*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग- राधेश्याम के रिश्तेदार’*
*आज का पञ्चांग*
*दिनांक:-27/12/2024, शुक्रवार*
*द्वादशी, कृष्ण पक्ष,*
*पौष*
(समाप्ति काल)
तिथि———- द्वादशी 26:26:05 तक
पक्ष———————— कृष्ण
नक्षत——— विशाखा 20:27:39
योग————- धृति 22:36:00
करण———- कौलव 13:39:08
करण———– तैतुल 26:26:05
वार———————- शुक्रवार
माह———————— पौष
चन्द्र राशि—— तुला 13:55:58
चन्द्र राशि————— वृश्चिक
सूर्य राशि——————- धनु
रितु———————- शिशिर
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर (उत्तर)———— कालयुक्त
विक्रम संवत—————- 2081
गुजराती संवत————- 2081
शक संवत—————— 1946
कलि संवत—————– 5125
सूर्योदय————- 07:09:33
सूर्यास्त————— 17:31:27
दिन काल———— 10:21:54
रात्री काल————-13:38:27
चंद्रास्त————– 14:27:26
चंद्रोदय—————- 28:42:07
लग्न—- धनु 11°35′ , 251°35′
सूर्य नक्षत्र—————— मूल
चन्द्र नक्षत्र————— विशाखा
नक्षत्र पाया—————— रजत
*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
तू—- विशाखा 07:22:11
ते—- विशाखा 13:55:58
तो—- विशाखा 20:27:39
ना—- अनुराधा 26:57:10
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= वृश्चिक 10°40, मूल 4 भी
चन्द्र=तुला 26°30 , विशाखा 2 तू
बुध =वृश्चिक 19°52 ‘ ज्येष्ठा 1 नो
शु क्र= मकर 28°05, धनिष्ठा’ 2 गी
मंगल=कर्क 09°30 ‘ पुष्य ‘ 2 हे
गुरु=वृषभ 19°30 रोहिणी, 3 वी
शनि=कुम्भ 19°58 ‘ पू o भा o , 1 से
राहू=(व) मीन 07°35 उo भा o, 2 थ
केतु= (व)कन्या 07°35 उ oफा o 4 पी
*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*
राहू काल 11:03 – 12:21 अशुभ
यम घंटा 14:56 – 16:14 अशुभ
गुली काल 08:27 – 09: 45अशुभ
अभिजित 11:59 – 12:41 शुभ
दूर मुहूर्त 09:14 – 09:55 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:41 – 13:23 अशुभ
वर्ज्यम 24:48* – 26:31* अशुभ
प्रदोष 17:31 – 20:18 शुभ
💮चोघडिया, दिन
चर 07:10 – 08:27 शुभ
लाभ 08:27 – 09:45 शुभ
अमृत 09:45 – 11:03 शुभ
काल 11:03 – 12:21 अशुभ
शुभ 12:21 – 13:38 शुभ
रोग 13:38 – 14:56 अशुभ
उद्वेग 14:56 – 16:14 अशुभ
चर 16:14 – 17:31 शुभ
🚩चोघडिया, रात
रोग 17:31 – 19:14 अशुभ
काल 19:14 – 20:56 अशुभ
लाभ 20:56 – 22:38 शुभ
उद्वेग 22:38 – 24:21* अशुभ
शुभ 24:21* – 26:03* शुभ
अमृत 26:03* – 27:45* शुभ
चर 27:45* – 29:28* शुभ
रोग 29:28* – 31:10* अशुभ
💮होरा, दिन
शुक्र 07:10 – 08:01
बुध 08:01 – 08:53
चन्द्र 08:53 – 09:45
शनि 09:45 – 10:37
बृहस्पति 10:37 – 11:29
मंगल 11:29 – 12:21
सूर्य 12:21 – 13:12
शुक्र 13:12 – 14:04
बुध 14:04 – 14:56
चन्द्र 14:56 – 15:48
शनि 15:48 – 16:40
बृहस्पति 16:40 – 17:31
🚩होरा, रात
मंगल 17:31 – 18:40
सूर्य 18:40 – 19:48
शुक्र 19:48 – 20:56
बुध 20:56 – 22:04
चन्द्र 22:04 – 23:12
शनि 23:12 – 24:21
बृहस्पति 24:21* – 25:29
मंगल 25:29* – 26:37
सूर्य 26:37* – 27:45
शुक्र 27:45* – 28:54
बुध 28:54* – 30:02
चन्द्र 30:02* – 31:10
*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
धनु > 05:22 से 07:22 तक
मकर > 07:22 से 09:08 तक
कुम्भ > 09:08 से 10:40 तक
मीन > 10:40 से 12:10 तक
मेष > 12:10 से 13:50 तक
वृषभ > 13:50 से 15:48 तक
मिथुन > 15:48 से 18:00 तक
कर्क > 18:00 से 20:18 तक
सिंह > 20:18 से 22:28 तक
कन्या > 22:28 से 00:54 तक
तुला > 00:54 से 02:54 तक
