स्वास्थ्य

*एचएसएमस व एचएसएसटी जौलीग्रांट के छात्र-छात्राओं ने सीखी सीपीआर तकनीक*

देव भूमि जे के न्यूज,06-DEC-2023-डोईवाला- हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एचआईएमएस) जौलीग्रांट की ओर से कॉर्डियो पल्मोनरी रिससिएशन (सीपीआर) तकनीक पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें हिमालयन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (एचएसएमएस) व हिमालयन स्कूल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एचएसएसटी) के 300 छात्र-छात्राओं ने सीपीआर तकनीक का प्रशिक्षण हासिल किया। छात्र-छात्राओं का सीपीआर का महत्व भी बताया गया।

एचआईएमएस जौलीग्रांट की ओर से नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) के दिशा-निर्देशन में नॉन-क्लिीनिकल स्टूडेंट्स के लिए स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) परिसर में सीपीआर तकनीक पर प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित कई गई। इसमें विश्विविद्यालय के ही मैनेजमेंट व इंजीनियरिंग के करीब 300 से ज्यादा छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। हिमालयन अस्पताल के चिकित्सकों व विशेषज्ञों की ओर से छात्र-छात्राओं को सीपीआर तकनीक की विस्तृत जानकारी दी गई।

कार्यशाला को संबोधित करते हुए हिमालयन अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ.एसएल जेठानी ने कहा सीपीआर तकनीक तकनीक का ज्ञान मेडिकल के छात्रों के साथ नॉन-क्लिीनिकल छात्रों को भी होना चाहिए, जिससे की जरूरत पड़ने पर किसी का जीवन बचाया जा सके।

डॉ.बीपी कालरा ने कहा कि अगर किसी शख्स को दिल का दौरा पड़ा है तो उसकी जीवन की रक्षा के लिए शुरुआती कुछ मिनट बेहद अहम होते है। हर साल लाखों लोगों की दिल की बीमारी की वजह से मौत हो जाती है। इनमें से पचास फीसदी लोगों की मौत वक्त पर अस्पताल न पहुंच पाने की वजह से होती है। ऐसे में सीपीआर तकनीक किसी जीवनदायिनी से कम नहीं।

डॉ.गुरजीत खुराना, डॉ.सुशांत खंडूरी, डॉ.सोनिका, डॉ.नितिका अग्रवाल, डॉ.प्रिया व कार्यशाला समन्वयक डॉ.राजेश शर्मा ने छात्र-छात्राओं को पुतलों पर सीपीआर देने का अभ्यास करवाया।
*यह होता है सीपीआर*
सीपीआर का मतलब है कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन। यह भी एक तरह की प्राथमिक चिकित्सा यानी फर्स्ट एड है। जब किसी पीड़ित को सांस लेने में दिक्कत हो या फिर वो सांस न ले पा रहा हो और बेहोश जो जाए तो सीपीआर से उसकी जान बचाई जा सकती है। हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा पड़ने पर तो शुरुआती तीन मिनट में सीपीआर दे दिया जाए तो पीड़ित की जान बचेने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।

*सीपीआर देने के लिए ये तरीके अपनाएं*
-मूर्छित व्यक्ति को सुरक्षित और समतल जगह पर ले जाएं।
-प्रभावित व्यक्ति के सीने पर हाथ रखकर उसका रिस्पांस देखे।
-अगर मरीज कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त कर रहा है तो तुरंत आपातकालीन नंबर एंबुलेंस नंबर पर फोन करें। ताकि आपातकालीन सेवाएं और सुविधाएं जल्द पहुंच सकें।
-हथेली से छाती को 1 -2 इंच दबाए ऐसा प्रति मिनट में 100 बार करे।
-पीड़ित के सीने के बीचोबीच हथेली रखकर पंपिंग करते हुए दबाएं
-30 बार कंप्रेशन देने के बाद मुंह से मरीज के मुंह में दो बार सास भरें। एक मिनट
-अगर अब भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है तो प्रक्रिया दोहराएं।

Devbhumi jknews

जीवन में हमेशा सच बोलिए, ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *