*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग -राजा इल की कथा*
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कलियुगाब्द…………………..5126
विक्रम संवत्………………….2081
शक संवत्…………………….1946
मास…………………………मार्गशीर्ष
पक्ष……………………………..शुक्ल
तिथी…………………………..चतुर्थी
दोप 12.47 पर्यंत पश्चात पंचमी
रवि……………………….दक्षिणायन
सूर्योदय…….प्रातः 06.53.55 पर
सूर्यास्त……..संध्या 05.41.00 पर
सूर्य राशि…………………….वृश्चिक
चन्द्र राशि……………………..मकर
गुरु राशि………………………वृषभ
नक्षत्र…………………….उत्तराषाढ़ा
संध्या 05.16 पर्यंत पश्चात श्रवण
योग……………………………..वृद्धि
दोप 12.22 पर्यंत पश्चात ध्रुव
करण…………………………..विष्टि
दोप 12.47 पर्यंत पश्चात बव
ऋतु……………………(सह:) हेमंत
दिन……………………………गुरुवार
🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार :–*
05 दिसम्बर सन 2024 ईस्वी ।
👁🗨 *अभिजित मुहूर्त :-*
प्रातः 11.36 से 12.17 तक ।
👁🗨 *राहुकाल :-*
दोपहर 01.14 से 02.32 तक ।
🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*वृश्चिक*
05:28:37 07:45:40
*धनु*
07:45:40 09:50:24
*मकर*
09:50:24 11:37:30
*कुम्भ*
11:37:30 13:11:03
*मीन*
13:11:03 14:42:15
*मेष*
14:42:15 16:23:00
*वृषभ*
16:23:00 18:21:39
*मिथुन*
18:21:39 20:35:21
*कर्क*
20:35:21 22:51:31
*सिंह*
22:51:31 25:03:20
*कन्या*
25:03:20 27:13:59
*तुला*
27:13:59 29:28:37
🚦 *दिशाशूल :-*
दक्षिणदिशा – यदि आवश्यक हो तो दही या जीरा का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।
☸ शुभ अंक……………………5
🔯 शुभ रंग…………………..पीला
✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 10.38 से 11.56 तक चंचल
दोप. 11.56 से 01.14 तक लाभ
दोप. 01.14 से 02.32 तक अमृत
सायं 03.49 से 05.07 तक शुभ
सायं 05.07 से 06.50 तक अमृत
रात्रि 06.50 से 08.32 तक चंचल
📿 *आज का मंत्र :-*
॥ ॐ प्रमोदाय नमः ॥
📢 *सुभाषितानि :-*
*श्रीमद्भगवतगीता (दशमोऽध्यायः – विभूतियोग:) -*
वृष्णीनां वासुदेवोऽस्मि पाण्डवानां धनंजयः ।
मुनीनामप्यहं व्यासः कवीनामुशना कविः ॥१०- ३७॥
अर्थात :
वृष्णिवंशियों में (यादवों के अंतर्गत एक वृष्णि वंश भी था) वासुदेव अर्थात् मैं स्वयं तेरा सखा, पाण्डवों में धनञ्जय अर्थात् तू, मुनियों में वेदव्यास और कवियों में शुक्राचार्य कवि भी मैं ही हूँ॥37॥
🍃 *आरोग्यं :-*
*होंठों का कालापन दूर करने के घरेलू उपाय -*
*1. चुकंदर -*
होंठों का कालापन दूर करने का चुकंदर एक रामबाण इलाज है । चुकंदर का रस लगाने से न केवल होंठों का रंग गुलाबी होता है बल्कि इसका रस होंठ के कालेपन को भी दूर कर सकता है । चुकंदर आयरन और फोलेट का एक अच्छा स्रोत है । इसके अलावा चुकंदर के लाभ में नाइट्रेट्स, मैग्नीशियम और अन्य एंटीऑक्सिडेंट्स शामिल हैं । हाल के स्वास्थ्य दावे से पता चला है कि चुकंदर रक्तचाप कम करने में मदद कर सकता है, तथा व्यायाम प्रदर्शन को बढ़ावा देता है ।
*2. नींबू -*
नींबू आपके होंठ के कालेपन को दूर करने के लिए एक अच्छा घरेलू नुस्खा हो सकता है । इसके लिए आप नींबू के रस को नियमित रूप से रात को सोने से पहले अपने होंठ में लगाएं। इस उपाय को कम से कम दो महीने करें । आपको जरूर फायदा मिलेगा ।
*3. हल्दी -*
हल्दी पाउडर को मलाई के साथ मिलाकर होठ में लगाएं । इससे होंठों का कालापन दूर हो जाएगा । इसकी एंटी-बैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटिफंगल गुण न केवल प्रतिरक्षा प्रणाली या इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में सहायता करते हैं बल्कि एक स्वस्थ दमकती त्वचा के लिए भी यह बहुत ही उपयोगी है । हल्दी सर्दी, फ्लू और खांसी से पीड़ित होने की संभावना कम करती है ।
⚜ *आज का राशिफल :-*
🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)
लेनदारी वसूल करने के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल रहेगी। भाग्य का साथ रहेगा। कारोबार में वृद्धि होगी। समय पर कर्ज चुका पाएंगे। नौकरी में उच्चाधिकारी की प्रसन्नता प्राप्त होगी। शेयर मार्केट, म्युचुअल फंड इत्यादि से लाभ होगा। वाणी पर नियंत्रण रखें। जल्दबाजी न करें।
🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
