संवत्………………………1946
मास…………………………..मार्गशीर्ष
पक्ष……………………………….कृष्ण
तिथी……………………………..नवमी
रात्रि 10.21 पर्यंत पश्चात दशमी
रवि………………………….दक्षिणायन
सूर्योदय ………………प्रातः 06.46.47 पर
सूर्यास्त…………….संध्या 05.41.20 पर
सूर्य राशि……………………..वृश्चिक
चन्द्र राशि………………………..सिंह
गुरु राशि………………………..वृषभ
नक्षत्र………………….पूर्वाफाल्गुनी
रात्रि 10.13 पर्यंत पश्चात उत्तराफाल्गुनी
योग…………………………….वैधृति
दोप 12.08 पर्यंत पश्चात विष्कुम्भ
करण………………………….तैतिल
प्रातः 09.06 पर्यंत पश्चात गरज
ऋतु……………………(सह:) हेमंत
दिन…………………………..रविवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार :-*
24 नवम्बर सन 2024 ईस्वी ।

☸ शुभ अंक…………………….6
🔯 शुभ रंग…………………….नीला

👁‍🗨 *अभिजीत मुहूर्त :-*
दोप 11.51 से 12.34 तक ।

👁‍🗨*राहुकाल :-*
संध्या 04.16 से 05.37 तक ।

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*वृश्चिक*
06:11:58 08:28:14
*धनु*
08:28:14 10:33:46
*मकर*
10:33:46 12:20:52
*कुम्भ*
12:20:52 13:54:25
*मीन*
13:54:25 15:25:37
*मेष*
15:25:37 17:06:22
*वृषभ*
17:06:22 19:05:01
*मिथुन*
19:05:01 21:18:43
*कर्क*
21:18:43 23:34:53
*सिंह*
23:34:53 25:46:42
*कन्या*
25:46:42 27:57:21
*तुला*
27:57:21 30:11:58

🚦 *दिशाशूल :-*
पश्चिमदिशा – यदि आवश्यक हो तो दलिया, घी या पान का सेवनकर यात्रा प्रारंभ करें ।

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 08.09 से 09.30 तक चंचल
प्रात: 09.30 से 10.51 तक लाभ
प्रात: 10.51 से 12.12 तक अमृत
दोप. 01.33 से 02.54 तक शुभ
सायं 05.36 से 07.15 तक शुभ
संध्या 07.15 से 08.54 तक अमृत
रात्रि 08.54 से 10.33 तक चंचल ।

💮 *आज का मंत्रः*
॥ ॐ खगाय नम: ॥

 *संस्कृत सुभाषितानि :-*
*श्रीमद्भगवतगीता (नवमोऽध्यायः – राजविद्याराजगुह्ययोग:) -*
आयुधानामहं वज्रं धेनूनामस्मि कामधुक् ।
प्रजनश्चास्मि कन्दर्पः सर्पाणामस्मि वासुकिः ॥१०- २८॥
अर्थात :
मैं शस्त्रों में वज्र और गौओं में कामधेनु हूँ। शास्त्रोक्त रीति से सन्तान की उत्पत्ति का हेतु कामदेव हूँ और सर्पों में सर्पराज वासुकि हूँ॥28॥

🍃 *आरोग्यं सलाह :-*
*मुलेठी के घरेलू आयुर्वेदिक फायदे :*

*1. शरीर में पानी की पूर्ति :*
जब आपको बार-बार प्यास लगती है तो मुलेठी को चूसने से आपके शरीर को 50 प्रतिशत पानी की मात्रा मिलती है, जो हमारे शरीर में पानी से पूर्ति करती है।

*2. गले की समस्या :*
गले में किसी भी प्रकार की कोई समस्या हो मुलेठी को चूसने से आपको फायदा मिलता है। इससे गला तो ठीक होता है, साथ ही हमारी आवाज भी मधुर बनती है।

3. कफ के लिए :*
कफ को दूर करने के लिए मुलेठी को काली मिर्च के साथ सेवन करें। आपकी कफ कम हो जायेगीं और जब आप को सुखी खांसी होती है तब भी मुलेठी फायदेमंद होती है और इससे गले की सूजन भी कम हो जाती है। मुंह में छाले होने पर भी यह बहुत फायदेमंद होती है।

