उत्तराखंड

पूर्वोत्तर भारत की यात्रा

देव भूमि जे के न्यूज 15/11/2024-
मै आज सपत्नीक पूर्वोत्तर भारत की यात्रा पर निकला हुआ हूं। मेरा मानना है कि यह अनमोल जीवन प्रकृति का उपहार है।समय पर सभी कार्यों को निपटाने की कोशिश करना चाहिए, और कुछ समय प्रकृति से साक्षात्कार के लिए अवश्य ही निकालना चाहिए।जब तक हाथ पैर,शरीर चलने के अनुकूल हो तो चरैवेति- चरैवेति के मंत्र को आत्मसात कर ईश्वर की बनाई हुई कलाकारी- चित्रकारी को नजदीक से अवलोकन करना चाहिए। हमें जब भी अनुकूल वातावरण मिलता है, निकल पड़ते हैं एक अनदेखी- अनछूए अनंत यात्रा पर।
इस प्रकार जीवन रोमांच से भर जाता है।और प्राकृतिक श्रृंगार सौंदर्य हमारे जीवन में विविध सतरंगी छटा बिखेर देती है।

मेरी ट्रेन नंबर 14318आज सुबह6.15 पर योगनगरी ऋषिकेश से हज़रत निज़ामुद्दीन (दिल्ली) के लिए नियत समय पर खुल गई। रूड़की पहुंचने पर एक फौजी भाई सपरिवार हमारे सीट के सामने विराजमान हुए बातों-बातों में पता चला कि वो भी राजधानी एक्सप्रेस से ही गुवहाटी जाएंगे। हमारी ट्रेन 1.30पर हज़रत निज़ामुद्दीन सही समय पर पहुंचने वाली थी।पर फौजी भाई से बातचीत का सिलसिला चला और उन्होंने कहा कि हम तो जब भी जाते हैं इस ट्रेन को गाजियाबाद में छोड़ कर लोकल ट्रेन पकड़कर नई दिल्ली आधे घंटे में पहुंच जाते हैं। सलाह सही लगा हम उनके कही बातों पर गंभीरता से विचार किया और मन बनाया कि हम इनके साथ गाजियाबाद उत्तर कर नई दिल्ली आसानी से पहुंच जाएंगे। हज़रत निज़ामुद्दीन से नई दिल्ली आने की झंझट से मुक्ति मिलेगी।
गाजियाबाद आने पर हम सपत्नीक और वे सपरिवार उत्तर गये। स्टेशन पर उतरने के बाद हम पर जो बीती उसका ज़िक्र करना बेहद जरूरी है। कोई भी निर्णय व्यक्ति को कैसे परेशानी में डालता है,इस निर्णय से कितनी परेशानी हुई,वो केवल हम ही महसूस कर सकते हैं।