शारीरिक कष्ट संभव है। पारिवारिक समस्या से चिंता बढ़ सकती है। नई आर्थिक नीति बन सकती है। कार्यस्थल पर सुधार व परिवर्तन से भविष्य में लाभ होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। पार्टनरों का सहयोग कार्य में गति प्रदान करेगा। शत्रु सक्रिय रहेंगे। पुराना रोग उभर सकता है।
👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)
धार्मिक कार्य में मन लगेगा। कोर्ट व कचहरी के कार्य मनोनुकूल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। भाग्य का साथ मिलेगा। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। नौकरी में उन्नति होगी। निवेशादि करने का मन बनेगा। विवेक से कार्य करें, लाभ होगा। शत्रु सक्रिय रहेंगे। परिवार की चिंता बनी रहेगी।
🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। धनागम होगा। प्रतिद्वंद्वी अपना रास्ता छोड़ देंगे। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। किसी भी प्रकार के झगड़ों में न पड़ें। वाणी पर नियंत्रण रखें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी।
🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
संपत्ति की खरीद-फरोख्त में सफलता मिलेगी। स्थायी संपत्ति की दलाली बड़ा लाभ दे सकती है। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। सभी ओर से खुश खबरें प्राप्त होंगी। पारिवारिक चिंता रहेगी। अज्ञात भय सताएगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें।
👧 *राशि फलादेश कन्या :-*
(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। भूमि व भवन संबंधी कार्य लाभदायक रहेंगे। ऐश्वर्य के साधनों पर व्यय होगा। आय के साधनों में वृद्धि होगी। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड में निवेश लाभदायक रहेगा।
⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में संतोष रहेगा। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। शारीरिक कष्ट संभव है।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। पुराना रोग उभर सकता है। दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है। विवाद से क्लेश संभव है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। किसी अपरिचित व्यक्ति पर अतिविश्वास न करें। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी।
🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)
कानूनी अड़चन सामने आएगी। अज्ञात भय सताएगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। प्रयास सफल रहेंगे। पराक्रम बढ़ेगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। भाग्य का साथ मिलेगा। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। शेयर मार्केट मनोनुकूल लाभ देंगे।
🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)
अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। किसी व्यक्ति के व्यवहार से स्वाभिमान को ठेस पहुंच सकती है। घर में अतिथियों का आगमन होगा। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। नौकरी में अधिकार मिल सकते हैं। शेयर मार्केट से लाभ होगा। बाहर जाने का मन बनेगा। बड़ा काम करने की योजना बनेगी। लाभ होगा।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
सुख के साधनों पर व्यय होगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। निवेश शुभ रहेगा। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। सट्टे व लॉटरी से दूर रहें। नौकरी में प्रमोशन मिल सकता है। चोट व रोग से बचें। यश बढ़ेगा। बेचैनी रहेगी। जल्दबाजी न करें।
*राशि फलादेश मीन :-*
(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी। आज माता को शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। घरेलू मामले में वाणी पर नियंत्रण रखें। संतान से खुशखबरी मिलेगी। किसी अपरिचित व्यक्ति पर भरोसा न करें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। लेन-देन में जल्दबाजी न करें।
☯ *आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।*
।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।
🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩
*🛕जय श्री राम🙏*
*🍁राजा इल की कथा🍁*