*4. पेट के अल्सर के लिए :*
मुलेठी पेट के अल्सर को दूर करने के लिए एक औषधि है, मुलेठी के चूर्ण का सेवन करके अपच और एसिडिटी को दूर किया जा सकता है और यह तेजी के साथ अल्सर के घावों को भी भरता है।

*5. शरीर में अंदरूनी चोट से बचाए :*
यह एक एंटीबायोटिक दवा के रूप में भी काम करता है, जो हमारे शरीर में बैक्टीरिया से लड़ने में सक्षम है। यह शरीर में अंदरूनी चोट के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है।

⚜ *आज का राशिफल :-*

🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
यात्रा लाभदायक रहेगी। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। कोई बड़ी समस्या का हल सहज ही होगा। समय अनुकूल है। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। वाणी पर नियंत्रण रखें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। शेयर मार्केट, म्युचुअल फंड से मनोनुकूल लाभ होगा। बेरोजगारी के प्रयास सफल रहेंगे।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
परिवार के किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य पर खर्च होगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में नि‍श्चितता रहेगी। चिंता तथा तनाव रहेंगे। जल्दबाजी न करें। विवाद को बढ़ावा न दें। फालतू खर्च होगा। अपेक्षाकृत कार्यों में विलंब होगा। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। किसी व्यक्ति के बहकावे में न आएं।

👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
आय में वृद्धि होगी। लाभ में वृद्धि होगी। कारोबार में वृद्धि होगी। शेयर मार्केट से लाभ होगा। व्यापार ठीक चलेगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। समय की अनुकूलता का लाभ लें। यात्रा लाभदायक रहेगी। रुका हुआ धन प्राप्त हो सकता है। विरोधी सक्रिय रहेंगे। स्वास्थ्‍य का ध्यान रखें। पारिवारिक चिंता रहेगी। जो‍खिम न लें।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
आर्थिक उन्नति की योजना बनेगी। व्यापार लाभदायक रहेगा। कार्यस्थल पर परिवर्तन हो सकता है। नए उपक्रम प्रारंभ हो सकते हैं। कार्यसिद्धि होगी। प्रसन्नता में वृद्धि होगी। मान-सम्मान मिलेगा। जल्दबाजी से काम बिगड़ सकते हैं। थकान व कमजोरी रहेगी। किसी बड़े काम को करने की तीव्र इच्छा जागृत होगी।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। दुष्टजनों से सावधान रहें। प्रमाद न करें। धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। तीर्थयात्रा की योजना बनेगी। कानूनी अड़चन दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। निवेश में सोच-समझकर हाथ डालें।

👩‍🦰 *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
बनते कामों में विघ्न आ सकते हैं। चिंता तथा तनाव रहेंगे। बेकार बातों की तरफ ध्यान न दें। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय होगी। फालतू खर्च होगा। विवाद को बढ़ावा न दें। चोट व दुर्घटना के प्रति सावधानी आवश्यक है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। व्यापार लाभदायक रहेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। मानसिक बेचैनी रहेगी। सभी तरफ से सफलता प्राप्त होगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। ऐश्वर्य के साधनों पर अधिक व्यय होगा। कानूनी अड़चन दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। शत्रु पस्त होंगे।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
स्थायी संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। समय की अनुकूलता का लाभ लें। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रह सकता है। जोखिम न उठाएं। प्रसन्नता रहेगी। किसी व्यक्ति के बहकावे में न आएं। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। पार्टी व पिकनिक का आनंद प्राप्त होगा। मित्रों के साथ समय मनोरंजक व्यतीत होगा। प्रसन्नता में वृद्धि होगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। रोजगार मिलेगा। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। कानूनी अड़चन सामने आएगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। बेचैनी रहेगी। व्यर्थ दौड़धूप रहेगी।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
मेहनत अधिक होगी। लाभ के अवसर टलेंगे। मानसिक बेचैनी रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। लाभ होगा। कोई बड़ी बाधा उठ खड़ी हो सकती है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें, गुम हो सकती है। विवाद के बढ़ावा न दें। बुरी खबर मिल सकती है, धैर्य रखें। किसी व्यक्ति विशेष से कहासुनी हो सकती है।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
व्यापार लाभदायक रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। ऐश्वर्य के साधनों पर खर्च होगा। घर-बाहर सुख-शांति रहेगी। भाग्य का साथ रहेगा। प्रमाद न करें। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। मेहनत का फल मिलेगा। मान-सम्मान मिलेगा। मित्रों का सहयोग कर पाएंगे। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे।

