उत्तराखंडधर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग-बोधकथा*


📜««« *आज का पंचांग* »»»📜
कलियुगाब्द…………………..5126
विक्रम संवत्………………….2081
शक संवत्…………………….1946
मास………………………….आषाढ़
पक्ष…………………………….शुक्ल
तिथी…………………………द्वादशी
रात्रि 08.38 पर्यंत पश्चात त्रयोदशी
रवि………………………दक्षिणायन
सूर्योदय………प्रातः 05.52.01 पर
सूर्यास्त………संध्या 07.14.26 पर
सूर्य राशि……………………….कर्क
चन्द्र राशि……………………वृश्चिक
गुरु राशि………………………वृषभ
नक्षत्र………………………….ज्येष्ठा
रात्रि 03.16 पर्यंत पश्चात मूल
योग…………………………..शुक्ल
प्रातः 06.04 पर्यंत पश्चात इंद्र
करण……………………………बव
प्रातः 08.57 पर्यंत पश्चात बालव
ऋतु…………………..(शचि) ग्रीष्म
दिन…………………………गुरुवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार :–*
18 जुलाई सन 2024 ईस्वी ।

⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*
प्रातः 12.06 से 12.59 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
दोपहर 02.12 से 03.51 तक ।

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*कर्क*
05:51:14 08:07:24
*सिंह*
08:07:24 10:19:13
*कन्या*
10:19:13 12:29:52
*तुला*
12:29:52 14:44:30
*वृश्चिक*
14:44:30 17:00:40
*धनु*
17:00:40 19:06:17
*मकर*
19:06:17 20:53:23
*कुम्भ*
20:53:23 22:26:56
*मीन*
22:26:56 23:58:08
*मेष*
23:58:08 25:38:53
*वृषभ*
25:38:53 27:37:31
*मिथुन*
27:37:31 29:51:14

🚦 *दिशाशूल :-*
दक्षिणदिशा – यदि आवश्यक हो तो दही या जीरा का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

☸ शुभ अंक…………………….9
🔯 शुभ रंग…………………..पीला

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 10.52 से 12.32 तक चंचल
दोप. 12.32 से 02.11 तक लाभ
दोप. 02.11 से 03.50 तक अमृत
सायं 05.30 से 07.08 तक शुभ
सायं 07.08 से 08.29 तक अमृत
रात्रि 08.29 से 09.50 तक चंचल

📿 *आज का मंत्र :-*
|। ॐ अर्काय नम: ।|

📢 *सुभाषितानि :-*
*श्रीमद्भगवतगीता (सप्तमोऽध्यायः – ज्ञानविज्ञानयोग:) -*
अव्यक्तं व्यक्तिमापन्नं मन्यन्ते मामबुद्धयः ।
परं भावमजानन्तो ममाव्ययमनुत्तमम् ॥७- २४॥
अर्थात :
बुद्धिहीन पुरुष मेरे अनुत्तम अविनाशी परम भाव को न जानते हुए मन-इन्द्रियों से परे मुझ सच्चिदानन्दघन परमात्मा को मनुष्य की भाँति जन्मकर व्यक्ति भाव को प्राप्त हुआ मानते हैं॥24॥

🍃 *आरोग्यं :-*
*बालों का झड़ना रोकने के घरेलू उपाय : -*

*5. सरसों का तेल -*
दादी-नानी के जमाने से बालों के लिए सरसों के तेल का इस्तेमाल किया जाता रहा है। ये हेयर टॉनिक जैसा काम करता है। ये बालों को काला घना बनाने में मदद करता है
सरसों के तेल को बालों के जड़ों में अच्छी तरह से चंपी करें और दूसरे दिन सुबह शैंपू से बालों को धो लें।

⚜ *आज का राशिफल :-*

🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)
दूर यात्रा की योजना बन सकती है। मनपसंद भोजन का आनंद प्राप्त होगा। वरिष्ठजनों का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता अर्जित करेगा। पठन-पाठन में मन लगेगा। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। बेचैनी रहेगी। धनार्जन सुगम होगा।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
प्रतिद्वंद्विता बढ़ेगी। पारिवारिक चिंता में वृद्धि होगी। आवश्यक वस्तु समय पर नहीं मिलेगी। तनाव रहेगा। वाणी पर नियंत्रण रखें। किसी के व्यवहार से क्लेश हो सकता है। पुराना रोग उभर सकता है। दु:खद समाचार मिल सकता है, धैर्य रखें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें।

👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)
प्रयास सफल रहेंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। आय के स्रोतों में वृद्धि हो सकती है। व्यवसाय ठीक चलेगा। चोट व रोग से बाधा संभव है। फालतू खर्च होगा। मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। प्रसन्नता रहेगी। जल्दबाजी न करें। शत्रु नतमस्तक होंगे। विवाद को बढ़ावा न दें।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
शुभ समाचार मिलेंगे। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। परिवार के साथ मनोरंजन का कार्यक्रम बन सकता है। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रमाद न करें। लेन-देन में सावधानी रखें। शारीरिक कष्ट संभव है। परिवार में तनाव रह सकता है।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आय में वृद्धि होगी। प्रसन्नता में वृद्धि होगी। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। सट्टे व लॉटरी से दूर रहें। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। कोई बड़ी समस्या से छुटकारा मिल सकता है।

👧 *राशि फलादेश कन्या :-*
(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
घर-बाहर सहयोग मिलेगा। अपेक्षाकृत कार्यों समय पर संपन्न होंगे। आय में वृद्धि हो सकती है। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेना पड़ सकता है। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। किसी विवाद में उलझ सकते हैं। चिंता तथा तनाव रहेंगे। जोखिम न उठाएं।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। व्यापार-व्यवसाय में लाभ होगा। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। बेचैनी रहेगी। थकान महसूस होगी। वरिष्ठजन सहयोग करेंगे। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। कारोबारी अनुबंधों में वृद्धि हो सकती है। समय का लाभ लें। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। नेत्र पीड़ा हो सकती है। कानूनी बाधा आ सकती है। विवाद न करें। नई आर्थिक नीति बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)
कोर्ट व कचहरी के काम अनुकूल होंगे। पूजा-पाठ में मन लगेगा। तीर्थयात्रा की योजना बनेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। सुख के साधनों पर व्यय हो सकता है। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। प्रमाद न करें। बेचैनी रहेगी। चोट व रोग से बचें। काम का विरोध होगा। तनाव रहेगा।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)
कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। राज्य के प्रतिनिधि सहयोग करेंगे। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। विवाद से क्लेश संभव है। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में लापरवाही न करें। अपेक्षित कार्यों में अप्रत्याशित बाधा आ सकती है। तनाव रहेगा।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
व्यवसाय ठीक चलेगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। ऐश्वर्य के साधनों पर बड़ा खर्च हो सकता है। जल्दबाजी न करें। कष्ट, भय, चिता व बेचैनी का वातावरण बन सकता है। कोर्ट व कचहरी के काम मनोनुकूल रहेंगे। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी। मातहतों से संबंध सुधरेंगे।

🐟 *राशि फलादेश मीन :-*
(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
भूमि, भवन, दुकान व फैक्टरी आदि के खरीदने की योजना बनेगी। रोजगार में वृद्धि होगी। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। अपरिचितों पर अतिविश्वास न करें। प्रमाद न करें। कुबुद्धि हावी रहेगी। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें।

☯ *आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।*

।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।

🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩

*🍁 बोधकथा 🍁*

*दूसरों का अमंगल चाहने में अपना अमंगल पहले होता है*

‘देवराज इन्द्र तथा देवताओं की प्रार्थना स्वीकार करके महाशैव महर्षि दधीचि ने देह त्याग किया। उनकी अस्थियाँ लेकर विश्वकर्मा ने वज्र बनाया। उसी वज्र से अजेयप्राय वृत्रासुर को इन्द्र ने मारा और स्वर्ग पर पुनः अधिकार किया।’ ये सब बातें अपनी माता सुवर्चा से बालक पिप्पलाद ने सुनीं। अपने पिता दधीचि के घातक देवताओं पर उन्हें बड़ा क्रोध आया। ‘स्वार्थवश ये देवता मेरे तपस्वी पिता से उनकी हड्डियाँ माँगने में भी लज्जित नहीं हुए!’ पिप्पलाद ने सभी देवताओं को नष्ट कर देने का संकल्प करके तपस्या प्रारम्भ कर दी।