जब लक्ष्मण ने अश्वमेघ यज्ञ के विशेष आग्रह किया तो श्री रामचन्द्र जी अत्यन्त प्रसन्न हुये और बोले, “हे सौम्य! इस विषय में मैं तुम्हें राजा इल की कथा सुनाता हूँ। प्रजापति कर्दम के पुत्र इल वाह्लीक देश के राजा थे। एक समय शिकार खेलते हुये वे उस स्थान पर जा पहुँचे जहाँ स्वामी कार्तिकेय का जन्म हुआ था और भगवान शंकर अपने सेवकों के साथ पार्वती का मनोरंजन करते थे। उस प्रदेश में शिव की माया से सभी प्राणी स्त्री वर्ग के हो गये थे। नर पशु-पक्षी या मनुष्य कोई भी दृष्टिगत नहीं होता था। राजा इल ने भी सैनिकों सहित स्वयं को वहाँ स्त्री रूप में परिणित होते देखा। इससे भयभीत होकर वे शंकर जी के शरणागत हुये और उनसे पुरुषत्व प्रदान करने की प्रार्थना करने लगे।
जब भगवान शंकर ने उनकी प्रार्थना स्वीकार नहीं की तो उन्होंने व्याकुल होकर, गिड़गिड़ा कर उमा से प्रार्थना की। इससे प्रसन्न होकर उमा ने कहा कि मैं भगवान शंकर की केवल अर्द्धांगिनी हूँ। इलिये मैं तुम्हें तुम्हारे जीवन के केवल आधे काल के लिये पुरुष बना सकती हूँ। बोलो, तुम अपनी आयु के पूर्वार्द्ध के लिये पुरुषत्व चाहते हो या उत्तरार्द्ध के लिये? इल कुछ क्षण सोचकर बोले कि देवि! ऐसा कर दीजिये कि मैं एक मास पुरुष और एक मास स्त्री रहा करूँ। पार्वती जी ने ‘तथास्तु’ कहकर उनकी इच्छा पूरी कर दी। इस वरदान के फलस्वरूप इल प्रथम मास में त्रिभुवन सुन्दरी नारी बन गये तथा इल से इला कहलाने लगे। इल उक्त क्षेत्र से निकलकर उस सरोवर पर पहुँचे जहाँ सोमपुत्र बुध तपस्या कर रहे थे। इला पर दृष्टि पड़ते ही बुध उस पर आसक्त हो गये एवं उसके साथ रमण करने लगे। उन्होंने राजा के साथ आये स्त्रीरूपी सैनिकों का वृतान्त जानकर उन्हें किंपुरुषी (किन्नरी) होकर पर्वत के किनारे रहने का निर्देश दिया। उन्होंने आग्रह करके इल को एक वर्ष के लिये वहीं रोक लिया।
एक मास पश्चात् इला ने इल के रूप में पुरुषत्व प्राप्त किया। अगले मास वे फिर नारी बन गये। इसी प्रकार यह क्रम चलता रहा और नवें मास में इला ने पुरुरवा को जन्म दिया। अन्त में इल को इस रूप परिवर्तन से मुक्ति दिलाने के लिये बुध ने महात्माओं से विचार विमर्श करके शिव जी को विशेष प्रिय लगने वाला अश्वमेघ यज्ञ कराया। इससे प्रसन्न होकर शिव जी ने राजा इल को स्थाई रूप से पौरुष प्रदान किया। हे महाबाहु! वास्तव में अश्वमेघ यज्ञ अमित प्रभाव वाला है।”
*अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान*
सब भाइयों के आग्रह को मानकर रामचन्द्र जी ने वशिष्ठ, वामदेव, जाबालि, कश्यप आदि ऋषियों को बुलाकर परामर्श किया। उनकी स्वीकृति मिल जाने पर वानरराज सुग्रीव को सन्देश भेजा गया कि वे विशाल वानर सेना के साथ यज्ञोत्सव में भाग लेने के लिये आवें। फिर विभीषण सहित अन्य राज-महाराजाओं को भी इसी प्रकार के सन्देश और निमन्त्रण भेजे गये। संसार भर के ऋषि-महर्षियों को भी सपरिवार आमन्त्रित किया गया।
कुशल कलाकारों द्वारा नैमिषारण्य में गोमती तट पर विशाल एवं कलापूर्ण यज्ञ मण्डप बनाने की व्यवस्था की गई। विशाल हवन सामग्री के साथ आगन्तुकों के भोजन, निवास आदि के लिये बहुत बड़े पैमाने पर प्रबन्ध किया गया। नैमिषारण्य में दूर-दूर तक बड़े-बड़े बाजार लगवाये गये। सीता की सुवर्णमय प्रतिमा बनवाई गई। लक्ष्मण को एक विशाल सेना और शुभ लक्षणों से सम्पन्न कृष्ण वर्ण अश्व के साथ विश्व भ्रमण के लिये भेजा गया। देश-देश के राजाओं ने श्रीराम को अद्भुत उपहार भेंट करके अपने पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया। आगत याचकों को मनचाही वस्तुएँ संकेत मात्र से ही दी जा रही थीं। उस यज्ञ को देखकर ऋषि-मुनियों का कहना था कि ऐसा यज्ञ पहले कभी नहीं हुआ। यह यज्ञ एक वर्ष से भी अधिक समय तक चलता रहा। इस यज्ञ में सम्मिलित होने के लिये महर्षि वाल्मीकि भी अपने शिष्यों सहित पधारे। जब उनके निवास की समुचित व्यवस्था हो गई तो उन्होंने अपने दो शिष्यों लव और कुश को आज्ञा दी कि वे दोनों भाई नगर में सर्वत्र घूमकर रामायण काव्य का गान करें। उनसे यह भी कहा कि जब तुमसे कोई पूछे कि तुम किसके पुत्र हो तो तुम केवल इतना कहना कि हम ऋषि वाल्मीकि के शिष्य हैं। यह आदेश पाकर सीता के दोनों पुत्र रामायण का सस्वर गान करने के लिये चल पड़े।
*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, वो पर्याप्त है।