🐟 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
उत्साहवर्धक सूचना मिलेगी। आत्मसम्मान बना रहेगा। बुद्धि का प्रयोग करेंग। कार्य में सफलता मिलेगी। पार्टनरों का सहयोग प्राप्त होगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। लाभ में वृद्धि होगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। समय सुखपूर्वक व्यतीत होगा। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी।

☯ *आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।*

।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।

🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩

*दान-का-हिसाब*

एक राज्य में एक राजा का शासन था. वह कीमती वस्त्रों, आभूषणों और मनोरंजन में अत्यधिक धन खर्च कर दिया करता था. परन्तु, दान-धर्म में एक दमड़ी खर्च नहीं करता था.

जब भी कोई ज़रूरतमंद और लाचार व्यक्ति सहायता की आस में उसके दरबार में आता, तो उसे खाली हाथ लौटा दिया जाता था. इसलिए लोगों ने उसके पास जाना ही छोड़ दिया था.

एक वर्ष राज्य में वर्षा नहीं हुई, जिससे वहाँ सूखा पड़ गया. सूखे से फ़सल नष्ट हो गई. चारो ओर त्राहि-त्राहि मच गई. लोग भूख-प्यास से मरने लगे.

राजा के कानों तक जब प्रजा का हाल पहुँचा, तो वह कन्नी काटते हुए बोला, “अब इंद्र देवता रूठ गए हैं, तो इसमें मेरा क्या दोष है. मैं भला क्या कर सकता हूँ?”

प्रजा उनके समक्ष सहायता की गुहार लेकर आई, “महाराज सहायता करें. अब आपका ही सहारा है. राजकोष से थोड़ा धन प्रदान कर दें, ताकि अन्य देशों से अनाज क्रय कर भूखे मरने से बच सकें.”

राजा उन्हें दुत्कारते हुए बोला, “जाओ अपनी व्यवस्था स्वयं करो. आज सूखे से तुम्हारी फ़सल नष्ट हो गई. कल अतिवृष्टि से हो जायेगी और तुम लोग ऐसे ही हाथ फैलाये मेरे पास आ जाओगे. तुम लोगों पर यूं ही राजकोष का धन लुटाता रहा, तो मैं कंगाल हो जाऊंगा. जाओ यहाँ से.”

दु:खी मन से लोग वापस चले गए. किंतु, समय बीतने के साथ सूखे का प्रकोप बढ़ता चला गया. अन्न के एक-एक दाने को तरसने लगे और वे फिर से राजा के पास पहुँचे.

सहायता की याचना करते हुए वे बोले, “महाराज! हम लाचार हैं. खाने को अन्न का एक दाना नहीं है. राजकोष से मात्र दस हज़ार रूपये की सहायता प्रदान कर दीजिये. आजीवन आपके ऋणी रहेंगे.”

“दस हज़ार रूपये! जानते भी हो कि ये कितने होते हैं? इस तरह मैं तुम लोगों पर धन नहीं लुटा सकता.” राजा बोला.

“महाराज! राजकोष सगार है और दस हज़ार रूपये एक बूंद. एक बूँद दे देने से सागर थोड़े ही खाली हो जायेगा.” लोग बोले.

“तो इसका अर्थ है कि मैं दोनों हाथों से धन लुटाता फिरूं.” राजा तुनककर बोला.

“महाराज! हम धन लुटाने को नहीं कह रहे. सहायता के लिए कह रहे हैं. वैसे भी हजारों रूपये कीमती वस्त्रों, आभूषणों, मनोरंजन में प्रतिदिन व्यय होते है. वही रूपये हम निर्धनों के काम आ जायेंगे.”

“मेरा धन है. मैं जैसे चाहे उपयोग करूं? तुम लोग कौन होते हो, मुझे ज्ञान देने वाले? तत्काल मेरी दृष्टि से दूर हो जाओ, अन्यथा कारागार में डलवा दूंगा.” राजा क्रोधित होकर बोला.

राजा का क्रोध देख लोग चले गए.

दरबारी भी राजा का व्यवहार देख दु:खी थे. ऐसी आपदा के समय प्रजा अपने राजा से आस न रखे, तो किससे रखे? ये बात वे राजा से कहना चाहते थे, किंतु उसका क्रोध देख कुछ न कह सके.

राजा ही बोला, “दस हज़ार रूपये मांगने आये थे. अगर सौ-दो सौ रूपये भी मांगे होते, तो दे देता और उसकी क्षतिपूर्ति किसी तरह कर लेता. किंतु, इन लोगों ने तो बिना सोचे-समझे अपना मुँह खोल दिया. सच में अब तो नाक में दम हो गया है.”

अब दरबारी क्या कहते? शांत रहे. किंतु, मन ही मन सोच रहे थे कि राजा ने प्रजा के प्रति अपना कर्तव्य नहीं निभाया.

कुछ दिन और बीत गए. किंतु, सूखे का प्रकोप रुका नहीं, बढ़ता ही गया. इधर राजा इन सबके प्रति आँखें मूंद अपने भोग-विलास में लगा रहा.

एक दिन एक सन्यासी दरबार में आया और राजा को प्रणाम कर बोला, “महाराज! सुना है आप दानवीर हैं. सहायता की गुहार लेकर उपस्थित हुआ हूँ.”

राजा आश्चर्य में पड़ गया, सोचने लगा कि ये सन्यासी कहाँ से मेरे दान-पुण्य के बारे में सुनकर आया है. मैंने तो कभी किसी को दान नहीं दिया. कहीं दान लेने के लिए ये बात तो नहीं बना रहा.

फिर सन्यासी से पूछा, “क्या चाहिए तुम्हें? यदि अपनी सीमा में रहकर मांगोगे, तो तुम्हें प्रदान किया जाएगा. किंतु, अत्यधिक की आस मत रखना.”

सन्यासी बोला, “महाराज! मैं तो एक सन्यासी हूँ. मुझे अत्यधिक धन का लोभ नहीं. बस इक्कीस दिनों तक राजकोष से कुछ भिक्षा दे दीजिए. किंतु, भिक्षा लेने का मेरा तरीका है. मैं हर दिन पिछले दिन से दुगुनी भिक्षा लेता हूँ. आपको भी ऐसा ही करना होगा”

राजा सोचते हुए बोला, “पहले ये बताओ कि पहले दिन कितनी भिक्षा लोगे. तब मैं निर्णय करूंगा कि तुम्हें राजकोष से भिक्षा दी जाए या नहीं. दो-चार रूपये मांगोगे, तो मिल सकते हैं. दस-बीस रुपये मांगोगे, तो कठिनाई होगी.”

सन्यासी बोला, “महाराज! कहा ना मैं ठहरा सन्यासी. अधिक धन का क्या करूंगा? आप मुझे पहले दिन मात्र एक रूपया दे देना.”

सुनकर राजा बोला, “ठीक है, मैं तुम्हें पहले दिन एक रुपया और उसके बाद बीस दिनों तक प्रतिदिन पिछले दिन का दुगुना धन देने का वचन देता हूँ.”

राजा ने तत्काल कोषाध्यक्ष को बुलवाया और उसे अपना आदेश सुना दिया. राजकोष से सन्यासी को एक रुपया मिल गया और वह राजा की जयकार करता हुआ चला गया.

उसके बाद प्रतिदिन सन्यासी को राजकोष से धन मिलने लगा. कुछ दिन बीतने के बाद राजभंडारी ने हिसाब लगाया, तो पाया कि राजकोष का धन कम हुए जा रहा है और इसका कारण सन्यासी को दिया जाने वाला दान है.

उसने मंत्री को यह जानकारी दी. मंत्री भी उलझन में पड़ गया. वह बोला, “यह बात हमें पहले विचार करनी चाहिए थी. अब क्या कर सकते हैं. ये तो महाराज का आदेश है. हम उनके आदेश का उल्लंघन कैसे कर सकते हैं?”

राजभंडारी कुछ नहीं बोला. कुछ दिन और बीते और राजकोष से धन की निकासी बढ़ने लगी, तो वह फिर से भागा-भागा मंत्री के पास पहुँचा और बोला, “मंत्री जी! इस बार मैंने पूरा हिसाब किया है. वह हिसाब लेकर ही आपके पास उपस्थित हुआ हूँ.”

मंत्री ने जब हिसाब देखा, तो चकित रह गया. उसके माथे पर पसीना आ गया. उसने पूछा, “क्या यह हिसाब सही है.”

“बिल्कुल सही. मैंने कई बार स्वयं गणना की है.” राजभंडारी बोला.

“इतना धन चला गया है और अभी इक्कीस दिन होने में बहुत समय है. इक्कीस दिनों बाद क्या स्थिति बनेगी? जरा बताओ तो?”

भंडारी बोला, “वह हिसाब तो मैंने नहीं लगाया है.”

“तो तत्काल हिसाब लगाकर मुझे बताओ.” मंत्री ने आदेश दिया.

भंडारी हिसाब करने लगा और पूरा हिसाब करके बोला, “मंत्री जी! इक्कीस दिनों में सन्यासी की दान की रकम दस लाख अड़तालीस हजार पांच सौ छिहत्तर रूपये होगी.”

“क्या?” मंत्री बोला, “तुमने सही हिसाब तो लगाया है. इतना धन सन्यासी ले जायेगा, तो राजकोष खाली हो जायेगा. हमें तत्काल ये जानकारी महाराज को देनी होगी.”

वे तत्क्षण राजा के पास पहुँचे और पूरा हिसाब उसके सामने रख दिया. राजा ने जब हिसाब देखा, तो उसे चक्कर आ गया. फिर ख़ुद को संभालकर वह बोला, “ये सब क्या है?”

मंत्री बोला, “सन्यासी को दान देने के कारण राजकोष खाली हो रहा है.”

राजा बोला, “ऐसा कैसे हो सकता है? मैंने तो उसे बहुत ही कम धन देने का आदेश दिया था.”

मंत्री बोला, “महाराज! वह सन्यासी बहुत चतुर निकला. अपनी बातों में फंसाकर वह राजकोष से बहुत सारा धन ऐंठने के प्रयास में है.”

राजा ने राजभंडारी से पूछा, “फिर से बताओ कितना धन सन्यासी लेने वाला है?”

“दस लाख अड़तालीस हजार पांच सौ छिहत्तर“ राजभंडारी बोला.

“परन्तु मुझे लगता है कि मैंने इतना धन देने का आदेश तो नहीं दिया था. मैं ऐसा आदेश दे ही नहीं सकता. जब मैंने अकाल पीड़ित प्रजा को दस हजार रुपये नहीं दिए, तो भला एक सन्यासी को इतना धन क्यों दूंगा?” राजा सोचते हुए बोला.

“किंतु सब आपके आदेश अनुसार ही हो रहा है महाराज. चाहे तो आप स्वयं हिसाब कर लीजिये.” राजभंडारी बोला. मंत्री ने भी उसका समर्थन किया.

“अभी इसी समय उस सन्यासी को मेरे समक्ष प्रस्तुत करो.” राजा चिल्लाया.

तुरंत कुछ सैनिक भेजे गए और वे सन्यासी को लेकर राजा के सामने उपस्थित हुए. सन्यासी को देखते ही राजा उसके चरणों पर गिर पड़ा और बोला, “बाबा, आपको दिए वचन से मेरा राजकोष खाली हुआ जा रहा है. इस तरह तो मैं कंगाल हो जाऊँगा. फिर मैं राजपाट कैसे चला पाऊँगा? किसी तरह मुझे इस वचन से मुक्त कर दीजिये. दया कीजिये.”

सन्यासी ने राजा को उठाया और बोला, “ठीक है मैं तुम्हें इस वचन से मुक्त करता हूँ. किंतु इसके बदले तुम्हें राज्य की प्रजा को पचास हज़ार रूपये देने होंगे. ताकि वे अकाल का सामना कर सकें.”

राजा बोला, “किंतु बाबा, वे लोग जब आये थे, तब दस हजार मांग रहे थे.”

“किंतु मैं पचास हजार ही लूँगा. उससे एक ढेला कम नहीं.” सन्यासी ने अपना निर्णय सुनाया.

राजा बहुत गिड़गिड़ाया, किंतु सन्यासी अपनी बात अड़ा रहा. अंततः विवश होकर राजा पचास हजार रूपये देने तैयार हो गया.

सन्यासी ने अपना वचन वापस ले लिया और चला गया. राजकोष से प्रजा को पचास हजार रूपये दिए गए. प्रजा बहुत प्रसन्न हुई और राजा की जय-जयकार करने लगी. दु:खी राजा बहुत दिनों तक भोग-विलास से दूर रहा।

मित्रों” जब सीधी उंगली से घी ना निकले, तो उंगली टेढ़ी करनी पड़ती है.

भला करोगे, तो चारों ओर गुणगान होगा.

Devbhumi jknews

जीवन में हमेशा सच बोलिए, ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है!

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