पवित्र नदी गौतमी के किनारे बैठकर तपस्या करते हुए पिप्पलाद को दीर्घकाल बीत गया। अन्त में भगवान् शंकर प्रसन्न हुए। उन्होंने पिप्पलाद को दर्शन देकर कहा-‘बेटा! वर माँगो।’

पिप्पलाद बोले- ‘प्रलयंकर प्रभु ! यदि आप मुझपर प्रसन्न हैं तो अपना तृतीय नेत्र खोलें और स्वार्थी देवताओं को भस्म कर दें।’

भगवान् आशुतोष ने समझाया-‘पुत्र! मेरे रुद्ररूप का तेज तुम सहन नहीं कर सकते थे, इसीलिये मैं तुम्हारे सम्मुख सौम्य रूप में प्रकट हुआ। मेरे तृतीय नेत्र के तेज का आह्वान मत करो। उससे सम्पूर्ण विश्व भस्म हो जायगा।’

पिप्पलाद ने कहा-‘प्रभो! देवताओं और उनके द्वारा संचालित इस विश्व पर मुझे तनिक भी मोह नहीं। आप देवताओं को भस्म कर दें, भले विश्व भी उनके साथ भस्म हो जाय।’

परमोदार मंगलमय आशुतोष हँसे। उन्होंने कहा- ‘तुम्हें एक अवसर और मिल रहा है। तुम अपने अन्तःकरण में मेरे रुद्ररूप का दर्शन करो।’

पिप्पलाद ने हृदय में कपालमाली, विरूपाक्ष, त्रिलोचन, अहिभूषण भगवान् रुद्र का दर्शन किया। उस ज्वालामय प्रचण्ड स्वरूप के हृदय में प्रादुर्भाव होते ही पिप्पलाद को लगा कि उनका रोम-रोम भस्म हुआ जा रहा है। उनका पूरा शरीर थर-थर काँपने लगा। उन्हें लगा कि वे कुछ ही क्षणों में चेतनाहीन हो जायँगे। आर्तस्वर में उन्होंने फिर भगवान् शंकर को पुकारा। हृदय की प्रचण्ड मूर्ति अदृश्य हो गयी। शशांकशेखर प्रभु मुसकराते सम्मुख खड़े थे।

‘मैंने देवताओं को भस्म करने की प्रार्थना की थी, आपने मुझे ही भस्म करना प्रारम्भ किया।’ पिप्पलाद उलाहने के स्वर में बोले।

शंकरजी ने स्नेहपूर्वक समझाया-‘विनाश किसी एक स्थल से ही प्रारम्भ होकर व्यापक बनता है और सदा वह वहीं से प्रारम्भ होता है, जहाँ उसका आह्वान किया गया हो। तुम्हारे हाथ के देवता इन्द्र हैं, नेत्र के सूर्य, नासिका के अश्विनीकुमार, मन के चन्द्रमा। इसी प्रकार प्रत्येक इन्द्रिय तथा अंग के अधिदेवता हैं। उन अधिदेवताओं को नष्ट करने से शरीर कैसे रहेगा? बेटा! इसे समझो — “कि दूसरों का अमंगल चाहने पर पहले स्वयं अपना अमंगल होता है।”

तुम्हारे पिता महर्षि दधीचि ने दूसरों के कल्याण के लिये अपनी हड्डियाँ तक दे दीं। उनके त्याग ने उन्हें अमर कर दिया। वे दिव्यधाम में अनन्त काल तक निवास करेंगे। तुम उनके पुत्र हो। तुम्हें अपने पिता के गौरव के अनुरूप सबके मंगल का चिन्तन करना चाहिये।’

पिप्पलाद को ज्ञान हुआ और उसने भगवान् विश्वनाथ के चरणों में मस्तक झुका दिया। [ ब्रह्मपुराण]

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