उत्तराखंडधर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग -नाइटमेयर आफ ए थियोलाजियन*


*आज का पञ्चांग*

*दिनांक:- 07/12/2024, शनिवार*
*षष्ठी, शुक्ल पक्ष,*
*मार्गशीर्ष*
(समाप्ति काल)

तिथि————- षष्ठी 11:05:27 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र———– धनिष्ठा 16:49:32
योग———- व्याघात 08:41:08
योग———— हर्शण 30:24:38
करण———– तैतुल 11:05:27
करण————– गर 22:27:05
वार———————- शनिवार
माह——————— मार्गशीर्ष
चन्द्र राशि—————- कुम्भ
सूर्य राशि————— वृश्चिक
रितु———————— हेमंत
आयन————— दक्षिणायण
संवत्सर (उत्तर) ————कालयुक्त
विक्रम संवत————– 2081
गुजराती संवत———— 2081
शक संवत—————- 1946
कलि संवत—————- 5125
सूर्योदय————– 06:58:17
सूर्यास्त————— 17:23:21
दिन काल———— 10:25:03
रात्री काल————- 13:35:38
चंद्रोदय————– 11:50:07
चंद्रास्त—————- 23:14:44
लग्न—-वृश्चिक 21°14′ ,231°14′
सूर्य नक्षत्र——————ज्येष्ठा
चन्द्र नक्षत्र—————- धनिष्ठा
नक्षत्र पाया——————- ताम्र

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

गु—-धनिष्ठा 10:58:20

गे—-धनिष्ठा 16:49:32

गो—- शतभिषा 22:39:30

सा—- शतभिषा 28:28:15

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= वृश्चिक 21°45, ज्येष्ठा 2 या
चन्द्र=कुम्भ 01°30 , धनिष्ठा 3 गु
बुध =वृश्चिक 18°52 ‘ ज्येष्ठा 1 नो
शु क्र= मकर 05°05, उ oषा०’ 3 जा
मंगल=कर्क 11°30 ‘ पुष्य ‘ 3 हो
गुरु=वृषभ 22°30 रोहिणी, 4 वू
शनि=कुम्भ 18°50 ‘ शतभिषा , 4 सू
राहू=(व) मीन 08°40 उo भा o, 2 थ
केतु= (व)कन्या 08°40 उ o फा o 4 पी

*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*

राहू काल 09:35 – 10:53 अशुभ
यम घंटा 13:29 – 14:47 अशुभ
गुली काल 06:58 – 08: 16अशुभ
अभिजित 11:50 – 12:32 शुभ
दूर मुहूर्त 08:22 – 09:03 अशुभ
वर्ज्यम 23:49 – 25:22* अशुभ
प्रदोष 17:23 – 20:09 शुभ

🚩पंचक अहोरात्र अशुभ

💮चोघडिया, दिन
काल 06:58 – 08:16 अशुभ
शुभ 08:16 – 09:35 शुभ
रोग 09:35 – 10:53 अशुभ
उद्वेग 10:53 – 12:11 अशुभ
चर 12:11 – 13:29 शुभ
लाभ 13:29 – 14:47 शुभ
अमृत 14:47 – 16:05 शुभ
काल 16:05 – 17:23 अशुभ

🚩चोघडिया, रात
लाभ 17:23 – 19:05 शुभ
उद्वेग 19:05 – 20:47 अशुभ
शुभ 20:47 – 22:29 शुभ
अमृत 22:29 – 24:11* शुभ
चर 24:11* – 25:53* शुभ
रोग 25:53* – 27:35* अशुभ
काल 27:35* – 29:17* अशुभ
लाभ 29:17* – 30:59* शुभ

💮होरा, दिन
शनि 06:58 – 07:50
बृहस्पति 07:50 – 08:42
मंगल 08:42 – 09:35
सूर्य 09:35 – 10:27
शुक्र 10:27 – 11:19
बुध 11:19 – 12:11
चन्द्र 12:11 – 13:03
शनि 13:03 – 13:55
बृहस्पति 13:55 – 14:47
मंगल 14:47 – 15:39
सूर्य 15:39 – 16:31
शुक्र 16:31 – 17:23

🚩होरा, रात
बुध 17:23 – 18:31
चन्द्र 18:31 – 19:39
शनि 19:39 – 20:47
बृहस्पति 20:47 – 21:55
मंगल 21:55 – 23:03
सूर्य 23:03 – 24:11
शुक्र 24:11* – 25:19
बुध 25:19* – 26:27
चन्द्र 26:27* – 27:35
शनि 27:35* – 28:43
बृहस्पति 28:43* – 29:51
मंगल 29:51* – 30:59