हमारी ऋषिकेश- दिल्ली की ट्रेन 12.30पर गाजियाबाद पहुंच गई।पर स्टेशन पर पता चला कि लोकल ट्रेन अभी अभी निकल गई।अब तीन बजे दुसरी ट्रेन है।
हम तेजी से दुसरा विकल्प ढूंढने लगे,हम चार नंबर प्लेटफार्म पर खड़े होकर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे कि चार नंबर पर एक ट्रेन 1.30पर एक दुसरी ट्रेन आई। पता चला कि वो पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर जाएगी। खैर मन मारकर कोई विकल्प नहीं दिखाई देने पर नहीं हम उसे ट्रेन में बैठ गए लगभग लगभग आधे घंटे बाद 2:00 बजे वह ट्रेन पुरानी दिल्ली के लिए चल पड़ी यात्रियों से पूछने पर पता चला कि वह ट्रेन 8 घंटे लेट है सुपरफास्ट ट्रेन होने के बावजूद भी 8 घंटे लेट होना अपने आप में मायने रखता है खैर जो भी हो। इस ट्रेन की रफ्तार देखकर हमारा मन बैठने लगा था कि शायद अब हम इस यात्रा से वंचित हो जाएंगे बार-बार 139 पर शिकायत करने के बाद यह ट्रेन लगभग 350 पर पुरानी दिल्ली स्टेशन पहुंची भाग मिल्खा भाग और ईश्वर को शंभू सब कुछ समर्पित कर हम मेट्रो स्टेशन की तरफ भेज किसी प्रकार टिकट लेकर 10 मिनट में हम नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंच गए वहां कुली लेकर जब प्लेटफार्म की तरफ बढ़े तो 4:20 हो चुके थे तभी आशा की किरण जागी और ट्रेन हमें दिखाई दी 4:05 पर किसी प्रकार ट्रेन में हम बैठ गए हमने जरा सी भूल और गलती के कारण जो निर्णय लिया था बेहद गलत निर्णय था परंतु ईश्वर की कृपा से हम अपनी सीट पर बैठ गए और 12 मिनट लेट से यह ट्रेन नई दिल्ली से निकल पड़ी।
मेरी यह पूर्वोत्तर भारत स्पेशल यात्रा 11 दिवसीय यात्रा है,इस दौरान हम कामाख्या शक्तिपीठ मंदिर ,दार्जिलिंग, गंगटोक, शिलांग, नामची, चेरापूंजी सहित तमाम जगहों पर घुमेंगे। दिल्ली से राजधानी एक्सप्रेस से 4.32बजे नई दिल्ली से गुहाटी के लिए प्रस्थान किया।
हमारी यह ग्यारह दिवसीय यात्रा में ट्रेन कानपुर / लखनऊ/इलाहाबाद/वाराणसी/दानापुर /पटना/कटिहार/जलपाईगुड़ी होते हुए गुवहाटी रेलवे स्टेशन नियत समय से लगभग एक घंटा लेट 16 नवंबर को 8.25 पर पहुंची। दिल्ली से 80 लोगों की टीम गुवाहाटी पहुंची और अलग-अलग होटल में सभी को कमरे दिए गए रात्रि भोजन कर विश्राम के लिए अपने-अपने कमरे में चले गए।
17 नवम्बर को कामाख्या देवीमन्दिर(शक्तिपीठ) दर्शन करने है दर्शन हेतु हमने आनलाइन वीआईपी पास लिया है जोकि 501रुपये जमा करने पर मिल गया था। इसमें पुजारी का चयन हमें करना होता है जो कि रमेश शर्मा को हमने चुना और उनके फोन पर सूचना दे दी। दर्शन के लिए उन्होंने 2:00 बजे बाद का समय बताया।
17 सितंबर 20204 को सुबह कमरे की घंटी बजी गरमागरम चाय लेकर लड़का आया था। चाय लेकर चाय पी और जल्दी ही फ्रेश होकर तैयार हुए और नीचे नाश्ते की टेबल पर पहुंच गए। वहां पोहा ,समोसा नाश्ते में था क्योंकि पोहा और समोसा हमारा मनपसंद नाश्ता नहीं था फिर भी नाश्ता करने के बाद हमारा मां कामाख्या मंदिर में दर्शन का 2:00 बजे के बाद बुकिंग था सो हम गुवाहाटी में उमानंद मंदिर में दर्शन के लिए निकल पड़े उमानंद में मंदिर जो की सैकड़ो साल पुराना है वहां जाने के लिए गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र नदी पार कर जाना होता है दो विकल्प है आप उड़न खटोले से जा सकते हैं या स्टीमर से₹200 प्रति व्यक्ति आना-जाना है एक छोटे से टापू पर बना या मंदिर अपने आप में प्रकृति की गोद में ब्रह्मपुत्र नदी के चारों तरफ जलाशय के बीचो-बीच एक ऊंचे टापू पर बना हुआ है उसे पर पहुंचकर प्रसाद फूल अगरबत्ती लेकर दर्शन के लिए कुछ खड़ी सीधी चढ़ाई कर मंदिर में पहुंचे गर्भ गृह में विधिवत पूजा-अर्चना किया ।
दुनिया का यह सबसे छोटा बसा हुआ नदी द्वीप माना जाता है। ब्रह्मपुत्र के तट पर उपलब्ध देशी नावें आगंतुकों को द्वीप पर ले जाती हैं। जिस पहाड़ पर मंदिर बना है उसे भस्मकला के नाम से जाना जाता है। इसे राजा गदाधर सिंह के आदेश पर 1694 ई. में बनवाया गया था , लेकिन 1867 में आए भूकंप में यह टूट गया था।

दंतकथाओं के अनुसार कहा जाता है कि शिव ने भयानंद के रूप में यहाँ निवास किया था। कालिका पुराण के अनुसार, सृष्टि के आरंभ में शिव ने इस स्थान पर भस्म छिड़की थी और पार्वती (उनकी पत्नी) को ज्ञान प्रदान किया था। ऐसा कहा जाता है कि जब शिव इस पहाड़ी पर ध्यान में थे, तो कामदेव ने उनके योग को बाधित किया और इसलिए शिव के क्रोध की अग्नि से जलकर राख हो गए और इसलिए पहाड़ी को भस्मकला नाम मिला।

इस पर्वत को भस्मकूट भी कहा जाता है। कालिका पुराण में कहा गया है कि उर्वशीकुंड यहीं स्थित है और यहां देवी उर्वशी निवास करती हैं जो कामाख्या के भोग के लिए अमृत लेकर आती हैं और इसलिए इस द्वीप का नाम उर्वशी द्वीप पड़ा।