वृश्चिक > 02:54 से 05:14 तक
*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
15 + 12 + 6 + 1 = 34 ÷ 4 = 2 शेष
मृत्यु आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
राहु ग्रह मुखहुति
*💮 शिव वास एवं फल -:*
27 + 27 + 5 = 59 ÷ 7 = 3 शेष
वृषभा रूढ़ = शुभ कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*
*सर्वार्थ सिद्धि योग 20:28 से*
*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*
कान्ता वियोगः स्वजनापमानि ।
ऋणस्य शेषं कुनृपस्य सेवा ।।
दरिद्रभावो विषमा सभा च ।
विनाग्निना ते प्रदहन्ति कायम् ।।
।। चा o नी o।।
पत्नी का वियोग होना, आपने ही लोगो से बे-इजजत होना, बचा हुआ ऋण, दुष्ट राजा की सेवा करना, गरीबी एवं दरिद्रों की सभा – ये छह बातें शरीर को बिना अग्नि के ही जला देती हैं।
*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*
गीता -: भक्तियोग अo-12
अद्वेष्टा सर्वभूतानां मैत्रः करुण एव च ।,
निर्ममो निरहङ्कारः समदुःखसुखः क्षमी ॥,
संतुष्टः सततं योगी यतात्मा दृढ़निश्चयः।,
मय्यर्पितमनोबुद्धिर्यो मद्भक्तः स मे प्रियः॥,
जो पुरुष सब भूतों में द्वेष भाव से रहित, स्वार्थ रहित सबका प्रेमी और हेतु रहित दयालु है तथा ममता से रहित, अहंकार से रहित, सुख-दुःखों की प्राप्ति में सम और क्षमावान है अर्थात अपराध करने वाले को भी अभय देने वाला है तथा जो योगी निरन्तर संतुष्ट है, मन-इन्द्रियों सहित शरीर को वश में किए हुए है और मुझमें दृढ़ निश्चय वाला है- वह मुझमें अर्पण किए हुए मन-बुद्धिवाला मेरा भक्त मुझको प्रिय है॥,13-14॥,
*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐏मेष
घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। थकान रहेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। प्रसन्नता रहेगी। भूमि, आवास की समस्या रह सकती है। आजीविका में नवीन प्रस्ताव मिलेगा। दांपत्य जीवन सुखद रहेगा। संतान से कष्ट रहेगा। मेहनत का फल मिलेगा।
🐂वृष
संपत्ति के कार्य लाभ देंगे। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता मिलेगी। प्रसन्नता रहेगी। धनार्जन होगा। समाज में प्रसिद्धि के कारण सम्मान में बढ़ौत्री होगी। आजीविका में नवीन प्रस्ताव मिलेंगे। परिवार की समस्याओं को अनदेखा न करें।
👫मिथुन
प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। राजकीय काम बनेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। चिंता रहेगी। जोखिम न उठाएं। संतान से मदद मिलेगी। आर्थिक स्थिति में प्रगति की संभावना है। अचानक धन की प्राप्ति के योग हैं। क्रोध एवं उत्तेजना पर संयम रखें।
🦀कर्क
भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। उत्साहवर्धक सूचना मिलेगी। मान बढ़ेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। अपनी बुद्धिमत्ता से आप सही निर्णय लेने में सक्षम होंगे। विकास की योजनाएं बनेंगी। निजीजनों में असंतोष हो सकता है। व्यापार में इच्छित लाभ होगा।
🐅सिंह
वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। वस्तुएं संभालकर रखें। स्वास्थ्य पर व्यय होगा। विवाद न करें। यात्रा में अपनी वस्तुओं को संभालकर रखें। कर्म के प्रति पूर्ण समर्पण व उत्साह रखें। अधीनस्थों की ओर ध्यान दें। आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी।
🙎♀️कन्या
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। आय बढ़ेगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। अपने व्यसनों पर नियंत्रण रखते हुए कार्य करना चाहिए। व्यापार में कर्मचारियों पर अधिक विश्वास न करें। आर्थिक स्थिति मध्यम रहेगी।
⚖️तुला
दूसरों से अपेक्षा न करें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। थकान रहेगी। जोखिम न लें। विवाद से बचें। राजकीय सहयोग मिलेगा एवं इस क्षेत्र के व्यक्तियों से संबंध बढ़ेंगे। विद्यार्थियों को प्रतियोगिता में सफलता मिलेगी। व्यापार अच्छा चलेगा। वाणी पर संयम रखें।
🦂वृश्चिक
लेन-देन में सावधानी रखें। विवाद न करें। दांपत्य जीवन सुखद रहेगा। सकारात्मक विचारों के कारण प्रगति के योग आएंगे। कार्यपद्धति में विश्वसनीयता बनाए रखें। समय ठीक नहीं है। वाहन, मशीनरी व अग्नि के प्रयोग में सावधानी रखें।
🏹धनु
किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर मिलेगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। कामकाज में धैर्य रखने से सफलता मिल सकेगी। योजनाएं फलीभूत होंगी। मित्रों में आपका वर्चस्व बढ़ेगा। स्वास्थ्य की ओर ध्यान दें।
🐊मकर
नए अनुबंध होंगे। यात्रा, निवेश व नौकरी मनोनुकूल रहेंगे। झंझटों में न पड़ें। शत्रु सक्रिय रहेंगे। कार्य की प्रवृत्ति में यथार्थता व व्यावहारिकता का समावेश आवश्यक है। व्यापार में नई योजनाओं पर कार्य नहीं होंगे। जीवनसाथी का ध्यान रखें।
🍯कुंभ
भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। यात्रा, निवेश व नौकरी मनोनुकूल रहेंगे। जोखिम न लें। व्यावसायिक चिंता दूर हो सकेगी। स्वयं के सामर्थ्य से ही भाग्योन्नति के अवसर आएंगे। योजनाएं फलीभूत होंगी।
🐟मीन
धर्म-कर्म में रुचि बढ़ेगी। राजकीय बाधा दूर होगी। वरिष्ठजन सहयोग करेंगे। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। बुद्धि एवं तर्क से कार्य में सफलता के योग बनेंगे। यात्रा कष्टप्रद हो सकती है। अतः उसका परित्याग करें। व्यापार लाभप्रद रहेगा।
*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*
*राधेश्याम के रिश्तेदार’*
कुछ महीने लंदन में अपनी बेटी के साथ रहने के बाद राधेश्याम ने सोच लिया कि अब वापिस अपने देश यानी भारत चला जाए हालाँकि उनके बेटी-दामाद ने उन्हें बहुत समझाया कि वापिस जाकर क्या करेंगे, अब वहाँ कोई ख़ास रिश्तेदार भी नहीं है, जो आपका ध्यान रखेगा और भगवान न करें, कल को कुछ हो गया तो आपके पास कौन होगा । मगर राधेश्याम कहाँ मानने वाले थें । उन्होंने इनकार करते हुए कहा कि तुम्हारी माँ सरला की बहुत याद आ रहीं है, कल रात तो वो मेरे सपने में आकर पूछने लगी कि वापिस कब आओंगे ? मुझे लग रहा है, जैसे वह मेरा इंतज़ार कर रहीं है । उनकी बेटी श्रुति ने फ़िर समझाते हुए कहा कि माँ को गुज़रे हुए दो साल हो चुके हैं । पुराना घर भी कब से बंद पड़ा है, एक साल से कोई किराएदार भी नहीं आया है । आपका मन नहीं लगेगा । मगर राधेश्याम को न मानना था और न वह माने । हारकर, उनके दामाद ने उनका भारत का टिकट करवा ही दिया । और दोनों ने उन्हें सख्त हिदायत दी कि वह जाते ही कोई किरायदार रख लेंगे या किसी रिश्तेदार को अपने साथ रहने के लिए बुला लेंगे ।