*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*

वृश्चिक > 04:10 से 06:48 तक
धनु > 06:48 से 09:00 तक
मकर > 09:00 से 11:48 तक
कुम्भ > 11:48 से 12: 20 तक
मीन > 12:20 से 13:52 तक
मेष > 13:52 से 15:16 तक
वृषभ > 15:16 से 17:24 तक
मिथुन > 17:24 से 19:36 तक
कर्क > 19:36 से 22:04 तक
सिंह > 22:04 से 23:54 तक
कन्या > 23:54 से 02:10 तक
तुला > 02:10 से 04:20 तक

*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

6 + 7 + 1 = 14 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

बुध ग्रह मुखहुति

*💮 शिव वास एवं फल -:*

6 + 6 + 5 = 17 ÷ 7 = 3 शेष

वृषभारूढ़ = शुभ कारक

*🚩भद्रा वास एवं फल -:*

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*

*स्कंध षष्ठी*

*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*

लोकयात्रा भयं लज्जा दाक्षिण्यं त्यागशीलता ।
पञ्च यत्र न विद्यन्ते न कुर्य्यात्तत्र सड्गतिम् ।।
।। चा o नी o।।

बुद्धिमान व्यक्ति को ऐसे देश में कभी नहीं जाना चाहिए जहाँ :
रोजगार कमाने का कोई माध्यम ना हो,
जहा लोगों को किसी बात का भय न हो,
जहा लोगो को किसी बात की लज्जा न हो,
जहा लोग बुद्धिमान न हो,
और जहाँ लोगो की वृत्ति दान धरम करने की ना हो।

*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*

गीता -: विश्वरूपदर्शनयोग अo-11

मया प्रसन्नेन तवार्जुनेदंरूपं
परं दर्शितमात्मयोगात्‌ ।,
तेजोमयं विश्वमनन्तमाद्यं
यन्मे त्वदन्येन न दृष्टपूर्वम्‌ ॥,

श्री भगवान बोले- हे अर्जुन! अनुग्रहपूर्वक मैंने अपनी योगशक्ति के प्रभाव से यह मेरे परम तेजोमय, सबका आदि और सीमारहित विराट् रूप तुझको दिखाया है, जिसे तेरे अतिरिक्त दूसरे किसी ने पहले नहीं देखा था॥,47॥,

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। नौकरी में अधिकार बढ़ेंगे। व्यावसायिक समस्या का हल निकलेगा। नई योजना में लाभ की संभावना है। घर में मांगलिक आयोजन हो सकते हैं। जीवनसाथी से संबंध घनिष्ठ होंगे। रोजगार मिलेगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी।

🐂वृष
शुभ समाचार प्राप्त होंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। मान बढ़ेगा। स्वजनों से मेल-मिलाप होगा। नौकरी में ऐच्छिक पदोन्नति की संभावना है। पुराने मित्र व संबंधियों से मुलाकात होगी। किसी की आलोचना न करें। खानपान का ध्यान रखें। आर्थिक संपन्नता बढ़ेगी।

👫मिथुन
गीत-संगीत में रुचि बढ़ेगी। आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। पुराना रोग उभर सकता है। शोक समाचार मिल सकता है। भागदौड़ रहेगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। अधूरे कामों में गति आएगी। व्यावसायिक गोपनीयता भंग न करें।

🦀कर्क
घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। धनलाभ होगा। व्यापार-व्यवसाय में उन्नति के योग हैं। वाणी पर संयम आवश्यक है। जीवनसाथी से मदद मिलेगी। सामाजिक यश-सम्मान बढ़ेगा। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। यात्रा सफल रहेगी। प्रयास सफल रहेंगे। वाणी पर नियंत्रण रखें।

🐅सिंह
परिवार के सहयोग से दिन उत्साहपूर्ण व्यतीत होगा। योजनानुसार कार्य करने से लाभ की संभावना है। आर्थिक सुदृढ़ता रहेगी। धनार्जन होगा। संतान के स्वास्थ्य पर ध्यान दें। बेचैनी दूर होगी। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी।

🙎‍♀️कन्या
नए अनुबंध होंगे। नई योजना बनेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। कार्य में व्यय की अधिकता रहेगी। दांपत्य जीवन में भावनात्मक समस्याएँ रह सकती हैं। व्यापार में नए अनुबंध आज नहीं करें। राजमान प्राप्त होगा।

⚖️तुला
व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। पारिवारिक उन्नति होगी। सुखद यात्रा के योग बनेंगे। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। स्वविवेक से कार्य करना लाभप्रद रहेगा।

🦂वृश्चिक
लाभ के अवसर मिलेंगे। प्रसन्नता रहेगी। कुछ मानसिक अंतर्द्वंद्व पैदा होंगे। पारिवारिक उलझनों के कारण मानसिक कष्ट रहेगा। पूजा-पाठ में मन लगेगा। कोर्ट व कचहरी के काम निबटेंगे। धैर्य एवं संयम रखकर काम करना होगा। यात्रा आज न करें।

🏹धनु
भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। बेरोजगारी दूर होगी। लाभ होगा। मान-प्रतिष्ठा में कमी आएगी। कामकाज में बाधाएं आ सकती हैं। कर्मचारियों पर व्यर्थ संदेह न करें। आर्थिक लाभ मिलने से एक्स्ट्रा खर्च उठा पाएंगे। शत्रु सक्रिय रहेंगे। स्वास्थ्य कमजोर होगा।

🐊मकर
कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। राजकीय कार्य में परिवर्तन के योग बनेंगे। आलस्य का परित्याग करें। आपके कामों की लोग प्रशंसा करेंगे। व्यापार लाभप्रद रहेगा। नई कार्ययोजना के योग प्रबल हैं। ऐश्वर्य पर व्यय होगा। स्वास्थ्‍य कमजोर रहेगा। विवाद को बढ़ावा न दें।

🍯कुंभ
व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल रहेगी। कानूनी मामले सुधरेंगे। धन का प्रबंध करने में कठिनाई आ सकती है। आहार की अनियमितता से बचें। व्यापार, नौकरी में उन्नति होगी। लेन-देन में सावधानी रखें। बकाया वसूली के प्रयास सफल रखें।

🐟मीन
व्यापार-व्यवसाय सामान्य रहेगा। दूरदर्शिता एवं बुद्धि चातुर्य से कठिनाइयां दूर होंगी। राज्य तथा व्यवसाय में सफलता मिलने के योग हैं। पठन-पाठन में रुचि बढ़ेगी। पुराना रोग उभर सकता है। चोट व दुर्घटना से बचें। वस्तुएं संभालकर रखें। बाकी सामान्य रहेगा।

*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*

🦋🌸🦋

*नाइटमेयर आफ ए थियोलाजियन*

बर्ट्रेड रसेल ने एक बहुत प्यारी कहानी लिखी है। बर्ट्रेड रसेल ने थोड़ी ही कहानियां लिखी हैं। वे कोई कहानी—लेखक नहीं थे। लेकिन कुछ बातें कहनी हों और ऐसी हों कि दर्शन की भाषा में न कही जा सकें, तो कभी—कभी कहानियों की भाषा में कही जा सकती हैं।

तो रसेल ने लिखी है एक कहानी। उस कहानी को नाम दिया है, एक धर्मगुरु का दुखस्वप्न— नाइटमेयर आफ ए थियोलाजियन।

एक धर्मगुरु रात सोया और उसने स्वप्न देखा कि उसकी मृत्यु हो गई है। तो वह बड़ा प्रसन्न हुआ। क्योंकि जीवन में कभी उसने कोई पाप नहीं किया था कि नर्क जाने का भय उसे लगे। न कभी झूठ बोला, न कभी बेईमानी की, न किसी का दिल दुखाया। निश्चित था कि स्वर्ग उसे मिलने वाला है। और दिन—रात ईश्वर का ही गुणगान किया। स्वाभाविक था कि उसके मन में गहरी आशा हो कि स्वर्ग के द्वार पर स्वयं ईश्वर ही मेरा स्वागत करेगा।

लेकिन जब वह धर्मगुरु स्वर्ग के द्वार पर पहुंचा, तो वह बहुत मुश्किल में पड़ गया। द्वार इतना बड़ा था कि उस धर्मगुरु को उसका ओर—छोर दिखाई नहीं पड़ता था। उसने बहुत ताकत लगाकर द्वार को पीटा। लेकिन उसको खुद भी समझ में आ गया कि इतना बड़ा द्वार है, यह मेरे हाथ की आवाज भीतर तक पहुंच नहीं सकती। तब उसका चित्त उदास भी होने लगा। क्योंकि सोचा था, बैंड—बाजे के साथ ईश्वर खुद मौजूद होगा। वहां कोई भी नहीं था। न मालूम कितने वर्ष उसे बीतते मालूम पड़ने लगे। चीखता है, चिल्लाता है। रोता है। छाती पीटता है, दरवाजा पीटता है।