लगभग आधे घंटे में हमने टापू को छोड़ दिया। स्टीमर वाला आने जाने का किराया पहले ही ले चुका था, हम वापस आए और वहां से गुवाहाटी में बने बालाजी मंदिर के दर्शन के लिए निकल पड़े लगभग 1 घंटे की भीड़भाड़ भरे रास्तों से होते हुए मंदिर में पहुंचे वहां तीन मंदिर है पद्मनाभ मंदिर, माता दुर्गा जी की मंदिर और गणेश जी का मंदिर। तीनों मंदिरों में दर्शन कर वापस हम फैंसी बाजार के लिए निकल पड़े जहां रविवार होने की वजह से अधिकांश दुकानें बंद थी परंतु फिर भी लगभग 25% दुकान खुली थी जो दुकान बंद थी उनकी दुकानों के आगे काफी गहमागहमी थी, तरह-तरह के कपड़े फुटपाथ में लगे हुए थे हम एक बड़ी सी दुकान में गए पत्नी रंजू तिवारी के लिए दो साड़ियां ली जो की आसामी स्टाइल में वहां के लोकल बनावट और एक काजीरंगा शैली में थी और एक असमी कढ़ाई में खरीदारी करने के बाद वापस होटल आए जहां दोपहर का लंच लेकर कुछ देर आराम किया और फिर मां कामाख्या देवी के दर्शन के लिए आठ लोग हम निकल पड़े हम दोनों का ₹501 का ऑनलाइन दर्शन का टिकट था वहां जाकर कंप्यूटर कक्ष में अपना टिकट निकलवा कर पुजारी जी को फोन किया हमारे साथ जो गाइड थे वह हमें लाइन में लगाकर चले गए एक हाल में बैठे थे इस समय हमने एक फोटो स्टेटस पर डाला फेसबुक स्टेटस देखकर एक हमारे ऋषिकेश के दुर्गेश तिवारी जो की हमारे उनसे अतरंग संबंध थे देखकर हमें कॉल किया और बोले आप कहां है हमने पता बताया वह आए और हम दोनों को विशेष एंट्री से जल्दी ही लाइन में लगवा दिए जहां लगभग आधे घंटे बाद हमारा नंबर आ गया पुजारी जी को फोन करने के बाद वह तो नहीं आए पर उनका भाई मुन्ना पंडित आए और विधिवत मां कामाख्या देवी का पूजा अर्चना करवा कर गर्भ-गृह से हम बाहर आए वह मंदिर के पास ही कुछ देर तक बैठे तभी दुर्गेश तिवारी का फोन आया आपका दर्शन हो गया हूं तो आप अन्नपूर्णा होटल में लिए वहां जाने के बाद चाय नाश्ता किया और वह हमें एक बगलामुखी सिद्ध पीठ में ले गए जो की ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे स्थित है काफी संख्या में ब्राह्मणों द्वारा जप तप तक किया जा रहा था वहां भी हमने पूजा अर्चना की और बस स्टैंड आकर अपने साथियों के साथ होटल पहुंचे और रात का डिनर सामूहिक रूप से लेकर सो गए।

चौथा दिन प्राकृतिक सौन्दर्य का अवलोकन रात्रि विश्राम शिलांग और प्राकृतिक सौन्दर्य अवलोकन। गोहाटी से न्यूजलपाईगुडी एक ट्रेन में 3AC रिजर्वेशन द्वारा प्रस्थानशिलांग

पांचवां दिन गंगटोक छठवां दिन न्यू जलपाईगुडी आगमन एवं गंगटोक के वास्ते प्रस्थान। वॉटर फॉल्स, फूलों की प्रदर्शनी, बुद्धिस्ट मन्दिर आदि। (रात्रि विश्राम गंगटोक,
गंगटोक सातवां दिन आठवां दिन झांगू लेक, बाबा हरभजन सिंह मन्दिर। (रात्रि विश्राम गंगटोक प्रसिद्ध सिद्धेश्वर धाम मन्दिर, चारधाम मन्दिर दर्शन । (रात्रि विश्राम दार्जिलिंग)नामची
दार्जिलिंग

नवां दिन सनराईज पॉइन्ट, टाईगर हिल, बताशिया लूप, जापानी मन्दि मैरी-टी-गार्डन, पीकपैगोडा, तेनजिंग रॉक आदि। (रात्रि विश्राम दाजि न्यूजलपाईगुडी से राजधानी एक्सप्रेस में 3AC रेल रिजर्वेशन

दसवां दिन द्वारा प्रस्थान ग्यारहवां दिन नई दिल्ली/लखनऊ/वाराणसी रेलवे स्टेशन होते हुए नई स्टेशन पर यात्रा की समाप्ति हुई ।

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