आज ठीक छह महीने बाद वापिस अपने देश आकर उन्हें अच्छा लग रहा है । उन्होंने दिल्ली एयरपोर्ट से टैक्सी ली और वहाँ से सीधा अपने घर बरेली रवाना हो गए । टैक्सी में बैठे हुए वह सोच रहें है कि बरेली छोड़े हुए कितने साल हो गए। उसी घर में उनका बचपन बीता, सविता से शादी हुई और फ़िर श्रुति भी वहीं पैदा हुई और जब वह बारह साल की थीं, तब दिल्ली के सरकारी बैंक में नौकरी लगने के कारण वह दिल्ली आ गए थें । जब तक माँ-बाबा ज़िंदा थें, तब तक तो उनका बरेली आना-जाना लगा रहता था । मगर पंद्रह साल पहले दोनों गुज़र गए। और दो साल पहले सविता की भी दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। और श्रुति भी अपने पति के साथ जाकर लंदन बस गई। जब तक नौकरी थीं, तब तक अकेलापन महसूस नहीं हुआ। मगर लंदन में रहते हुए उन्हें अपना घर, अपना गुज़रा हुआ कल, माँ-बाबूजी, सरला, सबकुछ याद आने लगा । इसलिए सोच लिया वापिस ही चलना है । टैक्सी वाले ने उनके घर के सामने आकर ब्रेक मारी तो वह अपनी सोच से बाहर आए । उन्होंने उसे पैसे दिए और घर का ताला खोला । अंदर जाकर देखा तो सभी सामान पर ढकी चादर पर धूल-मिट्टी सनी हुई हैं। उन्होंने अपना सूटकेस रखा, चादर उठाई और वहीं रखे सोफ़े पर बैठ गए। थकान के कारण उन्हें नींद आ गई । दो घंटे बाद उनकी आँख खोली तो उन्हें ऊपर की मंजिल से आती आवाजें सुनाई दीं । उन्होंने अपने साथ लाया पानी पिया और ऊपर की ओर चले गए । ऊपर के कमरे में ताला नहीं है । और दरवाजा खुला हुआ है , इस कमरे में कभी किराएदार रहते थें, अब यह कमरा सामान से खाली है। उन्होंने अंदर झाँककर देखा कि कबूतर , चिड़ियाँ और गौरैयाँ ने अपना घोंसला बना रखा है । सब उन्हें ऐसे देखने लगे कि जैसे यह घर उनका हों और वो अज़नबी हों । मादा कबूतरी तो कबूतर के कान में कुछ कहने लगी । जैसे मानों, पूछ रहीं हों, तुम इन्हे जानते हों? गौरैया अपने बच्चों और पति के साथ ऐसे बैठी है , जैसे वो सविता और श्रुति के साथ बैठते थें । चिड़ियाँ ने उन्हें देखकर भी अपने बच्चों को खाना खिलाना नहीं छोड़ा । उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई । अब वो छत पर गए तो देखा कि गिलहरी का परिवार भी आराम फरमा रहा है ।
शाम को घर से निकले तो देखा कि आसपास नए लोग आ गए हैं। पुराने पड़ोसी में शेखर जी तो गुज़र गए, मगर उनके बेटे राहुल न उन्हें पहचान लिया और अपने घर ले जाकर उनका बहुत आदर-सत्कार दिया। उसकी मदद से उन्होंने अपने घर की सफ़ाई करवाई और खाने का सामान ख़रीदा । पानी की मोटर ठीक करवाई । सिलिंडर नया लिया ताकि खाना बन सकें। पंखे और बिजली के बल्ब नए लगवाए । वह बाजार से अपने खाने के सामान के साथ बाज़रा, चारा और पानी रखने के लिए मिट्टी का बर्तन भी ले आए ।
अब यह उनका रोज़ का नियम हो गया था कि वह रोज़ सुबह सैर को जाते, वहाँ से लौटकर सबसे पहले उस पक्षी समाज को दाना डालते, पानी रखते। और छत पर जाकर गिलहरी को भी खाना खिलाते। फ़िर अपना नाश्ता बनाते। अख़बार या पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ते और फिर ऊपर की मंजिल पर जाकर उनसे बात करते रहते। और वे बेजुबान प्राणी भी उनकी बातों को ध्यान से सुनते, जैसे सब समझ रहें हों। फ़िर शाम की चाय और रात का खाना भी उनके साथ बैठकर खाते । अब तो उन्होंने उनके नाम भी रख दिए। रानी चिड़िया, सोनी गौरैया , लक्का कबूतर और नीलू गिलहरी और इस तरह उनके बच्चों के नाम भी रख दिए। उन्होंने महादेवी वर्मा के पशु -पक्षियों पर आधार्रित रेखाचरित्र पढ़े थें । इसलिए उन्होंने लक्का कबूतर नाम उनके रेखाचरित्र ‘नीलकंठ से लेकर रखा।
एक दिन वह सैर से लौट रहें थें तो उनके पीछे एक कुतिया और उसका बच्चा आने लगें । पहले तो उन्होंने अनदेखा कर दिया। पर जब वो घर तक पहुँच गए तो उन्होंने दोनों को दूध और ब्रेड खिलाई। इस तरह कई दिन होता रहा और एक दिन दोनों प्राणी मोहवश अंदर आ गए और फ़िर वे भी उसी घर के सदस्य बन गए । दोनों को भी नाम दे दिया गया, झूरी और झबला । ऐसे ही किसी अन्य दिन राधेश्याम जी ने पार्क में घायल बंदरिया के बच्चे की मरहम पट्टी कर दीं तो वह भी अपने बच्चे को लेकर उनके साथ हो लीं। और नाम मिला, चिंकी और टीलू ।
समय अपनी गति से गुज़रता जा रहा है । अब तो सभी प्राणी राधेश्याम जी के पूरे घर में उनके साथ विचरण करते , छत से लेकर, ग्राउंड फ्लोर जिसका जहाँ मन करता है, वहाँ रहता है । झबला, झूरी, चिंकी और टीलू तो उनके साथ ही सोते। पक्षियों का परिवार भी बढ़ता जा रहा है । सब बड़े आनंद से उनके साथ अपने दिन गुज़ार रहें हैं । उनकी बेटी को पता चला तो उसने गुस्सा करते हुए कहा कि आपने घर को चिड़िया घर बना दिया है । इतने बड़े मकान को किराए पर चढ़ाते तो कुछ किराया भी मिलता । और वह हँसकर उसकी बात का ज़वाब देते हुए कहते, तुम्हारे कहने पर मैंने किराएदार तो नहीं पर हाँ रिश्तेदार जरूर रख लिए है । फ़िर भी तुम्हें परेशानी हो रही हैं ।
इसी तरह अपने इन्हीं रिश्तेदारों के साथ उन्होंने पूरे दो-ढाई साल गुज़ार दिए। और एक दिन जब झबला ने उन्हें सैर पर चलने के लिए उठाया तो वह नहीं हिले । उसकी माँ झूरी ने उन्हें बहुत चाटा पर तब भी उनके शरीर ने कोई हरकत नहीं की । दोनों ने भोंक-भोंक कर शोर मचाया तो बाकी रिश्तेदार भी इकठ्ठे हो गए। चिंकी अपनी छत से राहुल की छत पर पहुँचकर उसे उसके घर से कुरता खीँचकर बुला लाई । राहुल छत से कूदता हुआ नीचे वाले कमरे में पहुँचा और राधेश्याम जी को उठाया और फिर ताला खोलकर डॉक्टर को बुला लाया। डॉक्टर के बताने पर कि राधेश्याम जी नहीं रहें, उसने उनके बेटी-दामाद को फ़ोन किया और वे दोनों यह ख़बर सुनते ही भारत पहुंच गए ।
उसने घर में आकर देखा तो वह हैरान हो गई । कितने कबूतर, चिड़ियाँ, गौरैया के साथ-साथ बंदर और कुत्ते सभी उनके आसपास ग़मगीन होकर बैठे हुए है। गिलहरी उनके माथे को सहला रहीं हैं । चिड़ियाँ अपनी चोंच से प्लास्टिक के चमच्च से उनके बंद मुँह में पानी डाल रहीं है । यह सब आपके पापा ने इन्हे सिखाया है । राहुल नम आँखों से बोला, चिंकी बंदरिया ने ही मुझे आपके पापा के बारे में बताया था। श्रुति की तो रुलाई फूट पड़ी । उसके पति सुमित ने उसे होंसला दिया । शमशान घाट पर कोई उड़कर पहुंचा और कोई चलकर पहुँचा । रिश्तेदार के नाम पर श्रुति के ससुराल वाले और कुछ राधेश्याम जी के पुराने परिचित ही पहुँच पाये । राधेश्याम जी और उनकी पत्नी सविता दोनों एकलौते थें और दूर के किसी रिश्तेदार को श्रुति जानती नहीं थीं।
चौथे के बाद ही सब चले गए और घर में रह गए, श्रुति और उसका पति और वो सभी जीव-जंतु। घर का क्या करना है ? सुमित ने पूछा । करना क्या है ? पापा के रिश्तेदार रहेंगे । सुमित उसकी बात सुनकर मुस्कुराने लगा पर उसका मतलब नहीं समझा । श्रुति ने एक एन.जी.ओ. से बात की और अपने 150 गज़ के पूरे घर को जीव-जंतु संरक्षण में बदल दिया। अब यहाँ हर प्रजाति के पशु-पक्षियों को संरक्षण मिलेगा और उनकी देखभाल भी होगी और घायल जीव-जंतुओ का ईलाज भी किया जायेगा । श्रुति और सुमित ने कई लोगों को इस संरक्षण केंद्र से जोड़ा ताकि प्राणी जगत को सुरक्षा और रहने का स्थान मिल सकें । और केंद्र का नाम रखा गया ‘ राधेश्याम के रिश्तेदार’ ।