फिर एक खिड़की खुली और एक चेहरा बाहर झांका। हजार आंखें थीं और एक—एक आंख जैसे एक—एक सूर्य हो! वह घबड़ाकर नीचे दुबक गया और चिल्लाने लगा कि थोड़ा पीछे हट जाएं। हे परम पिता, हे परमेश्वर, आपके प्रकाश को मैं नहीं सह सकता हूं। आप थोड़ा पीछे हट जाएं।

लेकिन उस आदमी ने कहा कि क्षमा करें। आप भूल में हैं। मैं सिर्फ यहां का पहरेदार हूं। मैं कोई परमेश्वर नहीं हूं। परमेश्वर का मैंने कभी कोई दर्शन नहीं किया। मैं सिर्फ यहां का पहरेदार हूं। परमेश्वर और मेरे बीच बड़ा फासला है। वहां तक पहुंचने की अभी मेरी सुविधा नहीं बन पाई।

तब तो वह धर्मगुरु बहुत घबड़ाया। एक कीड़े—मकोड़े की तरह दुबककर वह नीचे बैठ गया। और उसने कहा, फिर भी, आप अगर परमेश्वर तक खबर पहुंचा सकें या कोई उपाय करें, कहें कि मैं पृथ्वी से आया हूं फलां—फलां धर्म का मानने वाला, फलां—फलां धर्म का सबसे बड़ा धर्मगुरु। लाखों लोग मेरी पूजा करते हैं, लाखों लोग मेरे चरणों में गिरते हैं। मैं आ रहा हूं मेरी खबर कर दें। मेरा यह—यह नाम है।

तो उस द्वारपाल ने कहा कि क्षमा करें। आपके नाम का तो पता लगाना बहुत कठिन पड़ेगा। आपके संप्रदाय का भी पता लगाना बहुत कठिन पड़ेगा। आप किस पृथ्वी से आ रहे हैं, उसका नाम बताइए। उस धर्मगुरु ने कहा, किस पृथ्वी से! पृथ्वी तो बस एक ही है, हमारी पृथ्वी! उस द्वारपाल ने कहा कि आपका अज्ञान गहन है। अनंत—अनंत पृथ्वियां हैं इस विराट विश्व में। किस पृथ्वी से आते हो, इंडेक्स नंबर बोलो! तुम्हारी पृथ्वी का नंबर क्या है?

वह धर्मगुरु बड़ी मुश्किल में पड़ गया। किसी धर्मशास्त्र में भी पृथ्वी का कोई इंडेक्स नंबर दिया हुआ नहीं था। क्योंकि सभी धर्मशास्त्र इसी पृथ्वी पर पैदा हुए हैं। और यह मानकर चलते हैं कि यही पृथ्वी सब कुछ है।

धर्मगुरु को दिक्कत में देखकर उस द्वारपाल ने कहा कि अगर तुम्हें पृथ्वी का कोई नंबर याद न हो, तो तुम किस सूर्य के परिवार से आते हो, उसका इंडेक्स नंबर बोलो। किस सूर्य के परिवार से आते हो? तो कुछ खोज—बीन हो सकती है, अन्यथा बड़ी कठिनाई है।

धर्मगुरु इतना घबड़ा गया! सोचता था, उसकी भी खबर होगी परमात्मा को। बड़ा धर्मगुरु है। हजारों उसके मानने वाले हैं। सोचता था, मेरी खबर होगी। मेरे मंदिर, मेरे चर्च की खबर होगी। लेकिन यहां उस पृथ्वी का ही कोई पता नहीं। यहां उस सूर्य के लिए भी नंबर बताना जरूरी है। और तब भी उसने कहा कि अनेक वर्ष लग जाएंगे, तभी खोज—बीन हो सकती है कि आप कहां से आते हैं।

घबड़ाहट में उसकी नींद खुल गई, वह पसीने से तरबतर था। यह सपना देख रहा था।

आदमी अपने को केंद्र मान लेता है, नासमझी के कारण। आदमी अपने को मान लेता है कि मैं आधार में हूं नासमझी के कारण। अस्तित्व बहुत विराट है।
-ओशो

Devbhumi jknews

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